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मल में रक्त आने के कारण और घरेलू उपचार

मल में रक्त आने के कारण और घरेलू उपचार

2022-05-24 18:23:21

जीवन में भागदौड़ और गलत लाइफ स्टाइल के कारण आप और हम लोग अपनी सेहत और खान-पान की चीजों पर ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है। वैसे भी इस बदलते परिवेश में करीब सभी लोगों को कब्ज और गैस की शिकायत रहती है। जिससे कारण खाना समय पर हजम नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप शौच करते समय बेहद परेशानी होती है। भोजन को ठीक से न पचा पाने और कब्ज होने के कारण ही मल सख्त और मोटा हो जाता है। जिसके कारण मल पास करते समय शरीर के एनस (मलद्वार) में अधिक दवाब पड़ता है और परिणामस्वरूप मल द्वार से खून आने लगता है।

 
 
खूनी मल कैसा दिखता है?
  • मल के साथ मिश्रित लाल रक्त।
  • लाल रक्त से ढका मल।
  • काला मल
  • मल के साथ मिश्रित गाढ़ा रक्त।
कहां से होता है रक्तस्राव ?

रक्तस्राव गुदा मार्ग में कहीं से भी आ सकता है। जिसके सामान्य नियम निम्नलिखित हैं-

 
मलाशय या गुदा से रक्तस्राव होने पर-

इसमें रक्त लाल और चमकदार दिखता है। क्योंकि यह रक्त मल के साथ मिश्रित नहीं हो पाता परंतु कभी-कभी मल-त्याग करने के बाद रक्त या रक्त की बूंदों से ढका मल हमे देखने को मिलता है। जैसे- गुदा के फटने और बवासीर से रक्तस्राव होना आदि।

 
बृहदान्त्र से रक्तस्राव होने की स्थिति में-

 इसमें रक्त मल के साथ मिश्रित रहता है और रक्त का रंग गहरा लाल हो सकता है। उदाहरण के लिए- बृहदांत्रशोथ (Colitis), डिवेंचरिक्यूलर बीमारी और आंत्र ट्यूमर (Intestinal tumor) से रक्त बहना।

 
छोटी आंत से रक्तस्राव होने पर-

रक्त को शरीर से बाहर निकलने से पहले लंबी यात्रा से गुजरना पड़ता है। इस दौरान रक्त का रंग गहरा होकर मल के साथ मिश्रित हो जाता है। इससे मल का रंग काला हो जाता है।

 

इसलिए इसे रुधिर काला मल भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए- पेट से होने वाला रक्तस्राव और ग्रहणी संबंधी अल्सर (Duodenal ulcer)।

 
 
क्या होते हैं मल में रक्त आने के कारण?

मल में खून आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर अलग-अलग होते हैं। कुछ मामलों में यह कारण सामान्य हो सकते हैं तो कुछ मामलों में यह गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकते हैं। बात करते हैं मल में रक्त आने के इन कारणों के बारे में;

 
आंतों में इंफेक्शन (Intestinal Infection)-

आंतों में इंफेक्शन होने से कई बार मल में खून आने लगता है। आंतों में होने वाली इस समस्या को गैस्ट्रोएंटेरिटिस (Gastroenteritis) कहते हैं। यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया, फूड प्वॉइजनिंग जैसे कारणों से होती है।

 
पेट में अल्सर (Stomach Ulcer)-

पेट में अल्सर होने से मल त्यागने में लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कुछ लोगों में यह डायरिया (दस्त) का कारण भी होता है। पेट के अल्सर को पेप्टिक अल्सर कहते हैं। जो आंतों में घाव या छाला होने की वजह से होता है। यह मुख्य रूप से पाचन तंत्र की लाइनिंग में होता है। पेट के साथ यह कई बार छोटी आंत में भी हो जाता है। इस प्रकार पेट में अल्सर होना भी मल में रक्त आने की एक वजह होती है। इसके होने पर मल का रंग गाढ़ा, डायरिया, कम भूख लगना, पेट में जलन जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।

 
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease)-

जब डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (पाचन मार्ग) में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन होता है तो इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पेट दर्द रोग) होता है। जिसके कारण मल में खून आने के साथ डायरिया की दिक्कत भी हो सकती है। कई बार इन परेशानियों की वजह से मल में मवाज (पस) या श्लेष्मा (म्यूकस) भी दिखता है।

 
बवासीर (Piles)-

 बवासीर एक प्रकार की सूजन है। जो गुदा वाले निचले हिस्से (मलाशय) में होती है। गुदा और निचले मलाशय के भीतर अंदर की ओर छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं (नसों) का नेटवर्क होता है। कभी-कभी यह नसें अधिक चौड़ी हो जाती हैं और इनमें सामान्य से अधिक रक्त भर जाता हैं। तब यह नसें और ऊपर की ऊतकें (Tissues) बवासीर नामक सूजन को उत्पन्न करती हैं। बवासीर कुछ लोगों में बहुत आम और कुछ लोगों में अधिक रक्तस्राव विकसित करता हैं। शौचालय जाने पर रक्तस्राव होना इसका सबसे आम लक्षण है। लेकिन बड़ा बवासीर शौचालय जाने पर श्लेष्म का रिसाव (Mucus leakage), दर्द, जलन और खुजली उत्पन्न कर सकता है।

 
एनल फिशर (Anal Fissure)-

यह मलद्वार के चारों ओर होने वाला एक प्रकार का कट या दरार होती है। जो तेज दर्द और मल से खून आने का कारण बनती है। कई बार कब्ज से मलद्वार पर पड़ने वाले दबाव के कारण भी एनल फिशर (गुदा में दरार) की समस्या होती है। एनल फिशर एनस की लाइनिंग टूटने की वजह से होता है। गुदा में दरार पड़ना वास्तव में गुदा की त्वचा का फटना होता है। गुदा का फटना आमतौर पर छोटा परंतु बहुत दर्दनाक होता है। अक्सर गुदा में दरार होने पर थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव भी होता है। जिसे मल त्यागते समय देखा जा सकता है।

 
फिस्टुला (Fistula)-

मलद्वार के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती हैं। जिनमें कभी-कभी संक्रमण हो जाता हैं। जिससे गुदा पर फोड़ा हो जाता है और कुछ समय बाद उससे मवाद (पस) आने लगता है। इसके लक्षण निम्न है-

 
  • यह कैंसर, रेडिएशन, ट्रामा, क्रोहन रोग आदि का कारण हो सकता है।
  • यह मोटापे और लंबे समय तक बैठने से भी हो सकता है।
  • मुंह से मवाद आना, सूजन, दर्द आदि के रूप में इसकी पहचान की जा सकती है।
  • एंटीबायोटिक दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है।
मल में खून आने पर निम्न बातों पर ध्यान दें
  • प्रतिदिन करीब 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं।
  • प्रतिदिन स्नान करें और गुदा क्षेत्र को ठीक से साफ करें।
  • चाय, कॉफी, धूम्रपान आदि का सेवन करने बचें।
  • मल त्यागते समय अधिक जोर न लगाएं।
  • शराब के सेवन से दूरी बनाएं।
क्या हैं इसके घरेलू उपाय?
  • आयुर्वेद में बवासीर और फिस्टुला जैसी बीमारी के इलाज में छाछ का सेवन औषधि की तरह काम करता है।
  • पाइल्स की शुरुआती दौर को खानपान के बदलाव से ठीक किया जा सकता है। इसलिए ऐसे समय पर खानपान का विशेष ध्यान रखें।
  • आयुर्वेद में मल में खून आना, कम भूख लगने जैसी समस्या में चावल और मूंग दाल का पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  • भोजन में हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, दानामेथी, अलसी के बीज इत्यादि फाइबर और प्रोटीन युक्त चीजों का प्रयोग करना चाहिए।
  • कब्ज, एनस (गुदा) में मवाद, मल की समस्या में तला-भुना, तेज मिर्च-मसाले और मैदा आदि का सेवन न करें।
  • बीज युक्त सब्जियों का सेवन कम से कम करें।
  • प्रतिदिन रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें। इसके प्रयोग से कब्ज आदि समस्याओं में राहत मिलती है।
  • छोटी हरड़ को घी में फुलाकर, उसका पाउडर बनाकर पानी के साथ लेने से फायदा होता है।
  • दूध में शहद डालकर पीने से मल में खून आने वाली समस्याओं में लाभ मिलता है।
  • इसके अतिरिक्त शहद के साथ ओट्स, कॉर्न फ्लेक्स, हर्बल-टी आदि का सेवन करना भी अच्छा होता है।

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