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फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

2022-05-24 12:02:19

 

 आजकल कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनकी कुछ साल पहले तक किसी बीमारी की श्रेणी में गणना नहीं होती थी। लेकिन अब बड़ी तकलीफ बनकर उभर रही हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक हैं फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न)। जिसकी मुख्य वजह गलत लाइफ स्टाइल और आधुनिक खान-पान को अपनाना है। जिसके कारण कंधे में अकड़न की समस्या बेहद आम हो गयी है। इतनी आम कि यह बुजुर्ग लोगों की तुलना में युवाओं में अधिक देखने को मिलती है। इस समस्या के मुख्य कारण खराब मुद्रा एवं झुककर बैठना, गलत तरीके से भारी वजन उठाना और घंटों तक कम्प्यूटर पर काम करना आदि होता है।

क्या होता है कंधे की अकड़न?     

फ्रोजन शोल्डर हड्डियों से जुड़ी एक समस्या होती है। जिसके होने पर कंधे के जोड़ों में गंभीर दर्द होता है। जिसे फ्रोजन शोल्डर या कंधे का अकड़न कहा जाता है। इसके अलावा इस समस्या को मेडिकल भाषा में एडहेसिव कैप्सूलाइटिस (Adhesive  Capsulitis) के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या आमतौर पर 40 से 70 आयु के लोगों में देखने को मिलती हैं। हालांकि, आज के दौर में अनियमित दिनचर्या के कारण लगभग सभी उम्र के लोगों को फ्रोजन शोल्डर जैसी परेशानी से गुजरना पड़ता है। वही, यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। दूसरे शब्दों में कहें तो कंधे के जोड़ों या आस-पास के ऊतकों में सूजन हो जाती है और वह अकड़ जाते हैं। जिससे कंधे को हिलाने में परेशानी और दर्द उत्पन्न होने लगते है। कंधे की अकड़न की समस्या एक या दोनों कंधो को प्रभावित कर सकती है। दरअसल कंधे की हड्डियां, स्नायुबंधन (ligaments) और मांसपेशियां यह सभी अंग, सिर को सहारा देती है।साथ ही गति को सामान्य बनाए रखती हैं। ऐसे में उस स्थान पर सूजन, चोट या किसी भी प्रकार की  असामान्यता होने पर कंधे में दर्द या अकड़न होने लगती है। इसे दूर करने के लिए फिजियोथेरेपी या व्यायाम की आवश्यकता पड़ सकती है।

कंधे की अकड़न के चरण-

फ्रोजन शोल्डर यानी कंधे की अकड़न सामान्यतः धीरे-धीरे और तीन चरणों में विकसित होते हैं जो कुछ महीनों तक बने रहते हैं। आइए बात करते हैं इन्हीं चरणों के बारे में दर्दनाक चरण (फ्रीजिंग)- फ्रोजन शोल्डर का यह चरण काफी दर्दनाक होता है। इसमें दर्द कंधे के किसी भी गतिविधि में हो सकता है। साथ ही यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और रात के समय यह तीव्र हो जाता है। आमतौर पर यह दर्द मरीज को 3 से 9 महीने तक परेशान करता है। फ्रोजन (Frozen)- यह कंधे की अकड़न का दूसरा चरण होता है। इसमें फ्रीजिंग चरण की अपेक्षा कम दर्द का एहसास होता है। लेकिन इस अवस्था में आपका कंधा अकड़ सकता है। यह चरण 4 से 12 महीने तक हो सकता है।थाविंग (Thawing)- यह कंधे की अकड़न का अंतिम चरण माना जाता है। इसमें कंधा पहले जैसा काम करने में सक्षम हो जाता है । लेकिन इस अवस्था में दर्द के होने की संभावना बनी रहती है। यह चरण 1 से 3 साल तक रहता है।

कंधे की अकड़न के सामान्य लक्षण-

●कंधे को हिलाने में कठिनाई महसूस करना।

●कंधे की कैप्सूल का सख्त या कठोर(स्टिफनेस) होना।

●कंधे में तेज दर्द होना।

●कंधे में खिंचाव या अकड़न के कारण कार्य करने में असमर्थ होना।

कंधे की अकड़न होने के कारण- 

शोल्डर ब्लेड, ऊपरी बाह की हड्डी और गर्दन से नीचे की कंधे की ओर जाती हुई हड्डी (कॉलरबोन) अर्थात इन तीनो हड्डियों से मिलकर कंधे का निर्माण होता है। यह सभी हड्डियां कंधे में गेंद के आकार के सॉकेट से जुड़ी होती हैं। इस जोड़ या सॉकेट में आस-पास के हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतक (टिश्यू) मौजूद होते हैं। इसके अतिरिक्त कंधे के जोड़ में मौजूद द्रव (Synovial fluid) जोड़ों को बिना घर्षण के हिलने में सहायता करता है। लेकिन किसी कारणवश इन्हीं ऊतकों में क्षति होती है, तब कंधे की अकड़न शुरू हो जाती है। जो प्रायः कंधे के दर्द से जुड़े होते हैं। कंधे की दर्द का प्रमुख कारण उपास्थि और हड्डियों में घिसाव के कारण हुई टूट-फूट भी होता है। ऐसी समस्या ज्यादातर उम्र बढ़ने वाले लोगों में पाई जाती है। हालांकि, यह अन्य जोखिम कारकों के कारण युवकों में भी होता है। आइए जानते हैं इन्हीं जोखिम कारकों के बारे में;

●मधुमेह (डायबिटीज) होने पर। 

●अतिसक्रिय थायराइड (हाइपरथायरायडिज्म) होने पर। 

●हाइपोथायरायडिज्म यानी थायराइड का कम होना। 

●हृदय संबंधी कोई बीमारी होने से। 

●टीबी की शिकायत होने पर। 

●पार्किंसंस रोग जैसी समस्या से ग्रसित व्यक्ति को।

कंधे की अकड़न का निदान-

कंधे की अकड़न के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले कराने की सलाह देते हैं। कुछ शारीरिक परीक्षण निम्नलिखित हैं शारीरिक परीक्षण- इस परीक्षण में डॉक्टर समस्या को पता लगाने के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं। इस प्रक्रिया में वह कंधे की हड्डी, गर्दन एवं पीठ के पीछे के हड्डियों को स्पर्श करते हैं। इससे पता चलता है कि असल में समस्या कहां से उत्पन्न हो रही है। मेडिकल हिस्ट्री- चिकित्सक रोगी से उसकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। ऐसी समस्या पहले कभी हुई थी या नहीं। यदि हां, तो उसके लिए किस प्रकार की दवाइयाँया उपचार किया गया था। एक्स-रे- फ्रोजन शोल्डर की जांच के लिए डॉक्टर एक्स-रे करवाने की सलाह देते हैं। इससे रोग का सही ढंग से पता चलता है कि अकड़न या दर्द किस वजह से हैं।

कंधे की अकड़न के घरेलू उपाय-

एप्सम साल्ट (सेंधा नमक)-

एक कटोरी एप्सम साल्ट (सेंधा नमक) को हल्के गर्म पानी से भरे बाथटब में डालें। जबतक पानी की गर्माहट रहे तब तक बाथटब में बैठे रहें। ऐसा करने से कंधे की अकड़न में आराम मिलता है। 

आइस पैक-

आइस पैक (ice pack) कई तरह के दर्द में मदद करता है। इसलिए आइस पैक को प्रभावित अंग पर लगाने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा आइस पैक कंधे या शरीर के अन्य किसी हिस्से में दर्द के साथ सूजन को भी खत्म करता है।

गर्म सिकाई करें-

किसी भी तरह के दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पानी से सिकाई करना एक अच्छा उपाय माना जाता है। इससे रक्त का संचरण भी ठीक हो जाता है। इसके अलावा गर्म पानी से शावर लेने पर भी कंधे की दर्द में फायदा करता है।  

तिल का तेल- 

तिल के तेल में फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर और विटामिन डी प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। जो कंधे की दर्द या अकड़न से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए प्रतिदिन तिल के तेल को हल्का गुनगुना करके हल्के हाथों से प्रभावित अंगों कीमालिश करें। ऐसा करने से आपका दर्द काफी हद तक कम हो जाता है। 

फ्रोजन शोल्डर के लिए फीजियो थेरेपी (व्यायाम)- 

फ्रोजन शोल्डर अर्थात कंधे की अकड़न या दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ शारीरिक व्यायाम करने की परामर्श देते हैं। इन व्यायामों का उपयोग नियमित रूप से दिन में कम से कम 3 से 4 बार करने से कंधे के दर्द से काफी हद तक राहत मिलती हैं जो निम्नलिखित हैं:

●शोल्डर स्ट्रेच। 

●वाल क्रावल। 

●पेंडुलम। 

●रोप एंड पुल्ली स्ट्रेचेस।

क्या है फ्रोजन शोल्डर के बचाव और सावधानियां?

●दर्द को नजरअंदाज न करें। लगातार या कई दिनों तक रहने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। 

●तेज दर्द का अहसास होने पर अपने हाथों को सिर के बराबर ऊंचाई पर रख कर सोएं।

●3 से 9 महीने के समय को फ्रीजिंग पीरियड माना जाता है। इस दौरान फिजियोथेरेपी के इलाज से बचें।

 
 
 
 
 
 

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