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चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया के कारण, लक्षण और उपचार

चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया के कारण, लक्षण और उपचार

2022-05-24 16:59:07

संक्रामक रोगों का इलाज बिना देर किए करना चाहिए। क्योंकि ऐसा न करने पर बिमारियों के फैलने या बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी ही कुछ संक्रामक बीमारियां हैं चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया। जो वायरल इंफेक्शन के जरिए फैलने वाली बीमारियां मानी जाती हैं। यह रोग ज्यादातर वर्षा ऋतु के दौरान या उसके बाद के मौसम (अक्टूबर-नवंबर) में होते हैं। क्योंकि इस दौरान मच्छर बहुतायत रूप से पाए जाते हैं। यह एक प्रकार का वाहक जनित रोग हैं। वाहक वह जीव है जो स्वयं बीमारी पैदा नहीं करता है। लेकिन अन्य परजीवी (मलेरिया) एवं विषाणु (डेंगू और चिकनगुनिया) आदि से संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित में प्रसारित करता है। आइए इस ब्लॉग के माध्यम से चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया के इलाज के विभिन्न कारणों, लक्षणों, निदानों और उपचारों पर बात करते हैं।

 
कैसे फैलता हैं डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया?

चिकनगुनिया और डेंगू एक विषाणु से होने वाली संक्रामक बीमारियां हैं। जो एडीज एजिप्‍टी नामक संक्रमित मादा मच्‍छर के काटने से फैलती हैं। यह एक तरह का वायरल बुखार है। एडीज मच्‍छर वर्षा ऋतु के दौरान बहुतायत रूप से पाए जाते हैं। यह मच्‍छर प्रायः घरों, स्‍कूलों और अन्‍य भवनों में तथा इनके आस-पास एकत्रित खुले एवं साफ पानी में अंडे देते हैं। इस प्रकार यह मच्छर अपना प्रकोप जमाते चलते हैं। ज्‍यादातर यह मच्‍छर दिन के समय में काटते हैं।

मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। यह बीमारी एनाफिलीज मच्छर के काटने पर फैलती है। जो गंदे पानी में पनपते हैं। यह मच्‍छर ज्यादातर सूर्यास्त( शाम और रात) के बाद काटते हैं। एनाफिलीज प्रजाति के मच्छर मलेरिया ट्रांसमीट केवल तब कर सकते हैं जब वह खुद मलेरिया से संक्रमित रक्त से संक्रमित हुए हों।         

 
क्या होते हैं चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण?

चिकनगुनिया और डेंगू के सामान्य लक्षण एक जैसे होते हैं लेकिन कुछ स्तर पर इनमें अंतर भी होता है। डेंगू के लक्षण शरीर में कमजोरी लाने वाले होते हैं जबकि चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में दर्द की समस्या प्रमुख होती है। डेंगू की सबसे अहम पहचान यह है कि इससे शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगती हैं। जबकि चिकनगुनिया में प्लेटलेट्स संख्या कम नहीं होती। इसके अलावा चिकनगुनिया और डेंगू के अन्य लक्षण मिलते-जुलते हैं। आइए बात करते हैं इन अन्य लक्षणों के बारे में: 

 
  • तेज बुखार के साथ जोड़ों में अत्याधिक दर्द होना।
  • तेज कंपकंपी (ठंड) महसूस करना।
  • मांशपेशियों में दर्द होना।
  • सिरदर्द होना।
  • गले में खराश होना।
  • उल्टी और मतली आना।
  • भूख न लगना, थकान महसूस करना।
  • मुंह का स्वाद खराब होना।
  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना।
  • आंखों के पिछले हिस्से में दर्द महसूस करना।
मलेरिया के लक्षण-

आमतौर पर मलेरिया में एक-एक दिन के अंतराल पर बुखार आता है और मरीज को बुखार के साथ कंपकंपी (ठंड) भी लगती है। इसके अलावा इस बीमारी के कई अन्य लक्षण भी होते हैं जो निम्नलिखित हैं ;

 
  • अचानक ठंड के साथ तेज बुखार होना।
  • उल्टी और मतली होना।
  • अधिक थकान महसूस करना।
  • अधिक कमजोरी महसूस होना।
  • एक, दो या तीन दिन बाद बुखार आते रहना।
डेंगू और चिकनगुनिया होने के कारण क्या है?

डेंगू और चिकनगुनिया एडीज मच्छर के काटने से होता है। चिकनगुनिया का कारण जीनस अल्फावायरस है, जबकि डेंगू जीनस फ्लेवीवायरस की वजह से होता है। इसके अलावा भी डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो इस प्रकार हैं - डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। दोनों ही बीमारियां एडीज मच्छर के काटने से होती हैं और शुरुआती लक्षण बुखार होता है। चिकनगुनिया या डेंगू फैलाने वाला यह मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसकी लार में यह वायरस आ जाता है। इसके बाद वह जिसे काटता है, उसे भी चिकनगुनिया या डेंगू हो जाता है। इसके अलावा चिकनगुनिया अधिक समय तक चलने वाला एक प्रकार का जोड़ों का रोग है। जिसमें बुखार के साथ जोड़ों मे भारी दर्द होता है। इस रोग का तीव्र चरण 2-5 दिन का होता है। किंतु जोड़ों का दर्द महीनों तक बना रहता है। वही डेंगू से पीड़ित व्यक्ति अगले सात दिन तक यह संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है।

 
डेंगू बुखार के प्रकार-

इसके ज्यादातर मामलों में मच्छर के काटने पर हल्का बुखार होता है। बावजूद इसके डेंगू बुखार तीन तरह का होता है। जो निम्नलिखित हैं।

 
साधारण डेंगू बुखार-

साधारण डेंगू को अंग्रेजी में क्लासिकल फीवर के नाम से जाना जाता है। यह बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है जिसके बाद मरीज ठीक होने लगता है। ज्यादातर मामलों में इसी प्रकार का डेंगू बुखार पाया जाता है। जिसके लक्षण चिकनगुनिया से मिलते-जुलते हैं। जो उपरोक्त बताए गए हैं। 

 
डेंगू हॅमरेजिक बुखार (डीएचएफ)-

इस प्रकार के डेंगू बुखार में सामान्य लक्षण (उपरोक्त) के साथ-साथ अन्य लक्षण दिखाई दें तो उसे डीएचएफ हो सकता है। आइए जानते है इन अन्य लक्षण के बारे में;

  • नाक और मसूड़ों से खून आना।
  • शौच या उल्टी में खून आना।
  • स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान पड़ जाना।
डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)-

इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ 'शॉक' की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे कि -

  • मरीज को बेचैनी होना।
  • तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा का ठंडा होना।
  • मरीज का धीरे-धीरे बेहोश होना।
  • मरीज की नाड़ी का कभी तेज और कभी धीरे चलना और उसके ब्लड प्रेशर का लो होना।
मलेरिया होने के कारण क्या है?

मलेरिया एक प्रकार के परजीवी (Parasite) के कारण होता है। जिसे प्लाज्मोडियम (Plasmodium) कहा जाता है। यह  एनोफिलीज (Anopheles) नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से मनुष्यों के रक्त प्रवाह में वाइरस संचारित होता है। यह रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि इन्हें देखा भी नहीं जा सकता है। प्लाज्मोडियम पैरासाइट (Plasmodium parasite) के पांच प्रकारों की वजह से हमारे शरीर में मलेरिया फैलता है। इनमें से मुख्यत: तीन प्रकार मलेरिया के ज्यादातर मामलों में उत्तरदायी होते हैं। आइए बात करते है इन मुख्य प्रकारों के बारे में:

 
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम-

यह सबसे आम प्रकार का मलेरिया परजीवी है। दुनिया भर में मलेरिया से ग्रसित ज्यादातर व्यक्तियों की मौत प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) परजीवी की वजह से ही होती है। इसमें उल्टी, बुखार, सिर दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, चक्कर, थकान होना और पेट दर्द आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।

 
प्लास्मोडियम विवैक्स-

भारत में लगभग 60 प्रतिशत मलेरिया के मामले प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) की वजह से होते हैं। इसके बुखार, जुकाम, थकान और डायरिया जैसी लक्षण होते हैं। यह परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम की अपेक्षा मलेरिया के हल्के लक्षणों की वजह बनता है। लेकिन प्लास्मोडियम विवैक्स लगभग तीन साल तक लिवर में रह सकता है। जिसके वजह से यह रोग बार-बार हो सकता है।

 
प्लासमोडियम ओवाले-

यह परजीवी असामान्य और आमतौर पर पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है। यह मलेरिया के कोई लक्षण दिखाए बिना ही कई वर्षों तक व्यक्ति के लिवर में रह सकता है।

 
डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से बचाव-
  • घर में या आस-पास जल-जमाव न होने दें।
  • वर्षा ऋतु और उसके बाद के मौसम में प्रतिदिन नीम की पत्तियों से घरों में धूनी करें।
  • किचन और वॉशरूम को सूखा रखें।
  • पानी से भरे बर्तनों को खुला न रखें।
  • कूलर और गमले का पानी प्रतिदिन बदलते रहें।
  • खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
  • पानी के टंकियों के ढक्कन अच्छे से बंद रखें।
  • शरीर पर मच्छररोधी क्रीम या सरसों का तेल लगाएं।
  • पूरी शरीर को ढ़कने वाले कपड़े पहनें।
  • सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें।
  • घर के आसपास मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करवाएं।
  • हफ्ते में एक दिन पानी की टंकी खाली करें और उसे सूखा कर प्रयोग में लाएं।
मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के घरेलू उपचार-
  • डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी में तुलसी के पत्ते से बने काढ़े का प्रयोग करें। ऐसा करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ती है और शरीर जल्दी स्वस्थ्य हो जाता है।
  • तुलसी के 8-10 पत्ते और 6-8 काली मिर्च को पीसकर शहद के साथ सुबह-शाम लेने से मलेरिया बुखार में फायदा मिलता है।
  • गिलोय मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के इलाज के लिए अमृत मानी जाती है। गिलोय की गोली या काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से आराम मिलता है। इसके अलावा गिलोय, सोंठ, छोटी पिप्पली और गुड़ के साथ तुलसी का काढ़ा बनाकर पीना भी चिकनगुनिया और डेंगू में लाभप्रद होता है।
  • पपीते की पत्तियों का जूस पीने से डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बिमारियों में आराम मिलता हैं। इससे शरीर में प्लेटलैट्स की संख्या बढ़ती है।
  • सूखा अदरक (सोंठ) और पीसा धनिया मिलाकर समान मात्रा में चूर्ण बनाएं। अब इसे नियमित रूप से दिन में तीन बार गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। ऐसा करने से मलेरिया बुखार में लाभ मिलता है।
  • डेंगू और चिकनगुनिया के लिए नारियल पानी काफी फायदेमंद होता है।
  • बार-बार मलेरिया बुखार आने पर नियमित छाछ का इस्तेमाल करें।
  • एक कप पानी में नीम की 4-5 पत्तियों को उबालकर पीना, डेंगू और चिकनगुनिया के लिए काफी फायदेमंद होता है।
  • डेंगू मलेरिया, और चिकनगुनिया में अमरूद का सेवन करना फायदेमंद होता है। क्योंकि यह विटामिन सी और बहुत सारे पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता हैं ।
  • डेंगू मलेरिया, और चिकनगुनिया में तरल पदार्थों के अतिरिक्त दलिया, खिचड़ी, साबूदाना जैसे हल्के और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें।
  • डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति को नींबू पानी में काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर देने से आराम मिलता है। इसके अलावा सेब पर काली मिर्च और सेंधा नमक छिड़क कर खिलाने से भी लाभ होता है।
  • चिकनगुनिया और डेंगू बुखार में अधिक पानी पीना चाहिए। क्योंकि पानी पीने से मूत्र के जरिए विषैले जीवाणु शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
  • लहसुन के रस और तिल का तेल समान मात्रा में मिलाकर हाथों और पैरों के तलवों पर लगाएं। ऐसा करने से मलेरिया बुखार में राहत मिलता है।
  • सब्जियों का सूप इसमें बहुत फायदेमंद होता है। मुख्यत: टमाटर का सूप चिकनगुनिया और डेंगू में बेहद फायदेमंद होता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
  • आंखों में तेज दर्द और जलन होने पर।
  • पेट में तेज दर्द होने पर।
  • रुक-रुककर चक्कर आने पर।
  • बार-बार उल्टी होने पर।
  • नाक, मसूड़ों, कान या शौच में खून आने पर ।
  • अधिक कमजोरी और बेहोशी आने पर।
  • 102 डिग्री फॉर. से ज्यादा बुखार होने या लगातार दो दिन तक बुखार ठीक न हो तो मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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