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गरुड़ासन करने के तरीके और फायदे

गरुड़ासन करने के तरीके और फायदे

2022-05-24 00:00:00

योग विज्ञान के अनुसार गरुड़ासन स्थिति मुद्रा यानी खड़े होकर किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसनों में से एक हैं। इसे विन्यास शैली का आसन माना जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। साथ ही गरुड़ासन को करने से अच्छा स्ट्रेच भी मिलता है। आइए इस ब्लॉग के माध्यम से इस आसन को करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियों को विस्तारपूर्वक जानते हैं। 

गरुड़ासन क्या है?

यह एक तरह का योगासन है, जिसका नाम पौराणिक कथाओं में उल्लेखित पक्षियों के राजा गरुड़ के नाम पर रखा गया है। इस आसन की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के गरुड़ शब्द से हुई है। जिसका शाब्दिक अर्थ चील होता है। अर्थात इस आसन में शरीर का आकार चील के समान हो जाता है। उपरोक्त आधार पर इसका नाम गरुड़ासन रखा गया है, इसलिए अंग्रेजी में इस आसन को ईगल पोज़ के नाम से जाना जाता है। इस आसन से कंधे, कलाई, बाजू और पैर वाले हिस्से में खिंचाव के साथ-साथ लचीलापन भी आता है। इसके अलावा गरुड़ासन गुर्दे और मस्तिष्क के लिए बहुत प्रभावी हैं।

गरुड़ासन करने का तरीका-

गरुड़ासन करने का तरीका निम्नलिखित हैं:

●इस आसन को करने से पहले सर्वप्रथम स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रखें।  

●अब किसी साफ-सुथरे  जगह पर चटाई बिछाकर ताड़ासन मुद्रा अर्थात सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। 

●अब घुटनों को मोड़े  साथ ही अपने दोनों हाथों को सामने की ओर रखें । 

●अब बाएं पैर को ऊपर इस प्रकार उठाएं ताकि पूरे शरीर का संतुलन दाएं पैर पर बना रहें।

●तत्पश्चात बाएं पैर को दाईं पैर के सामने से घूमाते हुए पीछे ले जाएं।

●ध्यान दें इस दौरान बाईं जंघा, दाईं जंघा के ऊपर होनी चाहिए। 

●अब अपने दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ते हुए एक-दूसरे से क्रास करें। इस दौरान बाए हाथ को दाए हाथ के ऊपर रखें ।

●अब दोनों हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में लाने का प्रयास करें।

●अब इस मुद्रा में कुछ सेकंड या अपनी क्षमता अनुसार रहने का प्रयास करें। 

●ततपश्चात अपने मूल अवस्था में आ जाएं। अपने मूल अवस्था में आने के लिए कूल्हों को ऊपर करें और कमर को सीधा रखे, हाथ और पैरों को खोल लें।

●अब इसी तरह दूसरे पैर से भी करें। 

●इस मुद्रा को कम से कम 4 से 5 बार जरूर करें।

गरुड़ासन से होने वाले फायदे-

●यह आसन पैर और बाहों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। 

●इसके नियमित अभ्यास से कंधे, जांघ, कमर और पीठ के ऊपरी हिस्सों में खिंचाव के साथ-साथ लचीलापन आता है। 

●गरुड़ासन गठिया एवं कटिस्नायुशूल (साइटिका) के लिए प्रभावी उपाय है। 

●यह पिंडली के मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। 

●यह शारीरिक संतुलन को बनाए रखता है। 

●यह आसन एकाग्रता में सुधार करता है। 

●इस आसन को करने से तनाव कम होता है।

गरुड़ासन करते समय बरतें यह सावधानियां-

●घुटनों में किसी भी तरह का चोट या दर्द होने पर इस आसन को न करें। 

●गठिया के मरीजों को किसी योग विशेषज्ञ के परामर्शानुसार ही गरुड़ासन का अभ्यास करना चाहिए। 

●गर्भवती महिलाओं को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए, क्योंकि इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। परिणास्वरूप व्यक्ति गिर सकता है।

 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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