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लुपस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार

Posted 23 October, 2023

लुपस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार

लुपस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार

लुपस क्या है?

लुपस या ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो सूजन और कई तरह के समस्याओं (लक्षणों) का कारण बनती है। लुपस सभी को अलग तरह से प्रभावित करता है। कुछ लोगों में केवल कुछ हल्के लक्षण होते हैं और अन्य में कई, अधिक गंभीर लक्षण होते हैं। जानकारी के आभाव के चलते बहुत से लोगों का मानना है कि लुपस एक त्वचा संबंधित रोग है, लेकिन असल में यह इससे कहीं ज्यादा है। यह न केवल त्वचा से जुड़ी समस्याएँ खड़ी करती है बल्कि इसकी वजह से कई अंदुरुनी अंग भी प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से जोड़ों से जुड़ी समस्याए, किडनी, फेफड़े, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क और हृदय संबंधित समस्याएँ हो सकती है। लुपस से निदान पाना काफी मुश्किल होता है, हाँ लेकिन समय से इसके लक्षणों की पहचान कर इससे होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।

 

लुपस के कितने प्रकार है?

लुपस (लुपस) जो कि एक ऑटोइम्यून बीमारी उसे हेल्थकेयर प्रदाताओं द्वारा विशेष रूप से चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है आमतौर पर चार लुपस प्रकारों को वर्गीकृत करते हैं। लुपस के सभी चारों प्रकारों को निचे वर्णित किया गया है :-

 

सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस

सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस (SLE) लुपस का सबसे आम प्रकार है। सबसे ज्यादा लोग सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस से ही प्रभावित होते हैं। लुपस का यह प्रकार एक प्रणालीगत स्थिति है। इसका मतलब है कि यह पूरे शरीर में कई अंगों और प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इस कारण से, सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस लुपस का अधिक गंभीर रूप हो जाता है। लुपस के इस प्रकार के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस मुख्यतः शरीर के निम्नलिखित हिस्सों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है :-

  • किडनी
  • त्वचा
  • जोड़
  • दिल
  • फेफड़े
  • तंत्रिका प्रणाली
त्वचीय लुपस-

लुपस का यह प्रकार आमतौर पर केवल आपकी त्वचा तक ही सिमित होता है। त्वचीय लुपस की वजह से त्वचा पर निशान के साथ चकत्ते और स्थायी घावों की समस्या हो सकती है। लुपस का यह सबसे सामान्य प्रकार है और अधिकतर लोगों में लुपस की यही समस्या देखि जाती है। त्वचीय लुपस के कई प्रकार होते हैं जिन्हें निम्नलिखित किया गया है, हर व्यक्ति में त्वचीय लुपस का अलग प्रकार हो सकता है :-

तीव्र त्वचीय लुपस Acute Cutaneous Lupus: लुपस के इस प्रकार के कारण एक विशिष्ट "बटरफ्लाई रैश” बन जाते हैं। यह एक लाल चकत्ते है जो गालों और नाक पर दिखाई देता है।

 

सबस्यूट त्वचीय लुपस-

सबस्यूट त्वचीय लुपस शरीर पर लाल, उभरे हुए और पपड़ीदार दाने का कारण बनता है। यह अक्सर उन क्षेत्रों पर होता है जो सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं और आमतौर पर निशान नहीं छोड़ते हैं। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसका अर्थ है कि यह तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली खुद पर हमला करती है। कुछ नुस्खे वाली दवाएं सबस्यूट त्वचीय लुपस के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं। सबस्यूट त्वचीय लुपस का कोई इलाज नहीं है। उपचार आपको लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है और सबस्यूट त्वचीय लुपस के दानों को गंभीर होने से बचा सकता है।

 

जीर्ण त्वचीय लुपस-

जीर्ण त्वचीय लुपस या क्रोनिक त्वचीय लुपस त्वचा पर बैंगनी या लाल दाने का कारण बनता है। यह त्वचा की मलिनकिरण, निशान, और बालों के झड़ने का कारण भी बन सकता है। क्रोनिक त्वचीय लुपस को डिस्कोइड लुपस भी कहा जाता है।

 

नीओनेटल लुपस-

बाकी लुपस के मुकाबले नीओनेटल लुपस सबसे दुर्लभ है। लुपस का यह प्रकार केवल नवजात शिशुओं और भ्रूण में ही पाया जाता है। यह बीमारी गर्भवती स्त्री की नाल के द्वारा भ्रूण में कुछ एंटीबाडीज के चले जाने के कारण होती है। इन एंटीबाडीज को एंटी रो और एंटी ला कहा जाता है। यह विशिष्ट एंटीबाडीज लुपस से पीड़ित लगभग एक तिहाई महिलाओं में पायी जाती हैं परन्तु सभी के शिशुओं को इनके दुष्प्रभाव नहीं होते। वहीं कभी-कभी यह बीमारी उन महिलाओं के शिशुओं को भी हो सकती है जिनमे यह एंटीबाडीज नहीं भी होती। नीओनेटल लुपस की वजह से शिशु को जन्म से ही लीवर से जुड़ी समस्या भी हो सकती है जो कि ताउम्र साथ रह सकती है।

जब भ्रूण में नीओनेटल लुपस की समस्या होती है तो उसे दिल से जुड़ी समस्याएँ हो सकती है जिसे कनजेनाइटल हार्ट ब्लॉक कहा जाता है। इस हार्ट ब्लॉक में भ्रूण के दिल की धड़कन असामान्य रूप से धीमी पड़ जाती है। यह विकृति स्थाई होती है, इसका निदान शिशु के जन्म के पहले भ्रूण के दिल के अल्ट्रासाउंड के द्वारा 15 से 25 हफ्ते की गर्भावस्था में किया जा सकता है। यदि इस का निदान जन्म की पहले ही हो जाये तब कुछ दवाओं की मदद से इसका इलाज संभव है। जब इस का निदान शिशु की जन्म की बाद होता है तब अधिकतर शिशुओं को पेस मेकर की आवश्यकता पड़ती है।

 

ड्रग-प्रेरित लुपस-

ड्रग-प्रेरित लुपस (DIL) एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो कुछ दवाओं के कारण होती है। इसके लक्षण आमतौर पर सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस के समान होते हैं, लेकिन वह सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस और बाकी लुपस के मुकाबले कम गंभीर होते हैं। ड्रग-प्रेरित लुपस के संभावित कारणों के रूप में 100 से अधिक दवाओं की पहचान की गई है। आमतौर पर ड्रग-प्रेरित लुपस से जुड़ी दवाओं में शामिल हैं:

  • हाइड्रैलाज़िन, एक उच्च रक्तचाप की दवा
  • प्रोकेनामाइड, एक हृदय अतालता दवा
  • आइसोनियाज़िड, एक एंटीबायोटिक जिसका उपयोग तपेदिक के इलाज के लिए किया जाता है
  • मिनोसाइक्लिन, एक एंटीबायोटिक जिसका उपयोग त्वचा की कुछ स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है

इन दवाओं के साथ लगातार उपचार के महीनों या वर्षों के बाद ड्रग-प्रेरित लुपस के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। हाइड्रैलाज़िन लेने वाले लगभग 5% लोग और लंबे समय तक प्रोकेनामाइड लेने वाले 20% लोग ड्रग-प्रेरित लुपस विकसित करते हैं। हालांकि अन्य दवाएं ड्रग-प्रेरित लुपस को प्रेरित कर सकती हैं, लेकिन संभावना बहुत कम है।

 

लुपस के लक्षण-

लुपस होने पर निम्नलिखित लक्षण सामान्य रूप से दिखाई देते हैं :-

  • उच्च बुखार
  • थकान
  • शरीर में दर्द
  • जोड़ों का दर्द
  • चेहरे पर एक तितली के दाने सहित चकत्ते
  • त्वचा क्षति
  • सांस लेने में कठिनाई
  • सिर दर्द
  • उलझन
  • स्मृति हानि
  • मुह में अल्सर
  • सूर्य की किरणों से हानि
  • स्जोग्रेन सिंड्रोम – इसमें पुरानी सूखी आंखें और शुष्क मुंह शामिल हैं
  • पेरिकार्डिटिस और फुफ्फुसशोथ (फुफ्फुसशोथ), जो दोनों सीने में दर्द का कारण बन सकते हैं
  • ठंड या तनाव से पीली या बैंगनी उंगलियां।
लुपस होने के कारण-

लुपस होने के सटीक कारण के बारे में फ़िलहाल अभी कुछ स्पष्ट रूप से पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन शोधों के अनुसार एक व्यक्ति को लुपस तब होता है जब उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसके ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है। वहीं, कुछ शोधों के अनुसार लुपस एक अनुवांशिक रोग भी है जिसकी वजह से यह कुछ लोगों में केवल इसी कारण होता है क्योंकि उनसे पहले यह रोग उनके परिवार में पहले किसी को था। इसके अलावा पर्यावरण की वजह से भी लुपस की समस्या हो सकती है और ऐसा तब होता है जब वह पर्यावरण की किसी ऐसी चीज के संपर्क में आते हैं, जो लुपस को ट्रिगर कर सकती है। लुपस के ज्यादातर मामलों में उसके कारण अज्ञात ही रहते हैं।

आमतौर पर लुपस के होने के पीछे निम्न वर्णित कुछ विशेष कारण माने जाते हैं :-

पर्यावरण –

खराब पर्यावरण की वजह से लुपस हो सकता है। धूम्रपान, तनावपूर्ण वातावरण और सिलिका धूल जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने की वजह से लुपस की समस्या हो सकती है।

 

आनुवंशिकी –

यह स्पष्ट है कि लुपस एक वंशानुगत रोग है, इससे जुड़े 50 से अधिक जीनों की पहचान की गई है। इसके अतिरिक्त, लुपस का पारिवारिक इतिहास होने से व्यक्ति को स्थिति का अनुभव करने के लिए थोड़ा अधिक जोखिम हो सकता है।

 

हार्मोन –

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि असामान्य हार्मोन का स्तर, जैसे कि एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर, लुपस को बढ़ा सकता है।

 

संक्रमण –

काफी बार कहा जाता है कि लुपस संक्रमण की वजह से भी हो सकता है। लेकिन अभी शोधकरता साइटोमेगालोवायरस और एपस्टीन-बार जैसे संक्रमणों और लुपस के कारणों के बीच की कड़ी का अध्ययन कर रहे हैं।

 

दवाएं –

कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग की वजह से लुपस होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इन दवाओं में विशेष रूप से हाइड्रैलाज़िन (अप्रेसोलिन), प्रोकेनामाइड (प्रोकेनबिड), और क्विनिडाइन शामिल है। इसके अलावा, रूमेटोइड गठिया (आरए), सूजन आंत्र रोग (आईबीडी), और एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस जैसी स्थितियों के लिए टीएनएफ अवरोधक दवाएं भी शामिल है। हालांकि दुर्लभ, टेट्रासाइक्लिन, जैसे मिनोसाइक्लिन, जिसका उपयोग मुँहासे और रोसैसिया के इलाज के लिए किया जा सकता है यह भी लुपस होने का कारण बन सकती है। दवाओं की वजह से होने वाले लुपस को ड्रग-प्रेरित लुपस एरिथेमेटोसस (डीआईएल) के नाम से जाना जाता है।

 

लुपस के लिए प्राकृतिक उपचार
  • योग करें,
  • ध्यान लगाएं,
  • आहार में उपयुक्त बदलाव करें,
  • रक्तचाप और मधुमेह स्तर को नियन्त्रण में रखें आदि।
कब जाएं डॉक्टर के पास?

अगर आपको अपने शरीर में लुपस के अस्पष्ट दाग दिखाईं दें या बुखार, लगातार दर्द और थकान महसूस हो रही हो तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 

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Folliculitis- Causes, Symptoms and Treatment

Posted 13 September, 2023

Folliculitis- Causes, Symptoms and Treatment

Folliculitis is a common skin condition in which the hair follicles become inflamed. Hair follicles are tiny pockets in the skin from which hair grows. They can be found everywhere except for the lips, the palms and the soles of the feet.

If bacteria infect a follicle or there is a blockage in a follicle, it may become red and swollen. This condition is not life threatening but can cause itching and be embarrassing.

 

Types of Folliculitis

There are several forms of folliculitis, which can be superficial or deep. The superficial type involves part of the hair follicle and the deep type affects more of the hair follicle and is usually more severe.

 

Types of superficial folliculitis include-

  • Pseudomonas folliculitis-Pseudomonas folliculitis, also known as hot tub folliculitis is caused by pseudomonas bacteria found in pools and bathtubs, where the pH balance and chlorine levels are not adequately regulated and monitored. Symptoms usually appear 1 to 2 days after exposure to the bacteria that causes it.
  • Pseudofolliculitis barbae-Also known as barber’s itch, it is a skin irritation caused by ingrown hair. It is more common in men with curly hair. It may also affect people who get bikini waxes in the groin area.
  • Bacterial folliculitis- Bacterial folliculitis is the most common type. It occurs when the hair follicle gets infected with staphylococcus aureus. Staph bacteria live on the skin all the time but they enter deeper tissues through a wound or cut.
  • Pityrosporum folliculitis-It is caused by a yeast infection of the skin that produces chronic, red, itchy pustules on the back and chest, sometimes on the neck, shoulders, upper arms and face.

Types of deep folliculitis include-

  • Sycosis barbae- It affects males who have begun to shave. It is a deeper form of barber’s itch that can cause scarring and permanent hair loss.
  • Boils and carbuncles- These occur when hair follicles are deeply infected with staph bacteria.
  • Eosinophilic folliculitis- This type usually affects people with HIV/AIDS.
  • Gram-negative folliculitis- This type affects people receiving long term antibiotic therapy for acne.
Complications of Folliculitis

Possible complications of folliculitis include boils under the skin, recurrent or spreading infections, and permanent skin damage such as scarring or dark spots.

 

Causes of Folliculitis

Folliculitis is generally caused by-

  • An infection of hair follicles with staphylococcus aureus (staph bacteria).
  • Fungi, viruses and physical trauma to the follicles.
Risk factors of Folliculitis

Anyone can develop folliculitis but certain factors can increase the risk of having it. These include-

  • Having acne or dermatitis.
  • Long-term use of certain medications such as steroid creams.
  • Regularly wearing clothing that traps heat and sweat such as high boots.
  • A weakened immune system caused by medical conditions such as HIV or cancer.
  • Being overweight.
  • Using an unclean bathtub or swimming pool.
Symptoms of Folliculitis

Common symptoms include-

  • Itchy or burning skin.
  • A large swollen bump.
  • Painful, tender skin.
  • Pus-filled blisters.
  • Swelling.
  • Mild fever.
  • Small red bumps.
  • White-headed pimples.
Diagnosis for Folliculitis

To make a diagnosis, the doctor will review your medical history and perform a physical examination. During the physical examination, the doctor will examine the skin and take note of symptoms.

In cases where initial treatment doesn’t clear up your condition, the doctor may use a swab to take a sample of the infected skin or hair. This is sent to the laboratory for examination and to detect what is causing your condition.

In rare cases, a skin biopsy may be done to rule out other conditions.

 

Treatment for Folliculitis

Treatment options usually depend on the type and severity of your condition. Mild cases often only require home remedies. Severe cases may need medication or other therapies.

Medications-

Creams or pills to reduce inflammation, and fight fungal infections.

Therapies-

Minor surgery, if you have a large boil or carbuncle. Laser hair removal if another treatment option does not work.

 

Home Remedies for Folliculitis

Coconut oil- Daily application of virgin coconut oil to the infected area can reduce irritation and inflammation. It should be applied once a day for better results. Coconut oil contains fats that are beneficial not only for consumption in dishes, but also for the skin. These fatty acids are absorbed by the skin and aid in speedy recovery.

Neem- Neem leaves are effective in treating folliculitis due to the antibacterial and antifungal properties. Fresh neem leaves can be made into a paste and applied directly to the infected area.

Vinegar- Vinegar has great benefits in reducing rashes and redness that develops on the skin. For example, apple cider vinegar mixed with water and applied directly to the infected area for about 10 minutes is helpful for scalp folliculitis.

Garlic- Daily consumption of garlic cloves or garlic supplements helps reduce inflammation. Garlic contains sulphur which helps in reducing the inflammation that causes folliculitis.

Aloe vera- In Ayurveda, aloe vera juice, when applied to the infected area, soothes the itching. Its soothing properties make it an essential Ayurvedic remedy for the problem of folliculitis. Once the skin is cool and clean, the infection will heal faster.

 

When to see a doctor?

Make an appointment with your doctor if your condition worsens or signs and symptoms of folliculitis don't go away after a few days.

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Glycerin: Is It Good For Your Skin And Face?

Posted 28 February, 2023

Glycerin: Is It Good For Your Skin And Face?

Glycerin is a natural element derived from vegetable oils or animal fats. It is a clear, colorless liquid with a sweet taste. It is also known as glycerol (a humectant and moisturizing agent) that draws water from the deeper levels of the skin to the outer layer of the skin. This is why glycerin is almost always added to cosmetic products with another substance known as an occlusive, which traps the moisture drawn to the skin.

It is one of the most commonly used ingredients in cosmetic products, after water and fragrance. It is a key ingredient in moisturizers and lotions. In recent times, the use of glycerin in its pure form has gained immense popularity, but you should be aware of its proper use.

 

How Good is Glycerin for Your Skin?

Glycerin is extremely beneficial for the skin as it acts as a humectant, allowing the skin to retain moisture, increase hydration, relieve dryness, and rejuvenate the skin's surface from deep within. It is also an emollient that softens the skin and is useful for removing rough or dry patches caused by psoriasis or eczema. In addition, the antimicrobial properties of glycerin protect the skin from harmful pathogens. It also helps to restore, repair and speed up the wound healing process.

 

Skin Healing Benefits

  • Glycerin soothes and calms irritated skin and is gentle on sensitive skin, helping to soothe skin problems.
  • Regular use of glycerin can tighten the skin, making your skin look supple and plump.
  • It acts as a barrier between the skin and environmental pollutants and toxins that can damage the skin.
  • The natural moisturizing and rejuvenating properties of glycerin leave skin smooth, radiant, supple and luminous.
  • Glycerin acts as a non-comedogenic which helps open pores and fights acne.
  • Glycerin helps to delay the signs of premature aging and fade away fine lines and wrinkles.
  • It can also work wonders for every skin type and can help uplift the skin's beauty and radiance from the inside out.

How to Use Glycerin?

Using glycerin alone can moisturize and exfoliate the skin, while beauty experts believe that glycerin when mixed with other ingredients can help brighten the skin.

Combining glycerin with other natural ingredients such as lemon and rose water can help revamp dry, dull skin and soften the skin for easier exfoliation.

Rose water acts as an astringent, which not only cleanses the skin but also tightens the pores and makes the skin look firm and toned. The acidic nature of lemon juice helps improve discoloration and uneven pigmentation.

 

Make a Natural Serum

Try making your own serum by following the given steps-

  • Add 5 drops of pure glycerin with the juice of one lemon and 4 tablespoons of rose water.
  • Mix well and pour the mixture into a small spray bottle.
  • Apply the serum to your face regularly or apply it as a mist after makeup for a healthy glow.
  • Store serum in the refrigerator.

Always use pure plant-based glycerin for all your beauty care needs.

 

Is glycerin safe to use on skin?

Yes, glycerin is generally safe to use on the skin, and most people have no problem using cosmetic products containing it. However, there is always a risk of irritation, especially if you’re allergic to it. Therefore, before using cosmetics containing glycerin for the first time, do a patch test. Apply a little amount of glycerin to a small area of skin, wait for 24 hours, and then observe the reaction.

If you are sensitive to glycerin, signs of a reaction may include-

  • Redness of the skin.
  • Swelling.
  • Itching.
  • Hives.
  • Tenderness.
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जॉक इच का क्या कारण है? जानिए इसके लक्षण और इलाज के बारे में

Posted 01 August, 2022

जॉक इच का क्या कारण है? जानिए इसके लक्षण और इलाज के बारे में

आमतौर पर जॉक इच को मेडिकल भाषा में ‘टिनिया क्रूरिस’ के रूप में जाना जाता है। यह त्वचा में होने वाला एक फंगल संक्रमण है। ‘टिनिया’ को ‘दाद’ और ‘क्रूरिस’ को ‘ग्रोइंग’ के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर यह संक्रमण कमर के आस-पास के हिस्सों, आतंरिक जांघों और नितंबों को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित त्वचा चिड़चिड़ी या पपड़ीदार दिखती है, और उसमें छोटे-छोटे दानें या फफोले के रूप में विकसित होते हैं।

जॉक इच का क्या कारण है? क्या यह संक्रामक है या नहीं?

हां, जॉक इच एक तरह की संक्रामक बीमारी है। यह एक कवक के कारण होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके अलावा जॉक इच दूषित तौलिए या कपड़ें का इस्तेमाल करने से भी होता है। यही कवक एथलीट फुट का कारण भी बनता है। संक्रमण अक्सर पैरों से कमर तक फैलता है क्योंकि कवक हाथों या तौलिए के माध्यम से ज्यादातर इन्हीं अंगों पर प्रसारित होता है।

सबसे अधिक प्रभावित किसे करती है?

वैसे तो जॉक इच सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। हालांकि, अधिकतर मामलों में जॉक इच किशोर और युवा वयस्क पुरुषों को प्रभावित करती है। यह बीमारी महिलाओं में कम देखने को मिलती है। आमतौर पर जॉक इच से पीड़ित होने की संभावना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में तीन गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त बच्चों में यह बीमारी दुर्लभ है।

जॉक इच के विकास के लिए जोखिम कारक

जॉक इच होने के कुछ जोखिम कारकों में शामिल हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • लिंगजॉक इच से पीड़ित होने की संभावना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
  • वजनमोटे लोगों की त्वचा की परतें अधिक होती हैं, जो जॉक इच जैसे फंगल संक्रमण के लिए वांछनीय स्थिति है।
  • अधिक पसीना आनायदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक पसीना आता है, तो त्वचा पर फफूंद के विकास की संभावना अधिक हो जाती है।
  • आयुकिशोरों को जॉक इच का अनुभव होने की संभावना अधिक होता है।
  • टाइट फिटिंग कपड़े और अंडरवियरमोटे और टाइट कपड़े त्वचा में नमी को अवशोषित करते हैं। जिससे फंगस के विकास के लिए एक उत्कृष्ट वातावरण बनता है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणालीकमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में जॉक इच जैसे फंगल संक्रमण विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • मधुमेहमधुमेह वाले लोगों को जॉक इच जैसे त्वचा संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।

जॉक इच के लक्षण

आमतौर पर जॉक इच के लक्षण त्वचा को फंगस के संपर्क में आने के 4 से 14 दिनों के बीच दिखाई देते हैं। शुरुआत में इसके लक्षण त्वचा पर एक फ्लैट, लाल और खुजलीदार दाने के रूप में दिखते हैं। यह दाने अक्सर पहले जांघों के अंदरूनी हिस्सें पर दिखाई देते हैं और फिर रिंग के आकार में बाहर की ओर फैल जाते हैं। जैसे-जैसे दाने फैलते हैं, इनकेआकार बढ़ते जाते हैं। साथ ही यह दाने अक्सर एक स्पष्ट लाल सीमा विकसित करता है जिसमें कई फफोले हो जाते हैं। जिसके कारण यह दाने फैलकर जांघों, कमर और नितंबों को संक्रमित करता है।

चकत्तों के अलावा जॉक खुजली के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं

  • त्वचा पर जलन और खुजली
  • स्केलिंग और फ्लेकिंग त्वचा।

जॉक इच के रोकथाम और उपचार

जॉक इच के जोखिम को कम करने के कई तरीके हैं, जैसे

  • अच्छी स्वच्छता का पालन करेंअपने हाथों को नियमित रूप से धोएं। ऐसा करने से अन्य लोगों को इस संक्रमण को फैलने का खतरा काफी कम होता है। इसके अलावा अपने कमर या जांघों के आतंरिक हिस्सों की त्वचा को साफ और शुष्क रखना भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए आतंरिक अंगों को स्नान के दौरान नियमित रूप से साबुन से धोएं और अच्छी तरह से सुखा लें। फिर कोई टैल्कम पाउडर को कमर के आसपास लगाएं , इससेअतिरिक्त नमी को रोकने में मदद मिलती है।
  • टाइट कपड़ों को पहनने से बचेंटाइट कपड़े त्वचा को रगड़ या खरोंच सकते हैं। जिससे खुजली होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए अधिक टाइट कपडे न पहनें
  • गर्म या उमस भरे मौसम में ढीले कपड़े पहनेंढीले कपड़े पसीने और गर्म-आर्द्र वातावरण को रोकते हैं जिसमें आमतौर पर कवक बढ़ता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उपयोग के बाद कसरत के कपड़े या एथलेटिक ब्रेसिज़ धो लें।
  • यदि किसी को एथलीट फुट है तो तुरंत इलाज कराएंखुजली का कारण बनने वाला कवक ,एथलीट फुट का कारण भी बनता है। इसलिए आप अपने पैरों या कमर पर एक ही तौलिया का उपयोग करें। साथ ही उचित स्वच्छता बनाए रखें और इसे किसी से साझा करें।

जॉक इच के लिए कुछ घरेलू उपाय

  • शहदशहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो जॉक इच से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए शहद को रोजाना प्रभावित अंग पर लगाएं। ध्यान दें इसे कम से कम एक घंटे के लिए लगे रहने दें। उसके बाद इसे धो लें। ऐसा कुछ हफ़्तों तक करने से बेहतर परिणाम देखने को मिलता हैं।
  • लहसुनलहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। लहसुन की एक कली को मसलकर उसमें लगभग तीन से चार बड़े चम्मच नारियल का तेल मिलाएं। अब इस मिश्रण को एक पतली परत के रूप में प्रभावित अंगों पर लगाएं और इसे धुंध से ढक दें। कुछ देर बाद इसे धो लें। ऐसा करीब दो सप्ताह तक करें। इससे जॉक इच के लक्षण दूर होते हैं।
  • साबुनयह जॉक इच के लिए सबसे सरल और प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। इसके लिए एंटी-फंगल साबुन से संक्रमित क्षेत्र को साफ करने के लिए दिन में कम से कम तीन बार लगाएं। फिर उसे अच्छी तरह से पानी से धोकर सुखा लें।
  • एलोवेराएलोवेरा की जेल को प्रभावित अंगों पर लगाने से खुजली को शांत करने में मदद मिलती है। क्योंकि इसमें एंटीफंगल और शीतलन गुण होते हैं। ऐसा करीब दो सप्ताह तक करें। इससे जॉक इच के लक्षण दूर होते हैं।
  • नारियल का तेलनारियल के तेल में एंटी माइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसलिए यह निश्चित रूप से जॉक इच से लड़ने में मदद करता है। इसके लिए नारियल के तेल को दिन में कई बार संक्रमित जगह पर लगाएं।
  • हल्दीहल्दी एक शक्तिशाली एंटीफंगल एजेंट की तरह काम करता है। इसलिए हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस मिश्रण को दिन में दो बार रुई के फाहे से ग्रोइंग एरिया पर लगाएं। ऐसा कम से कम दो सप्ताह तक करें। इससे सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।

कब जाएं डॉक्टर के पास?

चूंकि जॉक इच एक गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन इसके शुरूआती लक्षण को नजरअंदाज कर देने से यह एक गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। इसके शुरूआती लक्षण को साफ-सफाई का ध्यान रखकर या कुछ घरेलू उपाय को अपनाकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन ऐसा करने से यदि समस्या बढे, तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लें। इसके अतिरिक्त यदि ओवर-द-काउंटर दवाएं काम नहीं करती हैं या दाने खराब हो जाते हैं, तो इस स्थिति में त्वचा विशेषज्ञ (Dermatologist) से सलाह जरुर लें।

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