Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

पद्मक के लाभ, उपयोग और दुष्प्रभाव

पद्मक के लाभ, उपयोग और दुष्प्रभाव

2023-02-27 15:57:48

पद्मक के लाभ, उपयोग और दुष्प्रभाव

आमतौर पर पद्मक को हिमालयन चेरी ट्री के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे पदम, पद्म गांधी, पितृकता, पज्जा, खट्टा चेरी और पथिमुकम नामों से भी पुकारते हैं। इसका वानस्पतिक नाम प्रूनस सेरासाइड्स है। इसके विभिन्न प्रकार के पारंपरिक उपयोग हैं। पद्मक पौधे की छाल, गोंद और बीजों का उपयोग कई तरह से औषधीय अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। इसके बीजों का सेवन गुर्दे की पथरी, जलन, रक्तस्राव विकारों और त्वचा रोगों के लिए किया जाता है। यह बिच्छू के डंक के इलाज में भी उपयोगी है। इसके चारकोल का उपयोग दन्त मञ्जन के रूप में किया जाता है।

 

आयुर्वेद में पद्मक का महत्व-

आयुर्वेद के अनुसार पद्मक असंतुलित कफ और पित्त दोष को कम करता है। इसका स्वाद कड़वा और तासीर से यह ठंडा होता है। आयुर्वेद में पद्मक पौधे की छाल और बीजों का उपयोग उनके उपचार गुणों के लिए किया जाता है। पद्मक में बीटा-साइटोस्टेरॉल , स्टिगमास्टरॉल उर्सोलिक एसिड, प्रूनटिनोसाइड और नियोसैक्यूरानिन आदि शामिल हैं। इसमें स्निग्धा (तैलीय), कषाय (कसैला) और सूजन-रोधी गुण भी होते हैं। इसके अतिरिक्त पद्मक को मूत्रवर्धक और रेचक माना जाता है।

 

पद्मक के स्वास्थ्य लाभ-

त्वचा संबंधी विकारों में लाभप्रद-

असंतुलित पित्त से आम (विषाक्त पदार्थ) बनता है, जो शरीर के ऊतकों को गहराई से नुकसान पहुंचाता है। जिसके फलस्वरूप यह त्वचा रंजकता के नुकसान का कारण बनता है। ऐसे में पद्मक का उपयोग लाभप्रद होता है। यह अपने पित्त संतुलन गुणों के कारण त्वचा पर सफेद या गुलाबी धब्बें की उपस्थिति को रोकने और कम करने में मदद करता है।

 

अस्थमा को रोकने में सहायक-

अस्थमा कफ और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होने वाली स्थिति है। इससे वायुमार्ग में बलगम का निर्माण और संचय होता है। यह वायु प्रवाह में अवरोध पैदा करता है। जिससे सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। चूंकि पद्मक अपने थूक संतुलन गुणों के लिए जाना जाता है। यह बलगम के निर्माण को रोकता है। साथ ही अस्थमा के लक्षणों को कम करता है। परिणामस्वरूप सांस लेने में आसानी होती है।

 

अनियमित मासिक धर्म में लाभकारी-

ओलिगोमेनोरिया या एमेनोरिया, जिसे अनियमित मासिक धर्म चक्र भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होती है जो मासिक धर्म में अनियमितता का कारण बनती है। आयुर्वेद में इसे आर्तवक्षय कहा जाता है। पद्मक कफ और पित्त के संतुलन को बनाए रखता है। जिससे अनियमित मासिक धर्म को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

 

अधिक पसीने को नियंत्रित करने में कारगर-

शरीर में पित्त और कफ दोष के बढ़ने के कारण अधिक पसीना आता है। इसलिए पद्मक पेस्ट को शरीर पर लगाने से पसीने को रोकने में मदद मिलती है। क्योंकि यह पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक होता है।

 

हड्डियों को जोड़ने में सहायक-

पद्मक एक अद्भुत जड़ी बूटी है जिसका उपयोग फ्रैक्चर के इलाज के लिए किया जाता है। इसके तने की छाल से बने पेस्ट को फ्रैक्चर वाली जगह पर लगाने से हीलिंग प्रक्रिया तेज होती है। जिससे हड्डी के इलाज में मदद मिलती है। इसके अलावा पद्मक पीठ दर्द में भी राहत प्रदान करता है।

 

गुर्दे की पथरी के इलाज में मददगार-

पद्मक में कफ संतुलन और मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो मूत्र उत्पादन को बढ़ाते हैं। जिसके कारण पेशाब बार-बार आता है। परिणामस्वरूप शरीर से छोटे गुर्दे की पथरी निकल जाती है।

 

पद्मक का उपयोग-

  • त्वचा रोगों के उपचार के लिए पद्मक के चूर्ण का उपयोग लेप के रूप में किया जाता है।
  • पद्मक चूर्ण को मतली, उल्टी और पेट की समस्याओं के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • पद्मक के बीज से बने पाउडर का उपयोग गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए किया जाता है।
  • पद्मक अर्क का उपयोग योनि से रक्तस्राव और गर्भाशय की कमजोरी के इलाज के लिए किया जाता है।
  • अधिक पसीने और जलन से पीड़ित रोगियों को पद्मक की छाल से बने काढ़े पिलाने से लाभ मिलता है।

पद्मक के दुष्प्रभाव-

पद्मक के अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव होते हैं। जो निम्नलिखित हैं:

  • कमजोरी महसूस करना।
  • पुतलियों का फैलाव (सामान्य से बड़ी पुतलियां होना)
  • पेट में ऐंठन या मरोड़ होना।
  • उत्तेजना का कारण बनना।

यह कहां पाया जाता है?

यह पौधा समशीतोष्ण हिमालयी क्षेत्रों में उगता है, जो कश्मीर से भूटान, अक्का और असम और मणिपुर की हस्सी पहाड़ियों तक 900-2300 मीटर की ऊंचाई पर फैला है। यह पर्याप्त छाया पाता है और अन्य पेड़ों के छायांकित समशीतोष्ण अक्षांशों में पनपता है। पद्मक को हल्की रोशनी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह छायादार पहाड़ियों और खेतों में ठीक तरीके से विकास करता है। यह समशीतोष्ण और आर्द्र जलवायु में उगाया जाता है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: