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कब्ज होने के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

कब्ज होने के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-03-17 12:58:33

भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत लाइफ स्टाइल की वजह से अक्सर हम और आप लोग अपनी सेहत और खान-पान की चीजों पर ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है। वैसे भी इस बदलते परिवेश में करीब सभी लोगों को कब्ज और गैस की शिकायत रहती है। जिसके कारण एसिडिटी, पेट में भारीपन, सिरदर्द और न जाने क्या कुछ सहना पड़ता है। ज्यादातर लोगों के दिनचर्या की शुरुआत कुछ इसी तरह से देखने को मिलती है। खाना समय पर हजम नहीं होता है, जिससे शौच करके समय बेहद परेशानी होती है। खाने को ठीक से न पचा पाने के कारण कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है। आज के इस दौर में कब्ज एक ऐसी समस्या है, जो लगभग हर बीमारी की जड़ है। कई बार यह समस्या इतनी जटिल हो जाती है कि जानलेवा साबित होने लगती है।

 

क्या है कब्ज?

असल में कब्ज पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या होती है। जिसमें मल त्याग करते समय अधिक कठिनाई होती है। मल त्यागते समय आसानी से मल एनस (गुदा मार्ग) से बाहर न निकलने की स्थिति को कब्ज कहते हैं। कब्ज होने के कारण ही मल सख्त और मोटा हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप मल त्याग करते समय पेट एवं एनस (गुदा मार्ग) में दर्द भी होने लगता है।

 

कब्ज के लक्षण

कई लोगों में कब्ज के लक्षण एक या एक से अधिक देखे जा सकते हैं। जोकि इस प्रकार हैं-

 
  • बार-बार शौच जाना।
  • मल का सख्त और मोटा होना।
  • मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना ।
  • लंबे समय तक शौचालय में बैठना।
  • शौच के बाद भी पेट साफ न होना।
  • पेट में भारीपन महसूस करना।
  • पेट में मरोड़ या दर्द होना।
  • मुंह में छाले पड़ना।
  • सिर में दर्द होना।
  • बदहजमी होना।
  • त्वचा में मुंहासे और फुंसियों का होना।
  • मुंह से दुर्गंध आना।
 

कब्ज के कारण

कब्ज होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकते हैं। पर कुछ मामलों में यह कारण सामान्य हो सकते हैं तो कुछ मामलों में यह गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकते हैं। कब्ज की समस्या मुख्य रूप से हमारी जीवनशैली और खानपान से जुड़ी होती है। जैसा कि शुरुआत में बताया गया है कि कब्ज शरीर में आ रही कमियों के कारण पैदा होती है। आइए बात करते हैं इन्हीं कमियों के बारे में -

 

फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना

वैसे तो फाइबर फल, सब्जियां एवं अनाज में पर्याप्त मात्रा में होती है। मुख्य रूप से फाइबर दो प्रकार का होता है। पहला साल्युबल और दूसरा इनसाल्युबल। यह दोनों प्रकार के फाइबर पेट के लिए अच्छे होते हैं। साल्युबल फाइबर पानी के साथ मिलकर पाचन को बढ़ाता है। वहीं, इनसाल्युबल फाइबर मल को नरम करके आसानी से पास करने में मदद करता है। इस प्रकार फाइबर मल त्याग को सामान्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

तरल पदार्थों का कम सेवन करना

फाइबर को बेहतर तरीके से काम करने के लिए पानी और अन्य तरल पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसके अलावा मीठे फल, सब्जियों का रस और सूप इत्यादि का सेवन भी करना चाहिए।

 

आंतों में इंफेक्शन (Intestinal Infection)

आंतों में इंफेक्शन होने से कई बार कब्ज की समस्या होने लगती है। आंतों में होने वाली इस समस्या को गैस्ट्रोएंटेरिटिस (Gastroenteritis) कहते हैं। यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया, फूड प्वाइजनिंग जैसे कारणों से होती है।

 

इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज

जब डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (पाचन मार्ग) में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन होता है तो इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पेट दर्द रोग) होता है। जिसके कारण कब्ज होने के साथ डायरिया की दिक्कत भी हो सकती है।

 

गर्भावस्था के दौरान

ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में भी कब्ज की समस्या देखने को मिलती है। क्योंकि गर्भावस्था के समय प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का स्तर ज्यादा और मोटीलिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। परिणामस्वरूप पेट से गुदा मार्ग तक मल आने में लगने वाला समय (Bowel Transit Time) बढ़ जाता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं में कब्ज से जुड़ी समस्या का कारण अतिरिक्त आयरन का सेवन करना भी होता है।

 

हाइपोथायरायडिज्म

हाइपोथायरायडिज्म भी कब्ज होने का प्रमुख कारण होता। यह शरीर में हार्मोन असंतुलन के लिए जिम्मेदार होता है। जो कब्ज होने का कारण बन सकता है।

 
  • कब्ज होने के अन्य कारण
  • अधिक शराब का सेवन करने पर।
  • खाद्य पदार्थों से एलर्जी होने पर।
  • भारी भोजन का सेवन करने पर।
  • सही समय पर भोजन न करने पर।
  • ज्यादा तेल एवं मिर्च मसाले का सेवन करने पर।
  • एस्पिरिन और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं अधिक उपयोग करने पर।
  • शारीरिक श्रम की कमी होना।
  • हेल्थ सप्लीमेंट्स दवाओं का अधिक सेवन करना।
  • तनाव, अवसाद या चिंता करना।
  • शौच को रोकना।
  • पर्याप्त नींद न लेना।

कब्ज के प्रकार

कब्ज मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। आइए, बात करते हैं इन्ही प्रकारों के बारे में;

 

नार्मल ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन

नार्मल ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन को आम भाषा में सामान्य कब्ज कहा जाता है। इससे ग्रसित लोगों को मल त्यागते समय कठिनाई महसूस होती है। लेकिन वह अपने दिनचर्या की भांति सामान्य रूप से मल त्याग करता है।

 

स्लो ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन

स्लो ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन, बड़ी आंत में होने वाले विकार के कारण होता है। जिसमें एंटरिक नर्वस सिस्टम (ENS) की तंत्रिकाओं की अहम भूमिका होती है। यह तंत्रिकाएं ही बड़ी आंत से एनस तक शौच को लेकर आती है। लेकिन जब इस तंत्रिका में असामान्यता आ जाती है तो व्यक्ति स्लो ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन से पीड़ित हो जाता है।

 

डेफिकेशन डिसऑर्डर

जिन लोगों को पुराने कब्ज की शिकायत होती है, वह लोग शौच विकार (डीफेक्शन डिसऑर्डर) से ग्रसित होते हैं। इसका मुख्य कारण गुदा संबंधी अंगों में शिथिलता और उनका आपस में बिगड़ना होता है। 

 

कब्ज होने पर निम्न बातों पर दे ध्यान

  • ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
  • अधिक फाइबर युक्त आहार जैसे फलियां और साबुत अनाज का सेवन करें।
  • करीब 8 से 10 गिलास पानी प्रतिदिन पिएं।
  • चाय, कॉफी,धूम्रपान आदि का सेवन कम करें।
  • मल त्याग करते समय अधिक जोर न लगाएं।
  • शराब के सेवन से बचें।
  • तले-भुने एवं जंक फूड के सेवन से बचें।
  • भोजन को चबाकर खाएं।
  • भोजन करते समय पानी न पिएं।
  • नियमित रूप से सुबह टहलें और व्यायाम करें।
 

क्या हैं कब्ज के घरेलू उपाय?

  • नींबू में पाए जाने वाला सिट्रिक एसिड कब्ज एवं गैस की समस्या का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण को कम करता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर सेवन करें।
  • कब्ज की समस्या में नारियल का पानी पीना अच्छा विकल्प है। क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधियां होती हैं।
  • गुनगुना पानी पीने से पाचन के साथ अपच से होने वाले पेट दर्द में भी राहत मिलती है।
  • सौंफ का चूर्ण बनाकर इसका गुनगुना पानी के साथ सेवन करने से पेट संबंधित विकार दूर होते हैं।
  • अजवाइन, जीरा और काले नमक को समान मात्रा में मिलाकर तवे पर भून लें। अब इस मिश्रण को चूर्ण बनाकर प्रतिदिन आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। ऐसा करने से कब्ज और गैस संबंधित समस्या में आराम मिलता है।
  • आयुर्वेद में कब्ज के इलाज में छाछ औषधि के तरह काम करती है।
  • कब्ज की शुरुआती दौर को खानपान के बदलाव से ही ठीक किया जा सकता है।
  • आयुर्वेद में कब्ज होने और भूख न लगने जैसी समस्या में चावल और मूंग दाल का पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  • बेल फल का सेवन कब्ज एवं पेट की समस्या के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा बेल का शरबत पीना भी कब्ज में फायदेमंद होता है।
  • भोजन में फाइबर और प्रोटीन युक्त चीजों का प्रयोग करें, जैसे हरी सब्जियां, दालें, सोयाबीन, दानामेथी, अलसी के बीज इत्यादि।
  • कब्ज, एनस पर मवाद, मल की समस्या आदि के समय तला -भुना, तेज मिर्च- मसाले और मैदा आदि का सेवन न करें।

बीज युक्त सब्जियों के सेवन से बचें।

  • प्रतिदिन रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इसके प्रयोग से कब्ज आदि समस्याओं में राहत मिलती लें।
  • छोटी हरड़ को घी में फुलाकर, पाउडर बनाकर पानी के साथ लेने से फायदा होता है।
  • शहद को गुनगुने पानी के साथ लेने पर कब्ज से जुड़ी समस्या में आराम मिलता है।
  • इसके अतिरिक्त शहद के साथ ओट्स, कॉर्न फ्लैक्स, हर्बल टी आदि का सेवन कर सकते हैं।
 

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