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जानें, सूखी खांसी के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

जानें, सूखी खांसी के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

2022-05-24 15:07:15

कफ या खांसी का होना एक आम बात है। जिसका मुख्य कारण मौसम में होने वाला बदलाव है। जिसमें हल्की सर्दी होने पर भी जुकाम के साथ खांसी आने लगती है। सर्दी-जुकाम होने पर नाक, गला आदि बंद हो जाते हैं। जिसमें कई बार सर्दी तो ठीक हो जाती है। लेकिन खांसी लंबे समय तक पीछा नहीं छोड़ती। परिणामस्वरूप खांसते वक्त सांस में तकलीफ और अजीब सी आवाज आने लगती है। यह सभी लक्षण सूखी खांसी (Dry Cough) की ओर संकेत करते हैं। यह खांसी बिना कफ वाली होती है। जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। क्योंकि खांसी या सूखी खांसी का होना एक सामान्य संक्रमण है। इसलिए इसे बदलते मौसम का संकेत मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर इसके कई दुष्परिणाम देखे जा सकते हैं।

 
सूखी खांसी क्या है?

सूखी खांसी को दूसरे शब्दो में टिकली कफ (Tickly Caugh) और इंग्लिश में ड्राई कफ (Dry Cough) कहा जाता है। यह एक श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है। सूखी खांसी से संक्रमित होने पर कफ या बलगम की मात्रा बेहद कम होती है। जिसका असर व्यक्ति पर तुरंत नहीं दिखता है। लेकिन कुछ दिनों में ही इस खांसी के प्रभाव दिखने लगते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्तियों हो सकती है।

 
सूखी खांसी के लक्षण-

यूं तो सूखी खांसी के लक्षण तुरंत नजर नहीं आतें। इन्हें नजर आने में करीब 1 से 2 हफ्ते लग सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में सूखी खांसी यानी ड्राई कफ के लक्षण सर्दी एवं जुकाम जैसे ही होते हैं। इसके अलावा भी सूखी खांसी कुछ अन्य लक्षण हैं। जोकि निम्नलिखित हैं:

  • खांसने पर बलगम न आना।
  • गले में कुछ अटका हुआ महसूस करना।
  • गले में हल्का या तेज दर्द होना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • सांस लेने में घरघराहट की आवाज आना।
  • खांसते वक्त या बाद में सूखी उल्टी आना।
  • निगलने में हल्की तकलीफ होना।
  • गले का लगातार सूखा रहना।
  • गर्दन में दर्द का होना।
  • हल्का बुखार आना।
  • सिर में दर्द होना।
क्या होते हैं सूखी खांसी के कारण?

सूखी खांसी निम्न कारणों से हो सकती है। जिसका हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

  • वायरल संक्रमण होना।
  • धूम्रपान करना।
  • ठंडी, शुष्क हवा में सांस लेना।
  • रासायनिक धुएं या वायु प्रदूषण में सांस लेने से।
  • बार-बार धूल मिट्टी के संपर्क में आना।
  • गले में नमी का कम होना।
  • तापमान में बदलाव होना।
  • किसी बड़े बीमारी जैसे टीबी, अस्थमा, फेफड़ों में कैंसर आदि का होना।
सूखी खांसी होने पर बरतें यह सावधानियां
  • धूम्रपान का सेवन कतई न करें।
  • संक्रमित एवं प्रदूषित वातावरण में जाने से बचें।
  • यदि कोई व्यक्ति इससे संक्रमित है तो वह हमेशा मास्क लगाएं। ऐसा करने से घर के अन्य सदस्यों का इस संक्रमण से बचाव होगा।
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • आइसक्रीम, दही, बर्फ के पानी का कतई सेवन न करें।
  • खांसने के बाद उल्टी की समस्या न हो, इसलिए हल्का भोजन करें।
  • तैलीय एवं वसायुक्त भोजन के सेवन से बचें।
सूखी खांसी के घरेलू उपचार-
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें। गले के दर्द और सूखे बलगम से राहत पाने के लिए चाय और सूप जैसे गर्म तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • नमक युक्त गर्म पानी से गरारे करें। इसके लिए 1 कप गर्म पानी में ½ चम्मच नमक मिलाकर गरारे करें।
  • शहद युक्त मिश्रित चाय शुष्क गले के लिए अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। क्योंकि यह सूखी खांसी एवं गले की अन्य परेशानियों को कम करने में मदद करती है। इसलिए खांसी होने पर यह चाय (शहद युक्त मिश्रित चाय) कारगर साबित होती है। इसके अलावा शहद, अनार का रस और अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन 3-4 बार सेवन करें। ऐसा करने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
  • हींग और अदरक का सेवन करने से भी खांसी से आराम मिलता है। इसके लिए एक चुटकी हींग को भूनकर आधा चम्मच अदरक के पेस्ट के साथ मिक्स करें। अब इस मिश्रण को चाटें। ऐसा करने से सूखी खांसी के साथ होने वाले सिरदर्द से में राहत मिलती है।
  • सेब का सिरका सूखी खांसी के लिए अच्छी दवाओं में से एक है। क्योंकि इसमें एसिटिक एसिड होता है। जिसमें एंटीमाइक्रोबियल होता है। जो बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण से लड़ता है।
  • सूखी खांसी एवं गले में दर्द के लिए काली मिर्च से बनी चाय का सेवन करना अच्छा होता है। क्योंकि काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। जो एक प्राकृतिक दर्द निवारक होता है। जो गले की खराश और दर्द से राहत दिलाता है।
  • तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो बदलते मौसम में शरीर को होने वाली दिक्कतों से बचाने का काम करते हैं। तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाती है।
  • हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो खांसी, गले में दर्द और सर्दी-जुकाम से राहत दिलाने का काम करते हैं। ऐसे में सूखी खांसी होने पर एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
  • आयुर्वेद के अनुसार नींबू और शहद दोनों में ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सूखी खांसी होने पर नींबू और शहद के उपयोग की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करें।
  • धनिया के बीज बैक्टीरिया से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया पाउडर, थोड़ा-सा दूध और चीनी डालकर चाय बनाकर रोगी को दिन में दो बार पिलाएं। इस प्रकार सूखी खांसी या अन्य तरह के बैक्टीरियल इन्फेक्शन में धनिया चाय बहुत ही असरदार औषधि का काम करती है।
  • लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो सूखी खांसी को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा लहसुन में प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय और संक्रमण से बचाने वाले एंटीमाइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं। इसके लिए लहसुन की 2 से 3 कलियों को अपने दांतों के बीच रखकर चूसने से फायदा होता है।
  • पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में प्याज का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के अलावा सूखी खांसी के लिए भी किया जाता रहा है। क्योंकि प्याज में एंटी-इन्फ्लामेट्री, एंटी-एलर्जिक, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह सभी गुण बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। इसके लिए प्याज को भूनकर शहद के साथ या प्याज के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।

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