कब होती है नसों में कमजोरी? जानें इसके कारण, लक्षण और निदान
2023-03-02 12:17:59
आधुनिक जीवन शैली और गलत खान-पान के कारण अक्सर शरीर में पोषण की कमी हो जाती है। जिसके कारण शरीर में कई ऐसी बीमारियां स्वतः उत्पन्न होने लगती हैं। इन्हीं बीमारियों में शामिल हैं नसों की कमजोरी। नसों में कमजोरी आना एक आम समस्या है जिसका मतलब नसों की गतिविधियों का ठीक से काम न कर पाना है। आम तौर पर इसे मेडिकल भाषा में न्यूरोपैथी कहा जाता है। यह एक तंत्रिका संबंधी विकार है। जिसके कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती है, जो लोग शरीर से अधिक कमजोर होते हैं अर्थात जिन लोगों में पोषण की कमी होती है।
नसों में कमजोरी के कारण-
नसों में कमजोरी या दर्द होने के पीछे कई कारण होते हैं। जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना-
शरीर को सभी तरह के पौष्टिक पदार्थों की आवश्यकता होती है। क्योंकि यह पदार्थ शरीर को सेहतमंद बनाते हैं। इसमें विटामिन और मिनरल्स भी शामिल हैं। जिसका मुख्य काम नसों को मजबूत करना होता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति पौष्टिक युक्त तत्वों का सेवन नहीं है। इस स्थिति में उसे उसे नसों में कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
किसी दवाई का दुष्प्रभाव होना-
बीमार होने पर डॉक्टर हमें कुछ दवाइयां देते हैं। जो हमें ठीक होने में मदद करती हैं। लेकिन साथ में इन दवाईयों के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। जिसकी वजह से नसों में कमजोरी जैसी कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना-
नसों की कमजोरी होने का प्रमुख कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) होता है। इसलिए लोगों को नियमित रूप से योग और व्यायाम करना चाहिए। जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली क्षमता मजबूत बना रहें।
नसों में कमजोरी के अन्य जोखिम कारक-
- किसी दुर्घटना के कारण शरीर पर लगने वाली चोट की वजह से नसों में क्षति या सूजन होना।
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं अन्य ह्रदय संबंधी समस्या होने पर।
- आर्टरी वाल्व के अंदर फैट का जमा होने पर।
- गलत या अस्वस्थ आहार लेने पर।
- मस्तिष्क संबंधी बीमारी जैसे डिप्रेशन आदि होने पर।
- शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने पर।
- नसों को नुकसान पहुंचाने वाले ड्रग्स का सेवन करने पर।
- कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के कारण।
- कोई संक्रामक बीमारी हो जिसका सीधा संपर्क नसों की कार्यक्षमता पर पड़ता है।
नसों के कमजोर होने के लक्षण-
- नसों में जान महसूस न होना।
- प्रभावित अंगों में अधिक दर्द या मरोड़ होना।
- मस्तिष्क के आस-पास रक्त की कमी होना।
- नसों में तनाव महसूस करना।
- प्रभावित अंगों में झनझनाहट या सुन्नता महसूस करना।
- अधिक गर्मी का अहसास करना या पसीना आना।
- मांसपेशियों में कमजोरी या थकावट होना।
- झटका लगना।
- सूंघने, देखने और स्वाद चखने में कमी आना।
- मानसिक संबंधी परेशानी या व्यवहार संबंधी समस्या होना।
- किसी चीज को छूने या सुनने की क्षमता में कमी होना।
- कैसे करें नसों में कमजोरी से बचाव?
नसों की कमजोरी से पीड़ित मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन लोग कुछ सावधानियों को बरतें तो वह नसों की कमजोरी से बचाव कर सकते हैं;
- विटामिन और खनिज युक्त भोजन का सेवन करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- नियमित रूप से योग और व्यायाम करें।
- विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचें।
- डायबिटीज या अन्य शारीरिक समस्याओं को नियंत्रित रखें।
- अपने वजन को नियंत्रित रखें । ताकि किसी प्रकार का गंभीर बीमारी न हो सके।
- खेल के दौरान समय अपने पैरों को बचाकर रखें।
- शराब का सेवन करने से बचें।
नसों की कमजोरी का परीक्षण-
- पुरानी समस्याओं की जांच करवाएं।
- ब्लड टेस्ट या इमेजिंग टेस्ट करवाएं।
- इलेक्ट्रोमीग्राफी जांच करवाएं। इससे नसों के कार्यों का पता चलता है।
- नसों की असामान्यताएं देखने के लिए कभी-कभी चिकित्सक नसों की बायोप्सी कराने की सलाह देता है।
- त्वचा की बायोप्सी आदि।
नसों में कमजोरी के घरेलू उपाय
आयुर्वेदिक ऑयल मसाज-
नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक ऑयल की मसाज को कारगर उपाय माना जाता है। इसके लिए लैवेंडर एसेंशियल ऑयल, यूकलिप्टस, पेपरमिंट, कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल से प्रभावित जगहों पर हल्के हाथों से मालिश करें। ऐसा करने से नसें और मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे प्रभावित जगह की दर्द एवं सूजन भी कम होती है।
एप्सम साल्ट-
नसों से जुड़ीं समस्याओं के लिए एप्सम साल्ट का उपयोग किया जाता है। इससे संबंधित एनसीबीआई के एक शोध के मुताबिक, एप्सम साल्ट को कई न्यूरोलोजिकल डिजीज (नसें संबंधी बीमारी) जैसे पार्किन्संस रोग, अल्जाइमर, मिर्गी और स्ट्रोक में उपयोगी माना गया है। इसके लिए एप्सम साल्ट युक्त पानी से स्नान करने प्रभावित अंग का इससे सिकाई करने से काफी हद तक आराम मिलता है।
अश्वगंधा-
कमजोर नसों के इलाज के लिए अश्वगंधा का सेवन एक प्राकृतिक उपचारक है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक अफ्रीकन जर्नल के अनुसार अश्वगंधा नर्वाइन टॉनिक (नसों को पुनर्जीवित करने वाला) की तरह काम करता है। इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो नसों की कमजोरी और इससे संबंधी परेशानियों से राहत दिलाता है। इसप्रकार अश्वगंधा कमजोर नसों के लिए कारगर साबित होता है।
सूरज की रोशनी-
नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए सूरज की रोशनी फायदेमंद होती हैं। इससे राहत पाने के लिए प्रतिदिन कुछ देर तक धूप में बैठें। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नसों की कमजोरी विटामिन-डी की कमी के कारण भी हो सकती है। चूंकि सूरज की किरणें विटामिन-डी का एक बड़ा स्रोत हैं, जो शरीर में विटामिन-डी की मात्रा को बढ़ाने का काम करती हैं। नसों में कमजोरी के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ-
विटामिन और खनिज युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन-
नसों में कमजोरी के इलाज और बचाव में विटामिन और खनिज युक्त खाद्य पदार्थो का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। एक शोध के अनुसार, विटामिन-डी आंतों में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। वहीं, विटामिन-सी नसों या मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। इसलिए हमें अपने भोजन में विटामिन से समृद्ध खाद्य पदार्थों जैसे पनीर, खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि का सेवन जरुर करना चाहिए।
दूध का करे सेवन-
दूध में विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। जो नसों के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है। इसलिए प्रतिदिन दूध पीने से नसों की कमजोरी दूर करने में सहायक होती है। इसके अलावा दूध कैल्शियम से समृद्ध है, जो कमजोर मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। साथ ही इसके निरंतर सेवन से शरीर हाइड्रेट भी रहता है।
आंवला है फायदेमंद-
आंवला कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन एवं विटामिन बी से भरपूर है। यह सभी तत्व कमजोर नसों के लिए बेहद जरुरी होते । इसके अलावा आंवला में प्राकृतिक एनाल्जेसिक गुण पाया जाता है, जो कमजोर नसों के कारण होने वाले दर्द को कम करता है।
केला खाएं-
केला शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए बेहतरीन उपाय है। दरअसल केले में सुक्रोज और ग्लूकोज जैसे कार्बोहाइड्रेट मौजूद है। साथ ही केले में पोटैशियम और मैग्नीशियम की प्रचूर मात्रा पाई हैं जाती है, जो कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में परिवर्तित करती है। यह ऊर्जा कमजोर नसों को दूर करने में बेहद जरुरी है।
कैमोमाइल चाय-
नसों की कमजोरी दूर करने के लिए कैमोमाइल चाय का उपयोग फायदेमंद होता है। दरअसल इसमें एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों को नष्ट करने वाला) और न्यूरोप्रोटेक्टिव (नसों का बचाव करने वाला) गुण मौजूद होता है। यह तनाव को दूर करने के साथ नसों संबंधित समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके लिए प्रतिदिन कैमोमाइल के सूखे फूलों से बने चाय का सेवन करें।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- नसों की कमजोरी गंभीर होने पर।
- चलने-फिरने या अंगों को हिलाने में अधिक कठिनाई होने पर।
- अधिक बेचैनी, उलझन एवं कुछ समझने में कठिनाई महसूस करने पर।