टाइफाइड फीवर के लक्षण, कारण और घरेलू उपाय
2022-05-24 16:28:56
मनुष्य के शरीर का तापमान, सामान्य तापमान से एक डिग्री भी ऊपर चढ़ता है तो मनुष्य फीवर (बुखार) से पीड़ित हो जाता है। डॉक्टर के अनुसार फीवर अक्सर एक संकेत देता है कि शरीर किसी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण से लड़ रहा है। टाइफाइड फीवर एक अंतर्निहित बैक्टीरियल बीमारी (शरीर के अंदर बैक्टीरिया के संक्रमण) के कारण होता है। यह एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन (gastrointestinal infection) है। जो साल्मोनेला टाइफी (S.typhi) की वजह से होता है। टाइफॉइड होने पर तेज बुखार, डायरिया और उल्टी सामान्यतः होती ही हैं।
दूषित भोजन या पानी के जरिए इस बैक्टीरियल इंफेक्शन का शरीर में प्रवेश आसानी से होता है। परिणामस्वरूप यह बैक्टीरिया शरीर की कोशिकाओं के भीतर संक्रमण फैलाते हैं। जो तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं। जिससे शरीर के तापमान में अचानक वृद्धि होती है। टाइफाइड बुखार, अंतर्निहित संक्रमण के आधार पर लगभग 104 डिग्री तक या इससे अधिक के तापमान में होते हैं। लेकिन सामान्य रूप से टाइफाइड की जांच ब्लड टेस्ट से की जाती है।
क्या होते हैं टाइफाइड फीवर के लक्षण?
टाइफाइड बुखार के लक्षण सामान्य बुखार की तरह ही होते हैं। लेकिन इनको नजरअंदाज करने से यह गंभीर रूप ले सकते हैं। इलाज के अभाव में बैक्टीरिया (जीवाणुओं) के पनपने की संभावना अधिक रहती है। टाइफाइड फीवर एक संक्रामक रोग है। जो संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित व्यक्ति में प्रसारित होता है। इसके अलावा मौसम में बदलाव और कुछ गलत आदतों की वजह से भी इस बुखार के वायरस बहुत परेशान करते हैं। टाइफाइड तेज बुखार से जुड़ा रोग है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया द्वारा फैलता है। क्योंकि यह दूषित भोजन और पानी से फैलने वाला संक्रमण है। आइए बात करते हैं टाइफाइड बुखार के सामान्य लक्षण के बारे में-
- अधिक थकान महसूस होना।
- शरीर का तेजी से तापमान बढ़ना।
- तेज ठंड लगना।
- तेस सिरदर्द होना।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी)।
- भूख में कमी होना।
- आंखों में लाली एवं जलन होना।
- त्वचा के ऊपर रैशेज होना।
- सुस्ती एवं आलस्य महसूस करना।
- लिवर और स्प्लीन (तिल्ली) का बढ़ जाना।
- दस्त और कब्ज होना।
- पेट में तेज दर्द होना।
क्या होते हैं टाइफाइड फीवर के कारण?
ऐसे कई कारण हैं जिनसे लोग टाइफाइड फीवर से ग्रसित हो सकते हैं। मुख्यत: टाइफाइड बुखार शरीर में साल्मोनेला टाईफी बैक्टीरिया के पनपने से होता है। जिसके विषय में कहा जाता है कि यदि यह बैक्टीरिया या वायरस शरीर में प्रवेश कर लेता है तो वह 2 से 3 दिन में पूरे शरीर को संक्रमित कर देता है। आइए जानते हैं इसके कुछ कारणों के बारे में-
- दूषित जीवाणुओं वाला भोजन और जल का प्रयोग करने से।
- संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से।
- प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाने से।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना।
- टाइफाइड बुखार का एक कारण मौसम परिवर्तन भी है।
- इलाज के दौरान दूषित रक्त चढ़ाने से।
टाइफाइड फीवर के समय बरतें यह सावधानियां-
जीवनशैली में बदलाव-
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- अपने हाथों को गर्म पानी एवं साबुन से धोएं।
- साफ उबले हुए पानी का सेवन करें।
- कच्चे आहार का सेवन न करें।
- उचित तरीके से पका हुआ गर्म भोजन ही खाएं।
- बाहरी दुकानों के पेय और खाद्य पदार्थों से बचें।
- खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
- संक्रमित लोगों को घरेलू कार्यों से दूर रखें।
आहार में बदलाव-
- टाइफाइड में लहसुन प्याज आदि तीव्र गंध वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
- गैस बनाने वाले आहार जैसे मटर, कटहल, अनानास आदि का सेवन टाइफाइड से संक्रमित व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।
- टाइफाइड बुखार से ग्रसित लोगों को मिर्च, सॉस, सिरका आदि से परहेज करना चाहिए।
- टाइफाइड फीवर होने पर उच्च रेशेदार फल एवं सब्जियां जैसे केला, पपीता, शक्करकन्द, साबुत अनाज आदि से परहेज करें।
- इससे संक्रमित होने पर घी, मक्खन, तले हुए भोजन और मिठाइयों के सेवन से बचें।
- टाइफाइड बुखार में भारी एवं मांसाहारी भोजन करने से बचें।
- इससे पीड़ित व्यक्तियों को किसी भी तरह का भारी खाना नहीं खाना चाहिए।
- टाइफाइड में धूम्रपान और अल्कोहल आदि के सेवन से परहेज करें।
टाइफाइड फीवर के कुछ घरेलू उपाय:
फलों के रस का सेवन-
टाइफाइड फीवर शरीर में डिहाइड्रेशन की वजह बनते हैं। इसलिए मरीज को कुछ समय के अंतराल पर तरल पदार्थ जैसे उबला पानी, ताजे फल का जूस, हर्बल चाय आदि का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से कमजोरी की स्थिति दूर होती है और बीमारी में राहत मिलती है।
गिलोय टाइफाइड बुखार से छुटकारा दिलाने में मददगार-
गिलोय एक ज्वरनाशी औषधि है। अर्थात पुराने से पुराने बुखार के इलाज में गिलोय का सेवन करना एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए 4-6 सेमी लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी में तबतक उबालें जबतक पानी जलकर एक तिहाई न हो जाए। उसके बाद उस पानी को पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
तुलसी है फायदेमंद-
खांसी, जुकाम, दस्त या अन्य तरह के संक्रमण होने पर तुलसी का उपयोग घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। यह शरीर के वायरस एवं बैक्टीरिया को खत्म करती है। तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाती है। इसके लिए एक चम्मच लौंग के चूर्ण और दस से पंद्रह तुलसी के ताजे पत्तों को करीब एक लीटर पानी में डालकर उसे तब तक उबाले जब तक वह आधा न हो जाए। अब उसके काढ़े को छान ले और चाय की तरह पिएं। ऐसा करने से टाइफाइड फीवर से जुड़ी तमाम परेशानियों में आराम मिलता हैं। इसके अलावा टाइफाइड होने पर तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से भी टाइफाइड में फायदा होता है।
हल्दी और सोंठ-
सोंठ यानि सूखी अदरक जिसमें जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। यह गुण शरीर में संक्रमण फ़ैलाने वाले जीवाणुओं का खात्मा करते हैं। इसके लिए एक चम्मच काली मिर्च के चूर्ण में एक छोटी चम्मच हल्दी, एक चम्मच सौंठ का चूर्ण और थोड़ी सी चीनी मिलाएं। अब इसे एक कप पानी में डालकर गर्म करें और फिर ठंडा करके पिएं। ऐसा करने से टाइफाइड बुखार में फायदा होता है।
नींबू और शहद से-
आयुर्वेद के अनुसार नींबू और शहद दोनों में ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। इसीलिए आयुर्वेदिक चिकित्सक टाइफाइड बुखार होने पर नींबू और शहद के उपयोग की सलाह देते हैं। क्योंकि यह मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और साथ में इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करें।
धनिया की चाय-
धनिया के बीज वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए हमारी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया पाउडर, थोड़ा-सा दूध और चीनी डालकर चाय बनाकर रोगी को दिन में दो बार पिलाएं। ऐसा करने से टाइफाइड बुखार में लाभ होता है। इस आधार पर कहा जाता है कि टाइफाइड फीवर में धनिया चाय बहुत ही असरदार औषधि का काम करती है।
लहसुन है फायदेमंद-
लहसुन तासीर से गर्म और प्राकृतिक एंटीबायोटिक होता है। इसलिए लहसुन की 5 से 7 कलियों को पीसकर घी में तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं। ऐसा करने से यह शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यूनिटी भी को बढ़ाता है।