जानें, पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
2022-05-24 13:51:31
पेचिश एक प्रकार की पेट संबंधी बीमारी हैं। जिसका अहम कारण गंदगी होता है। जब कोई व्यक्ति हाथों की अच्छे से सफाई किए कुछ खाता या पीता है तो इस दौरान जीवाणु हाथों के माध्यम से पेट की आंतो तक पहुंच जाते हैं। जिससे पेचिश की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसलिए मनुष्य को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पेचिश होने पर मरीज को पतले दस्त यानी लूज मोशन शुरू हो जाते हैं। कभी-कभी इसमें दस्त के साथ रक्त या बलगम की कुछ भी बूंदे दिखाई देने लगती हैं। जिसकी वजह से शारीरिक कमजोरी होने लगती है। यह समस्या छोटे बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है। इसलिए समय रहते इसका इलाज न कराने पर यह गंभीर समस्या साबित हो सकती है।
दस्त के गंभीर रूप को पेचिश कहा जाता है। जो एक तरह का आंत संबंधित विकार है। इसमे व्यक्ति का मल पानी की तरह निकलता है। इसके अलावा मल के साथ खून या बलगम भी आता है। सामान्यतः यह दस्त एक हफ्ते तक रहते हैं। कुछ मामलो में मरीज जल्दी भी ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामलो में मरीज जल्दी ठीक नहीं हो पाते। पेचिश मुख्य रूप से जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया वायरस अथवा पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा पेचिश सूक्ष्म जीव, कुछ दवाओं और अन्य रोगों के संक्रमण से भी होता है। पेचिश को अंग्रेजी में डीसेंट्री (Dysentery) के नाम से जाना जाता है।
पेचिश के प्रकार एवं कारण-
आमतौर पर पेचिश दो प्रकार के होते हैं। जो निम्नलिखित हैं;
बैसीलरी पेचिश-
पेचिश का यह प्रकार शिगेला (Shigella) नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया दूषित भोजन और पानी में पाए जाते हैं। जिसके सेवन से शिगेला नामक बैक्टीरिया पेट में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे पेचिश, दस्त एवं अन्य तरह की पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
अमीबिक पेचिश-
पेचिश का यह प्रकार एटामोइबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक पैरासाइट (परजीवी) के कारण होता है। यह अधिकतर गंदगी अर्थात स्वच्छता की कमी वाले स्थानों में होता है। खासतौर पर यह परजीवी आंतो को प्रभावित करता है और समूह के साथ संक्रमण करता हैं। इसके अलावा यह परजीवी सिस्ट (Cyst) का निर्माण करते हैं। ज्यादातर यह परजीवी दूषित जगहों पर रहते है। साथ ही यह शरीर के बाहर भी जीवित रह सकते हैं। इसलिए शौचालय से आने के तुरंत बाद अपने हाथों की सफाई करनी चाहिए। जिससे कोई भी संक्रमण शरीर में प्रवेश न कर पाए।
पेचिश होने के अन्य कारण-
- गलत खान-पान करने पर।
- गंदे हाथों से भोजन करने पर।
- खुले में रखें भोजन का सेवन करने पर।
- मक्खियों द्वारा दूषित आहार का सेवन करने पर।
- दूषित नदी या तालाब में स्नान करने पर।
- संक्रमित लोगों से हाथ मिलाने या शारीरिक संपर्क में आने पर।
- शौचालय के बाद हाथों को अच्छी तरह से न धोने पर।
- दूषित पानी एवं अन्य पेय पदार्थों का सेवन करने पर।
पेचिश के लक्षण-
कई लोगों में पेचिश के लक्षण एक से अधिक देखें जा सकते हैं। जोकि निम्नलिखित हैं:
- पतला दस्त होना।
- बार-बार शौच जाना।
- पेट में दर्द या ऐंठन होना।
- मल में खून या बलगम आना।
- उल्टी या जी मिचलाना।
- पेट में मरोड़ या अन्य समस्या होना।
- मल त्यागने में कठिनाई महसूस करना।
- शारीरिक कमजोरी महसूस करना।
- शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होना।
- बुखार आना।
- ठंड लगना।
पेचिश होने पर बरतें यह सावधानियां-
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- दूषित पानी पीने से बचें।
- वॉशरूम यूज करने के बाद हैंडवॉश ज़रूर करें।
- छोटे बच्चों के हाथों को अच्छे से धोने में मदद करें।
- खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
- गंदे कपड़ों, बेडशीट और तौलियों को अच्छे से गर्म पानी में धोएं।
- खुले में बनने वाले भोजन का सेवन न करें।
- दूषित एवं बासी भोजन का सेवन न करें।
- अच्छी तरह से पका हुए भोजन का सेवन करें।
- प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
- पानी को उबालकर पिएं।
पेचिश के घरेलू उपाय-
- आयुर्वेद में पेचिश के इलाज में छाछ औषधि की तरह काम करती है।
- पेचिश की शुरुआती दौर को खानपान के बदलाव से ही ठीक किया जा सकता है।
- आयुर्वेद में पेचिश और कब्ज जैसी समस्या में चावल और मूंग दाल का पानी पीने की सलाह दी जाती है।
- निर्जलीकरण से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी एवं तरल पदार्थों जैसे नारियल पानी, नींबू पानी और ओआरएस घोल आदि का सेवन करें।
- पेचिश से राहत पाने के लिए हरीतकी कारगर साबित होता है। क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल गुण पेचिश के घरेलू इलाज में मददगार साबित होते हैं। इसके लिए हरीतकी चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
- शहद को गुनगुने पानी के साथ लेने पर लूज मोशन एवं पेचिश की समस्या में आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त शहद के साथ ओट्स, कॉर्न फ्लैक्स, हर्बल टी आदि का सेवन कर सकते हैं।
- सेब का सिरका पेचिश या लूज मोशन को रोकने में सहायक होता है। क्योकि इसमें प्राकृतिक एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।
- बेल फल का सेवन पेचिश एवं पेट की समस्या के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा बेल का शरबत पीना भी पेचिश में फायदेमंद होता है।
- कच्चे केले का सेवन भी पेचिश को रोकने में मददगार होता हैं। क्योंकि केले में पेक्टिन नामक तत्व पाया जाता है। इसके अलावा ग्रीन केले को छीलकर मैश करें और छाछ के साथ अच्छी तरह से मिलाएं। अब इस मिश्रण का सेवन करें। ऐसा करने से यह पेचिश के इलाज में औषधि की तरह काम करता है।
- पेचिश, कब्ज और पेट संबंधी कई समस्याओं के इलाज में पपीते का सेवन कारगर साबित होता है। दरअसल, पपीते में पपैन (Papain) और काइमोपपैन (Chymopapain) जैसे प्रोटियोलिटिक एंजाइम (Proteolytic Enzymes) पाए जाते हैं। यह एंजाइम एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होते हैं। इसका एंटीबैक्टीरियल गुण पेचिश को रोकने में अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए पपीते को छिलकर कद्दूकस करके उबाल लें। अब इसके पानी को छानकर, थोड़ा ठंडा करके पिएं।