Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

शालपर्णी के औषधीय महत्व और फायदे

शालपर्णी के औषधीय महत्व और फायदे

2023-03-04 10:41:39

शालपर्णी, दशमूल जड़ी-बूटियों में से एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। इसलिए इसका उपयोग कई दवाओं में एक घटक के रूप में किया जाता है। शालपर्णी मीठे, तीखे और कड़वे रस युक्त गुणों वाली होती है । यह शरीर में त्रिदोषों को संतुलित करती है। शालपर्णी के पत्ते शाल के समान होते हैं। इसलिए इन्हें शालपर्णी कहा जाता है। इस जड़ी बूटी का शांत और सुखदायक प्रभाव होता है जो तंत्रिका संबंधी असंतुलन को नियंत्रित करता है। इसमें अद्वितीय गुण होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र, नसों और धमनियों को नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार से शालपर्णी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में उत्तम जड़ी-बूटी माना गया है।

 

शालपर्णी क्या है?

शालपर्णी का वानस्पतिक नाम डेस्मोडियम गैंगेटिकम है। यह एक झाड़ीदार पौधा है, जो भारत के कई हिस्सों में बहुतायत रूप से देखने को मिलता है। इसके वृक्ष 2-4 फीट लंबे होते हैं। इसकी शाखाएं महीन बालों से ढकी होती हैं। इसकी पत्तियां एकरस, अंडाकार, कुंद और नीचे बालों वाली और 15 सेमी तक लंबी होती हैं। इसकी पत्तियों का निचला भाग हल्का हरा होता है। इसकी फली पतली, सपाट, घुमावदार होती है, जिसमें 6-8 गांठें होती हैं। आमतौर पर यह पौधा अगस्त और नवंबर में फूल और फल देता है।

 

आयुर्वेद में शालपर्णी का महत्व-

आयुर्वेद में शालपर्णी एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है। यह दशमूल जड़ी बूटियों में से भी एक है और तमाम आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है। इस जड़ी बूटी में कृमि नाशक, प्रतिश्यायी, पाचक, मूत्रवर्धक, कफ निस्सारक, ज्वरनाशक, टॉनिक, अतिसार-रोधी और जठर-संबंधी गुण मौजूद होते हैं। इसलिए शालपर्णी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में आंतों के बुखार, श्वसन संबंधी समस्याओं और बवासीर जैसी जटिलताओं से निपटने के औषधि के तौर लिए किया जाता है।

 

शालपर्णी के फायदे-

बवासीर के इलाज में कारगर-

शालपर्णी बवासीर के इलाज में कारगर है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ-साथ एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं, जो गुदा के आसपास खुजली और सूजन सहित बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

 

हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक-

शालपर्णी को हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक औषधि माना जाता है। क्योंकि यह उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल या अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बनाए रखते हुए कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल या खराब कोलेस्ट्रॉल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। साथ ही यह रक्तचाप को सामान्य और स्वस्थ हृदय को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा शालपर्णी रक्त वाहिकाओं को फैलाती है और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करती है।

 

पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद-

शालपर्णी को रेचक कहा जाता है और इसमें सूजन-रोधी गुण भी मौजूद होते हैं। इसके रेचक गुण मल त्याग की प्रक्रिया को सुधारने का काम करता है। इस प्रकार यह कब्ज का इलाज करता है। यह पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने और गैस्ट्रिक, दस्त, मतली और पेट फूलना से राहत प्रदान करने में मदद करती है। इसके अलावा शालपर्णी को एनोरेक्सिया (भूख न लगना) के इलाज में उपयोगी होती है।

 

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक-

शालपर्णी को एक उत्कृष्ट प्रतिरक्षा उत्तेजक कहा जाता है। क्योंकि यह टी कोशिकाओं, बी कोशिकाओं, मैक्रोफेज आदि को उत्तेजित करता है। इसमें मौजूद सभी औषधीय गुण समग्र प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए उत्कृष्ट है।

 

बेहतर यौन स्वास्थ्य के लिए-

शालपर्णी यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है, खासकर पुरुषों में। यह एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है। इसलिए शालपर्णी की जड़ से बने काढ़े या इसके पाउडर का नियमित सेवन करने से शीघ्र पतन और कामेच्छा में कमी (यौन इच्छा) जैसी कई समस्याओं में मदद मिलती है।

 

ब्रोंकाइटिस के लिए फायदेमंद-

शालपर्णी तासीर से गर्म होती है। शालपर्णी की जड़ से बने काढ़े का सेवन करने से फेफड़ों से कफ बाहर निकलता है। जिससे ब्रोंकाइटिस के लक्षणों से राहत मिलती है।

 

मधुमेह के उपचार में सहायक-

शालपर्णी रक्त शर्करा को कम करती है और इंसुलिन स्राव की सुविधा प्रदान करती है। इसलिए यह मधुमेह के उपचार में उपयोगी है।

 

मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के लिए अच्छा-

मनोभ्रंश एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। जिससे व्यक्ति की सामाजिक सोच और व्यवहार और दैनिक कामकाज में बदलाव आ जाता है। ऐसे में शालपर्णी का सेवन अच्छा उपाय माना जाता है। इसमें मौजूद बायोएक्टिव घटक मनोभ्रंश के उपचार और नियंत्रण में उपयोगी है। इसके अलावा इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। यह सभी गुण मस्तिष्क के सिग्नल ट्रांसमिशन में सुधार करने और न्यूरोलोजिकल समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं।

 

शालपर्णी के अन्य लाभ-

  • यह उल्टी, बुखार और मतली से राहत के लिए उपयोगी है।
  • शालपर्णी सांस की तकलीफ, पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के अन्य रोगों के इलाज में फायदेमंद है।
  • यह पेचिश और दस्त के इलाज में सहायक है।
  • यह पेट की जलन, पेट फूलना और जठरशोथ से राहत प्रदान करती है।
  • यह प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और स्वस्थ वजन को बढ़ावा देने में मदद करती है।
  • इसका उपयोग वात दोषों, विशेष रूप से हृदय रोग के कारण होने वाले असंतुलन के इलाज के लिए किया जाता है।
  • यह गुर्दे की पथरी और प्रसवोत्तर जटिलताओं के इलाज में सहायक है।
  • यह लीवर और पित्ताशय से नमी और गर्मी को दूर करने में सहायता करती है।

शालपर्णी के नुकसान-

  • चूंकि शालपर्णी रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है, इसलिए लो ब्लड शुगर वाले मरीजों को इसका सेवन नहीं करनी चाहिए।
  • गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान शालपर्णी के उपयोग से बचने की सलाह दी जाती है।

यह कहां पाया जाता है?

यह एक उपोष्णकटिबंधीय और बारहमासी जड़ी बूटी है, जो उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, भारतीय उपमहाद्वीप, चीन, जापान, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। भारत में, यह आमतौर पर सिक्किम के पश्चिमी घाट के जंगलों में देखने को मिलती है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: