जानें, कुष्ठ रोग के कारण, लक्षण और निदान
2022-03-17 13:24:37
संक्रामक रोगों का इलाज बिना समय बर्बाद किए करवाना चाहिए। ऐसा न करने पर रोगों के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी ही एक संक्रामक बीमारी है कुष्ठ रोग। जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral nerves) पर पड़ता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो हवा या श्वास के जरिए फैलती है। जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसलिए इस बीमारी को अंग्रेजी में लेप्रोसी कहा जाता है। इस बैक्टीरिया की खोज 1873 मे नार्वे के एक फिजीशियन गेरहार्ड हेंसन’ ने की थी। इन्हीं के नाम पर इसे ‘हेंसन का रोग’ भी कहा जाता है।
कैसे फैलता है कुष्ठ रोग?
कुष्ठ यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है, जो हवा में मौजूद लेप्रे नामक बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। यह बैक्टीरिया हवा में किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इस बैक्टीरिया को पनपने में लगभग 4 से 5 साल लग जाते हैं। कई मामलों में बैक्टीरिया को पनपने (इन्क्यूबेशन) में 20 साल तक लग जाते हैं। प्राइमरी स्टेज पर कुष्ठ के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता (Disability) का शिकार हो सकता हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है लेकिन यह लोगों के छुने से नहीं फैलता। परंतु लंबे समय तक किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से यह संक्रमण हो सकता है। लेकिन रोगी को नियमित रूप से दवा दी जाए, तो संक्रमण की आशंका नहीं रहती।
कुष्ठ रोग होने के कारण-
- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का किसी कारणवश कमजोर होना।
- पर्याप्त मात्र में पौष्टिक आहार का न मिलना।
- लम्बे समय तक दूषित भोजन और पेय पदार्थों का प्रयोग करना।
- अधिक मिर्च, मसालें और तेल में भुने पदार्थों का सेवन करना।
- शरीर में किसी वजह से खून का खराब होना।
- अधिक नशीली वस्तुएं का प्रयोग करना।
- अधिक दवाओं का प्रयोग करना।
क्या होते हैं कुष्ठ रोग के लक्षण?
कुष्ठ रोग की सबसे अहम पहचान है कि इससे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। यह निशान सुन्न होते हैं अर्थात इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण होते हैं। आइए बात करते है इन अन्य लक्षणों के बारे में;
- त्वचा के रंग में परिवर्तन होना।
- त्वचा पर स्पर्श, दर्द और गर्म का आभास न होना।
- हफ्ते और महीनों तक घाव का ठीक न होना।
- प्रभावित अंग से मवाद व द्रव का बहना।
- घाव का ठीक न होना और लगातार खून का रिसाव होना।
- धीरे-धीरे अंगों और त्वचा का गलना और नष्ट होना।
- मांसपेशियों में कमजोरी होना।
- रूखी त्वचा।
- बंद नाक और नाक से खून आना।
- पैरों के तलवों पर अल्सर होना।
कुष्ठ रोग के प्रकार-
यह मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है, जो निम्न हैं-
तंत्रिका या वातिक कुष्ट रोग-
तंत्रिका कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति के शरीर के प्रभावित अंगों की संवेदनशीलता खत्म हो जाती है। यानी शरीर के उस अंग को यदि काट भी दिया जाय तो मरीज को कुछ भी महसूस नहीं होगा। अर्थात उस व्यक्ति को दर्द का आभास तक नहीं होगा।
ग्रन्थि कुष्ठ रोग-
ग्रन्थि कुष्ठ रोग से शरीर में विभिन्न रंग के चकते व निशान पड़ जाते है। इसके अलावा शरीर में गाठें उभर आती हैं।
मिश्रित कुष्ठ रोग-
इस प्रकार के संक्रमित व्यक्तियों के शरीर में दोनों तरह के लक्षण दिखने को मिलते हैं। अर्थात मिश्रित कुष्ठ रोग में मरीज के प्रभावित अंगों का सुन्नपन के साथ-साथ, उसपर निशान भी पड़ जाते हैं और शरीर के प्रभावित हिस्सें में गाठें निकल आती हैं।
कुष्ठ रोग से बचने के उपाय-
- कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
- किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए स्वयं को साफ-सुथरा रखें।
- पौष्टिक आहार जैसे दाल, चना, दूध, हरी सब्जियां और फल-फूल का सेवन करें। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहती है।
- वातकारी चीजें जैसे आलू, बैगन, मसूर की दाल, लाल मिर्च, कचालू, मांस-मछली आदि का सेवन न करें।
- कुष्ठ रोग से बचने के लिए बैसिलस कलमेटे-गुएरिन (Bacillus Calmette- Guerin) टीका जरूर लगवाएं।
कुष्ठ रोग के घरेलू उपचार-
- नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर स्नान करने और गाय के दूध में नीम की पत्तियों को पीसकर संक्रमित हिस्से पर लगाने से रक्तपित्त एवं कुष्ठ विकार ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा कुष्ठ रोगी के लिए रात में नीम के नीचे सोना बेहद फायदेमंद होता है।
- शहद युक्त मेहंदी पत्तों के रस का रोज सुबह सेवन करने से खून साफ होता है। इससे चर्मरोग यानी कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है।
- चालमोगरा के तेल को गर्म दूध के साथ नियमतः सेवन करने से फायदा होता है।
- नीम और चालमोगरा के तेल को समान मात्रा में मिलाकर प्रभावित अंग पर लगाने से कुछ ही दिनों में चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
- विजयसार की लकड़ी से बने काढ़े (क्वाथ) का नियमित सेवन करने से कुष्ठ रोग नष्ट हो जाते हैं।
- निर्गुंडी के पत्ते को पीसकर पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से फायदा होता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों के पेस्ट को प्रभावित हिस्से पर लगाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
- चंपा की छाल से बने चूर्ण का दिन में तीन बार सेवन करने से सभी प्रकार के चर्म विकार नष्ट हो जाते हैं।
- आंवला और नीम की पत्तियों को समान मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
- आक जड़ की छाल को सिरके के साथ पीसकर प्रभावित अंग का लेप करने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।