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अमरूद के पोषक तत्व और फायदे

Posted 24 May, 2022

अमरूद के पोषक तत्व और फायदे

सभी फल पोषक तत्वों से समृद्ध और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। क्योंकि यह शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। इन्हीं फलों में से एक है अमरूद। जो अपने अनोखे स्वाद और आकार के चलते विश्वभर में लोकप्रिय है। अमरूद सर्दी मौसम का फल है। इसलिए इसकी तासीर भी ठंडी होती है।

अमरूद एक ऐसा फल है, जो अपने स्वाद के अलावा शरीर को स्वस्थ बनाने और कई प्रकार के रोगों का उपचार करने के लिए भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, अमरूद का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें हृदय संबंधी बीमारियां, कफ दोष को ठीक करना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन, श्वसन संक्रमण, मुंह /दांत का संक्रमण, त्वचा संक्रमण, मधुमेह, कैंसर आदि रोग शामिल हैं। अमरूद को अंग्रेजी में ग्वावा (Guava) कहा जाता है।

 
अमरूद में मौजूद पोषक तत्व-

अमरूद में तमाम पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिन्हें हेल्थ के लिए जरूरी और फायदेमंद माना जाता हैं। इनमें वसा, कैलोरी, लौह, फोलेट, फाइबर, एस्कोरबिक एसिड, प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस, थायमिन, विटामिन-बी6 जैसे न्यूट्रियन्स पाए जाते हैं। इसके अलावा एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक और एंटी डायरियल गुण होते हैं। इन शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने की क्षमता होती है। दरअसल यह फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियां, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन, श्वसन संक्रमण, मधुमेह, कैंसर और डिजनरेटिव बीमारियां जन्म लेतीं हैं।

 
अमरूद के फायदे-
मधुमेह (डायबिटीज) के लिए-

अमरूद का इस्तेमाल डायबिटीज के लिए अच्छा होता है। यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा अमरूद में फाइबर होता है। जिसमें एंटी-डायबिटिक और एंटी-ग्लाइसेमिक प्रभाव होता है। एक शोध से पता चलता है कि अमरूद में मौजूद पॉलीसैकराइड तत्व टाइप-2 डायबिटीज को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा अमरूद पत्तों के अर्क में भी एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (Anti-hyperglycemic) प्रभाव होते हैं। जो मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसलिए  ब्लड शुगर के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में अमरूद को शामिल करना चाहिए।

 
कैंसर के लिए-

चूंकि अमरूद में बायो एक्टिव पदार्थ, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कैंसरविरोधी प्रभाव पाए जाते हैं। इसलिए अमरूद का सेवन कैंसर की रोकथाम के लिए अच्छा होता है।

 
वजन कम करने के लिए-

अमरूद फाइबर का अच्छा स्रोत है। जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्योंकि शरीर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होने पर पेट भरा हुआ लगता है। कारणवश खाने की तीव्र इच्छा नहीं होती। जिससे वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

 
पाचन तंत्र के लिए-

अमरूद पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया कि अमरूद डाइटरी फाइबर से समृद्ध होता है। जो चयापचय को बूस्ट कर, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने का काम करता है। इसके अतिरिक्त अमरूद गंभीर कब्ज की स्थिति को ठीक करने की ताकत भी रखता है।

 
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

अमरूद में पोटैशियम और विटामिन सी मौजूद होते हैं। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त अमरूद में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण कई तरह के बैक्टीरिया को दूर कर, शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

 
स्कर्वी से बचाव के लिए-

स्कर्वी एक प्रकार का रक्त विकार है, जो शरीर में विटामिन सी की कमी के कारण होता है। चूंकि अमरूद में विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है। इसलिए अमरूद का सेवन स्कर्वी की रोकथाम के लिए अच्छा होता है।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

अमरूद में फास्फोरस, पोटैशियम, आयरन, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। जो हृदय स्वास्थ्य को लंबे समय तक अच्छा रखने का काम करते हैं। यह पोषक तत्व शरीर में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा यह रक्त कोशिकाओं के विकास के लिए भी जरूरी होते हैं। इस कारण से अमरूद को हृदय के लिए अच्छा माना जाता है।

 
सर्दी-खांसी में असरदार-

अमरूद के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। अमरूद में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण सर्दी-खांसी से बचाने और इम्यूनिटी को बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा अमरूद में विटामिन-सी और आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। जो फेफड़ों में रूकावट और बलगम के निर्माण को कम करते हैं। साथ ही बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ करने का काम भी करता है। इसलिए अमरूद का सेवन और इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-खांसी में आराम मिलता है।

 
आंखों के लिए-

अमरूद आंखों के लिए लाभकारी होता है। क्योंकि अमरूद को विटामिन-सी जैसे कई विटामिन्स और मिनरल्स का खजाना माना जाता है। जो आंखों के लिए बेहद जरूरी होते हैं।

 
दांत और हड्डियों के लिए-

कैल्शियम हड्डियों की मजबूती और शरीर के अन्य अंगों की रक्षा के लिए जरूरी होता है। चूंकि अमरूद को कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। जो दांत और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए हड्डियों की मजबूती एवं शरीर के अन्य अंगों के लिए अमरूद का सेवन करना अच्छा होता है।

 
मस्तिष्क विकास के लिए-

अमरूद में मौजूद न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण दिमाग का विकास कर, उससे जुड़ी तमाम बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा अमरूद के सेवन से दिमाग की याददाश्त बढ़ती और न्यूरोनल कोशिकाओं की रक्षा होती है।

 
तनाव और चिंता के लिए-

अमरूद में न्यूरो प्रोटेक्शन गुण पाए जाते हैं। जो दिमाग को शांत कर, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से लड़ने का काम करते हैं। इसलिए इसके अर्क का सेवन चिंता और तनाव को दूर करने में सक्षम होता है।

 
डायरिया के लिए-

अमरूद के बीज में एंटी-डायरियल गुण मौजूद होते हैं। जो डायरिया, डिसेंट्री (दस्त के साथ खून आना) और बवासीर जैसी परेशानियों को ठीक करने का काम करते हैं। इसलिए अमरूद को डायरिया के लिए अच्छा माना जाता है। इतना ही नहीं अमरूद के पत्तों के काढ़े का उपयोग दस्त के इलाज के लिए किया जाता है।

 
गर्भावस्था में फायदेमंद-

गर्भावस्था में अमरूद का सेवन करना लाभकारी होता है। क्योंकि यह फोलेट का अच्छा स्रोत है। जिसे गर्भावस्था के समय जरूरी विटामिन माना जाता है। दरअसल फोलेट भ्रूण के विकास, उसकी रीढ़ व मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। वहीं शिशु में जन्म के दौरान होने वाली विकृतियों की संभावना को भी कम करता है। इसलिए गर्भावस्था में अमरूद का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा होता है।

 
त्वचा के लिए-

अमरूद में विटामिन सी पाया जाता है। जो मुंहासों जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम करता है। यह एक्जिमा के कारण होने वाली खुजली को ठीक करता है। इसके अलावा अमरूद के पत्तों का अर्क त्वचा की सूजन को कम करने में भी मदद करता है।

 
अमरूद के नुकसान-
  • चूंकि अमरूद फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। जो कब्ज को ठीक करने में मदद करता है, लेकिन फाइबर की अधिक मात्रा का सेवन पेट की सूजन और गैस का कारण बन सकता है।
  • जिन लोगों को इससे एलर्जी रहती है। उन लोगों को भी अमरूद के सेवन से बचना चाहिए।
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएं अमरूद का सेवन कर सकती हैं। लेकिन इसका अधिक मात्रा में खाने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है।
  • किडनी से जुड़ी समस्याओं में लोगों को अमरूद के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है। और किडनी से जुड़ी परेशानियों में डॉक्टर्स पोटैशियम युक्त आहार का सेवन न करने की सलाह देते हैं।
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शरीफा के पोषक तत्व, फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

शरीफा के पोषक तत्व, फायदे और उपयोग

शरीफा एक विशेष प्रकार का फल है। जो अपने अनूठे आकार और स्वाद के चलते विश्वभर में प्रसिद्ध है। शरीफा ऊपर से खुरदुरा और दिल के आकार का फल होता है। इसकी बाहरी परत थोड़ी मोटी होती है। लेकिन इसके अंदर का भाग सफेद मलाईदार और दानेदार एवं मुलायम होता है। जोकि इस फल का खाने योग्य भाग होता है। शरीफा का यह भाग बेहद मीठा और स्वादिष्ट होता है।

 

शरीफा एक ऐसा फल है, जिसे अपने रूप-रंग और स्वाद के अलावा शरीर को स्वस्थ बनाने एवं कई प्रकार के रोगों का उपचार करने के लिए भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीफा का उपयोग एक-दो नहीं बल्कि, कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें रक्त की मात्रा बढ़ाने, कफ दोष को ठीक करने, दांत दर्द, उल्टी आदि रोग शामिल हैं। शरीफा को आमतौर पर सीताफल और अंग्रेजी में कस्टर्ड एप्पल (Custard apple) के नाम से जाना जाता है।

 

क्या होता है शरीफा?

शरीफा एक स्वादिष्ट फल है, जो बाहर से हरे रंग की खुरदुरी त्वचा से ढका और अंदर से मांसल (Fleshy) या गुदायुक्त होता है। इसमें से निकलने वाले बीज चिकने, चमकीले और भूरे-काले रंग के होते हैं। शरीफा सर्दियों के मौसम का फल है। जिसकी तासीर ठंडी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना स्क्वैमोसा (Annona squamosa) है। पर कुछ जगह पर इसे शुगर एप्पल भी बोला जाता है।

 

शरीफा के पोषक तत्व-

शरीफा में तमाम पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिन्हें हेल्थ के लिए जरूरी और फायदेमंद माना जाता हैं। इनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैलोरी, लौह, फोलेट, फाइबर, एस्कोरबिक एसिड, कैरोटीन, राइबोफ्लेविन, नियासिन विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस, थायमिन, विटामिन-बी6 जैसे न्यूट्रियन्स पाए जाते हैं।

 

शरीफा के फायदे;

पाचन के लिए-

शरीफा का नियमित सेवन करके शरीर की पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है। क्योंकि शरीफा में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। जो शरीर की पाचन क्रिया में सुधार कर, कब्ज की समस्या से लोगों को निजात दिलाने का काम करता है।

 

स्वस्थ वजन के लिए-

लगातार वजन कम होने का मुख्य कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा का न मिलना है। चूंकि शरीफा को एक बेहतर ऊर्जा स्रोत वाला फल माना जाता है। जो वजन बढ़ाने में सहायता कर सकता है। इसलिए शरीर को स्वस्थ वजन देने के लिए शरीफा एक अच्छा विकल्प है।

 

ब्लड प्रेशर के लिए-

शरीफा में कैल्शियम और मैग्नीशियम दोनों मौजूद होते हैं। जो बॉडी के ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने का काम करते हैं। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त लोगों को शरीफा का सेवन करना चाहिए। ऐसा करके हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होने वाले हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को भी कम किया जा सकता है।

 

कोलेस्ट्रॉल के लिए-

शरीर में अनावश्यक रूप से कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोत्तरी होना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित रखना जरूरी होता है। इसके लिए शरीफा का सेवन, एक बेहतरीन उपाय सिद्ध हो सकता है। चूंकि इसमें नियासिन विटामिन मौजूद होता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित करके हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को कम करने का काम करता है।

 

डायबिटीज के लिए-

शरीफा में एंटी-डायबिटिक गुण पाया जाता है। जो शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर में सुधार करने और मधुमेह के लिए जिम्मेदार जोखिम को कम करने का काम करते हैं। इसलिए डायबिटीज की स्थिति में शरीफा और इसके गूदे की स्मूदी का सेवन करना अच्छा होता है।

 

हार्ट अटैक के लिए-

एक डॉक्टरी रिसर्च के मुताबिक, विटामिन-बी 6 का सेवन, हृदय रोग के जोखिमों को कम करने का काम करता है। चूंकि शरीफा में विटामिन-बी 6 पर्याप्त मात्रा में होता है। इसलिए इसका सेवन हार्ट अटैक के खतरों को रोकने के लिए किया जा सकता है।

 

अस्थमा के लिए-

अस्थमा फेफड़ों की बीमारी है। जो इन्फ्लेमेशन (फेफड़ों के रास्ते में सूजन) के कारण होती है। चूंकि शरीफा एक बेहतरीन एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वाला फल होता है। जो अस्थमा के खतरों को काफी हद तक कम करने में मदद करता है। इसलिए अस्थमा जैसी बीमारी के लिए शरीफा का सेवन उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

 

एनीमिया के लिए-

एनीमिया के समय शरीर में आयरन की कमी होने लगती है। जिसके कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता। ऐसे समय में रोगी को आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। चूंकि शरीफा को आयरन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए शरीफा का सेवन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।

 

गर्भावस्था में फायदेमंद-

गर्भावस्था में शरीफा का सेवन करना लाभकारी होता है। क्योंकि यह आयरन और फोलेट का अच्छा स्रोत होता है। जिन्हें गर्भावस्था के समय जरूरी पोषक तत्व माना जाता है। दरअसल फोलेट और आयरन भ्रूण के विकास, उसकी रीढ़ व मस्तिष्क के विकास में मदद करते हैं। वहीं शिशु में जन्म के दौरान होने वाली विकृतियों की संभावना को भी कम करते हैं। इसलिए गर्भावस्था में शरीफा का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा होता है।

 

स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए-

शरीफा का नियमित सेवन त्वचा को निखार देने का काम करता है। दरअसल, शरीफा में विटामिन-सी उच्च मात्रा में मौजूद होता है। जो स्किन को सूरज की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से बचाता है। इसके अतिरिक्त शरीफा में मैग्नीशियम, कैल्शियम और जिंक आदि पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। जो एलोपेसिया (बाल झड़ने) की परेशानी को कम कर, बालों के विकास में मदद करते हैं।

 

शरीफा का उपयोग-

  • शरीफा का सेवन फ्रूट सलाद के रूप में किया जाता है।
  • शरीफा की आइसक्रीम बनाकर खाई जाती है।
  • मिल्क शेक के रूप में भी शरीफा का सेवन किया जाता है।
  • शरीफा के गूदे से बीज निकालकर, स्मूदी के रूप में इसका सेवन किया जाता है।

शरीफा का नुकसान-

  • चूंकि शरीफा में आयरन की अधिक मात्रा होती है। इसलिए इसके अधिक सेवन से मतली, उल्टी और पेट फूलने जैसी परेशानी पैदा हो सकती हैं।
  • चूंकि शरीफा में फाइबर की उच्च मात्रा होती है। इसलिए इसके अधिक सेवन से दस्त, गैस, आंतों में जकड़न जैसी पेट की परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
  • कुछ लोगों को शरीफा खाने पर एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसलिए ऐसे लोगों को शरीफा के सेवन से बचना चाहिए।
  • शरीफा का सेवन करते वक्त इसके बीजों को खाने से बचना चाहिए। अन्यथा यह गले में फंस सकते हैं।
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Nutrients, Benefits and Uses of Custard apple

Posted 15 December, 2021

Nutrients, Benefits and Uses of Custard apple

Custard apple, also known as custard fruit, is a special type of fruit which is widely famous for its unique shape and taste. Custard fruit is rough and heart shaped from above. Its outer layer is slightly thick but its inner part is white creamy, granular and soft which is the edible part of the fruit. This portion of custard apple is very sweet and tasty.

 

Custard apple is such a fruit, which apart from its appearance and taste, is also known for ensuring health and curing many types of diseases. According to Ayurveda, custard apple is used to treat many diseases which include increasing blood volume, curing phlegm defects, toothache, and vomiting. Custard apple is commonly known as Sitaphal in hindi.

 

What is a Custard apple?

Custard apple is a delicious fruit, which is covered with greenish rough skin on the outside and is fleshy on the inside. The seeds coming out of it are smooth, shiny and brown-black in color. Custard apple is the fruit of the winter season which has a cold effect. Its scientific name is Annona squamosa but at some places it is also called sugar apple.

 

Nutrients in Custard apple

Custard apples contain all the nutrients which are considered necessary and beneficial for health. Nutrients such as protein, carbohydrates, fats, calories, iron, folate, fiber, ascorbic acid, carotene, riboflavin, niacin vitamins, calcium, phosphorus, thiamine, vitamin-B6 are found in them.

 

Benefits of Custard apple

For Digestion-

The digestive process of the body can be improved by regular consumption of custard apples because fiber is abundant in it which improves the digestion of the body and works to relieve people from the problem of constipation.

 

For healthy weight-

The main reason for the constant weight loss is the lack of sufficient energy in the body. Since custard apple is considered a fruit with a better energy source, it can aid in weight gain. Therefore, custard apples are a good option for healthy body weight.

 

For blood pressure-

Custard apples contain both calcium and magnesium which works to maintain a healthy blood pressure of the body. Therefore, people suffering from high blood pressure should consume custard apples. By doing this, the risk of heart disease and stroke due to high blood pressure can also be reduced.

 

To cholesterol-

Unnecessary increase in cholesterol in the body can prove to be dangerous for health. Therefore, it is important to keep the cholesterol levels in the body balanced. Consumption of custard apple can prove to be an excellent remedy for this due to the presence of niacin vitamin in it which works to reduce the risk of heart disease, stroke and heart attack by balancing the cholesterol level in the body.

 

For diabetes-

Custard apple has anti-diabetic properties which helps to improve blood glucose levels in the body and reduce the risks associated with diabetes. Therefore, in diabetes, it is good to consume the custard apple.

 

For heart attack-

Vitamin-B6 intake, according to medical research, works to reduce the risk of heart disease. Since custard apples contain vitamin-B6 in abundance, it can be used to prevent the risk of heart attack.

 

For Asthma-

Asthma is a lung disease which is caused by inflammation in the lungs. Since custard apple is a fruit with excellent anti-inflammatory properties which helps reduce the risks of asthma to a great extent, therefore, consumption of custard apple may prove useful for diseases like asthma.

 

For anemia-

During the time of anemia, there is a deficiency of iron in the body due to which red blood cells are not produced in the body. In such conditions, the patient is advised to take iron-rich foods. Since custard apple is considered a good source of iron, its consumption helps by producing red blood cells in the body to carry oxygen to various parts of the body.

 

Beneficial in pregnancy-

Consumption of custard apple is beneficial during pregnancy because it is a good source of iron and folate. These are considered essential nutrients during pregnancy. Folate and iron help in the development of the fetus, its spine and brain, at the same time, it also reduces the chances of malformations during birth in the baby. Therefore, consuming custard apples during pregnancy is good for health.

 

For healthy skin and hair-

Regular intake of custard apple works to improve the skin. Vitamin-C is present in high amounts in custard apples which protects the skin from the harmful ultraviolet rays of the sun. Apart from this, nutrients like magnesium, calcium and zinc are also present in custard apples which help in hair growth by reducing the problem of alopecia (hair loss).

 

Uses of Custard apple

  • Custard apple is consumed as a fruit salad.
  • Custard apple ice cream is made and eaten.
  • It is also consumed in the form of milk shake.
  • The seeds of custard apple are extracted from the pulp and consumed as a smoothie.

Side effects of Custard apple

  • Since custard apples contain a high amount of iron, therefore, excessive intake can cause problems like nausea, vomiting and flatulence.
  • Custard apples are rich in fiber, therefore, excessive intake of it can cause stomach problems like diarrhea, gas, intestinal tightness.
  • People with allergic reactions to custard apples should avoid its consumption.
  • When consuming custard apple, its seeds should be avoided, otherwise it can get stuck in the throat.
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क्रैनबेरी के औषधीय गुण, फायदे और उपयोग

Posted 17 March, 2022

क्रैनबेरी के औषधीय गुण, फायदे और उपयोग

क्रैनबेरी (Cranberry) एक छोटे अम्‍लीय जामुन के सामान फल है। क्रैनबेरी का नाम सुनने पर दिमाग में छोटे और गहरे लाल रंग के फल की इमेज (छवि) याद आती है। यह स्वाद में खट्टा और मीठा दोनों तरह का होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल जूस, जैम, चटनी आदि खाद्य पदार्थ तैयार करने में किया जाता है। इसके अलावा क्रैनबेरी का सेवन और उपयोग स्वास्थ्य लाभों की प्राप्ति और कई रोगों को दूर करने के लिए भी किया जाता है।

क्रैनबेरी में एंटीऑक्सीडेंट गुणों की अच्‍छी मात्रा पाई जाती है। इस वजह से इसको कई जगह पर सुपर फूड भी कहा जाता है। इसलिए इसके जूस का प्रयोग तमाम स्वास्थ्य परेशानियों को दूर करने के लिए जाता है। क्रैनबेरी के औषधीय गुण गुर्दे की पथरी, श्वसन संबंधी विकार, पेट संबंधी विकार, हृदय रोग, मधुमेह, मूत्र पथ संक्रमण (UTI) और कैंसर जैसी बीमारियों से राहत दिलाने में सहायता करते हैं। इसके अलावा यह दांतों से संबंधित समस्याओं को भी कम करने में मदद करते हैं।

 
क्या होती है क्रैनबेरी?

क्रैनबेरी एक छोटे गोल आकार और गहरे लाल रंग का फल होता है। इसका साइंटिफिक नेम वैक्सीनियम मैक्रोकारपन (Vaccinium macrocarpon) है। यह सदाबहार झाड़ियों में उगने वाला फल है। जिसे मुख्य रूप से उत्तर अमेरिका में उगाया जाता है। लेकिन इसकी तमाम प्रजाति पूरे विश्व में कई जगह पर उगाई जाती हैं। क्रैनबेरी में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसे तमाम रोगों के प्रभाव को कम करने और अच्छी हेल्थ के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 
क्रैनबेरी में मौजूद औषधीय गुण-

क्रैनबेरी से संबंधित एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार क्रैनबेरी में एंटी बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉल, एंटीकार्सिनोजेन और एंटीम्यूटेजन (जीन की संरचना में होने वाले परिवर्तन को रोकने वाला गुण) मौजूद होते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-वायरल और न्यूरोप्रोटेक्टिव जैसे प्रभाव भी पाए जाते हैं। जो इसे सामान्य से एक खास फल बनाते हैं।

 
क्रैनबेरी (करौंदा) के फायदे;
मधुमेह के लिए-

मधुमेह के विषय पर ब्राजील की संस्था, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन एंड हेल्थ द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक क्रैनबेरी के रस में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं। जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम कर, टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद करते है।

 
प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

अमेरिका के डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में की गई रिसर्च के अनुसार, क्रैनबेरी में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसके अलावा क्रैनबेरी में विटामिन-सी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो संक्रमण को बढ़ने से रोकने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। इस आधार पर क्रैनबेरी को इम्यूनिटी के लिए अच्छा समझा जाता है।

 
मौखिक स्वास्थ्य के लिए-

क्रैनबेरी के अर्क में कुछ ऐसे गुण मौजूद होते हैं। जो पॉरफाइरोमोनस जिंजिवालिस और फुसोबैक्टीरियम न्यूक्लिएटम नामक ओरल बैक्टीरिया के गठन को रोकने का काम करते हैं। इन दोनों बैक्टीरिया को दांतों की कैविटी का मुख्य कारण माना जाता है। जिन्हें क्रैनबेरी के अर्क से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा क्रैनबेरी अर्क में एंटी माइक्रोबियल गुण भी होते हैं। जो दांतों और मसूड़ों की सूजन जैसे मौखिक संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं।

 
त्वचा के लिए-

क्रैनबेरी में विटामिन-ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो त्वचा को ग्लोइंग बनाने का काम करता है। वहीं अमेरिका के रिसर्च इंस्टीट्यूट, डिपार्टमेंट ऑफ बायोलॉजिकल साइंस की रिसर्च के अनुसार क्रैनबेरी में एंटी-एजिंग गुण मौजूद होते हैं। जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा क्रैनबेरी में बैक्टीरियोस्टेटिक (बैक्टीरिया के प्रभाव से बचाने वाला) गुण भी पाया जाता है। जो एरिथेमा (त्वचा पर होने वाले लाल दाने) से पीड़ित लोगों की त्वचा की स्थिति में सुधार लाने का काम करता है।

 
किडनी स्वस्थ के लिए-

ब्राजील के रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की रिसर्च के मुताबिक, क्रैनबेरी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण क्रोनिक किडनी रोग की जटिलताएं जैसे सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा क्रैनबेरी में एंटीलिथोजेनिक (antilithogenic) प्रभाव भी पाए जाते हैं। जो कैल्शियम ऑक्सालेट यानी किडनी स्टोन की परेशानी को दूर करने में सहायता करते हैं।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

अमेरिका के रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की रिसर्च के मुताबिक, क्रैनबेरी में मौजूद पॉलीफेनोल्स गुण एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और रक्तचाप को कम करके हृदय रोग (सीवीडी) के खतरों को कम करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त क्रैनबेरी में एंटीफ्लोमेट्री(सूजन को कम करने वाला) और एंटीथ्रॉम्बोटिक (ब्लड क्लॉटिंग को रोकने वाला) गुण भी होते हैं। जो हृदय से संबंधित कई समस्याओं के लिए लाभकारी साबित होते हैं।

 
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए-

एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, क्रैनबेरी के जूस में प्रोएन्थ्रोसिनेनिडिन-ए (proanthrocyanidin-A) कंपाउंड मौजूद होता है। जो मूत्र पथ का संक्रमण बनने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीएडेसन (बैक्टीरिया को रोकने वाला) प्रभाव रखता है। इस आधार पर यूटीआई और पोस्ट्राडियोथेरेपी प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करने में क्रैनबेरी लाभकारी औषधियों में से एक है।

 
कैंसर के लिए-

कैंसर से संबंधित एक शोध में पाया गया है कि क्रैनबेरी के अर्क में एंटीकैंसर और कीमोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं। जो स्तन, प्रोस्टेट, लंग्स और कोलन के ट्यूमर को बढ़ने से रोकने और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में मददगार साबित होते हैं। इस आधार पर यह कहा जाता है कि क्रैनबेरी कैंसर से कुछ हद तक बचाव करने में सहायता करता है।

 
क्रैनबेरी के उपयोग-
  • क्रैनबेरी का अचार के रूप में भोजन के साथ सेवन किया जाता है।
  • क्रैनबेरी को चटनी के रूप में खाया जाता है।
  • कुछ लोग क्रैनबेरी को जैम बनाकर भी खाना पसंद करते हैं।
  • वहीं कुछ लोगों को क्रैनबेरी का जूस पीना अच्छा लगता है।
क्रैनबेरी के नुकसान-
  • इसके अधिक सेवन से आंतों और पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है।
  • क्रैनबेरी के अधिक सेवन से ऑक्सालेट स्टोन की दिक्कत हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से मतली, उल्टी, सिरदर्द और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
  • इसके गलत या अधिक इस्तेमाल से स्किन रिएक्शन जैसी समस्या भी देखने को मिल सकती हैं।
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गुलकंद के फायदे

Posted 24 May, 2022

गुलकंद के फायदे

गुलकंद को गुलाब की पत्तियों का मुरब्बा भी बोला जाता है। यह एक प्रकार का खुशबूदार जैम होता है। जिसे घरों में बेहद पसंद किया जाता है। यह खाने और देखने में जितना बढ़िया होता है, उतनी ही अच्छी इसकी महक (सुगन्ध) होती है। ज्यादातर लोगों ने गुलकंद का सेवन पान और मिठाई के रूप में किया होगा। लेकिन इसके कई फायदे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी दूर करते हैं। यह शरीर को लंबे समय तक रिफ्रेश रखने का काम करता है।

 
क्या होता है गुलकंद?

जैसा ऊपर बताया गया है कि गुलाब की पंखुड़ियों से बने मुरब्बे को ही गुलकंद कहा जाता है। इसको गुलाब की ताजी पत्तियों और स्वाद के लिए चीनी का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है। ज्यादातर लोग इसका सेवन गर्मियों में करना पसंद करते हैं। ताकि शरीर को ठंडा रखा जा सके। इसके अलावा गुलकंद की सुगंध और स्वाद के चलते इसका प्रयोग कई स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों में भी किया जाता है।

 
गुलकंद के फायदे-
कब्ज के लिए-

गुलकंद का सेवन कब्ज की समस्या का उपचार करता है। क्योंकि गुलकंद में मैग्नीशियम मौजूद होता है। जो कब्ज की समस्या को दूर करके लैक्सेटिव प्रभाव को प्रदर्शित करता है।

 
मुंह के छालों के लिए-

वैज्ञानिक शोध के अनुसार, मुंह में छाले होने का मुख्य कारण मुंह में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी होना होता है। इसलिए मुंह में छाले होने पर गुलकंद का सेवन करना एक सुलभ उपाय है। क्योंकि गुलकंद में विटामिन-बी समूह की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जिससे मुंह के छाले ठीक हो सकते हैं।

 
पेट की समस्याओं के लिए-

गुलकंद को पेट संबंधित समस्याओं के लिए बहुत गुणकारी माना जाता हैं। यह पाचन तंत्र में सुधार करने और कब्ज जैसी परेशानियों को दूर करने का काम करता है। यह अपच के कारण होने वाली पेट की गैस से भी राहत दिलाने काम करता है।

 
वजन घटाने के लिए-

गुलकंद का सेवन करना वजन घटाने में मदद करता है। क्योंकि गुलकंद बनाने के लिए जिन गुलाब की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें फैट नहीं होता। इसलिए लो-फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना वजन घटाने में कारगर होता है।

 
आंखों के लिए-

क्योंकि गुलकंद तासीर से ठंडा होता है। इसलिए इसके सेवन से आंखों में होने वाली सूजन और लालिमा का इलाज किया जा सकता है। विशेषज्ञों की रिसर्च रिपोर्ट में भी इस बात को कहा गया है।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

गुलकंद में मैग्नीशियम मौजूद होता है। जो शरीर में ब्लड प्रेशर और ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने हेतु सक्रिय रूप से कार्य करता है। जिससे हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में सहायता मिलती है।

 
याददाश्त के लिए-

गुलकंद का सेवन याददाश्त के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि गुलकंद में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो याददाश्त क्षमता को बेहतर करने के लिए सकारात्मक रूप से कार्य करते हैं।

 
थकान और मानसिक तनाव के लिए-
 

गुलकंद एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होने का साथ, शरीर को ऊर्जावान बनाने का काम करता है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करके मानसिक तनाव को दूर करता है। वहीं इसका शीतल प्रभाव थकान को दूर करने में मदद करता है।

 
त्वचा के लिए-

गुलकंद त्वचा हेतु टॉनिक के रूप में काम करता है। गुलकंद का सेवन मुंहासे, व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स और पिंपल्स जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा गुलकंद खाने से शरीर से सभी तरह के टॉक्सिन निकल जाते हैं जिससे बॉडी का ब्लड साफ होता है।

 
गुलकंद को खाने के तरीके-
  • रात के समय गुलकंद को गर्म दूध के साथ खाया जा सकता है।
  • गुलकंद का सेवन मिठाई या पान में लगाकर भी किया जाता है।
  • गुलकंद का सेवन ब्रेड पर लगाकर किया जा सकता है।
  • गर्मियों में गुलकंद का सेवन पानी के साथ भी किया जा सकता है।
गुलकंद के नुकसान-

गुलकंद को तैयार करने में किसी भी प्रकार के रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसलिए इसके नुकसान न के बराबर होते हैं। पर गुलकंद में स्वाद के लिए चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए मधुमेह से पीड़ित लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

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जामुन के पोषक तत्व, फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

जामुन के पोषक तत्व, फायदे और उपयोग

लोग अपने पसंद के मौसम और उस मौसम के फलों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। ब्लैकबेरी भी वैसा ही एक फल है। जिसे सामान्य भाषा में जामुन कहा जाता है। यह गर्मी के मौसम में शुरू होकर बरसात में मिलने वाला फल है। इस फल का रंग काला या गहरा गुलाबी होता है। जामुन का फल रस और बहुत सारे औषधीय गुणों से युक्त होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य की दृष्टि से आयुर्वेद में भी किया जाता है। आयुर्वेद में जामुन के फल, पत्ते, छाल एवं बीजों अर्थात गुठली का प्रयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। इसके अलावा कुछ घरों में जामुन का उपयोग स्नैक्स (नाश्ते) और सिरके (vinegar) के रूप में भी किया जाता है। जामुन रोजेशिया परिवार से संबंध रखता है। जिसकी ज्यादातर खेती उत्तरी अमेरिका और प्रशांत महासागर वाले क्षेत्र में होती है। जामुन में तमाम पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। जो कई रोगों के इलाज में फायदा करते हैं।

 
जामुन के पोषक तत्व-

रसीले और स्वादिष्ट जामुन में फ्रक्टोज, राइबोफ्लेविन, निकोटिन एसिड, ग्लूकोज, विटामिन-सी, ए, फोलिक एसिड, पोटैशियम सोडियम, फास्फोरस, कैल्शियम, जिंक और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके अलावा जामुन की छाल और शाखाओं में गैलिक एसिड, टैनिन, फाइटोस्टेरॉल, रेसिन आदि प्रभाव मौजूद होते हैं। जो बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसके साथ ही जामुन के बीज में गैलिक एसिड, ग्लाइकोसाइड और जम्बोलिन भी पाए जाते हैं। जो कई रोगों के इलाज में मदद करते हैं।

 
जामुन के फायदे-
एंटी इंफ्लेमेटरी के लिए-

जामुन से संबंधित एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार ब्लैकबेरी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। जो इंफ्लेमेटरी से संबंधित तमाम परेशानियों को दूर करने में मददगार साबित होता है।

 
ओरल हेल्थ के लिए-

जामुन के अर्क को माउथवॉश के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीबैक्टीरियल, और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण मौजूद होते हैं। जो मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करते हैं। इसलिए ब्लैकबेरी का प्रयोग ओरल हेल्थ के लिए किया जा सकता है।

 
फैट कम करने के लिए-

जामुन में एंथोसायनिन प्रभाव मौजूद होता है। जो चर्बी को कम करने में मदद करता है। इसलिए जामुन का सेवन फैट को कम करने में मदद करता है।

 
आंखों के लिए-

जामुन आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन-ए आंखों की रोशनी में सुधार करने का काम करता है। इसके अलावा जामुन में विटामिन-सी, ई और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करते हैं। इसलिए आंखों की अच्छी सेहत के लिए जामुन एक अच्छा विकल्प है।

 
मस्तिष्क के लिए-

जामुन में दिमाग को स्वस्थ रखने वाले कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन पोषक तत्वों में मुख्य रूप से विटामिन सी और कई तरह के पॉलीफेनॉल्स शामिल हैं। जो मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मददगार सिद्ध होते हैं। इसके अलावा जामुन में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। जो उम्र के साथ कमजोर होती याददाश्त को बढ़ाने का काम करते हैं।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

जामुन में एंथोसायनिन और फ्लेवोनॉयड पाए जाते हैं। जो हृदय से जुड़ी समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। इसलिए जामुन का सेवन हृदय स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।

 
हड्डियों के लिए-

जामुन में फेनोलिक पाए जाते हैं। जो हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं। इसलिए हड्डियों की अच्छी सेहत के लिए कई तरह के पोषक तत्वों से युक्त जामुन का सेवन करना एक बेहतर विकल्प है।

 
कैंसर के लिए-

जामुन में एंटी-कैंसर प्रभाव पाया जाता है। जो कैंसर के जोखिमों को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा जामुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री-रेडिकल्स को खत्म करने का काम करते हैं। जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बनता है। इस लिहाज से जामुन का सेवन ब्रेस्ट कैंसर, एसोफैगस कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के खतरों को कम करता है।

 
बालों के लिए-

जामुन में विटामिन- ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, आयरन, जिंक, कैल्शियम और मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में होते हैं। जो बालों को मजबूत बनाने और उनके विकास में सहायता करते हैं। इसलिए जामुन खाने के फायदों में काले, लंबे और घने बाल भी शामिल हैं।

 
त्वचा के लिए-

जामुन के इस्तेमाल से त्वचा को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। क्योंकि जामुन में विटामिन- ए, बी 6, सी, ई और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो त्वचा को जरूरी पोषण देने का काम करते हैं।

 
जामुन का उपयोग-
  • पके हुए जामुन को धोकर सीधे खाया जा सकता है।
  • केक बनाते समय भी उसमें जामुन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • नाश्ते में जामुन का सेवन नट्स के साथ मिलाकर किया जा सकता है।
  • जामुन का सेवन जूस के रूप में भी किया जा सकता है।
  • ब्लैकबेरी को दूध में मिलाकर स्मूदी (Smoothie) बनाई जा सकती है।
जामुन के नुकसान-

जामुन के वैसे तो कोई नुकसान नहीं देखे गए हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में या अधिक मात्रा में इसका उपयोग नुकसानदायक साबित हो सकता है। जैसे-

  • चूंकि जामुन में फाइबर की उच्च मात्रा होती है। इसलिए इसके अधिक सेवन से मतली, उल्टी, और दस्त जैसी परेशानी पैदा हो सकती है।
  • जामुन का अधिक सेवन करने पर बदहजमी या फूड पॉइजन की परेशानी भी हो सकती है।
  • कई बार जामुन बिना ठीक से धोए खाने पर एलर्जी की समस्या हो सकती है।
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शरीर के लिए बेर के फायदे

Posted 24 May, 2022

शरीर के लिए बेर के फायदे

बेर का नाम सुनने पर ही दिमाग में हरे, भूरे और लाल रंग के छोटे-छोटे फलों की इमेज (छवि) याद आती है। जो खाने में नरम और स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं। अपने इसी स्वाद के चलते इनका इस्तेमाल कई रूप में किया जाता है। कहीं पर बेर का अचार तो कहीं पर इसका मुरब्बा (मीठा अचार) बनाया जाता है। बेर खाने में जितना बढ़िया होता है, उससे कहीं ज्यादा सेहत के लिए लाभकारी होता है।

 
क्या होता है बेर?

बेर सर्दी मौसम का फल है। इसलिए इसकी तासीर भी ठंडी होती है। इसका पेड़ कांटों से भरा और पर्णपाती होता है। इस पेड़ पर आने वाले फल थोड़े अंडाकार होते हैं। जो कच्चा रहने तक हरे और आधे पकने पर पीला या नारंगी और पूरे पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। यह फल पकने के बाद थोड़ा झुर्रीदार हो जाता है। जो कुछ-कुछ खजूर जैसा दिखाई देता है। बेर का वानस्पतिक नाम जुज्‍यूब (Ziziphus jujuba) है। जो बकथॉर्न परिवार रमनेसी (Rhamnaceae) का सदस्य है। इसकी पत्तियां हरी और चमकदार होती हैं। इसके फलों की तरह ही इसके फूल भी आकार में बहुत छोटे होते हैं।

 
बेर के फायदे-
प्रतिरक्षा के लिए-

बेर में विटामिन ए, बी 12 और सी के अलावा एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है। जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने का काम करता है।

 
पाचन तंत्र के लिए-

बेर फाइबर का एक बड़ा स्रोत है। जो चयापचय को बूस्ट कर, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने का काम करता है। इसके अतिरिक्त बेर गंभीर कब्ज की स्थिति को ठीक करने की ताकत भी रखता है।

 
वजन कम करने के लिए-

बेर फाइबर का अच्छा स्रोत है। जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्योंकि शरीर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होने पर पेट भरा हुआ लगता है। कारणवश खाने की तीव्र इच्छा नहीं होती। जिससे वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

 
अनिद्रा के लिए-

चीनी चिकित्सा पद्धति में हमेशा से बेर को एक कारगर जड़ी-बूटी के रूप में इस्तेमाल किया गया है। जो मन को शांत करके मानसिक तनाव को दूर करता है। चूंकि बेर में सैपोनिन्स (saponins) नामक तत्व मौजूद होता है। जो नींद के समय में सुधार करने का काम करता है। इसलिए बेर की चाय का उपयोग अनिद्रा को दूर करने के लिए किया जाता है।

 
रक्त प्रवाह के लिए-

बेर के अर्क में रक्त संचार को बढ़ावा देने वाले कई तत्व शामिल हैं। जिसमें से एक नाइट्रिक ऑक्साइड भी है। जो शरीर में रक्त प्रवाह और रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम करता है।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

बेर में फास्फोरस, पोटैशियम, आयरन, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। जो हृदय स्वास्थ्य को लंबे समय तक अच्छा रखने का काम करते हैं। यह पोषक तत्व शरीर में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा यह रक्त कोशिकाओं के विकास के लिए भी जरूरी होते हैं। इस कारण से बेर को हृदय के लिए अच्छा माना जाता है।

 
हड्डियों के लिए-

फास्फोरस और कैल्शियम हड्डियों के निर्माण और उनकी सेहत को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। चूंकि बेर को कैल्शियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए बेर का सेवन करना हड्डियों के लिए अच्छा होता है।

 
सूजन के लिए-

बेर एंटीऑक्सीडेंट, अल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, फेनोलिक एसिड और सैपोनिन्स जैसे तत्वों से भरपूर होता है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा बेर में मौजूद बायो मॉलिक्यूल का प्रभाव भी सूजन को कम करने और रोकने में सहायता करता है।

 
मस्तिष्क विकास के लिए-

बेर में मौजूद न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण दिमाग का विकास कर, उससे जुड़ी तमाम बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा बेर के सेवन से दिमाग की याददाश्त बढ़ती और न्यूरोनल कोशिकाओं की रक्षा होती है।

 
तनाव और चिंता के लिए-

बेर में न्यूरो प्रोटेक्शन गुण पाए जाते हैं। जो दिमाग को शांत कर, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से लड़ने का काम करते हैं। इसलिए इसके अर्क का सेवन चिंता और तनाव को दूर करने में सक्षम होता है।

 
दिमागी दौरे से छुटकारा पाने के लिए-

बेर के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में एंटीकॉन्वल्सेन्ट प्रभाव मौजूद होता है। जो दिमागी दौरे से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा बेर में मौजूद न्यूरो प्रोटेक्शन, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को भी दूर करने में मदद करता है।

 
कैंसर के लिए-

बायो एक्टिव पदार्थ, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कैंसरविरोधी प्रभाव पाए जाते हैं। इसलिए बेर का सेवन कैंसर की रोकथाम के लिए अच्छा होता है।

 
बालों के लिए-

बेर के बीजों से बना एसेंशियल ऑयल बालों की लंबाई बढ़ाने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही उन्हें पोषण देने का काम करता है।

 
त्वचा के लिए-

बेर में विटामिन सी पाया जाता है। जो मुंहासों जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम करता है। यह एक्जिमा के कारण होने वाली खुजली को ठीक करता है। इसके अलावा बेर का तेल त्वचा की सूजन को कम करने में भी मदद करता है।

 
बेर के नुकसान-
  • चूंकि बेर फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। जो कब्ज को ठीक करने में मदद करता है, लेकिन फाइबर की अधिक मात्रा का सेवन पेट की सूजन और गैस का कारण बन सकता है।
  • मधुमेह से पीड़ित लोगों को बेर के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट रक्त में मौजूद शुगर लेवल को और बढ़ा सकता है।
  • जिन लोगों को लेटेक्स से एलर्जी रहती है। उन लोगों को भी बेर के सेवन से बचना चाहिए।
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चुकंदर के फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

चुकंदर के फायदे और उपयोग

चुकंदर एक सुपरफूड है। जो अपने गहरे लाल रंग और स्वास्थ्य लाभों के चलते काफी लोकप्रिय है। शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा एवं सौंदर्य को बढ़ाने और तमाम बीमारियों को ठीक करने के लिए चुकंदर को फायदेमंद माना जाता है। ज्यादातर लोग इसका सेवन सलाद और जूस के रूप में करना पसंद करते हैं। चुकंदर को आयरन और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत समझा जाता है। वहीं इसमें फोलिक एसिड मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, आयोडीन, नाइट्रेट, फास्फोरस, विटामिन सी, विटामिन बी1, बी2 और सोडियम जैसे तत्व मौजूद होते हैं। जो शरीर में रक्त की मात्रा को बढ़ाने, स्टेमिना बढ़ाने, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, मसल्स को मजबूत करने और कई अन्य रोगों को दूर करने में मदद करते हैं। चुकंदर में एक बीटानिन (betanin) नामक पिगमेंट भी पाया जाता है। जो इसे पिंक कलर देता है।

 
क्या है चुकंदर?

चुकंदर एक मूसला जड़ (एक मुख्य केन्द्रीय जड़, जिससे अन्य जड़ें निकली होती है) वाला पौधा है। जो बीटा वल्गैरिस नामक किस्म से संबंध रखता है। इसका अधिकतम उपयोग खाने के साथ सलाद, फूड कलर, जूस और औषधि के रूप में होता है। लेकिन तासीर से ठंडा होने के कारण चुकंदर का ज्यादातर प्रयोग गर्मियों में किया जाता है।

चुकंदर को स्पेनिश में ला रेमोलाचा (la remolacha), चीनी भाषा में हांग कै टू (Hong cai tou) और अंग्रेजी में बीटरूट (Beetroot) कहते हैं। वहीं कुछ जगह इसको “रेड रानी” के नाम से भी जाना जाता है।

 
चुकंदर के फायदे-
आंखों के लिए-

चुकंदर आंखों के लिए लाभकारी होता है। क्योंकि चुकंदर को कई विटामिन और मिनरल्स का खजाना माना जाता है। इसमें विटामिन-सी भी मौजूद है। जो आंखों के लिए बेहद जरूरी और चुकंदर में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

 
दांत और हड्डियों के लिए-

कैल्शियम हड्डियों की मजबूती और शरीर के अन्य अंगों की रक्षा के लिए जरूरी होता है। चूंकि चुकंदर को कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। जो दांत और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए हड्डियों की मजबूती एवं शरीर के अन्य अंगों के लिए चुकंदर का सेवन करना अच्छा होता है।

 
मधुमेह के लिए-

चुकंदर में हाइपोग्लाइमिक गुण मौजूद होते हैं। जो मधुमेह को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इसलिए चुकंदर का सेवन मधुमेह के प्राकृतिक इलाज के रूप में किया जा सकता है।

 
हृदय के लिए-

चुकंदर में नाइट्रेट तत्व पाया जाता है। जो रक्तचाप को सामान्य करके, हृदय रोग और हृदयाघात से बचाने का काम करता है। इसके अलावा चुकंदर में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो हृदय रोग का कारण बनने वाली शरीर की सूजन को कम करते हैं। वहीं इसमें मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स भी लगातार हृदय को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। इसलिए हृदय को स्वस्थ रखने के लिए चुकंदर का इस्तेमाल करना अच्छा होता है।

 
लिवर के लिए-

चुकंदर लिवर को डिटॉक्सिफाई करने का काम करता है। चुकंदर में मौजूद बीटरूट लिवर को होने वाली ऑक्सीडेटिव क्षति को कम करता है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड्स, शरीर के मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए लिवर से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए चुकंदर का सेवन करना चाहिए।

 
उच्च रक्तचाप के लिए-

सही स्वास्थ्य के लिए धमनियों में रक्त के प्रवाह को सामान्य रखना बेहद जरूरी होता है। चूंकि चुकंदर में नाइट्रेट नामक तत्व मौजूद होता है। जो हाई बीपी को कम करने में मदद करता है। इसलिए उच्च रक्तचाप के घरेलू उपचार में चुकंदर के सेवन को भी शामिल किया जाता है। 

 
त्वचा के लिए-

चुकंदर के अर्क में ग्लूकोसिलेरैमाइड (glucosylceramide) नाम का तत्व मौजूद होता है। जो त्वचा की ऊपरी परत को सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए त्वचा को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए चुकंदर के जूस का सेवन करना चाहिए।

 
एनीमिया के लिए-

एनीमिया के समय शरीर में आयरन की कमी होने लगती है। जिसके कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता। ऐसे समय में रोगी को आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। चूंकि चुकंदर को आयरन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए चुकंदर का सेवन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।

 
कैंसर के लिए-

चुकंदर से संबंधित एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार इसमें बीटरूट प्रभाव पाया जाता है। जो शरीर में फेफड़े और स्किन कैंसर को विकसित होने से रोकने का काम करता है। वहीं गाजर और चुकंदर के जूस को मिलाकर पीने से शरीर में ब्लड कैंसर की आशंका भी कम होती है।

 
गर्भावस्था में फायदेमंद-

गर्भावस्था में चुकंदर का सेवन करना लाभकारी होता है। क्योंकि यह फोलेट का अच्छा स्रोत है, जिसे गर्भावस्था के समय जरूरी विटामिन माना जाता है। दरअसल फोलेट भ्रूण के विकास, उसकी रीढ़ व मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। वहीं शिशु में जन्म के दौरान होने वाली विकृतियों की संभावना को भी कम करता है। इसलिए गर्भावस्था में चुकंदर का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा होता है।

 
चुकंदर का उपयोग-
  • चुकंदर को भोजन के साथ सलाद के रूप में खाया जाता है।
  • चुकंदर का जूस निकालकर पिया जाता है।
  • चुकंदर को काटकर, उसपर नींबू और नमक छिड़कर कच्चा भी खाया जाता है।
  • कुछ लोग चुकंदर का सेवन रायते के रूप में करना पसंद करते हैं।
  • कुछ लोग चुकंदर की सब्जी बनाकर भी खाते हैं।
चुकंदर के नुकसान-
  • चूंकि चुकंदर में भरपूर मात्रा में डाइट्री ऑक्सालेट होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन पथरी की समस्या पैदा कर सकता है।
  • कुछ लोगों को चुकंदर में मौजूद बीटरूट से एलर्जी होती है। इसलिए इसके अधिक सेवन से अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चकत्ते), सांस लेने में तकलीफ और नाक व आंखों में दिक्कत हो सकती है।
  • चुकंदर का अधिक सेवन लिवर में मेटल जमा कर सकता है और बीटूरिया (यूरिन का रंग बदलना) का कारण भी बन सकता है।
  • चुकंदर के नुकसान में कलर स्टूल (लाल मल आना) भी शामिल है।
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आम के फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

आम के फायदे और नुकसान

हर कोई आम के सीजन का इंतजार बेसब्री से करता है। इन दिनों बाजारों, गलियों और मोहल्लों में सबसे ज्यादा आम बिकते दिखाई देते हैं। बच्चे हो या बड़े हर कोई आम खाने के लिए हमेशा तैयार रहता है। कहते हैं न मीठी बोली एवं मीठा व्यवहार हर किसी का दिल जीत लेता है, ठीक वैसे ही आम की मीठी खुशबू और मिठास इसे फलों का राजा बनाती है। आम सिर्फ फलों का राजा ही नहीं, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसलिए आम खाने से शरीर स्वस्थ रहता है। आम के साथ इसके पत्ते और छिलके भी फायदेमंद होते हैं। आम के पत्तों को न सिर्फ पूजा-पाठ के दौरान और घर के द्वार में लगाने के लिए उपयोग किया जाता है, बल्कि कई प्रकार की दवाइयां बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। आम का वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिका है और संस्कृत में आम को आम्रः कहा जाता है।

 
आम में मौजूद पोषक तत्व-

आम में पोटेशियम, मैग्नीशियम और कॉपर जैसे खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा आम क्वार्सेटिन, बीटा कैरोटीन और एस्ट्रागालीन का भी बेहतरीन स्रोत है। इन शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने की क्षमता होती है। दरअसल यह फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियां, समय से पहले बुढ़ापा, कैंसर और डिजनरेटिव बीमारियां जन्म लेतीं हैं।

 
आम के फायदे;
वजन को कम करने के लिए-

आम में विटामिन सी एवं फाइबर होता है। जो बॉडी के अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद करता है। दरअसल आम में मौजूद विटामिन सी वसा के जमाव को रोककर चयापचय में सुधार करता है। इसलिए वजन कम करने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में आम को शामिल करना चाहिए।

 
पाचन के लिए-

आम पाचन और गैस जैसी पेट की समस्या के लिए लाभकारी होता है। आम का सेवन डाइजेस्टिव जूस को उत्तेजित कर पाचन क्रिया में सकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है। जिससे शरीर के पाचन तंत्र के कार्य में सुधार होता है।

 
गले की खराश के लिए-

बदलते मौसम या ठंडी-गरम चीजों का सेवन करने से गले में खराश होना एक सामान्य समस्या है। ऐसे में आम का पत्ता काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण गले की खराश एवं गला संबंधित अन्य विकारों को दूर करने का काम करते हैं। इसके लिए आम की पत्तियों का काढ़ा बनाकर, उसमें एक चम्मच मधु डालकर पिएं।

 
गठिया/जोड़ों में दर्द के लिए-

जोड़ों के दर्द और गठिया रोग से पीड़ित लोगों के लिए आम खाना फायदेमंद साबित होता है। क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो गठिया और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में राहत पहुंचाने का काम करते हैं। इसके अलावा आम में ल्यूपाल नामक यौगिक होता है। जो तेज दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।

 
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार आम इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) को बढ़ावा देता। आम में फ्लेवोनोइड और विटामिन सी मौजूद होते हैं। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त आम में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण कई तरह के बैक्टीरिया को दूर कर, शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

 
आंखों के लिए-

शरीर के अन्य अंगों की तरह आंखों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। उम्र के साथ आंखों की रोशनी कम होना सामान्य बात है, लेकिन कम उम्र में ही ऐसा हो, तो इसका मतलब है शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना। खासकर, विटामिन-ए की। जिसका असर आंखों की रोशनी पर पड़ता है। ऐसे में आम का सेवन आंखों को स्वस्थ रखने का काम करता है, क्योंकि इसमें विटामिन-ए पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। इसके अतिरिक्त आम में मौजूद क्रिप्टोजैन्थिन (cryptoxanthin) नामक कैरोटिनॉइड उम्र के साथ होने वाले कमजोर दृष्टि की समस्या को भी कम करने में मदद करता है।

 
दिमाग के लिए-

आम दिमाग को तेज रखने और याददाश्त मजबूत करने में भी मदद करता है। आम में मौजूद बायोएक्टिव घटक दिमाग को स्वस्थ रखता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार आम के अर्क में कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिससे याददाश्त तेज होती है। वहीं, थाईलैंड में हुए एक अन्य अध्ययन में आम में न्यूरोप्रोटेक्टिव (neuroprotective) गुण होने की पुष्टि की गई है।

 
गर्मी से बचाव के लिए-

आम गर्मियों के मौसम का फल है। यह शरीर को गर्मियों में चलने वाली गर्म हवा यानी लू से बचाता है। गर्मी के दिन में पके आम का जूस पीने से गर्मी के प्रकोप से बचा जा सकता है। क्योंकि यह न सिर्फ शरीर को ताजगी देता है बल्कि हाइड्रेट भी करता है। इसके अलावा अधिकांश लोग लू लगने और बुखार आने पर कच्चे आम को उबालकर शरीर पर लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर ठंडा होता है। गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए पके आम के अलावा कच्चे आम का रस भी पीया जा सकता है।

 
ब्लड प्रेशर के लिए-

आम में मौजूद एसिटिक एसिड में एंटी-ह्यपरटेंसिव (Antihypertensive) यानी ब्लड प्रेशर को कम करने वाला गुण होता है। इसलिए संतुलित मात्रा में आम के जूस का उपयोग करके ब्लड प्रेशर के जोखिमों से बचा जा सकता है।

 
ब्लड शुगर के लिए-

आम का इस्तेमाल डायबिटीज के लिए अच्छा होता है। यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा आम में फाइबर और मैगीफेरिन होता है। जिसमें एंटी-डायबिटिक और एंटी-ग्लाइसेमिक प्रभाव होता है। इसी वजह से आम का जूस मधुमेह की समस्या में आराम देने का काम करता है।

 
कोलेस्ट्रॉल के लिए-

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हृदय रोग और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का कारण बनता है। लेकिन इस तरह की बीमारियों से बचने में आम काफी मददगार सबित होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की रिपोर्ट के अनुसार आहार में मौजूद फाइबर और सीरम टोटल कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद करते हैं। इस रूप में आम एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने का काम करता है।

 
खून की कमी यानी एनीमिया के लिए-

सही खान-पान न होने और शरीर को जरूरी पौष्टिक तत्व न मिलने से खून की कमी की समस्या हो सकती है। ऐसे में आम का सेवन लाभकारी होता है। सिर्फ आम नहीं, बल्कि आम का फूल भी खून की कमी में फायदेमंद होता है। क्योंकि आम कई तरह के पौष्टिक तत्वों से भरा होता है। आम में मौजूद विटामिन-सी शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद करता है और एनीमिया की समस्या से राहत दिलाने में सहायक होता है।

 
डायरिया के लिए-

यह लोगों को थोड़ा चौकाने वाली बात है कि डायरिया में आम का सेवन करना हितकर है। कई बार लोग इस दौरान आम का सेवन करने से मना करते हैं, क्योंकि यह गर्म होता है। लेकिन ऐसा नहीं, आम और आम के बीज में एंटी-डायरियल गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा आम के साथ इसके पत्ते भी लाभकारी होते हैं। क्योंकि आम के पत्ते टैनिन से भरपूर होते हैं और डायरिया के इलाज के लिए इसे सुखाकर खाया जा सकता है। इतना ही नहीं कैरेबियाई द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में आम के पत्तों के काढ़े का उपयोग दस्त के इलाज के लिए किया जाता है।

 
संभोग और शुक्राणु के लिए-

आम में कामोत्तेजक (aphrodisiac) गुण पाए जाते हैं। जो संभोग की इच्छा को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आम में मौजूद विटामिन-ई और बीटा-कैरोटीन का मिश्रण शुक्राणुओं को नष्ट होने से बचाने का काम करते हैं।

 
त्वचा के लिए-

आम में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। जो त्वचा संबंधी कई विकारों को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

 
सनबर्न के लिए-

आम का जूस स्किन के pH लेवल को संतुलित रखकर संक्रमण से बचाता है। इसके अतिरिक्त आम को धूप की कालिमा का इलाज करने में भी कारगर माना गया है।

 
बालों के लिए-

बालों को खूबसूरत और चमकदार बनाने के लिए आम का सेवन लाभप्रद होता है। आम में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। जो कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता है और बालों को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इसके अलावा आम में कई ऐसे पौष्टिक तत्व होते हैं। जो बालों को घना और चमकदार बनाते हैं।

 
आम के नुकसान-
  • ज्यादा कच्चे आम का सेवन करने से गैस, उल्टी और पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
  • संवेदनशील स्वास्थ्य वाले लोगों को आम का सेवन करने से एलर्जी या गले में खराश की समस्या हो सकती है।
  • अधिक आम के सेवन से वजन और डायबिटीज दोनों बढ़ सकते हैं।
  • जिन लोगों को गठिया की समस्या है। वह आम का सेवन डॉक्टर के सलाह से करें।
  • कच्चा आम खाने के बाद भूलकर भी दूध न पिएं। आयुर्वेद के अनुसार यह सही नहीं है।
  • गर्भवती महिलाएं, खासतौर पर जिन्हें गर्भकालीन मधुमेह है। वह आम का सेवन चिकित्सक परामर्शानुसार ही करें।
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Banana- A Powerhouse of Nutrients for Health, Skin and Hair

Posted 16 December, 2021

Banana- A Powerhouse of Nutrients for Health, Skin and Hair

Banana is a fruit that is categorized under tasty and beneficial fruits. It is a spring fruit which is easily available throughout the year. Bananas are more commonly used to fill the stomach immediately. Apart from this, banana intake is also an easy remedy for upset stomach and weight loss. This is the reason why young people consume bananas after gym workouts in the morning. It helps to build the body and relieve fatigue. Apart from this, the consumption of bananas helps in many diseases like stress, constipation, diarrhea, and blood pressure.

 

Benefits of Banana for Health

For weight loss-

Bananas are rich in fiber which works to fill the stomach without increasing calories in the body. Apart from this, bananas also contain resistant starch which helps in controlling weight.

 

For Digestion-

The fiber present in bananas helps in keeping the digestive system healthy due to which the food is digested properly.. Apart from this, fiber also helps in other stomach problems like constipation.

 

For immunity-

Strong immunity helps fight disease and infection. Since bananas are loaded with carotenoids which is the main source of Vitamin-A. It works by strengthening the vitamin-A immune system. Therefore, it is good to consume bananas to increase the body's immunity.

 

For high blood pressure and cardiovascular health-

Bananas contain abundant potassium which reduces hypertension by relaxing the blood vessel walls. Apart from this, potassium also helps in relieving heart attack, stroke and other cardiovascular diseases.

 

For diabetes-

Banana is a unique blend of many bioactive compounds including fiber, starch, vitamins, minerals, phytochemicals and antioxidants which works in type 2 diabetes. Apart from this, bananas also contain potassium which plays an important role in the treatment and prevention of diabetes.

 

For bones-

Bananas are rich in calcium which plays an important role in the development and strengthening of bones. Apart from this, magnesium present in bananas is also a special nutrient which works to increase the growth of bones and the flow of calcium in the body.

 

For anemia-

Lack of folate in the body leads to a lack of red blood cells due to which the body becomes anemic. Folates play an important role in the formation of red blood cells. Since bananas are full of folate, it is good to eat bananas to avoid anemia.

 

For diarrhea-

Banana is effective for diarrhea because it is rich in fiber which helps relieve diarrhea by controlling the bowel movement. Therefore, eating bananas is good during diarrhea.

 

For brain-

Banana is rich in vitamin B6 which improves the functioning of the brain. Apart from this, magnesium is also abundant in bananas which works to keep the brain healthy by having a positive effect on the nervous system.

 

For eyes-

Bananas also contain carotenoids along with all the nutrients which is also known as Vitamin-A. This vitamin-A is very important for the eyes because it helps to increase the pigments in the retina of the eyes and to see clearly even in low light. Therefore, bananas are a good option for eye health.

 

For Insomnia-

Consuming bananas leads to good sleep because it increases the production of serotonin and melatonin in the body which are helpful in getting better and adequate sleep. Apart from this, the magnesium present in bananas works to relax the muscles.

 

For teeth whitening-

Banana peel is an effective home remedy to whiten teeth. Rubbing the banana peel on the teeth three to four times a week brightens the teeth.

 

For menstruation-

Lack of potassium in the body can cause stomach cramps. Since potassium is present in bananas which helps in relieving stomach cramps at the time of menstruation. Apart from this, bananas are also rich in vitamin B6 which helps to regulate menstruation.

 

Benefits of Banana for Skin

Keep the skin moisturized-

Banana works as an excellent natural moisturizer on the skin because bananas are rich in carotenoids which moisturize dry and dull skin quickly.

 

How to use

Finely mash a ripe banana and apply it on the entire face, except for the eyes. After about 20-25 minutes wash the face with lukewarm water. If your skin is very dry, use honey mixed with banana.

 

For glowing skin-

Bananas are an effective way to make the skin glow because the antioxidants in bananas work to protect the skin from the harmful ultraviolet rays of the sun.

 

How to use

After mashing half-ripe banana, mix one teaspoon of sandalwood paste and one-fourth teaspoon of honey in it and apply the mixture on the face and neck. Now after about 20-25 minutes wash the face with lukewarm water.

 

For anti aging-

Bananas contain plenty of vitamin-A and vitamin-C in the form of niacin, riboflavin, thiamine and folic acid. Vitamin-A is considered effective for preventing signs of aging. It works to remove wrinkles by increasing the collagen in the skin.

 

How to use

Mash one quarter ripe banana, mix one to two teaspoons of rose water in it and apply it on your face and neck. After about thirty minutes, wash the face with normal water. Do it two to three times a week.

 

For pimples and swollen eyes-

Banana peels are used to reduce pimples and swelling around the eyes because its peel has antibacterial properties. These work to provide relief from pimples.

 

How to use

Rub the affected area with the inside portion of the banana peel for some time and wash it off with clean water afterwards.

 

For dead skin cells-

Bananas are rich in antioxidants which work to remove dead cells from the skin.

 

How to use

Finely mash a ripe banana, add a spoonful of sugar to it. Now apply the scrub on the face and neck and scrub for a while with the help of fingers. Later, wash the face with lukewarm water.

 

For beauty sleep-

Adequate sleep is very important for good skin. Therefore, bananas should be eaten daily to take good care of the skin. Consuming bananas leads to good sleep because eating bananas increases the production of serotonin and melatonin in the body which are helpful in getting better and adequate sleep. Apart from this, the magnesium present in bananas works to relax the muscles.

 

How to use

Consume one banana daily about one and a half hours before bedtime.

 

Benefits of Banana for Hair

For hair growth-

Hair growth is stunted due to lack of proper nutrition and as a result, hair starts falling prematurely. Due to lack of iron and fatty acids, hair starts to fall or fall. In such a situation, the use of bananas can be very beneficial for hair because bananas are an excellent source of iron and fatty acids.

 

How to use

Take at least one banana daily for breakfast. Apart from this, you can also make the following banana hair masks-

 

For shiny hair-

After mixing a quarter cup of olive oil and one egg white in a ripe banana, apply the mixture on the hair and after 15 minutes wash the hair with shampoo.

 

For soft hair-

After thoroughly mashing a ripe banana with avocado, adding a teaspoon of olive oil to it, apply the mixture well on the hair and scalp. After this, cover the hair with a hair cover for 15 minutes and then wash hair thoroughly with shampoo.

 

For damaged hair-

Mix half a teaspoon of almond oil in a ripe banana, apply the mixture well on the hair and scalp and wash the hair after 10 to 15 minutes with the help of shampoo and conditioner.

 

For strong hair-

Mix two to three teaspoons of curd in a ripe banana. Apply the paste well on the scalp and wash the hair after 15-20 minutes with the help of shampoo.

 

For dry hair-

Mix two to three teaspoons of curd in a ripe banana. Apply the mixture well on the hair and scalp. After 15-20 minutes, wash the hair with the help of shampoo and conditioner.

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बेल के उपयोग एवं फायदे

Posted 24 May, 2022

बेल के उपयोग एवं फायदे

बेल एक सामान्य सा फल है। हिंदू धर्म में बेल और इसके पेड़ को पवित्र माना गया है। बेल का नाम सुनते ही सबसे पहले इसका जूस जहन में आता हैं। जो गर्मियों के दिनों में सड़क किनारे देखने को मिलता है। इस फल को केवल जूस के रूप में ही नहीं बल्कि सामान्य रूप से खाया भी जा सकता है। बेल को गोल्डन सेब, कड़वा नारंगी, पत्थर सेब या लकड़ी सेब के नाम से भी जाना जाता है। बेल में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो मोटापा, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। इसलिए इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता हैं।

 
क्या है बेल?

बेल एक तरह का फल है। जिसका बाहरी आवरण बेहद कठोर और गोल होता है। कच्चा रहने तक यह फल हरे रंग की सख्त परत से ढका रहता है और पकने पर यह पीले रंग का हो जाता है। जबकि इसकी बाहरी परत सख्त ही रहती है। बेल के अंदर पौष्टिक, सुगंधित, मीठा और रेशेदार गूदा होता है।

बेल का वैज्ञानिक नाम एगेल मार्मेलोस (Aegle Marmelos) है और अंग्रेजी में इसे वुड एप्पल और बिल्व बोला जाता है। बेल प्रकृति द्वारा दिया गया एक नायाब उपहार है। क्योंकि इसके पेड़ के हर एक हिस्से का प्रयोग औषधीय और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए किया जाता है।

 
बेल के फायदे-
गैस्ट्रिक अल्सर के लिए-

गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने के लिए बेल का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है। क्योंकि बेल में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने में मदद करते हैं।

कॉलरा के लिए-

कॉलरा को दस्त का मुख्य कारण माना जाता है। जोकि एक बैक्टीरियल संक्रमण है। इससे बचाव के लिए बेल को अच्छा माना गया है। क्योंकि बेल में एंटी-डायरिया गतिविधि होती है। जो कॉलरा के जोखिम को प्रभावी रूप से कम करती है।

 
सिरदर्द के लिए-

बेल में विटामिन-सी की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जो माइग्रेन (सिरदर्द की एक स्थिति) रोगियों में न्यूरोजेनिक सूजन को ठीक करने का काम करती है। इसलिए सिरदर्द के लिए बेल का सेवन अच्छा माना जाता है।

 
उल्टी के लिए-

उल्टी की समस्या होने पर बेल की जड़ से बने काढ़े का सेवन करना चाहिए है। क्योंकि बेल जड़ के काढ़े में एंटीबायोटिक क्रिया होती है। जो मतली और उल्टी के उपचार में मददगार साबित होती है।

 
आंखों के लिए-

आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए बेल का सेवन करना फायदेमंद होता है। क्योंकि बेल में विटामिन-ए की अच्छी मात्रा पाई जाती है। जो आंखों की रोशनी को बेहतर करने में मदद करती है।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

बेल को कार्डियोप्रोटेक्टिव का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। जो कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट की तरह सक्रिय रूप से कार्य करके हृदय को तमाम बीमारियों से बचाने का काम करता है। इसलिए ऐसे समय में बेल फल के गूदे का सेवन जरूर करना चाहिए।

 
मधुमेह के लिए-

मधुमेह के समय बेल का जूस पीना अच्छा रहता है। क्योंकि बेल में एंटी-डायबिटिक गुण होता है। जो मधुमेह और इसके जोखिमों को कम करने में मददगार साबित होता है।

 
बालों के लिए-

वैज्ञानिक मत अनुसार शरीर में आयरन और जिंक की कमी से बाल झड़ने की समस्या शुरू होती है। चूंकि बेल में आयरन और जिंक मौजूद होते हैं। इसलिए इसके सेवन से बालों का गिरना या झड़ना कम हो जाता है।

 
रूसी के लिए-

रूसी की समस्या को कम करने के लिए बेल का सेवन करना, एक अच्छा उपाय है। क्योंकि रूसी की समस्या को कम करने हेतु जिंक को जरूरी तत्व माना जाता है। जोकि बेल में पर्याप्त मात्रा में होता है। इसलिए बेल के सेवन से बालों की रूसी को खत्म किया जा सकता है।

 
सूजन के लिए-

कभी-कभी चोट लगने से शरीर के किसी अंग में सूजन आने लगती है। जिसे बेल के सेवन से रोका जा सकता है। क्योंकि बेल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो सूजन और उसके असर को कम करने का काम करते हैं।

 
पीलिया के लिए-

पीलिया होने का मुख्य कारण लिवर की सूजन होती है। इसलिए पीलिया से बचाव के लिए बेल को अच्छा माना गया है। क्योंकि एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक बेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो लिवर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 
बवासीर के लिए-

बवासीर की मुख्य वजह कब्ज और लो फाइबर डाइट है। चूंकि बेल को कब्ज का इलाज करने और फाइबर का अच्छा स्रोत माना गया है। इसलिए इसका सेवन बवासीर से होने वाले जोखिमों को कम करने की ताकत रखता है।

 
एनीमिया के लिए-

एनीमिया होने पर शरीर के रक्त में रेड ब्लड सेल्स की कमी होने लगती है। एनीमिया का मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी का होना है। चूंकि बेल में आयरन की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। इसलिए इसको एनीमिया के लिए अच्छा माना जाता है।

 
टीबी रोग के लिए-

एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार बेल में एंटी-माइक्रोबियल क्रिया होती है। जो टीबी रोगी के शरीर में प्रभावी रूप से कार्य करते हुए एम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग के जिम्मेदार बैक्टीरिया) और इसके दुष्प्रभाव को कम करने का काम करती है।

 
बेल का उपयोग-
  • पके हुए बेल के गूदे को सीधे खाया जा सकता है।
  • इसके गूदे का जूस बनाकर, पिया जा सकता है।
  • बेल फल का शरबत बनाकर, पिया जा सकता है।
  • बेल का मुरब्बा बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
 
बेल के नुकसान-
  • चूंकि बेल में शुगर की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन टाइप 2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।
  • चूंकि बेल में फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है। इसलिए किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चूंकि बेल में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।
  • बेल के गूदे का सेवन करते समय इसके बीजों अच्छे से निकाल लेना चाहिए। अन्यथा वह गले में फंस सकते हैं।
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केले के फायदे सेहत, त्वचा और बालों के लिए

Posted 24 May, 2022

केले के फायदे सेहत, त्वचा और बालों के लिए

केला एक ऐसा फल है, जिसकी गिनती चुनिंदा स्वादिष्ट और गुणकारी फलों में होती है। यह एक बहारों माहसी फल है, जो पूरे वर्ष भर बड़ी आसानी से मिल जाता है। केले का अधिक इस्तेमाल तुरंत पेट भरने के लिए किया जाता है। इसके अलावा पेट खराब होने और वजन घटाने के लिए भी केले का सेवन एक सुलभ उपाय है। यही वजह है कि सुबह मॉर्निंग वॉक करते हुए, जिम करने के बाद युवा लोग केले का सेवन करते हैं। जिससे बॉडी बनाने और थकान दूर करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा केले का सेवन तनाव, कब्ज, दस्त, ब्लड प्रेशर जैसी तमाम बीमारियों में फायदा करता है।

 
सेहत के लिए केले के फायदे-
वजन घटाने के लिए-

वजन कम करने के लिए उच्च फाइबर डाइट की जरूरत होती है। चूंकि केला फाइबर से भरपूर होता है। जो शरीर में बिना कैलोरी बढ़ाए पेट भरने का काम करता है। इसके अलावा केले में रेसिस्टेंट स्टार्च भी होता है। जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

 
पाचन के लिए-

केले में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है। जिससे भोजन अच्छे से पच जाता है और मल निकासी की प्रक्रिया सरल हो जाती है। इसके अतिरिक्त फाइबर कब्ज जैसी पेट संबंधी अन्य परेशानियों में भी लाभ करता है। केले में रेसिस्टेंट स्टार्च भी पाया जाता है। जो पेट के लिए काफी लाभकारी होता है।

 
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

मजबूत प्रतिरोधक क्षमता बीमारी और संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। चूंकि केला कैरोटिनॉइड से प्रचुर होता है। जो विटामिन-ए का मुख्य स्रोत है। यह विटामिन-ए इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। इसलिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए केले का सेवन करना अच्छा रहता है।

 
उच्च रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य के लिए-

केले में प्रचुर मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। जो रक्त वाहिकाओं की दीवारों को आराम पहुंचाकर उच्च रक्तचाप को कम करता है। इसके अलावा पोटैशियम दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों को दूर करने में भी मदद करता है।

 
डायबिटीज के लिए-

केला फाइबर, स्टार्च, विटामिन, खनिज, फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट सहित कई बायोएक्टिव कंपाउंड का अनूठा मिश्रण है। जो टाइप 2 डायबिटीज से लड़ने का काम करता है। इसके अलावा केले में पोटैशियम भी होता है। जो मधुमेह के इलाज और बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 
हड्डियों के लिए-

केला कैल्शियम से समृद्ध होता है। जो हड्डियों के विकास और मजबूती में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा केले में मौजूद मैग्नीशियम भी एक खास पोषक तत्व है। जो हड्डियों के विकास और शरीर में कैल्शियम के प्रवाह को बढ़ाने का काम करता है।

 
एनीमिया के लिए-

शरीर में फोलेट की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है। जिससे शरीर को एनीमिया का रोग लग जाता है। दरअसल फोलेट ही लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूंकि केला फोलेट से भरपूर होता है। इसलिए एनीमिया से बचाव के लिए केले का सेवन करना अच्छा होता है।

 
डायरिया के लिए-

केला डायरिया के लिए एक कारगर औषधि है। क्योंकि यह फाइबर से भरपूर होता है। जो फाइबर बाउल मूवमेंट को नियंत्रित करके डायरिया से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसलिए डायरिया के समय केले का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है।

 
मस्तिष्क के लिए-

केला विटामिन-बी6 से भरपूर होता है। जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर करता है। इसके अलावा केले में मैग्नीशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। जो नर्वस सिस्टम पर प्रभावी असर डालकर मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का काम करता है।

 
तनाव के लिए-

केले में पोटैशियम मौजूद होता है। जो रक्तचाप को नियंत्रित कर तनाव को दूर करने का काम करता है। इसके अलावा केले में विटामिन-बी भी होता है। जो व्यावसायिक तनाव (Occupational stress) को कम करके कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

 
आंखों के लिए-

केले में तमाम पोषक तत्वों के साथ कैरोटिनॉइड भी मौजूद होता है। जिसे विटामिन-ए के रूप में जाना जाता है। यह विटामिन-ए आंखों के लिए बेहद जरूरी होता है। क्योंकि यह आंखों के रेटिना में पिगमेंट को बढ़ाने और कम रोशनी में भी साफ देखने में मदद करता है। इसलिए आंखों के स्वास्थ्य के लिए केले का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है।

 
अनिद्रा के लिए-

केले का सेवन करने से अच्छी नींद की प्राप्ति होती है। क्योंकि केला खाने से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ जाता है। जो बेहतर और पर्याप्त नींद लेने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा केले में मौजूद मैग्नीशियम मांसपेशियों को आराम देने का काम करता है।

 
दांतों की सफेदी के लिए-

दांतों के पीलेपन को हटाने के लिए केले का छिलका एक कारगर घरेलू नुस्खा है। हफ्ते में तीन-चार बार केले के छिलके को दांतों पर रगड़ने से दांत साफ हो जाते हैं।

 
मासिक धर्म के लिए-

शरीर में पोटैशियम की कमी होने से पेट में ऐंठन की समस्या हो सकती है। चूंकि केले में पोटैशियम मौजूद होता है। जो मासिक धर्म के समय पेट की ऐंठन से निजात दिलाने में सहायता करता है। इसके अलावा केला विटामिन-बी6 से भी भरपूर होता है। जो मासिक धर्म को सरल बनाने में मदद करता है।

 
त्वचा के लिए केले के फायदे-
त्वचा को रखे मॉइस्चराइजर-

केला त्वचा पर बेहतरीन प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में काम करता है। क्योंकि केला कैरोटिनॉइड से भरपूर होता है। जो शुष्क और सुस्त त्वचा को शीघ्र मॉइस्चराइज करता है।

 

कैसे करें इस्तेमाल: एक पके हुए केले को अच्छे से मैश करके, उसे आंखों को छोड़कर पूरे चेहरे पर लगा लें। लगभग 20-25 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। यदि आपकी त्वचा ज्यादा शुष्क है, तो केले में शहद मिलाकर इस्तेमाल करें।

अर्थात एक पके हुए केले को अच्छे से मैश करके, उसमें एक चम्मच दही और एक चम्मच विटामिन-ई ऑयल जैसे आलमंड ऑयल को मिलाकर पूरे चेहरे पर लगा लें। लगभग 20-25 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।

 
चमकती त्वचा के लिए-

त्वचा को चमकदार बनाने हेतु केला एक कारगर उपाय है। क्योंकि केले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों बचाने का काम करते हैं।

 

कैसे करें इस्तेमाल: आधे पके हुए केले को अच्छे से मैश करके, उसमें एक चम्मच चंदन पेस्ट और एक चौथाई चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण को चेहरे व गर्दन पर लगाएं। अब लगभग 20-25 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धोएं।

 
एंटी एजिंग के लिए-

केले में नियासिन, राइबोफ्लेविन, थायमिन और फोलिक एसिड के रूप में विटामिन-ए और विटामिन-सी की भरपूर मात्रा होती है। विटामिन-ए को एक कारगर एंटी एजिंग माना जाता है। जो त्वचा में कोलेजन को बढ़ाकर झुर्रियों को दूर करने का काम करता है।

 

कैसे करें इस्तेमाल: एक चौथाई पके हुए केले को मैश करके, उसमें एक से दो चम्मच गुलाब जल मिलाकर चेहरे और गले पर लगाएं। लगभग तीस मिनट बाद चेहरे को हल्के ठंडे पानी से धो लें। इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो से तीन बार किया जा सकता है।

 
मुंहासे और सूजी हुई आंखों के लिए-

केले के छिलके का इस्तेमाल बढ़ते मुंहासों और आंखों के आसपास की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। क्योंकि इसके छिलके में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जो त्वचा को मुंहासे और सूजन से आराम दिलाने का काम करते हैं।

 

कैसे करें इस्तेमाल: केले के छिलके के अंदर वाले भाग से प्रभावित जगह को कुछ देर रगड़ें और बाद में साफ पानी से धो लें।

 
त्वचा की मृत कोशिकाओं के लिए-

केले के उपयोग से त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाया जा सकता है। क्योंकि केला एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। जो त्वचा से डेड सेल्स को हटाने का काम करता है।

 

कैसे करें इस्तेमाल: एक पके हुए केले को अच्छे से मैश करके, उसमें एक चम्मच चीनी मिलाएं। अब स्क्रब को चेहरे और गर्दन पर लगाकर उंगलियों की मदद से कुछ देर स्क्रबिंग करें। बाद में गुनगुने पानी से चेहरे को धोएं।

 
ब्यूटी स्लिप के लिए-

पर्याप्त नींद अच्छी त्वचा के लिए बेहद जरूरी होती है। इसलिए त्वचा का अच्छे से ध्यान रखने के लिए रोजाना केला खाना चाहिए। केले का सेवन करने से अच्छी नींद की प्राप्ति होती है। क्योंकि केला खाने से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ जाता है। जो बेहतर और पर्याप्त नींद लेने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा केले में मौजूद मैग्नीशियम मांसपेशियों को आराम देने का काम करता है।

 

कैसे करें इस्तेमाल: प्रतिदिन सोने से करीब डेढ़ घंटे पहले एक केले का सेवन जरूर करें।

 
बालों के लिए केले के फायदे-
बालों के विकास के लिए-

बालों को ठीक पोषण न मिलने की वजह से उनका विकास रुक जाता है। और परिणामस्वरूप बाल समय से पहले गिरने लगते हैं। दरअसल आयरन और फैटी एसिड की कमी के कारण बालों का गिरना या झड़ना शुरू होता है। ऐसे में केला का इस्तेमाल बालों के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। क्योंकि केला आरयन और फैटी एसिड का एक बेहतरीन स्रोत है।।

 

कैसे करें इस्तेमाल: नाश्ते के रूप में प्रतिदिन कम से कम एक केला का सेवन जरूर करें। इसके अलावा आप केले के निम्नलिखित हेयर मास्क भी अपना सकते हैं

 
चमकदार बालों के लिए-

एक पके हुए केले में एक चौथाई कप जैतून का तेल और एक अंडे की सफेदी को अच्छे से मिलाकर, मिश्रण को बालों पर लगाएं और 15 मिनट बाद बालों को शैम्पू या कंडीशनर से धो लें।

मुलायम बालों के लिए-

एक पके हुए केले को एवोकाडो के साथ अच्छे से मैश करके, इसमें एक चम्मच जैतून का तेल मिलाकर, मिश्रण को बालों और स्कैल्प (खोपड़ी) पर अच्छे से लगाएं। इसके बाद बालों को हेयर कवर से 15 मिनट के लिए ढक दें। और फिर बालों को शैंपू से अच्छे से धो लें।

क्षतिग्रस्त बालों के लिए-

एक पके हुए केले में आधा चम्मच बादाम तेल मिलाकर, मिश्रण को बालों और स्कैल्प पर अच्छे से लगाएं और 10 से 15 मिनट बाद बालों को शैंपू व कंडीशनर की मदद से धो लें।

मजबूत बालों के लिए-

एक पके हुए केले में दो-तीन चम्मच दही मिलाकर, पेस्ट को स्कैल्प (खोपड़ी) पर अच्छे से लगाएं और 15-20 मिनट बाद बाल को शैंपू की मदद से धो लें।

सूखे बालों के लिए-

एक पके हुए केले में दो-तीन चम्मच दही मिलाकर, मिश्रण को बालों और स्कैल्प पर अच्छे से लगाएं और 15-20 मिनट बाद बाल को शैंपू व कंडीशनर की मदद से धो लें।

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जानें, खुबानी के फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

जानें, खुबानी के फायदे और उपयोग

खुबानी एक प्रकार का फल है। जो अपने खूबसूरत आकार और खट्टे-मीठे स्वाद के चलते विश्वभर में प्रसिद्ध है। खुबानी में मौजूद तमाम पौष्टिक तत्वों के चलते इसे कई व्यंजनों और फ्रूट्स डाइट में शामिल किया जाता है। खुबानी में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर और फास्फोरस जैसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। इसके अलावा खुबानी को फाइबर का भी अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए इसका सेवन आंखों, त्वचा, हृदय, पाचन, बुखार, रक्तचाप जैसी बीमारियों में फायदेमंद होता है।

 
खुबानी क्या है?

खुबानी एक बीज युक्त फल है। जिसका वैज्ञानिक नाम प्रूनस आर्मेनियाका (Prunus Armeniaca) और अंग्रेजी का नाम एप्रीकॉट (apricot) हैं। खुबानी कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल ब्रेकफास्ट से लेकर स्वादिष्ट और मसालेदार भोजन बनाने में किया जा सकता है। इसका छिलका काफी मुलायम होता है।

 
खुबानी के फायदे-
पाचन के लिए-

खुबानी में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। जो पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। खुबानी कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं को दूर कर, शरीर से मल निकालने में सहायता करता है।

 
बुखार के लिए-

खुबानी में एंटीपायरेटिक गुण पाया जाता है। जो बुखार को कम करने में मददगार साबित होता है। इसलिए सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्या होने पर खुबानी का इस्तेमाल करना एक अच्छा विकल्प है।

 
वजन कम करने के लिए-

खुबानी वजन कम करने हेतु मददगार साबित होती है। एक रिसर्च के मुताबिक, खुबानी में मौजूद फाइबर सेटाइटी (Satiety) हार्मोन को रिलीज करता है। जिससे पेट को तृप्ति (Satisfaction) का एहसास होता है और बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती। परिणामस्वरूप वजन बढ़ने की आशंका कम हो जाती है।

 
कान दर्द के लिए-

खुबानी में कई प्रकार के एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं। जो कान दर्द के अलावा अन्य दर्द से भी राहत दिलाते हैं।

 
रक्तचाप के लिए-

खुबानी में मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इसलिए खुबानी का सेवन रक्तचाप की समस्या को दूर करने के लिए किया जा सकता है।

 
द्रव संतुलन के लिए-

गर्मी के दिनों में शरीर में द्रव असंतुलित होने पर हाइड्रेशन, डिहाइड्रेशन और ओवरहाइड्रेशन की समस्या होती है। जिसका मुख्य कारण शरीर में पानी, सोडियम और पोटैशियम की मात्रा में असंतुलन होता है। क्योंकि यह तीनों शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में काम करते हैं और द्रव संतुलन को बनाए रखते हैं। इसलिए खुबानी का सेवन शरीर में तरल पदार्थ को बनाए रखने में मदद करता है। क्योंकि इसमें पानी, सोडियम और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है। जो शरीर में फ्लूड बैलेंस को बनाए रखते हैं।

 
सूजन के लिए-

खुबानी के सेवन से सूजन को कम किया जा सकता है। क्योंकि खुबानी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है। जो शरीर की सूजन को कम करने का काम करता है। वहीं खुबानी बीज के अंदर का खाद्य हिस्सा, पेट की सूजन को कम करता है।

 
एनीमिया के लिए-

शरीर में आयरन और फोलेट जैसे पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से एनीमिया होता है। एनीमिया होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती हैं। जिससे अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। चूंकि खुबानी को फोलेट और आयरन से समृद्ध माना जाता है। इसलिए इसे एनीमिया की डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है। इस तरह खुबानी को एनीमिया के लिए फायदेमंद माना जाता है।

 
हृदय रोग के लिए-

खुबानी में फेनोलिक नामक फाइटोकेमिकल्स होता है। यह फेनोलिक कंपाउंड शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं। जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके कार्डियो प्रोटेक्टिव पर सकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं। जिससे हृदय संबंधी रोगों (कार्डियोवस्कुलर डिजीज) से बचा जा सकता है। इस रूप में खुबानी का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है।

 
दृष्टि सुधार के लिए-

बढ़ती उम्र और अन्य शारीरिक समस्याओं के कारण अधिकांश लोगों में 40 के बाद आंखों की रोशनी में कमी आने लगती है। जिसका मुख्य कारण है- शरीर में पोषण की कमी। क्योंकि शरीर में बीटा कैरोटीन नामक तत्व की कमी के कारण आंखें कमजोर और बीमारी की गिरफ्त में आने लगती हैं। और चूंकि खुबानी में β-कैरोटीन की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। इसलिए आंखों से संबंधित परेशानी में खुबानी एक अच्छा विकल्प है।

 
हड्डियों के लिए-

खुबानी में पोटैशियम और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा सूखी खुबानी में कैल्शियम और फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में होता है। जो हड्डियों के लिए बेहद जरूरी तत्व हैं। इसलिए हड्डियों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए खुबानी और सूखी खुबानी दोनों का सेवन करना चाहिए।

 
त्वचा के लिए-

खुबानी में मौजूद एंटी-एजिंग गुण, त्वचा को समय से पहले बूढ़ा होने बचाने और बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसे फाइन लाइन्स और झुर्रियां को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा की सूजन (Skin inflammation) को कम करने का काम करता है। इसलिए त्वचा के लिए भी खुबानी फायदेमंद होती है।

 
मसल्स निर्माण के लिए-

मांसपेशियों के रखरखाव और उनके विकास के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी तत्व होता है। चूंकि ड्राई खुबानी में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसलिए सूखी खुबानी का सेवन मसल्स निर्माण के लिए किया जा सकता है।

 
बालों के लिए-

बालों की ग्रोथ के लिए आयरन जैसे कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। और चूंकि खुबानी में आयरन समेत कई भरपूर खाद्य सामग्रियां मौजूद होती हैं। जो शरीर में आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी को दूर करके बालों की ग्रोथ में मदद करती हैं। इसलिए खुबानी को बालों के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

 
खुबानी का उपयोग-
  • खुबानी को धोकर फल की तरह खाया जा सकता है।
  • खुबानी का सेवन मिल्क शेक में मिलाकर किया जा सकता है।
  • खुबानी को सुखाकर भी खाया जा सकता है।
  • खुबानी को दही में मिलाकर सुबह के नाश्ते के रूप में खाया जा सकता है।
  • खुबानी के बीज में एक बादाम के आकार का खाद्य हिस्सा होता है। उसे भी खाया जा सकता है।
 
खुबानी के नुकसान-
  • खुबानी के कुछ टॉक्सिक इफेक्ट हो सकते हैं। इसलिए बच्चों को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हें विषाक्तता की समस्या हो सकती है।
  • सूखी खुबानी को अच्छे से चबाकर खाएं। अन्यथा यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या पैदा कर सकती है।
  • जिन लोगों को खुबानी या सूखी खुबानी से एलर्जी हो, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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Benefits and Uses of Beetroot

Posted 20 December, 2021

Benefits and Uses of Beetroot

Beetroot is a superfood which is quite popular due to its deep red color and health benefits. Beetroot is considered beneficial to increase the amount of hemoglobin in the body and to cure all diseases. Most people like to consume it in the form of salads and juices. It is considered a good source of iron and antioxidants. At the same time, it also contains elements like folic acid magnesium, calcium, potassium, iodine, nitrate, phosphorus, vitamin C, vitamin B1, B2 and sodium which help to increase stamina, blood in the body, control blood pressure, strengthen muscles and cure many other diseases. A pigment called betanin is also found in beet which gives it pink color.

 
What is Beetroot?

Beetroot is a plant with pestle root (a main central root from which other roots originate) which belongs to a variety called Beta vulgaris. It is mostly used in the form of salad, food color, juice and medicine but beetroot is mostly used in summer due to its cooling effect.

Beetroot is called la remolacha in Spanish, Hong cai tou in Chinese and Chukandar in Hindi. In some places, it is also known as Red Queen.

 
Benefits of Beetroot
For eyes-

Beetroot is beneficial for the eyes because it is considered a treasure of many vitamins and minerals. Vitamin-C is also present in it which is very important for the eyes.

 
For teeth and bones-

Calcium is necessary to strengthen bones and protect other organs of the body. Since beetroot is considered a good source of calcium, it helps to keep teeth and bones strong. Therefore, it is good to eat beet for the strength of bones and other parts of the body.

 
For diabetes-

Beetroot has hypoglycemic properties which helps to control diabetes. So beet can be consumed as a natural cure for diabetes.

 
For heart-

The nitrate element is found in beet which works by normalizing blood pressure, protecting against heart disease and heart attack. In addition beet has antiinflammatory properties which reduce the inflammation of the body that causes heart disease. The vitamins and minerals present in beetroot also works to keep the heart healthy.

 
For liver-

Beetroot detoxifies the liver. It helps to reduce the oxidative damage to the liver. In addition, the flavonoids found in it help in maintaining the metabolism of the body. Therefore, beetroot should be consumed to avoid liver-related problems.

 
For high blood pressure-

For proper health, it is very important to keep the blood flow in the arteries normal. Since beet contains an element called nitrate which helps reduce high BP. Therefore, the use of beetroot is also included in home remedies for high blood pressure.

 
For skin-

Beet extract contains an element called glucosylceramide which provides protection to the upper layer of skin. Therefore, beet juice should be consumed to keep the skin healthy for a long time.

 
For anemia-

In anemia, there is a deficiency of iron in the body due to which red blood cells are not produced in the body. In such a situation, the patient is advised to take  iron-rich foods. Since beetroot is considered a good source of iron, it works by transporting oxygen to various parts of the body by making red blood cells in the body.

 
For cancer-

According to a research report related to beetroot, it has certain properties which works to prevent lung and skin cancer from developing in the body. Drinking carrot and beet juice together also reduces the risk of blood cancer in the body.

 
Beneficial in pregnancy-

Beetroot is beneficial during pregnancy because it is a good source of folate, which is considered an essential vitamin during pregnancy. Folate helps in the development of the fetus, its spine and brain and also reduces the chances of malformations in the baby during birth. That's why taking beetroot during pregnancy is good for health.

 
Uses of Beetroot
  • Beetroot is eaten as a salad with food.
  • Beetroot is also consumed as juice and is beneficial for health.
  • Beetroot is also eaten raw by chopping it, sprinkling lemon and salt on it.
  • Some people like to consume beet in the form of raita.
  • Some people also make beet vegetables and eat it.
 
Side effects of Beetroot
  • Since beetroot contains plenty of dietary oxalate. Therefore, excessive intake of it can cause stone problems.
  • Some people are allergic to beetroot. Hence, excessive intake of it may cause red, itchy and burning rashes on the skin, shortness of breath and irritation in the nose and eyes.
  • Excess intake of beetroot can accumulate metal in the liver and can also cause beeturia (color change of urine).
  • Side effects of beetroot also include changed color of stools (red stool).
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Nutrients, Benefits and Uses of Black plum

Posted 20 December, 2021

Nutrients, Benefits and Uses of Black plum

People eagerly wait for the season of their choice and the fruits of that season. Black plum is also a fruit which, in common language, is called Black plum. It starts in the summer season and is a rainy season fruit. The color of this fruit is black or dark pink. The fruit of the Black plum is rich in juice and has many medicinal properties. Therefore, it is also used in Ayurveda from the point of view of health.

In Ayurveda, fruits, leaves, bark and seeds of Black plum i.e. kernels are used as herbs. Apart from this, Black plum are also used as snacks (breakfast) and vinegar in some homes. The Black plum belongs to the Rosaceae family, most of which is cultivated in North America and the Pacific Ocean region. All nutritious elements are present in the Black plum which are beneficial in the treatment of many diseases.

 
Nutrients in Black plum

Juicy and delicious Black plum contain nutrients such as fructose, riboflavin, nicotine acid, glucose, vitamin-C, A, folic acid, potassium sodium, phosphorus, calcium, zinc and iron. Apart from this, the effects of gallic acid, tannin, phytosterol, resin, etc. are present in the bark and branches of the Black plum which are necessary for better health. Along with this, gallic acid, glycosides and jamboline are also found in the Black plum which help in the treatment of many diseases.

 
Benefits of Black plum
For inflammation-

According to a research report related to Black plum, Black plum has anti- inflammatory properties which proves helpful in eliminating all the problems related to inflammation.

 
For Oral Health-

Black plum extract is used as a mouthwash because it has antimicrobial, antibacterial, and anti-inflammatory properties which works to eliminate the bacteria of the mouth. Therefore, Black plum can be used for oral health.

 
To reduce fat-

The anthocyanin effect is present in the Black plum which helps reduce fat. Therefore, intake of Black plum helps in reducing fat.

 
For eyes-

Black plums are good for eye health because the vitamin A present in it works to improve eyesight. Apart from this, Black plum also has vitamin-C, E and antioxidant properties which protect cells from free radicals. Therefore Black plum is a good option for good eye health.

 
For brain-

Black plum contains many nutrients that keep the brain healthy. These nutrients mainly include vitamin C and a variety of polyphenols which are helpful in keeping the brain healthy. Apart from this, Black plum also has anti-inflammatory and antioxidant properties. This helps to increase memory weakening with age.

 
For cardiovascular health-

Anthocyanins and flavonoids are found in Black plum which help to overcome the problem associated with the heart. Therefore, the consumption of Black plum is also good for heart health.

 
For bones-

Phenolics are found in Black plum. These protect the bones from damage. Therefore, for the good health of bones, it is a better option to consume Black plum as it has many nutrients.

 
For cancer-

Black plums have an anti-cancer effect which helps to overcome the risks of cancer. In addition, the antioxidant properties present in the Black plum serve to eliminate free-radicals which causes cancer by damaging the cells. Therefore, the consumption of Black plum reduces the risk of breast cancer, esophagus cancer and cervical cancer.

 
For hair-

Black plums are rich in Vitamin-A, Vitamin-B, Vitamin-C, Iron, Zinc, Calcium and Magnesium which help in strengthening hair and promoting growth.

 
For skin-

The use of Black plum can keep the skin healthy for a long time because Black plum contains nutrients like vitamins A, B6, C, E and iron. These provide necessary nutrition to the skin.

 
Uses of Black Plum
  • Ripe black plum can be washed and eaten directly.
  • Black plum can also be used while making cakes.
  • Jamun can be consumed in breakfast by mixing it with nuts.
  • Black plum can also be consumed in the form of juice.
  • Smoothie can be made by mixing Black plum in milk.
 
Side effects of Black plum

Although no serious side effects have been observed by consuming black plum, its use may prove to be harmful due to over consumption. These side effects are-

  • Since black plums have high amounts of fiber, excessive intake can cause problems like nausea, vomiting, and diarrhea.
  • Excessive consumption of black plum may also cause indigestion or food poisoning.
  • Sometimes, eating black plum without washing them properly can cause allergic problems.
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अमलभाठा के महत्व, फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

अमलभाठा के महत्व, फायदे और नुकसान

अमलभाठा एक सदाबहार पौधा है। जो गार्सीनिया पेंडंकुलता (Garcinia Pendunculata) प्रजाति से संबंधित हैं। इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। अमलभाठा के सूखे फल स्वास्थ्य के लिए बेहतर लाभकारी होते हैं। इसी कारण इसे आहार में शामिल किया जाता है। अमलभाठा के पेड़ का तना सीधा और शाखाएं छोटी होती है। इसकी पत्तियां हल्के हरे रंग की और फल गोल होते हैं, जिसका व्यास 8 से 12 सेमी के बीच होता है।

 
आयुर्वेद में अमलभाठा का महत्व-

औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से आयुर्वेद में अमलभाठा को उत्तम दर्जे का माना गया है। इसका उपयोग सदियों से कई समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। अमलभाठा पाचन, श्वसन, मधुमेह, लिवर और गुर्दे से संबंधित समस्याओं को ठीक करता है। यह तासीर से उष्ण (गर्म) और स्वाद में खट्टा होता है। इसलिए यह कफ और वात दोष को कम करके और पित्त को बढ़ाकर त्रिदोषों को संतुलित करने में मदद करता है। इस प्रकार यह संतुलित त्रिदोष कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।

 
अमलभाठा के फायदे;
डायबिटीज (मधुमेह) की समस्या में-

अमलभाठा को डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाना जाता है। अमलभाठा लिपिड का अच्छा स्रोत होता है। आयुर्वेद के अनुसार ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें लिपिड की पर्याप्त मात्रा होती है, उनका सेवन करना डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।

 
पाचन क्रिया को सुधार करने में-

अमलभाठा एक प्रभावी उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ावा देता है और पाचन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने में सहायता करता है। यह फल चयापचय को गति देता है और सिस्टम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। इसमें सक्रिय यौगिक गैस निर्माण और पेट फूलने का इलाज करने में मदद करते हैं।

 
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में-

इसका उपयोग बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में किया जाता है। इसके बीज में एंटीहाइपरलिपिडेमिक पाया जाता है। जो शरीर के कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल,ट्राइग्लिसराइड्स और लिपिड को कम करने में मदद करता है।

 
वजन को कम करने में लाभप्रद-

अमलभाठा में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। जो पेट के मोटापे को नियंत्रित रखने का काम करता है। दरअसल अमलभाठा शरीर में फैट को जमने नहीं देता। परिणामस्वरूप मोटापा नहीं बढ़ पाता।

 
अस्थमा में लाभदायक-

एनसीबीआई की रिसर्च के अनुसार, अमलभाठा में एंटीअस्थमा प्रभाव होता है। जिसका सकारात्मक प्रभाव श्वसन प्रणाली पर पड़ता है। जो अस्थमा जैसी समस्याओं को रोकता है इसलिए अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति द्वारा इसका सेवन किया जाए तो उन्हें इसमें आराम मिलता है।

 
स्वास्थ्य लिवर और किडनी के लिए लाभकारी-

अमलभाठा हेपेटोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण लिवर के लिए अच्छा होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यकृत कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसके अलावा यह लिवर में पाए जाने वाला एंजाइमों (SGPT, SGOT) के स्तर को भी कम करता है। जो यकृत की चोट में वृद्धि करता है।

किडनी के लिए भी अमलभाठा बहुत अच्छा होता है। क्योंकि इसमें गार्सिनोल होता है, जो किडनी में क्रिस्टल के जमाव को रोकता है। साथ ही यह एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण सूजन को भी कम करता है।

 
तंत्रिका तंत्र के संरक्षण में फायदेमंद-

अमलभाठा के फल में न्यूरोप्रोटेक्टिव गतिविधि होती है। इसमें पाए जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और तंत्रिका कोशिकाओं को मुक्त कणों से बचाते हैं।

 
कैसे करें इस्तेमाल?
1. पाउडर के रूप में-
  • अमलभाठा के कुछ सूखे मेवे लें।
  • इसको पाउडर बनाने के लिए मेवे को पीस लें।
  • अपच जैसी पाचन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से (चिकित्सक परामर्शानुसार) इस पाउडर का गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
2. जूस के रूप में-
  • कुछ पके हुए अमलभाठा के फल लें और उसके गूदे को निकाल लें।
  • अब इसे जूसर में डालकर रस बना लें।
  • अस्थमा के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए इस रस के 5-10 मिलीलीटर (चिकित्सक परामर्शानुसार) का सेवन करें।
 
अमलभाठा के नुकसान-
  • अमलभाठा का अधिक सेवन करने से लिवर, किडनी और अन्य तरह की शारीरिक समस्याएं हो सकते हैं।
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अमलभाठा के सेवन से बचना चाहिए।
  • अतिसंवेदनशीलता (हाइपर-सेंसिटिविटी) की समस्या वाले व्यक्ति को अमलभाठा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते समय चिकित्सक के परामर्शानुसार अमलभाठा का सेवन करें।
  • अमलभाठा के सेवन के बाद किसी भी तरह का शारीरिक या मानसिक परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
अमलभाठा कहां पाया जाता है?

अमलभाठा मुख्य रूप से एशिया के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके अलावा अमलभाठा म्यांमार के कुछ क्षेत्रों और भारत के उत्तर-पूर्वी भागों में भी पाया जाता है।

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एवोकाडो के फायदे एवं उपयोग

Posted 24 May, 2022

एवोकाडो के फायदे एवं उपयोग

अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर को उच्च पोषक आहार का मिलना बेहद जरूरी होता है और इस काम के लिए फलों को सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ माना जाता है। क्योंकि फलों में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यही कारण है कि कुछ फलों को सुपरफूड भी कहा जाता है। ऐसा ही एक सुपरफूड फल है, एवोकाडो। जिसकी गिनती अपने पोषक तत्व और गुणों के चलते दुनिया के चुनिंदा लोकप्रिय फलों में की जाती है। एवोकाडो एक ऐसा फल है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल लेवल बेहद कम और फैटी एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है। चूंकि एवोकाडो का स्वाद थोड़ा मक्खन जैसा होता है। इसलिए इसको कई जगह पर बटर फ्रूट भी बोला जाता है।

 
क्या होता है एवोकाडो?

एवोकाडो एक उष्णकटीबंधीय फल है। जो दिखने में नाशपाती की तरह, पर उससे थोड़ा बड़ा होता है। एवोकाडो को एलीगेटर नाशपाती (Alligator Pear) भी कहा जाता है। क्योंकिइसकी ऊपर की परत मगरमच्छ की त्वचा की तरह होती है। इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 65 फीट तक की हो सकती है। इस फल का वजन काफी ज्यादा होता है और इसके बीच एक बड़ा बीज मौजूद होता है। दुनिया भर में इसकी कई किस्में पाई जाती हैं। लेकिन हास एवोकाडो को विश्व भर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है। क्योंकि पोषक तत्वों के मामले में हास एवोकाडो सबसे महत्वपूर्ण है। एवोकाडो को साइंटिफिक लैंग्वेज में पर्सिया अमरीकाना कहा जाता है।

 
एवोकाडो के फायदे-
पाचन के लिए-

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार, एवोकाडो में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। जो पाचन प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करता है। इसलिए एवोकाडो को पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा समझा जाता है।

 
वजन कम करने के लिए-

एनसीबीआई की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबित एवोकाडो में कैलोरी कम मात्रा में होती है। जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाला मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड फैट को कम करके बढ़े हुए वजन को कम करने में सहायता करता है। वहीं इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त करके वसा के अवशोषण को कम करने का काम करता है।

 
मौखिक स्वास्थ्य के लिए-

एवोकाडो में मौजूद पोटैशियम दांतों की सड़न को रोकने और मैग्नीशियम मसूड़े की सूजन और पेरिओडोन्टाइटिस (मसूड़ों से जुड़ा संक्रमण) से होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है। इसलिए एवोकाडो को मौखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा कहा जाता है।

 
हड्डियों के लिए-

एवोकाडो हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि कच्चे एवोकाडो में बोरॉन नामक मिनरल होता है। जो कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा यह फल विटामिन-के से भी प्रचुर होता है। जो हड्डियों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 
आंखों के लिए-

एवोकाडो ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे कैरोटीनॉयड से भरपूर होता है। जो आंखों की सेहत को बरकरार रखने का काम करते हैं। ल्यूटिन बढ़ती उम्र के साथ होने वाली नजर संबंधी समस्याओं को कम करता है। वहीं इस फल में विटामिन-ई भी समृद्ध होता है। जो आंखों के स्वास्थ्य लिए अति आवश्यक होता है।

 
डायबिटीज के लिए-

मेक्सिको के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी की रिसर्च रिपोर्टके मुताबित एवोकाडो डायबिटीज टाइप-2 में फायदा करता है। रिसर्च बताती है कि मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड से युक्त होने के कारण एवोकाडो लिपिड प्रोफाइल में सुधार करके बढ़े हुए ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। जो टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभकारी होता है।

 
लिवर के लिए-

एवोकाडो लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी द्वारा किए गए शोध के अनुसार, एवोकाडो नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या के जोखिमों (मुक्त कणों का प्रभाव, अधिक लिपिड, बढ़ा हुआ वजन और लिवर की सूजन) को दूर करने में सहायता करता है। इन जोखिम कारकों को नियंत्रित करके एवोकाडो फैटी लिवर की समस्या से राहत दिलाने में सहायता करता है। इसलिए लिवर स्वास्थ्य के लिए एवोकाडो का सेवन करना अच्छा होता है।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

एवोकाडो में बढ़े हुए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं इसलिए एवोकाडो का नियमित सेवन करना, हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

इसके अलावा एवोकाडो में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ई और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी होते हैं। जो शरीर में इन पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। जिससे हृदय और शरीर लंबे तक स्वस्थ बने रहते हैं।

 
दिमागी विकास के लिए-

अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी द्वारा दिमागी विकास से संबंधित शोध के अनुसार, एवोकाडो फल दिमागी विकास के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इस फल में ल्यूटिन नामक तत्व पाया जाता है। जो बुद्धि के विकास में अहम योगदान देता है। इसी कारण एवोकाडो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ दिमागी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।

 
बालों के लिए-

एवोकाडो को बालों के लिए भी लाभदायक माना गया है। क्योंकि एवोकाडो फल में विटामिन ए, बी, बी-1, बी-2, ई और सी के साथ कई अन्य जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो बालों के विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस आधार पर एवोकाडो को बालों के लिए उपयोगी कहा जाता है।

 
एवोकाडो के उपयोग-

एवोकाडो का सेवन कई तरह से किया जा सकता है। जोकि निम्नलिखित हैं-

 
  • सुबह नाश्ते के समय ब्रेड ऑमलेट के साथ एवोकाडो को खाया जा सकता है।
  • एवोकाडो को ग्रिल ब्रेड सैंडविच में डालकर खाया जा सकता है।
  • एवोकाडो को फ्रेंच फ्राइज के रूप में भी खाया जा सकता है।
  • एवोकाडो को फ्रूट सैलेड के रूप में खाया जा सकता है।
  • एवोकाडो को आइसक्रीम बनाकर भी खाया जा सकता है।
एवोकाडो के नुकसान-

एवोकाडो एक गुणकारी फल है, जो स्वास्थ्य को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। लेकिन कुछ जगह यह नुकसानदायक भी हो सकता है। जोकि निम्नलिखित हैं-

  • जहां एक तरफ कम कैलोरी होने की वजह से एवोकाडो वजन कम करने में मददगार होता है। वहीं फैट की अच्छी मात्रा होने के कारण इसका अधिक सेवन वजन भी बढ़ा सकता है। इसलिए मोटापे से ग्रसित लोगों को इसका अधिक नहीं करना चाहिए।
  • संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को भी इसके सेवन से दूर रहना चाहिए। क्योंकि उन्हें इससे एलर्जी की शिकायत हो सकती है।
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मखाने के औषधीय गुण और फायदे

Posted 24 May, 2022

मखाने के औषधीय गुण और फायदे

मखाना एक प्रकार का सूखा मेवा है। जिसका प्रयोग आज पूरी दुनिया करती है। कुछ लोग इसका प्रयोग किसी मीठे व्यंजन या मिठाई के लिए करते हैं, कुछ लोग इसका इस्तेमाल पनीर या छोले की सब्जी के लिए करते हैं, कुछ लोगों को इसकी खीर बेहद पसंद होती है तो कुछ लोगों को इसे हल्का भूनकर (roasted), दूध में डालकर खाना अच्छा लगता है। इस प्रकार लोग अपने-अपने स्वाद के अनुसार इसका लुत्फ उठाना पसंद करते हैं। भारत में मखाने को नवरात्रों और इसके जैसे दूसरे अवसरों में ‘उपवास पकवान’ और पूजा कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

 
क्या होता है मखाना?

मखाने को कुछ जगह कमल के बीज (Lotus Seeds) या फॉक्स-नट (Fox nut) कहा जाता है। यह एक पौष्टिक और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है। जो तालाबों के पानी में स्थित ईरियल फॉक्स नामक पौधे से प्राप्त होता है। देखने में यह सूखे और गोल-मटोल होते हैं। जिन्हें कई औषधीय गुणों से भरपूर और शरीर को तंदरुस्त रखने वाला माना जाता है। इसलिए इसका उपयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों और ताकत बढ़ाने वाली दवा के रूप में किया जाता है। मखाने को फूल-मखाना और गोर्गन नट नामों से भी जाना जाता है।

 
मखाने में मौजूद औषधीय गुण-

मखाना में तमाम औषधीय गुण मौजूद होते हैं। जिन्हें हेल्थ के लिए जरूरी और फायदेमंद माना जाता हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (एनसीबीआई) की साइट पर पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक मखाने में कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, वसा के अलावा एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, कैरोटीन, निकोटिनिक अम्ल, लौह, विटामिन बी-1 और एंटी ट्यूमर आदि गुण पाए जाते हैं। जो बुखार, कब्ज, दस्त, किडनी, डायबिटीज, प्रजनन क्षमता, शुक्राणुओ की कमी, मूत्र-जननतंत्र सहित अनेक रोगों में चमत्कारिक लाभ पहुंचाते हैं।

 
मखाने के फायदे-
प्रोटीन का अच्छा स्रोत-

मखाने का नियमित सेवन करने पर शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम नहीं होती। क्योंकि मखाने में प्रोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है। 100 ग्राम मखाने में लगभग 10.71 ग्राम प्रोटीन होता है इसलिए कहा जाता है कि मखाना खाने से शरीर में प्रोटीन की आवश्यक मात्रा की पूर्ति होने के साथ, उसकी कमी से होने वाली परेशानियों को भी दूर किया जा सकता है।

 
मसूड़ों के लिए-

मखाने में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो मसूड़ों की सूजन और बैक्टीरियल प्रभाव के कारण दांतों में होने वाली सड़न को रोकने में मदद करते हैं।

 
वजन कम करने के लिए-

मखाने का सेवन मोटापे से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मखाने का एथेनॉल अर्क शरीर में फैट सेल्स को नियंत्रित कर, उसके वजन को कम करने का काम करता है। इसलिए फॉक्स-नट (मखाना) का सही और नियमित इस्तेमाल वजन कम करने में मददगार साबित होता है।

 
डायबिटीज के लिए-

मखाने का उपयोग डायबिटीज से राहत पाने हेतु भी किया जाता है। एनसीबीआई की शोध रिपोर्ट के आधार पर मखाने में पाए जाने वाले रेसिस्टेंट स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। जो मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है। इसके अतिरिक्त मखाने का प्रयोग इंसुलिन को नियंत्रित करने में भी सहायक साबित होता है।

 
ब्लड प्रेशर के लिए-

मखाने का नियमित इस्तेमाल ब्लड प्रेशर जैसी समस्या में राहत पहुंचाने का काम करता है दरअसल मखाने में मौजूद एल्कलॉइड नामक तत्व हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की परेशानी को कम करने में मदद करता है। इसलिए मखाने का सेवन बीपी को नियंत्रित करने के लिए अच्छा होता है।

 
गर्भावस्था के लिए-

एनसीबीआई की शोध रिपोर्ट के अनुसार मखाने का सेवन गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के कारण होने वाली कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए मखाने का उपयोग कई प्रकार के पकवानों के रूप में किया जाता है। दरअसल मखाने में मैग्नीशियम, पोटैशियम, प्रोटीन और आयरन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। जो गर्भावस्था के समय महिला को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

 
एंटी-एजिंग के रूप में-

मखाने का इस्तेमाल त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है क्योंकि मखाने में एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रचुर में पाया जाता है। जो त्वचा पर झुर्रियों और एजिंग के प्रभावों को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

 
मखाने के नुकसान-
  • मखाने का वैसे तो कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है। लेकिन फिर भी कब्ज के समय इसका सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए।
  • मखाना में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए इसके अधिक सेवन से कभी-कभी गैस और पेट में ऐंठन की समस्या हो सकती है।
  • जिन लोगों को मखाने से एलर्जी होती है। उन्हें इसका सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करना चाहिए।
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