क्या है ऑस्टियोपोरोसिस, कैसे करे इसका उपचार?
2022-05-24 16:24:28
वर्तमान समय में गांव हो या शहर हड्डी और जोड़ों की समस्या हर जगह आम बात हो गई है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ-साथ खुद पे खुद विकसित होने लगती है। इसी तरह की एक बीमारी है ऑस्टियोपोरोसिस। यह समस्या ज्यादातर बुजुर्गो में देखने को मिलती है। लेकिन आजकल बदलते परिवेश के कारण यह बीमारी युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। वहीं, इसका प्रभाव पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। खासतौर पर उनमें जिनका वजन अधिक होता है।
ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ पोरस बोन्स अर्थात जिसमें हड्डियों की गुणवत्ता और घनत्व कम हो जाता है। दरअसल शरीर की हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस प्रोटीन और कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। लेकिन गलत खान-पान, आधुनिक जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ यह मिनरल नष्ट होने लगते हैं। परिणामस्वरूप हड्डियों का घनत्व कम एवं कमजोर होने लगता है। कई बार हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती स्टेज में लक्षण सामने नहीं आते हैं। लेकिन जब हड्डियों को काफी नुकसान पहुंचने लगता है तो इसके लक्षण समझ में आने लगते हैं। आइए एक नजर डालते हैं इन्हीं लक्षणों के बारे में:
- कमजोरी या थकान महसूस करना।
- छोटी चोट में भी फ्रैक्चर होना।
- शरीर की ऊंचाई का कम होना।
- जोड़ों में अत्यधिक दर्द, पीठ में अधिक दर्द होना।
- शरीर का झुकना।
- जोड़ों में जकड़न या सूजन होना।
- चलने-फिरने में तकलीफ होना।
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण
ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं;
बढ़ती उम्र
ऑस्टियोपोरोसिस का सबसे बड़े कारणों में से एक है बढ़ती उम्र का होना। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की हड्डियां टूटती रहती हैं और नई हड्डियां बढ़ती रहती हैं। लेकिन 40 से 50 साल के बाद हड्डियां वापस बढ़ने के बजाय तेजी से टूटने लगती हैं। परिणामस्वरूप हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती हैं। उपरोक्त आयु के दौरान यह समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है। क्योंकि इस समय उनके हार्मोनल स्तर में बदलाव होता हैं। जिसके कारण शरीर से हड्डियां खत्म होने लगती हैं।
आनुवंशिकी कारण का होना
कुछ बीमारी आनुवंशिकी होती हैं। जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के सदस्यों में फैलती रहती हैं। इनमें ऑस्टियोपोरोसिस भी शामिल है। जो उन लोगों को हो सकती है। जिनके परिवार में कोई अन्य व्यक्ति पहले इससे पीड़ित रहा हो।
शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी का होना
शरीर को सभी तरह के पौष्टिक पदार्थों की आवश्यकता होती है। क्योंकि यह पदार्थ शरीर को सेहतमंद बनाते हैं। इसमें कैल्शियम और विटामिन डी भी शामिल हैं। जिसका मुख्य काम हड्डियों को मजबूत करना होता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति कैल्शियम और विटामिन युक्त तत्वों का सेवन नहीं करता तो उसे ऑस्टियोपोरोसिस समेत अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
किसी दवाई का दुष्प्रभाव होना
बीमार होने पर डॉक्टर हमें कुछ दवाईयां देते हैं। जो हमें ठीक होने में सहायता करती हैं। लेकिन साथ में इन दवाईयों के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना
ऑस्टियोपोरोसिस गठिया होने का प्रमुख कारण कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) होता है। इसलिए लोगों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए ताकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।
ऑस्टियोपोरोसिस के अन्य कारण
- शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर।
- व्यायाम न करने पर।
- धूम्रपान और अल्कोहल का अधिक सेवन करने पर।
- डायबिटीज एवं थाइराइड होने पर।
- सूर्य के प्रकाश का शरीर पर न पड़ना।
- पर्यावरण का प्रदूषित होना।
- मीनोपॉज में महिलाओं में कम एस्ट्रोजन का स्तर होना।
- कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी और रूमेटाइड आर्थराइटिस।
- बिना मूवमेंट की लाइफस्टाइल का होना।
कैसे करें ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम?
ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। जिससे रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन लोग कुछ सावधानियों को बरतें तो वह ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम कर सकते हैं;
- आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन इत्यादि पौष्टिक युक्त भोजन का सेवन करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। ताकि वह लोग सेहतमंद रहें।
- सभी लोगों को अपने वजन को नियंत्रित करना चाहिए। जिससे उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी न हो सके।
- अपने स्वास्थ्य को नियमित रूप से चेक करवाएं। जिससे पता चलता है कि हम पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपाय
सेब का सिरका
सेब के सिरके का उपयोग कई मामलों में सेहत के लिए लाभप्रद साबित होता है। क्योंकि यह कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह पोषक तत्व हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए सेब का सिरका ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया के उपचार के लिए अच्छा माना जाता है।
विटामिन युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज और रोकथाम में विटामिन्स का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, विटामिन-डी आंतों में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। वहीं, विटामिन-सी हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है। इसलिए हमें अपने भोजन में विटामिन से समृद्ध खाद्य पदार्थों जैसे पनीर, खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि का सेवन करना चाहिए।
एसेंशियल ऑयल फायदेमंद
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने या लक्षणों को कम करने के लिए एसेंशियल ऑयल का सेवन अच्छा उपाय हैं। क्योंकि इनमें थाइमोल, बोर्नियोल,अल्फा-पिनीन, बीटा-पिनीन और मेन्थॉल जैसे घटक पाए जाते हैं। यह सभी तत्व हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ाने और ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को कम करने में सहायक होते हैं।
त्रिफला हैं फायदेमंद
आयुर्वेद के अनुसार हड्डियों की समस्याओं से बचाने के लिए त्रिफला का सेवन अच्छा माना जाता है। त्रिफला तीन आयुर्वेदिक औषधियों हरड़, बहेड़ा और आंवला से मिलकर बना होता है। जो हड्डियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही इसमें एंटी-अर्थराइटिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाते हैं। जो हड्डियों के कोलेजन को बढ़ाने के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में मदद करते हैं।
डैंडिलियन चाय
डैंडेलियन को सिंघपर्णी के नाम से भी जाना जाता है। इससे कई बिमारियों का उपचार किया जाता हैं। क्योंकि इसमें इनुलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एक प्रकार कर कार्बोहाइड्रेट होता है। यह तत्व कई बीमारियों को दूर करने के अलावा हड्डियों की कमजोरी को दूर करने में भी सहायक होता है।
धनिया
धनिया हड्डियों की मजबूती और उन्हें बनाने वाले ऊतकों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। एक रिसर्च पेपर के अनुसार, धनिया पत्ते में सिलिकान नामक तत्व पाया जाता है। जो हड्डियों को स्वस्थ रखने और ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम के लिए अच्छा साबित होता है।
ब्रोकली हैं फायदेमंद
ब्रोकली को खाने से हड्डियां एवं शरीर की जोड़े मजबूत रहती हैं। दरअसल ब्रोकली विटामिन-के, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर होती है। यह पौष्टिक तत्व हड्डियों को मजबूत रखने का काम करते हैं। इसलिए जिन लोगों की हड्डियां और जोड़े कमजोर हैं उन्हें अपने आहार में ब्रोकली को जरूर शामिल करना चाहिए।