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जोजोबा तेल

Posted 25 May, 2022

जोजोबा तेल

यूं तो विश्व में हर एक जगह पर कई प्रकार के पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं। जिनमें से बहुत से स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे होते हैं। वहीं, कुछ पेड़-पौधे ऐसे भी होते हैं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते या कह लो उनसे ज्यादा लोग परिचित नहीं होते। उन्हीं पेड़-पौधों में एक नाम है जोजोबा, जो औषधीय गुणों से भरपूर होने के बावजूद भी ज्यादा लोगों तक अपनी पहचान नहीं बना पाया। इस लेख के माध्यम से आज हम आपको बताएंगे क्या है जोजोबा तेल और उसके फायदे।

 

क्या है जोजोबा? और आयुर्वेद में इसका महत्व-

 

जोजोबा का हिंदी नाम होहोबा और साइंटिफिक नाम सिमोन्डशिया कैलीफोर्निका है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। जिस वजह से इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। जोजोबा का प्रयोग सबसे ज्यादा तेल के रूप में होता है। क्योंकि इसके तेल में विटामिन-बी, विटामिन-ई, आयोडीन, कॉपर, क्रोमियम और सेलेलियम जैसे अनेक प्रकार के तत्व होते हैं, जो त्वचा का रूखापन हटाकर उसे गोरा और मुलायम बनाते हैं। साथ ही बालों को मजबूत और खूबसूरत बनाने का काम करते हैं।

 

अन्य तेलों की अपेक्षा जोजोबा तेल में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम होता है, जिसके कारण इसके तेल पर अधिक तापमान का कम फर्क पड़ता है। परिणामस्वरूप यह तेल लंबे समय तक खराब नहीं होता। इसके तेल में कोई भी फैटी एसिड नहीं होता। हालांकि इसमें ओलिक एसिड, इकोसेनोइक एसिड, इरोकिक एसिड, स्टीयरिक एसिड, पॉलीमेटिक एसिड, नर्वोनिक एसिड, पामेटोलिक एसिड आदि होते हैं। पर इन सबके अपने एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी होते हैं, जो इस तेल को लाभदायक बनाते हैं।

 

जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल-

 

जोजोबा तेल का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। कुछ लोग इस तेल का इस्तेमाल मालिश के लिए करते हैं तो अधिकांश महिलाएं इसे मेकअप रिमूवर और कंडीशनर के रूप में इस्तेमाल करती हैं। वहीं, कुछ लोग इस तेल का उपयोग स्किन क्लीनर, होंठ बाम और फेस मास्क के रूप में भी करते हैं।

 

इसके तेल को खाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसका इस्तेमाल केवल बालों और त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने के लिए किया जाता है। क्योंकि यह एक सामयिक (एक निश्चित समय तक इस्तेमाल होने वाला) तेल होता है, इसलिए जरूरी नहीं कि यह तेल सभी को सूट करें। इसलिए इस तेल का पहली बार इस्तेमाल करते समय अच्छी तरह से जांच कर लें। इसके अलावा जोजोबा तेल को हमेशा बच्चों से दूर रखें।

 

त्वचा के लिए जोजोबा ऑयल के फायदे:

 

जोजोबा तेल में तमाम तरह के पोषक तत्व होते हैं, जिस वजह से यह स्किन के लिए फायदेमंद होता है। चलिए जानते हैं स्किन के लिए इस तेल के फायदे-

 

रूखापन को दूर करने में मददगार–

 

त्वचा पर जोजोबा तेल लगाने के बाद किसी दूसरे मॉइश्चराइजर की आवश्यकता नहीं पड़ती। क्योंकि इसमें नैचुरल तेल सीबम (sebum) मौजूद होता है, जो त्वचा को गहराई तक मॉइश्चराइजर देने का काम करता है। साथ ही रूखेपन से छुटकारा भी दिलाता है। जोजोबा तेल त्वचा के ऊपर एक परत (Layer) बनाकर धूल-मिट्टी से भी बचाता है।

 

त्वचा विकारों को कम करने में सहायक-

 

जोजोबा ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल गुण के साथ एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण भी मौजूद होते हैं, जो त्वचा की लालिमा, एक्जिमा और एडिमा जैसी बीमारियों को दूर करते हैं। स्किन डिसऑर्डर को दूर करने में भी जोजोबा तेल लाभदायक साबित होता है।

 

सूजन को कम करने में कारगर–

 

स्किन पर जोजोबा ऑयल लगाने से स्किन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इस तेल में घावों को शीघ्र ठीक करने की ताकत भी होती है।

 

स्किन इंफेक्शन से बचाव-

 

जोजोबा ऑयल में विटामिन-ई और कई ऐसे एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो त्वचा के घावों को तेजी से भरते हैं और नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायता करते हैं। इसके अलावा जोजोबा तेल में कुछ ऐसे एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाएं जाते हैं, जो त्वचा को इंफेक्शन से बचाने का काम करते हैं।

 

मजबूत स्किन कोशिकाएं–

 

जोजोबा तेल लगाने से त्वचा की कोशिकाएं मजबूत होती हैं। इस तेल की मदद से त्वचा अपने ऊपर हाइड्रेटिंग (Hydrating) परत बना लेती है, जो कोशिकाओं को कमजोर होने से बचाती है। इसके अतिरिक्त जोजोबा तेल बहारी तत्वों से भी स्किन को प्रोटेक्शन देने का काम करता है।

 

सनबर्न से बचाव-

 

गर्मियों के दिनों में चेहरे और त्वचा पर तेज धूप पड़ने से सनबर्न (Sunburn) एवं टैनिंग की समस्या होने लगती है। ऐसे में जोजोबा तेल का इस्तेमाल करना चेहरे और त्वचा के लिए अच्छा होता है। क्योंकि जोजोबा तेल में विटामिन-ई और विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स मौजूद होते हैं, जो त्वचा को बिना कोई क्षति पहुचाएं धूप की कालिमा (सनबर्न) के इलाज में मदद करते हैं।

 

कील-मुंहासों से छुटकारा-

 

जोजोबा ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कील-मुंहासों, झुर्रियों, चेहरे पर काले धब्बे एवं निशान आदि को खत्म करते हैं। इसके अलावा तेल मे मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यौगिक त्वचा को लचीला बनाकर उसमे चमक लाने का काम करते हैं।

 

मेकअप रिमूवर-

 

मेकअप को अधिक समय तक चेहरे पर लगाकर रखना नुकसानदायक होता है। क्योंकि मेकअप प्रोडक्ट में केमिकल्स होते हैं, जो स्किन को डैमेज कर सकते हैं। इसलिए मेकअप को अच्छी तरह से चेहरे से हटाने के लिए जोजोबा ऑयल बहुत ही अच्छा विकल्प है। इस तेल को क्लींज़र के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

 

स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा-

 

जोजोबा ऑयल प्रेग्नेंसी और मोटापे के कारण शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेच मार्क्स (Stretch marks) से बचाव करता है। दरअसल, बदलते हॉर्मोन और रूखी त्वचा के कारण स्ट्रेच मार्क्स की समस्या पैदा होती है। ऐसे में जोजोबा ऑयल का प्रयोग त्वचा को पोषण देता है और स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा दिलाता है।

 

बढ़ती उम्र का असर कम करना-

 

जोजोबा तेल त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाकर नई कोशिकाओं का निर्माण कराता है, जो उम्र बढ़ने पर चेहरे को बेरंग होने से बचाती हैं। इस तेल के इस्तेमाल से बढ़ती उम्र का प्रभाव भी कम दिखाई पड़ता है। आयुर्वेद में इस गुण को जोजोबा ऑयल का सबसे असरदार और अच्छा गुण माना जाता है।

 

बालों के लिए जोजोबा ऑयल के फायदे:

 

विटामिन-ई को बालों की खूबसूरती और ग्रोथ के लिए अच्छा माना जाता है। जोजोबा तेल से बालों को विटामिन-ई और विटामिन-बी भरपूर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त जोजोबा तेल से बालों की मालिश करने से उन्हें तमाम तरह के पोषक तत्व मिलते हैं। आइए जानते हैं बालों के लिए इस तेल के फायदे-

 

स्कैल्प साफ करने में मददगार-

 

बालों की आधी से ज्यादा समस्याएं स्कैल्प (खोपड़ी) के गंदा रहने के कारण होती हैं। इसी से सिर पर रूसी और गंदगी जमा होने लगती है, कारणवश सिर के रोम छिद्र बंद होने लगते हैं और बालों से जुड़ी समस्या पैदा होने लगती हैं। ऐसे में जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल करना, स्कैल्प को साफ करता है और बालों को लाभ पहुंचाता है।

 

बालों की वृद्धि-

 

जोजोबा ऑयल के इस्तेमाल से सर में रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) और रोम छिद्रों में सुधार होता है, जो बालों के विकास को बढ़ाता है।

 

चमकदार बाल-

 

विटामिन-ई और विटामिन-बी से बालों की चमक बढ़ती है, जोकि जोजोबा तेल में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। असल में यह तेल बालों पर एक सीरम की तरह काम करता है और हेयर क्यूटिकल्स (कटे हुए बाल) को पोषण देकर बेजान बालों को चमकदार बनाता है।

 

मुलायम और रेशमी बाल-

 

जोजोबा ऑयल के पौष्टिक गुण सूखे बालों को पोषण देकर सर की खुजली को दूर करते हैं। जिससे बाल मुलायम और रेशमी बनते हैं।

 

कंडीशनर के तौर पर इस्तेमाल-

 

जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल कंडीशनर की तरह भी किया जाता है। यह उलझे हुए बालों को सुलझाने में मदद करता है और उन्हें प्रोटीन एवं मॉइश्चराइजर भी प्रदान करता हैं। अच्छे परिणाम पाने के लिए गीले बालों पर जोजोबा ऑयल की हल्की मालिश करना लाभदायक होता है।

 

डीप और पुनर्जीवित कंडीशनिंग-

 

जोजोबा तेल बालों की जड़ों में जाकर जड़ों को स्वस्थ और पुनर्जीवित रखने का काम करता है।

 

घने और लंबे बाल-

 

बालों को घना और लंबा बनाने लिए जोजोबा ऑयल बहुत लाभदायक है। इसके प्रयोग के बाद बाल कम झड़ते हैं। क्योंकि यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाने का काम करता है।

 

रक्त परिसंचरण में सुधार-

 

बालों के रोम छिद्रों में सूक्ष्म परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) का सुधार करने के लिए जोजोबा तेल बेहतर विकल्प है। जिससे बाल मजबूत एवं घने बनते हैं।

 

निष्कासन या रोक-

 

जोजोबा ऑयल बालों के छोर (किनारे) और जड़ों को पोषण प्रदान करता है, जो सर में शुष्क, भंगुर और रूखी त्वचा को बढ़ने से रोकता है।

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अमलतास के फायदें और नुकसान

Posted 25 May, 2022

अमलतास के फायदें और नुकसान

अमलतास-प्राचीनकाल से ही कई ऐसे पेड़-पौधों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें अमलतास भी एक ऐसा पौधा है, जिसकी शाखा, छाल, पत्तियां और फलों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसको आयुर्वेद में विशेष दर्जा दिया गया है। 

 
अमलतास क्या है और यह कहां पाया जाता है?

अमलतास मध्यम आकार का पेड़ है। जो मैदानी भागों, निचले हिमालय श्रृंखला, विंध्य पर्वत तथा पूर्वोत्तर राज्यों के जंगलो में पाया जाता है। यह पेड़ दिखने में बहुत सुन्दर होता है। इसके हरे रंग के पत्ते और गहरे पीले रंग के फूल होते हैं। इसका फल लंबा, गोल और नुकीला होता है। इसका वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टूला है। पर भारत में यह अमलतास के नाम से ही प्रचलित है। देश-विदेश में इसे कैसिया, गोल्डन शावर, आदि नामों से जाना जाता है।  

 
आयुर्वेद में अमलतास का महत्व

आयुर्वेद में इसके फूल, पत्ते, फल और इसकी छाल का उपयोग रोगो को ठीक करने में किया जाता है। अमलतास (Amalatas) का उपयोग कब्ज, सर्दी, जुकाम, खासी, बुखार, घाव, त्वचा रोग आदि को ठीक करने में किया जाता है। इसके फल के गूदे का आमाशय के ऊपर मृदु प्रभाव पड़ता है। इसलिए कमजोर लोगों तथा गर्भवती स्त्रियों को विरेचक औषधि के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही अफारा (पेट फूलना), मुंह में पानी आना आदि लक्षणों में भी इसका उपयोग किया जाता है।

 
अमलतास के फायदें;
  • अमलतास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायता करता है। इसलिए इसके छाल या फल को उबालकर छान लें। उसके बाद इसके रस का सेवन करें।
  • इसके गूदे का उपयोग मुंह के छालों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके गूदे को मुंह में रख कर चूसने से छाले जल्दी ठीक होते हैं।
  • यह घावों को भरने के लिए बहुत ही फायदेमंद औषधि है। इसके पत्ते को पीसकर दूध के साथ घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
  • इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बुखार में राहत मिलती है।
  • यह त्वचा संबंधित रोगों के लिए बहुत ही उपयोगी जड़ी-बूटी है। इसके पत्ते को पीसकर प्रभावित जगह पर लगाने से दाद, खाज, खुजली से छुटकारा मिलता है।
  • अमलतास के पत्ते को काली मिर्च और नमक के साथ मिलाकर सेवन करने से कब्ज ठीक होती है। साथ ही पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
  • इसका प्रयोग छोटे बच्चों के पेट दर्द और अफारे की समस्या के लिए फायदेमंद होता है। हींग और अमलतास के गूदे का लेप बनाकर शिशु के नाभि पर लगाने से पेट दर्द, आफरे और कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
  • यह जोड़ों के दर्द और गठिया की समस्या को दूर करने में फायदेमंद होता है। इसके जड़ के चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से गठिया और जॉइंट पेन में आराम मिलता है।
  • अमलतास के फल के गूदे का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी कम होती है।
अमलतास के नुकसान;
  • डायरिया से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • अमलतास का अधिक सेवन करने से दस्त की समस्या हो सकती है ।
  • किसी भी प्रकार के एलर्जी की समस्या इसका सेवन न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इसका सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
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सूरजमुखी तेल के औषधीय गुण और फायदे

Posted 17 March, 2022

सूरजमुखी तेल के औषधीय गुण और फायदे

सूरजमुखी एक फूल है। जिसकी खास बात यह है कि यह सूरज की दिशा के साथ चारों तरफ घूमता रहता है। इसीलिए इसका नाम सूरजमुखी है। यह एक प्रमुख तिलहन है। सूरजमुखी फूल कड़वे और ठंडे तासीर के होते हैं। सूरजमुखी के बीज में विटामिन बी-1, बी-3, बी-6, प्रोटीन, मैग्निशियम और फॉस्फोरस जैसे बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन सभी गुणों के कारण आयुर्वेद में कई तरह की औषधियों को बनाने  के लिए सूरजमुखी का प्रयोग किया जाता है। सूरजमुखी का वानस्पतिक नाम ‘हेलियनथस एनस’ (Helianthus annuus) है। 

 
सूरजमुखी का तेल-
 

सनफ्लावर ऑयल को हिंदी में ‘सूरजमुखी तेल’ के नाम से जाना जाता है। सूरजमुखी का तेल इसके बीज के अर्क से बनता है। इसका उपयोग खाना पकाने के साथ कॉस्मेटिक फॉर्मूलेशन के रूप में भी किया जाता है। सनफ्लावर ऑयल में प्रमुख तौर पर लिनोलिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा ओलिक और पाल्मिक एसिड भी इसमें मौजूद होते हैं। इनके अतिरिक्त इसमें कैरोटीनॉड्स, टोकोफेरोल, लेसिथिन और विटामिन-ए, विटामिन-डी तथा विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। सूरजमुखी तेल का उपयोग करने से स्वस्थ्य हृदय, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली, स्वस्थ्य त्वचा, कैंसर को रोकने, हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने, अस्थमा के खिलाफ रक्षा और सूजनरोधी आदि लाभ प्राप्त होते हैं। 

 
सूरजमुखी के तेल के फायदे

कोलेस्ट्रॉल को सामान्य करता है सनफ्लावर ऑयल-

 

सूरजमुखी तेल में लिनोलिक एसिड (एक ओमेगा-6 फैटी एसिड) की पर्याप्त मात्रा के साथ फैटी एसिड की संतुलित मात्रा पाई जाती है। हालांकि, ओमेगा-6 फैटी एसिड को आमतौर पर ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, फिर भी यह शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। ऐसे में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (ओमेगा-3 एस) और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्वस्थ संतुलन बनाने में सनफ्लावर ऑयल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, सनफ्लावर ऑयल में कोई संतृप्त वसा (Saturated Fat) नहीं होती है। यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

 
स्वस्थ ह्रदय के लिए लाभदायक है सनफ्लावर ऑयल-
 

सूरजमुखी तेल के प्रयोग से ‘एथेरोस्क्लेरोसिस’ (धमनियों का सख्त होना) के विकास का जोखिम कम हो जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण धमनियां अवरुद्ध होती है, रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। सनफ्लावर ऑयल का उचित उपयोग हृदय को स्वस्थ्य रखने में लाभदायक होता है। 

 
त्वचा के लिए उपयोगी है सूरजमुखी तेल-

सूरजमुखी तेल विटामिन-ई से भरपूर होता है। यह विशेष रूप से त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य और कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में सहायता करता है। यह त्वचा को सूरज से होने वाली क्षति से बचाने के साथ बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी कम करता है। विटामिन ई एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो मुक्त कणों को बेअसर करके स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करने से रोकता है। यह एक प्रमुख कारण है, जिस वजह से कॉस्मेटिक उत्पादों में सूरजमुखी तेल का उपयोग किया जाता है।

 
मुंहासों को कम करने में फायदेमंद है सनफ्लावर ऑयल-  
 

सूरजमुखी के तेल में विटामिन-ए, सी और डी तथा स्वस्थ कैरोटीन पाए जाते हैं, जो त्वचा पर सुरक्षा हेतु एक कवच बनाकर मुहांसों से बचाव करते हैं। हल्का और गैर-चिकना होने के कारण सनफ्लावर ऑयल बिना त्वचा के छिद्रों को अवरुद्ध किए, आसानी से त्वचा में अवशोषित हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले फैटी एसिड और विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट्स के रूप में त्वचा कोशिकाओं को नया जीवन प्रदान कर मुंहासों से छुटकारा दिलाते हैं। 

 
गठिया का उपचार करता है सूरजमुखी तेल-
 

सनफ्लावर ऑयल न केवल अस्थमा बल्कि गठिया को कम करने में भी लाभकारी पाया गया है। गठिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी यह तेल बहुत ही अच्छा समाधान है। इसके अलावा सूरजमुखी तेल रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की रोकथाम में मदद करता है।

 
प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत बनाता है सूरजमुखी तेल- 
 

सूरजमुखी का तेल विटामिन-ई से परिपूर्ण होता है। यह शरीर में एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है। जिससे हृदय रोग को रोकने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद मिलती है। 

 
सूरजमुखी के तेल के नुकसान
  • सनफ्लावर ऑयल में अन्य वनस्पति तेलों की तुलना में ओमेगा-6 की मात्रा अधिक होती है। इस कारण यह कोलेस्ट्रॉल की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। 
  • ‘एस्टेरेसी / कम्पोजिटी’ पौधों की प्रजाति के प्रति संवेदनशील लोगों को सनफ्लावर ऑयल से एलर्जी हो सकती है।
  • इसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड पाया जाता है, जिसका अधिक सेवन गर्भवती महिलाओं को नुकसान दे सकता है। 
  • सनफ्लावर ऑयल का अधिक सेवन रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाकर डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। 
  • इसमें पाए जाने वाला प्लाज्मा कोलेस्ट्रोल, लिनोलिक एसिड और खराब कोलेस्ट्रोल को बढ़ाकर टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है।  
 
 
कहां पाया जाता है सूरजमुखी?
 

सूरजमुखी की खेती सबसे पहले अमेरिका में की गई थी। सूरजमुखी के तेल का सबसे अधिक उत्पादन रूस, अमरीका, यूक्रेन, अर्जेंटीना, स्वीडन और भारत में किया जाता है। भारत में सूरजमुखी लगभग सभी जगह पाए जाते हैं।

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जैतून का तेल

Posted 17 March, 2022

जैतून का तेल

हर घर में सामान्य रूप से ओलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। जैतून का तेल सेहत के लिए अच्छा होने के साथ कई औषधीय गुणों से भी युक्त है। पहले लोग इस तेल का उपयोग भोजन बनाने में करते थे। लेकिन इसके अन्य गुणों के बारे में पता लगने के बाद आजकल इसका उपयोग हेल्थ केयर प्रोडक्ट, बालों के लिए, स्किन केयर और कई अन्य चीजों के लिए हो रहा है।

 
क्या है जैतून का तेल ?

जैतून एक प्रकार का औषधीय पेड़ है। जिसका वानस्पतिक नाम ओलिया यूरोपा है। लोग इसके फलों और बीजों से तेल, फलों के पानी से अर्क और पत्तियों का उपयोग दवा बनाने के लिए करते हैं। जैतून का तेल जैतून नामक पौधे के फलों और बीजों से भाप आसवन (Steam distillation) प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। जैतून के तेल को अंग्रेजी में ओलिव ऑयल कहा जाता है।

 
आयुर्वेद में जैतून के तेल का महत्व
 

औषधीय गुणों से भरपूर होने के वजह से आयुर्वेद में इस तेल को उत्तम दर्जे का माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। इसमें ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ उच्च मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए जैतून के तेल का कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसमें भोजन पकाने, शरीर की मालिश करने के लिए बॉडी ऑयल के रूप में, बालों को स्वस्थ रखने के लिए हेयर ऑयल के रूप में, सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए सीधे त्वचा पर लगाना शामिल है। 

 
जैतून के तेल का उपयोग
 
  • जैतून के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने के रूप में किया जाता है।
  • इसका प्रयोग त्वचा, बाल या शरीर पर मालिश के रूप में किया जाता है।
  • जैतून तेल को सलाद के ऊपर छिड़कर खाया जाता है।
  • इसका सेवन ब्रेड पर लगाकर भी किया जा सकता है।
  • जैतून के तेल को हेयर पैक और फेस पैक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैतून तेल के प्रकार
एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल –
 

एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल बनाने के लिए ताजे फलों का प्रयोग किया जाता है। जैतून के फलों को पहली बार दबाकर जो तेल निकाला जाता है, उसे एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल कहते हैं। इस प्रक्रिया से जैतून के फलों को तोड़ने के एक दिन के अंदर ही उनका तेल निकाल लिया जाता है। यह सबसे शुद्ध तेल होता है। इस प्रकार के तेल को बनाने में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस तकनीक में कोल्ड प्रेसिंग के जरिए तेल को निकाला जाता है। जिसमें तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इस तेल में एसिडिटी लेवल (अम्लता का स्तर) सबसे कम होता है, जिसकी वजह से स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामलों में इसे सबसे उत्तम क़्वालिटी का तेल माना जाता है।

 
वर्जिन ओलिव ऑयल-
 

वर्जिन जैतून का तेल भी पहली बार प्रेसिंग करके तैयार किया जाता है। लेकिन इस तरह के तेल को निकालने के लिए उतने कड़े मानकों का अनुसरण नहीं किया जाता। स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामले में यह एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ा कम अच्छा होता है। इस ऑयल में एसिडिटी की मात्रा एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ी अधिक हो सकती है।

 
परिष्कृत जैतून का तेल –

बजारों में इस तरह के ऑयल को प्योर, लाइट और क्लासिक जैसे नामों से बेचा जाता है। पहली बार प्रेसिंग करने के बाद जो फल बच जाते हैं, उन्हें गर्म करके या रासायनिक पदार्थो की सहायता से उनमें से तेल को पूरी तरह से निकाल लिया जाता है। जिसे रिफाइंड ओलिव ऑयल कहते हैं। परिष्कृत जैतून के तेल में अम्लीयता और फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। इसका स्वाद और खुशबू भी ज्यादा अच्छी नहीं होती। साथ ही इसमें पोषक तत्व और एंटी ऑक्सीडेंट्स भी कम होते हैं। इसका स्वाद, खुशबू और रंग अच्छा बनाने के लिए इसमें एक्स्ट्रा वर्जिन या वर्जिन जैतून तेल मिलाया जाता है।

 
पॉमस ओलिव ऑयल –
 

यह ओलिव ऑयल सबसे निम्न स्तर का होता है। एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल बनाने की प्रक्रिया में जो अवशेष बच जाता है, उससे इस तेल को तैयार किया जाता है। जैतून के बीज, छिलके और गुदा से अधिक तापमान पर हेक्सेन नाम के विलायक की सहायता से तेल को अलग किया जाता है।

 
जैतून तेल के फायदे
सूजन के लिए फायदेमंद-
 

ऑलिव ऑयल में सूजन को कम करने के गुण मौजूद होते हैं। इसमें ओलियो कैंथोल होता है, जो एक एंटीइंफ्लेमेटरी दवा की तरह काम करता है। जो मुख्य रुप से शरीर में सूजन पैदा करने वाले एंजाइम को रोकने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त यह कैंसर, अल्जाइमर, ह्रदय रोग, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। 

 
वजन को कम करने में सहायक-
 

ऑलिव ऑयल में उपस्थित मोनो सैचुरेटेड फैट, पेट की चर्बी और वजन को कम करने में कारगर साबित होता है। यदि सही मात्रा में इसका उपयोग किया जाए तो वजन आसानी से कम होता है। मोटापे से बचने के लिए रोजाना एक से दो चम्मच ऑलिव ऑयल का प्रत्येक सुबह सेवन करना चाहिए। 

 
बालों के लिए लाभप्रद-
 

ओलिव ऑयल में फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद सभी तत्व, सूखे और क्षतिग्रस्त बालों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

 
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-
 

इसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट उचित मात्रा में होता है। जो गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बनने में मदद करता है। साथ ही इसमें पॉलीफेनॉल पाए जाने के कारण यह बैड कोलेस्ट्रॉल को (LDL) कम करता है। जैतून के तेल के प्रयोग करने से इंसान का दिल मजबूत होता है और दौरा पड़ने की संभावना में कमी आती है। 

 
कैंसर के उपचार में सहायक-
 

ओलिव ऑयल में मौजूद पॉलीफाइनल, एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स की वजह से होने वाले ऑक्सिडेटिव क्षति (oxidative damage) को बहुत कम कर देते हैं। जिससे शरीर में सूजन को कम करने के साथ ही कैंसर के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए शुद्ध जैतून के तेल को एक से दो चम्मच प्रतिदिन इस्तेमाल करें। 

 
चेहरे के लिए फायदेमंद-

त्वचा की नमी के लिए ऑलिव ऑयल को एक बेहतर विकल्प माना जाता है। क्योंकि इसमें विटामिन-ए, विटामिन-ई और फैटी एसिड पाया जाता है। जिससे शरीर की त्वचा में झुर्रियों का बनना कम होता है। साथ ही यह चेहरे पर पड़ने वाली लाइंस को भी रोकता है। 

 
उच्च रक्तचाप में मददगार-
 

ऑलिव ऑयल की मदद से उच्च रक्तचाप (Hypertension) को नियंत्रित किय जाता है। जैतून का तेल खाने में इस्तेमाल करने से शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। जिससे रक्तचाप की समस्या को दूर होती है। 

 
हड्डियों को मजबूत बनाने में-
 

जैतून के तेल में बना भोजन खाने से या इसके तेल से मालिश करने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं। इस तेल में ओएसटोकलसिन की मात्रा ज्यादा होती है। जो हड्डी को बनाने वाला कोशिकाओं (cells) को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है।  

 
दिमाग के लिए फायदेमंद –

दिमाग की सबसे सामान्य बीमारी अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) की रोकथाम के लिए ओलिव ऑयल बेहद उपयोगी है। इस बीमारी में दिमाग की सेल्स में beta amyloid plaques का निर्माण होने लगता है। लेकिन जैतून के तेल का प्रयोग ब्रेन सेल्स के इन plaques को निकालने का काम करता है। इसके अतिरिक्त जैतून के तेल में पाया जाने वाला phenolic नाम का घटक अल्जाइमर और पागलपन (Dementia) जैसी दिमाग से जुडी बिमारियों की रोकथाम करता है। ओलिव ऑयल तनाव को भी दूर करने का काम करता है।

 
मधुमेह के उपचार में सहायक- 
 

ऑलिव ऑयल का नियमित प्रयोग मधुमेह की समस्या से बचाता है। एक रिसर्च के अनुसार जिस भोजन में मोनो (mono) और पोलिसटुरटेड (polyunsaturated fats) की मात्रा अधिक हो, वैसा भोजन शरीर को मधुमेह की बीमारी से बचाता है। ओलिव ऑयल में यह फैट अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके कारण ऑलिव ऑयल मधुमेह से शरीर की रक्षा करता है। ओलिव ऑयल शरीर में शर्करा को नियंत्रित करता है और इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है। जिससे टाइप-2 डायबिटीज को रोकने में मदद मिलती है।

 
जैतून तेल के नुकसान और सावधानियां
  • ओलिव के मुरब्बा का सेवन गर्म पानी के साथ न करें। ऐसा करने से दस्त लगने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • जैतून का अचार बनाकर खाने से पेट में मरोड़ या कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है।
  • ओलिव का अधिक सेवन करने पर सिर में दर्द हो सकता है।
  • जैतून के तेल का अधिक इस्तेमाल करने से चेहरे में ब्लैकहेड्स पैदा हो सकते हैं। 
  • ओलिव ऑयल का अधिक इस्तेमाल करने से रक्तचाप में कमी आ सकती है। 
  • जैतून के तेल की उच्च वसा की मात्रा, पाचन विकार का कारण बन सकती है। साथ ही यह दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को पैदा कर सकती है। 
  • ओलिव ऑयल ऑयली स्किन औऱ स्मूद त्वचा के साथ जुड़ने पर जलन, चकत्ते और लालिमा का कारण बन सकता है।
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