एड़ी में दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
2022-05-24 15:03:26
एड़ी का दर्द पैर की एक बहुत ही आम समस्या है। पीड़ित को आमतौर पर एड़ी के नीचे (प्लान्टर फ़ेशियाइटिस- plantar fasciitis) या इसके पीछे (अचिल्लेस टेन्डिनाइटिस - Achilles tendinitis) दर्द होता है। कई मामलों में एड़ी का दर्द काफी गंभीर और असहनीय होता है, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करता है। एड़ी का दर्द आमतौर पर हल्का होता है और अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में दर्द निरंतर और लम्बे समय तक बना रह सकता है। मनुष्य के पैरों की कुल 26 हड्डियों में से एड़ी की हड्डी (calcaneus) सबसे बड़ी होती है।
मानव की एड़ी की संरचना इस प्रकार की होती है कि वह आराम से शरीर के वजन को उठा सके। चलते या दौड़ते समय जब हमारी एड़ी जमीन से टकराती है, तो यह पैर पर पड़ने वाले दबाव को सोंख लेती है और हमें आगे की ओर बढ़ने में सक्षम बनाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर के वजन से 1.25 गुना ज़्यादा चलने और 2.75 गुना ज्यादा दौड़ने के कारण पैरों पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके चलते एड़ी कमजोर हो जाती है और इसमें दर्द होने लगता है। गठिया, संक्रमण, एक स्वप्रतिरक्षित समस्या (autoimmune problem) आघात यानी तनाव से सम्बंधित एक समस्या, न्यूरोलॉजिकल (स्नायु संबंधी) समस्या या कुछ अन्य प्रणालीगत स्थिति (ऐसी स्थिति जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है) के कारण भी यह दर्द हो सकता है।
आयुर्वेद में एड़ी में होने वाले दर्द को वातकण्टक कहा गया है। यह मुख्य रूप से वात एवं कफ दोष के कारण होता है। वात दोष एवं कफ दोष को बढ़ाने वाले आहार के सेवन से तथा अत्यधिक व्यायाम, खेल-कूद, भाग-दौड़ के कारण कभी-कभी वात बढ़ जाता है। अत: आयुर्वेद में वात एवं कफ दोष एड़ियों के दर्द के कारण माने गए हैं। एड़ियों का दर्द अक्सर सुबह उठते वक्त रहता है, लोग कई बार इस दर्द को एक आम दर्द समझ्कर नजर अन्दाज कर देते है लेकिन यह हानिकारक हो सकता है। अगर हर रोज सुबह उठने के बाद ही एड़ियों में दर्द रहता है, तो यह प्लानटर फैसिटिस (Plantar Fascitis) होने का संकेत है। जिसकी वजह से कई लोगों को रोज एड़ी के दर्द से जूझना पड़ता है। उपचार के अभाव में यह एक गंभीर समस्या बन सकती है और व्यक्ति को दैनिक कार्यों एवं चलने-फिरने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
एड़ी में दर्द होने के लक्षण
- पैरों के निचले हिस्से में दर्द के साथ जलन या कुछ समय के लिए एड़ी से बाहर निकलता हुआ महसूस होना।
- पैरों के तलें में दर्द के साथ जकड़न।
- सोकर उठने के बाद एड़ियों में असहनीय दर्द।
- ज्यादा देर तक खड़ा रहने पर पैरों में दर्द।
- तलवे या एड़ी का उठा हुआ महसूस होना।
- पैर में हल्की सूजन या लाल होना।
- पैरों के तल में जकड़न या कड़ापन।
एड़ी में दर्द के कारण
यूरिक एसिड का बढ़ना-
युवाओं में एड़ी में दर्द का सबसे बड़ा कारण यूरिक एसिड का बढ़ाना है।शरीर में यूरिक एसिड आमतौर पर उस स्थिति में बढ़ता है।जब हम प्रोटीन डायट का सेवन बहुत अधिक करने लगते हैं।इसके अलावाजब लिवर प्रोटीन को पचा नहीं पाता तो भीयूरिक एसिडबढ़ता है।यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा एक समय के बाद शरीर के जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमने लगती है। जिसका परिणाम अचानक होने वाले जॉइंट पेन के रूप में सामने आता है। इसमें मुख्य रूप से एडियां, घुटने, हाथ और कलाई की हड्डियां प्रभावित होती हैं। जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें विकार उत्पन्न होने लगता है।
मोच और मांस फटना –
मोच और खिंचाव आमतौर पर शारीरिक गतिविधियों के कारण लगने वाली चोटें होती हैं। पीड़ित के साथ हुए हादसे के आधार पर यह चोटें मामूली या गंभीर होती हैं। इसके कारण एड़ी में दर्द होता है।
फ्रैक्चर –
फ्रैक्चर में हड्डी टूट जाती है और आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता होती है। यह भी एड़ी में दर्द होने के मुख्य कारणों में से एक है।
स्पांडिलाइटिस (spondylitis)–
स्पांडिलाइटिस गठिया का एक रूप है, जो मुख्य रूप से रीढ़ को प्रभावित करता है। यह बर्टिब्रे (कशेरुकाओं) में गंभीर सूजन का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक चलने वाला एड़ी में दर्द शुरू होता है।
रिएक्टिव गठिया –
यह गठिया का एक प्रकार है और शरीर में होने वाले संक्रमण से उत्पन्न होता है। इस कारण भी एड़ी में दर्द होता है।
प्लान्टर फ़ेशियाइटिस (Plantar fasciitis) –
प्लान्टर फेशियाइटिस तब होता है, जब आपके पैरों पर बहुत अधिक दबाव पड़ने से प्लान्टर फेशिया लिगमेंट ( टिश्यू जो एड़ी की हड्डी को पंजो से जोड़ते हैं) को नुकसान पहुंचता है। इसके कारण एड़ी सख्त हो जाती है और उसमें दर्द होता है।
अचिल्लेस टेन्डिनाइटिस (Achilles tendinitis)–
अचिल्लेस टेन्डिनाइटिस में पिंडली की मांसपेशियों को एड़ी से जोड़ने वाली शिरा के क्षतिग्रस्त होने के कारण उसमें दर्द या सूजन हो जाती है।
ऑस्टेओकोंड्रोसेस (Osteochondroses) –
ऑस्टेओकोंड्रोसेस प्रत्यक्ष रूप से बच्चों और किशोरों की हड्डियों के विकास को प्रभावित करता है। जिस कारण एड़ी में दर्द होता है।
एड़ी में दर्द के घरेलू उपाय
एड़ी में दर्द से राहत दिलाती है हल्दी-
हल्दी का एंटी इंफ्लैमटोरी गुण शरीर में सूजन को कम करने में मदद करती है। इसलिए हल्दी एड़ियों के दर्द में बहुत फायदेमंद है। यह दर्द एवं सूजन दोनों में काम करती है। आहार में हल्दी का इस्तेमाल जरूर करें साथ ही दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी दर्द में लाभ मिलता है।
एड़ी के दर्द में फायदेमंद है बर्फ का सेंक-
दिन में लगभग चार से पांच बार प्रभावित जगह पर बर्फ का टुकड़ा लगाएं। इसके लिए एक कपड़े में बर्फ के टुकड़े को लपेटकर दर्द वाली जगह पर लगाने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है।
एड़ी के दर्द से राहत दिलाता है अदरक का काढ़ा-
अदरक को बारीक काटकर दो कप पानी में डालकर उबालें। अच्छी तरह उबल जाने पर जब पानी एक कप ही रह जाए तब गुनगुना होने पर इसमें दो से तीन बूंद नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। अदरक दर्द एवं सूजन दोनों से ही राहत दिलाने में मदद करता है।
एड़ी के दर्द को दूर करता है सिरका-
सिरका (Vinegar) सूजन, मोच और ऐंठन जैसे लक्षणों को ठीक करने में मदद करता है। गर्म पानी की एक बाल्टी में दो बड़े चम्मच सिरका और एक छोटा चम्मच नमक या सेंधा नमक मिलाएं फिर इसमें अपने पैरो को लगभग बीस मिनट के लिए डुबा कर रखने से दर्द से आराम मिलता है।
एड़ी के दर्द को कम करता है सेंधा नमक-
गर्म पानी के एक टब में दो से तीन बड़े चम्मच सेंधा नमक मिलाकर इसमें अपने पैरों को 10 से 15 मिनट के लिए डाल दें। इससे एड़ी के दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
एड़ी के दर्द को दूर करता है लौंग का तेल-
लौंग के तेल से धीरे-धीरे दर्द वाली जगह पर मालिश करें। इससे रक्त प्रवाह तेज होता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है। पैरों में किसी भी तरह का दर्द होने पर लौंग का तेल बहुत लाभदायक होता है।
एड़ी के दर्द में लाभदायक है स्ट्रेचिंग-
नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करें। एक तौलिए को मोड़कर अपने तलवों के नीचे रखें अब एड़ियों को ऊपर की तरफ उठाएं और पैर को स्ट्रेच करें। एक-एक करके दोनों पैरो में 15-30 सेकेण्ड के लिए ये प्रक्रिया दोहराये। इससे दर्द में लाभ मिलता है।
एड़ी के दर्द का कारगर उपाय है एलोवेरा जेल-
एक बर्तन में ऐलोवेरा जैल ड़ालकर धीमी आंच पर गर्म करें। इसमें नौसादर और हल्दी ड़ालें, जब यह पानी छ़ोड़ने लगे तो इसे हल्का गुनगुना होने पर रुई से एड़ियों पर लगा लें। अब इसे बांध लें, और इसे रात को प्रयोग करें। लगातार 30 दिनों तक प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां द्वारा एड़ी के दर्द का उपचार
एड़ी में दर्द के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां-
इस जड़ी-बूटी की जड़ प्रमुख तौर पर एड़ी में दर्द को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। दर्द से राहत पाने के लिए चित्रक की जड़ से तैयार लेप को प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है। चित्रक प्रभावित हिस्से पर गर्मी पैदा करती है और रक्त प्रवाह को बढ़ाती है एवं चयापचय प्रक्रियाओं को तेज करती है। यह एड़ी से अमा को घटाती है।जिससे दर्द कम होता है।
अरंडी-
इसमें दर्द निवारक, रेचक और नसों को आराम देने वाले गुण होते हैं। यह सूजन को कम करने वाली मुख्य जड़ी-बूटियों में से एक है। अरंडी को “वात विकारों का राजा” भी कहा जाता है। क्योंकि यह रेचन (दस्त), शरीर से अमा को निकालने और बढ़े हुए वात दोष को साफ करने में उपयोगी है। यह जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत दिलाती है। इसलिए साइटिका, रुमेटिज्म, एड़ी की हड्डी बढ़ने, प्लान्टर फेशियाइटिस और अचिल्लेस टेंडन बर्सिटिस जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
कर्म या थेरिपी के द्वारा एड़ी में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज-
विरेचन कर्म-
विरेचन कर्म में शरीर को डिटॉक्सीफाई किया जाता है।इसमें औषधियों के द्वारा पाचन तंत्र को डिटॉक्सीफाई किया जाता है। इसके बाद स्वेदन विधि के द्वारा पसीना निकलवाया जाता है।जिससे बॉडी डिटॉक्स होती है। ऐसा करने से वात का संतुलन बनता है और एड़ी में दर्द से आराम मिलता है।
अभ्यंग कर्म-
अभ्यंग कर्म में औषधीय तेलों को शरीर पर लगातार गिराया जाता है। एड़ी में दर्द के लिए अभ्यंग कर्म के लिए पिंड तेल का इस्तेमाल होता है। इसे प्रभावित स्थान पर या संवेदनशील बिंदुओं पर तेल डाल कर किया जाता है। जिससे एड़ी में दर्द से राहत मिलती है।
रक्तमोक्षण-
रक्तमोक्षण एक ऐसी आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसमें शरीर से दूषित ब्लड को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में जोंक के द्वारा प्रभावित स्थान से खून निकाला जाता है। इसके बाद जब जोंक पूरी तरह से खून चूस लेती है तो जोंक पर हल्दी डाल कर उन्हें, त्वचा से छुड़ाया जाता है। इससे एड़ी के दर्द में राहत मिलती है।
लेप कर्म-
लेप कर्म करने के लिए औषधियों का लेप तैयार किया जाता है।जिसे एड़ी केदर्द से प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है। इसके लिए वच, आंवला और जौ का मिश्रण बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से राहत मिलती है। प्लांटर फेशियाइटिस में हींग का लेपन प्रभावी होता है।
एड़ी में दर्द से बचाव के उपाय-
खेल खेलते समय सुरक्षा-
एड़ी पर अत्यधिक दबाव ड़ालने वाली कोई भी गतिविधी करने से पहले अच्छी तरह से वार्मअप कर लें। खेल के दौरान अच्छी किस्म के जूते पहनें।
ठीक फुटवियर पहनें-
एड़ी के दर्द से बचने के लिए चलने के दौरान एड़ी पर पर पड़ने वाले दबाव को कम करने वाले जूतें काफी मददगार साबित होते हैं, जैसे-एड़ी के नीचे लगाने वाले पैड। सुनिश्चित करें कि जूते आपके पैरों के अनुकूल हों और उनका तल (sole) आरामदायक हो। अगर किसी विशेष जूते से आपकी एड़ी में दर्द होता है, तो उसे न पहनें।
नंगे पांव न रहें-
कठोर जमीन (धरातल) पर चलते समय जूते अवश्य पहनें।
अधिक वजन कम करें –
अधिक वजन वाले व्यक्ति द्वारा चलते या भागते समय उनकी एड़ी पर अधिक दबाव पड़ता है। ऐसे में वजन घटाने की कोशिश करें।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- एड़ी में दर्द के साथ-साथ बुखार होने पर।
- सामान्य रूप से चलने में असमर्थ होने पर।
- एक सप्ताह के बाद भी लगातार एड़ी दर्द के बने रहने पर।
- एड़ी के पास सूजन और गंभीर दर्द होने पर।
- एड़ी में सुन्नता और झनझनाहट के साथ दर्द और बुखार होने पर।