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पैर दर्द के प्रकार, कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

पैर दर्द के प्रकार, कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-05-24 12:50:44

शरीर के लिए हर एक अंग का अपना अहम स्थान होता है। हमारे पैर भी इन्हीं अंगों में शामिल हैं। जो पूरे शरीर का भार संभालने, चलने और भागने में शरीर की सहायता करते हैं। इन दैनिक क्रियाओं के कारण तो कई बार बैठे-बैठे, ज्यादा चलने-फिरने और कई घंटों तक खड़े रहकर काम करने से पैरों में दर्द होने लगता है। कुछ परिस्थियों में यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि इसे बर्दाश करना भी बेहद मुश्किल होता है। आमतौर पर पैरों में दर्द होने का मुख्य कारण मांसपेशियों का थकना होता है। इसके अलावा कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से भी पैर दर्द की समस्या होने लगती है। किसी को भी पैरों के दर्द जैसी तकलीफ से ज्यादा न गुजरना पड़े, इसलिए वेदोबी के इस लेख में हम टांगों अर्थात पैरों में दर्द होने के कारण और उनके घरेलू इलाज के बारे में बात करेंगे।

 
क्या है पैरों का दर्द?

पैरों के दर्द को जानने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि दर्द होता क्या है? असल में दर्द, तंत्रिका तंत्र द्वारा दिमाग को भेजा गया एक संकेत होता है। जो व्यक्ति को इस बात के बारे में बताता है कि शरीर में कुछ तो सही नहीं है। इस दौरान व्यक्ति को दर्द प्रभावित क्षेत्र में जलन, चुभन, ऐंठन और झुनझुनी जैसी स्थिति महसूस होती है। इस आधार पर पैरों में दर्द होने का मतलब है- पैरों की मांसपेशियों में तनाव, दबाव और झनझनाहट की ऐसी स्थिति बनना, जिससे व्यक्ति को चलने-फिरने में परेशानी होती है।

 
पैर दर्द के प्रकार-
न्यूरोलॉजिकल पेन (Neurological Pain)-

तंत्रिका तंत्र से संबंधित रोग या क्षति की वहज से होने वाले पैरों के दर्द को न्यूरोलॉजिकल पेन कहा जाता है। इसके अलावा साइटिक नर्व (शरीर में मौजूद सबसे लंबी नर्व, जो रीढ़ से होकर पैरों तक जाती है) और अन्य नर्व की क्षति से होने वाले पैरों के दर्द को भी न्यूरोलोजिकल पेन की श्रेणी में शामिल किया जाता है।

 
वस्कुलर पेन (Vascular Pain)-

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (नसों में खून का जमना) और पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (नसों के पतला होने पर रक्त प्रवाह का रुकना) के कारण होने वाले दर्द को वस्कुलर पेन बोला जाता है। आर्टरी यानी धमनी से जुड़ी परेशानियों की वजह से होने वाले पैरों के दर्द को भी इसी प्रकार में शामिल किया जाता है।

 
मस्कुलोस्केलेटन पेन (Musculoskeletal Pain)-

मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों और लिगामेंट (दो हड्डियों को आपस में जोड़ने वाला ऊतक) से जुड़ी परेशानियों की वजह से पैदा होने वाले पैरों के दर्द को मस्कुलोस्केलेटन पेन कहा जाता है। मस्कुलोस्केलेटन पेन में निम्नलिखित स्थितियां सामने आतीं हैं।

  • अधिक दबाव या तनाव की वजह से मांसपेशियों का कठोर होना।
  • गहरी चोट के कारण मांसपेशियों में सूजन आना।
  • जोड़ों के दर्द से जुड़ी समस्या।
  • हड्डियों का टूटना या ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का नाजुक होना) जैसे हड्डी संबंधी रोग।
पैरों में दर्द के कारण-
  • डिहाइड्रेशन होना।
  • खून में कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीशियम की कमी होना।
  • चोट लगने से मांसपेशियों में आने वाली क्षति के कारण।
  • मूत्रवर्धक या कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं का सेवन करना।
  • हड्डियों में हेयर लाइन का क्रैक पड़ना।
  • शिन स्पलिंट (निचले पैर की हड्डी के बाहरी हिस्से का अधिक उपयोग) के कारण।
  • अधिक व्यायाम या एक जगह पर बैठे रहने के कारण मांसपेशियों में थकान या तनाव की वजह से।
पैरों में दर्द के अन्य कारण-
  • अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में सूजन के कारण।
  • सेलुलाइटिस (त्वचा व नर्म ऊतकों से जुड़ा संक्रमण)।
  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पैरों में रक्त प्रवाह से संबंधित एक विकार)।
  • लंबे बेड रेस्ट के कारण खून का जमना (जैसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस)।
  • वैरिकोज वेन्स (नसों में सूजन) के कारण।
  • ऑस्टियोमायलिटिस (हड्डियों का संक्रमण)।
  • नसों की क्षति के कारण (डायबिटीज रोगियों व शराब और सिगरेट का सेवन करने वालों में आम)।
पैरों में दर्द के लक्षण-
  • चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और आराम करते समय दर्द होना।
  • प्रभावित क्षेत्र में चुभन होना।
  • पैरों में सूजन आना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना।
  • प्रभावित क्षेत्र में जलन होना।
  • शरीर में अकड़न होना।
  • पैरों चलाने एवं हिलाने में काफी तकलीफ और दर्द का सामना करना।
  • प्रभावित क्षेत्र में झुनझुनी का एहसास होना।
  • शौचालय में बैठने में परेशानी होना।
  • प्रभावित क्षेत्र में डंक लगने जैसा महसूस होना।
पैरों में दर्द का घरेलू उपचार-
सेंधा नमक की सिकाई-

सेंधा नमक नर्वस सिग्नल्स को नियंत्रित करके, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करता है। इसके लिए एक बाल्टी में गुनगुना पानी लेकर और उसमें एक से दो चम्मच सेंधा नमक डालें। अब इस पानी में कुछ देर के लिए पैर को डालकर रखें। ऐसा करने से पैरों के दर्द में आराम मिलेगा।

 
मालिश करना-

पैरों की मांसपेशियों में तनाव आने या उनके थक जाने पर पैरों में दर्द होने लगता है। ऐसे में पैरों की मालिश करना एक आरामदायक विकल्प साबित होता है। जिसका इंस्टेंट असर देने को मिलता है। मालिश हेतु सरसों के तेल का सीधा उपयोग या उसमें अजवायन और लहसुन को पकाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

 
हल्दी का उपयोग-

हल्दी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसलिए एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर को मिलाकर सुबह-शाम पीने से पैर और घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल में दो चम्मच हल्दी मिलाकर, तैयार लेप को आधे घंटे के लिए पैरों पर लगाने से भी दर्द में लाभ होता है। इससे जोड़े भी मजबूत होते हैं।

 
लौंग का इस्तेमाल-

दांत व मसूड़ों के दर्द, घुटने और पैरों के दर्द में लौंग काफी लाभकारी होती है। इसके लिए दर्द वाली जगह पर लौंग पाउडर या लौंग तेल से पैरों की हल्के हाथ से मसाज करें।

 
मेथी का उपयोग-

मेथी दाना का प्रयोग घुटनों और पैरों के दर्द के लिए असरदार होता है। यह दर्द की गोली की तरह ऐनलजेसिक एवं एंटी-इंफ्लामेट्री होता है। इसलिए सुबह-शाम दाना मेथी के पाउडर को आधा से एक चम्मच खाने के बाद गर्म पानी पीने से घुटनों और पैरों के दर्द में आराम मिलता है।

 
नीलगिरी तेल का प्रयोग-

नीलगिरी का तेल नसों के दर्द को कम करने में मददगार साबित होता है। उपयोग हेतु इस तेल को सूंघने या किसी अन्‍य तेल में मिलाकर मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है।

 
बर्फ की सिकाई-

बर्फ के इस्तेमाल से भी पैरों के दर्द को छूमंतर किया जा सकता है। उपयोग हेतु बर्फ के 2-3 टुकड़ों को एक कपड़े में रखकर, पोटली बना लें। अब इस पोटली से पैरों की मसाज करने से दर्द में आराम मिलता है।

 
धीमी सांस वाली एक्सरसाइज-

एनसीबीआई द्वारा किए गए शोध के अनुसार, ब्रीथिंग एक्सरसाइज हाथ-पैरों और नसों में होने वाले दर्द से छुटाकारा दिलाने में मदद करती है। क्योंकि यह एक्सरसाइज ऑटोनॉमिक फंक्शन (नर्वस सिस्टम से जुड़ी) में सुधार करने का काम करती है। जिससे हाथ-पैरों के दर्द में आराम मिलता है।

 
कब जाएं डॉक्टर के पास?

विशेषज्ञों के अनुसार पैर और घुटनों में दर्द होने पर घरेलू उपचार अपनाएं। लेकिन इनसे उचित लाभ न होने पर बिना देर किए डॉक्टर के पास चले जाएं। इसके अलावा यदि दर्द फ्रेक्चर की वजह से है या दर्द के साथ सूजन, लालिमा, गर्माहट, बुखार और वजन कम हो रहा है तो फ़ौरन ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को दिखाएं।

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