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बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण, कारण और इससे बचने के घरेलू उपाय

बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण, कारण और इससे बचने के घरेलू उपाय

2022-05-24 19:07:18

बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण-कोलेस्ट्रॉल की समस्या हमारे आधुनिक खानपान और जीवन शैली से उत्पन्न हुई है। जैसे-जैसे हम जीवन शैली में बदलवों का अनुसरण कर रहे हैं, वैसे ही नये-नये रोगों को उत्पन्न करने का माध्यम बनते जा रहे हैं। और हमारा शरीर केमिकल्स का भंडार बनता जा रहा है। इसका बढ़ना आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए बड़ी समस्या बन गयी है, जो भविष्य में हार्ट-अटैक की संभावना को बढ़ा देती है। पर हम अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर इस बीमारी की संभावना को कम कर सकते हैं। इस लेख में हम इन्हीं बदलावों और घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे।

 

क्या होता है कोलेस्ट्रॉल?

 

कोलेस्ट्रॉल लिवर से निकलने वाला एक वसा है, जो शरीर के कार्यों को सुचारु रूप से करने के लिए आवश्यक होता है। यह मोम की तरह चिकना पदार्थ होता है, जो रक्त में मौजूद प्लाज्मा की सहायता से शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचता है। शरीर की हर एक कोशिका को स्वस्थ्य रहने के लिए इसकी जरूरत होती है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को रक्त में घुलने नहीं देता।

 

हमारे शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है, पहला एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और दूसरा एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल गाढ़ा और अधिक चिपचिपा होता है, जो इसको लिवर से होते हुए कोशिकाओं में ले जाने का काम करता है। शरीर में एलडीएल की मात्रा बढ़ने पर यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप में इकट्ठा होने लगता है और कुछ समय बाद धमनियों को संकुचित कर देता है। परिणाम स्वरूप खून के बहाव में रुकावट पैदा होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मानव शरीर में एलडीएल की मात्रा औसतन 70 प्रतिशत होती है, जिसको कोरोनरी हृदय रोग (हृदय में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई का कम होना, सीएडी) और स्ट्रोक (लकवा) का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। जिसके कारण इसे बैड (खराब) कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है।

 

वहीं एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, जो काफी हल्का होता है। एचडीएल, इसको  कोशिकाओं से दूर वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में पहुंचकर एचडीएल इसको तोड़कर व्यर्थ पदार्थों के साथ शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। एचडीएल रक्त वाहिकाओं में जमे फैट को अपने साथ बहाकर ले जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक को बढ़ने से रोकता है।

 
 
 

खराब कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। इसके बढ़ने से हाई ब्लडप्रेशर और ओबेसिटी (मोटापा) के साथ निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं-

 

पेट में दर्द होना-

 

हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से पेट में दर्द शुरू होने लगता है। इसको हाई कोलेस्ट्रॉल का सबसे बड़ा और पहला साइड इफेक्ट माना जाता है। हालांकि पेट दर्द की दवा लेने से यह ठीक हो जाता है लेकिन यदि लंबे समय तक दर्द में आराम नहीं होता तो यह गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है।

 

पैरों का सुन्न पड़ना-

 

कुछ लोगों के पैर हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण सुन्न पड़ जाते हैं, इस समस्या को अनदेखा करने पर यह गंभीर रूप ले सकती है।

 

सीने में दर्द होना-

 

कुछ लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण उनके सीने में दर्द होता है। जिससे फेफड़ों की झिल्ली में सूजन आने के चांस बने रहते हैं। इसकी वजह से मरीज को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

 

दिल का दौरा पड़ना-

 

हाई कोलेस्ट्रॉल को ह्रदय रोग का मुख्य कारण माना जाता है। मरीज के रक्त में यह ज्यादा होने पर हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। रक्त में ज्यादा यह होने से धमनियों में जमाव होने लगता है।

 

धड़कनों का बढ़ना-

 

हाई कोलेस्ट्रॉल शरीर का वजन बढ़ाने का काम करता है। इससे रक्तचाप में परिवर्तन होता है और व्यक्ति जल्दी थकने लगता है। जिससे उसकी ह्दय की धड़कन तेज होने लगती है।

 

सांस फूलना-

 

शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने से लोगों का वज़न भी बढ़ने लगता है। ऐसे में हल्का सा टहलने पर भी सांस फूलने और पसीना आने जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं।

 

ब्लड फ्लो का कम होना-

 

कभी-कभी हाई कोलेस्ट्रॉल से शरीर में ब्लड फ्लो भी कम हो जाता है। जिससे नसों में सूजन, मेमोरी का कमजोर होना, पेट खराब आदि समस्याएं होने लगती हैं। रक्त के बहाव में कमी होना ही भविष्य में दिल से जुड़ी बीमारियां और खून के थक्के जमने का कारण बनता है।

 

क्या हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के मुख्य कारण?

 

शराब का सेवन करना-

 

शराब का अधिक मात्रा में सेवन करने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (एक प्रकार का वसा) की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही सेवन के वक्त प्रयोग में लाई जाने वाली फ्राई नमकीन, चिप्स, आदि चीज़ों को खाना कोलेस्ट्रॉल की परेशानी को डबल करने का काम करती हैं।

 

धूम्रपान करना-

 

धूम्रपान करना शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है। यह व्यक्ति की रक्त वाहिकाओं को नुक़सान पहुंचाकर अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को कम करता है। जिससे शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है।

 

अधिक तनाव–

 

ज्यादा तनाव में रहने से हमें मस्तिष्क एवं शारीरिक थकान जल्दी होती है, इस वजह से हम लोग अपना ध्यान काम में नहीं लगा पाते। परिणामस्वरूप अधिक तनाव महसूस होने पर इसमें बढ़ोतरी होती है।

 

संतुलित आहार की कमी–

 

शरीर में संतुलित आहार एवं जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने से भी इसकी समस्या बढ़ती है।

 

वंशानुगत या जेनेटिक कारण–

 

यदि परिवार में पहले से किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही है तो यह आपके लिए भी चिंता का विषय है। क्योंकि कुछ मामलों में हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण जेनेटिक पाया गया है।

 

अन्य बीमारियां-

 

शुगर और हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड, Underactive Thyroid) जैसी बीमारियां भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाने का काम करती हैं। इसलिए कोलेस्ट्रॉल लेवल को स्थिर रखने के लिए समय-समय पर मेडिकल जांच कराना आवश्यक है।

 

कोलेस्ट्रॉल के लिए कौन सा टेस्ट कराएं?

 

लिपिड प्रोफाइल ब्लड टेस्ट-

 

कोलेस्ट्रॉल की जांच की शुरूआत लिपिड प्रोफाइल ब्लड टेस्ट से होती है। इस टेस्ट के माध्यम से ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का पता लगाया जाता है।

 

“किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 मि.ग्रा/डीएल से कम, एचडीएल 60 मि.ग्रा./डीएल से अधिक और एलडीएल 100 मि.ग्रा/डीएल से कम होनी चाहिए।”

 

कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट-

 

कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट से रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों की जांच की जाती है। पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट 20 वर्ष की उम्र में कराना ठीक रहता है। उसके बाद हर पांच साल में एक बार इस टेस्ट को करवाना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति के रक्त में इसका स्तर सामान्य से अधिक है या परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही हो तो हर 2 से 6 महीने में जांच आवश्य करानी चाहिए।

 

मेटाबॉलिक सिंड्रोम की जांच-

 

मेटाबॉलिक सिंड्रोम की जांच के द्वारा भी हाई कोलेस्ट्रॉल का इलाज किया जाता है। इस जांच के बाद इसका अच्छा इलाज करने में आसानी होती है।

 

शुगर टेस्ट-

 

शुगर या डायबिटीज के कारण भी हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या पैदा होती है। इसलिए समय-समय पर शुगर टेस्ट कराते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त मधुमेह से पीड़ित लोगों को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।

 

लहसुन का सेवन करना-

 

हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए लहसुन को सबसे बढ़िया घरेलू उपाय माना जाता है। कुछ दिनों तक रोज लहसुन की दो कलियां खाकर इसको कम किया जा सकता है। लहसुन में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर को 9 से 15 प्रतिशत तक घटया जा सकता है।

 

नींबू का प्रयोग करना-

 

नींबू में ऐसे एंजाइम होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म के द्वारा बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन-सी की मात्रा होती है, जो रक्तवाहिका नलियों की सफाई करने का काम करता है। नींबू के अतिरिक्त लगभग सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे फाइबर होते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोककर शोधन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकाल देते हैं।

 

काले चनों का सेवन करना-

 

जिन लोगों को उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या रहती है उन्हें काले चनों का सेवन जरूर करना चाहिए। काले चनों में विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसके लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

 

आंवले का सेवन करना-

 

एक चम्मच आंवला रस में एक चम्मच एलोवेरा रस मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से हाई कोलेस्ट्रॉल को घटाया जा सकता है। आंवला में विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड होता है, जो इसके  लेवल को नियंत्रण करने में सहायता करता है।

 

अखरोट का सेवन करना-

 

अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ओमेगा-3, फाइबर, कॉपर और फॉस्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं, जो रक्तवाहनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल को पिघलाकर बैड (खराब) कोलेस्ट्रॉल को वापस यकृत (लिवर, Liver) में भेजने का काम करता है। इसलिए रोजाना चार अखरोट का सेवन जरूर करना चाहिए।

 

किशमिश और बादाम का सेवन करना-

 

रात को पानी में 10-12 किशमिश और 6-7 बादाम भिगो कर सुबह खाली पेट खाने से भी इसके लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

सरसों के तेल का इस्तेमाल करना-

 

सरसों के तेल में मोनो अनसैचुरेटेड (एकल असंतृप्त) फैटी और पॉली अनसैचुरेटेड (बहु असंतृप्त) फैटी एसिड उच्च मात्रा में पाया जाता है, जो अच्छे कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता रखता है।

 

ऑलिव आयल का इस्तेमाल करना-

 

ऑलिव आयल में मोनो अनसैचुरेटेड फैट होता है, जो इसके स्तर को स्थिर रखने का काम करता है। यद हृदय रोग की संभावना को कम करता है। साथ ही हाई ब्लड प्रैशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखने का काम करता है।

 

आरोग्यमशक्ति कोलेस्ट्रॉल लोशन का इस्तेमाल करना-

 

खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए वेदोबी द्वारा तैयार कोलेस्ट्रॉल लोशन (CHOLESTEROL LOTION) एक चमत्कारिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट है। यह अलसी, कलौंजी, सहजन,अर्जुन, इन्द्रायण आदि प्राकृतिक औषधियां से तैयार किया गया है। इसके लोशन को सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिए तैयार किया गया है। इसकी पांच से छ: बूंदों से दिन में दो बार हथेली और पैरों के तलवों में मालिश करने से खराब कोलेस्ट्रॉल में कमी होती है। यह लोशन धमनियों के ब्लॉकेज को हटाकर ह्रदय को स्वस्थ रखता है और ह्रदय रोग की संभावना को 99% कम करता है।

 

कब जाएं डॉक्टर्स के पास?

 

यदि आपको अपनी बॉडी से निम्नलिखित बातों का संकेत मिलता है तो निश्चित ही आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा हुआ है। ऐसे में बिना देरी किए तुरन्त डॉक्टर से मिलें।

 
  • तेज सर दर्द या मस्तिष्क में दर्द होने पर।
  • जरूरत से ज्यादा पसीना आने पर।
  • कम चलने पर भी ज्यादा सांस फूलने पर।
  • कई दिनों तक लगातार पैरों में दर्द रहने पर।
  • सीने में दर्द या बेचैनी महसूस होने पर।
  • माइग्रेन का दर्द होने पर।
  • जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होने पर।
  • लगातार वजन बढ़ने पर।
  • दिल का जरूरत से तेज धड़कने पर आपको शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
 

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