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क्यों होता है वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन? जानें इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

क्यों होता है वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन? जानें इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-03-17 11:06:06

वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन क्या होता है?

वैजाइना में यीस्ट इंफेक्शन कैंडिडा एल्बिकांस नामक फंगस के कारण होता है। योनि (Vagina) में थोड़ा यीस्ट होना सामान्य है, लेकिन कभी-कभी यह संतुलन बिगड़ जाता है और यीस्ट की मात्रा योनि में बढ़ जाती है। हार्मोन्स में बदलाव, वैजाइनल डूशिंग, अनियंत्रित डायबिटीज,अधिक एंटीबायोटिक्स, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और कसे हुए गीले कपड़े पहनने की वजह से यह संक्रमण हो सकता है। यह स्थिति योनि में खुजली और जलन का कारण बनती है। गर्भवती महिलाओं में यीस्ट इंफेक्शन होना आम बात है।क्योंकि गर्भावस्था के दौरान हार्मोन, योनि में प्राकृतिक रूप से होने वाले जीवाणुओं के संतुलन को प्रभावित करते हैं। कैंडिडा प्राकृतिक रूप से योनि में होता है। जो आमतौर पर कोई समस्या उत्पन्न नहीं करता।क्योंकि अन्य प्राकृतिक जीवाणु उस पर नियंत्रण रखते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान योनि में ग्लाइकोजेन नामक तत्व बढ़ जाता है। यह कैंडिडा की तीव्र वृद्धि को बढ़ावा देता है।जिसकी वजह से यीस्ट संक्रमण होता है। गर्भावस्था के दौरान यीस्ट संक्रमण शिशु के लिए कोई समस्या पैदा नहीं करता।लेकिन इसका उपचार न कराया जाए तो प्राकृतिक प्रसव के दौरान जनन मार्ग से बाहर निकलते समय यह संक्रमण शिशु तक पहुंच सकता है। वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है। 4 में से 3 महिलाओं को पूरे जीवन काल में एक बार यीस्ट संक्रमण का अनुभव ज़रूर करती हैं।

 
वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण-
  • योनी में खुजली, जलन या असहजता महसूस होना।
  • योनि या योनि मार्ग में दर्द होना।
  • सेक्स या मूत्र त्याग के समय जलन महसूस होना।
  • सफ़ेद और गाढ़ा योनिस्राव होना।
  • लाल चकत्ते या दाने होना।
  • कभी-कभी यह संक्रमण इतना जटिल हो जाता है कि त्वचा में घाव हो जाते हैं।
वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन के कारण-
गर्भावस्था:

एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में यीस्ट संक्रमण का कारण बनता है।

 
माहवारी:

सामान्य मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोन के स्तर में परिवर्तन योनि के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।जो कभी-कभी यीस्ट संक्रमण का कारण बन जाता है। यह मासिक धर्म के दौरान लंबे समय तक पैड्स न बदलने या सफाई न रखने के कारण भी हो सकता है।

 
एस्ट्रोजन का बढ़ा स्तर:

जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाएं लेती हैं उनमें एस्ट्रोजन का स्तर सामान्य से अधिक होता है।जो यीस्ट संक्रमण की संभावना को बढ़ाता है।

 
शुगर:

किसी भी प्रकार की डायबिटीज होने पर यीस्ट संक्रमण होने की संभावना अधिक हो जाती है।

 
एंटीबायोटिक्स:

अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स (दवाओं) का सेवन सेहत को अच्छा रखने वाले बैक्टीरिया, लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (lactobacillus acidophilus) को नष्ट कर देता है। जिस कारण यीस्ट की संख्या में वृद्धि होने से संक्रमण पैदा होता है।

 
कमज़ोर इम्यून सिस्टम:

जिन महिलाओं का प्रतिरक्षा तंत्र कॉर्टिकोस्टेरॉइड (corticosteroid) थेरेपी या एचआईवी संक्रमण के कारण कमज़ोर हो जाता है। उनमें भी यीस्ट संक्रमण तेज़ी से फैलता है।

 
वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन से बचाव-
  • डचिंग(Douching) से बचें। यह आमतौर पर पानी और सिरके के मिश्रण से योनि को धोने की एक विधि है। एंटीसेप्टिक और सुगंध से युक्त डच(Douche) की दवा दुकानों परमिलती हैं। यह बोतल या बैग में आता है और ट्यूब के माध्यम से योनि की सफाई के लिए स्प्रे किया जाता है।
  • योनि में डिओडोरेंट या डिओडोरेंट पैड्स के इस्तेमाल से बचें।
  • कॉटन के अंडरगार्मेंट्स का उपयोग करें।
  • ढीले ढाले पैन्ट्स या स्कर्ट्स पहनें।
  • अंडरगार्मेंट्स को गर्म पानी से धोएं।
  • स्वस्थ्य और संतुलित आहार खाएं।
  • गीले कपड़ें (स्विमिंग सूट) तुरंत बदलें।
  • बाथ टब में स्नान करने से बचें।
वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन का इलाज-
कम जटिल यीस्ट संक्रमण-

इसका इलाज दो तरीकों से किया जाता है। पहला, वैजाइनल थैरेपी और दूसरा दवाओं के सेवन द्वारा। यह दोनों ही तरीके डॉक्टर के परामर्श पर ही अपनायें। अर्थात किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। क्योंकि यह दवाएं रिएक्शन (Reaction) भी कर सकती है। जिसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं।

 
जटिल यीस्ट संक्रमण-

जटिल यीस्ट संक्रमण का इलाज भी वैजाइनल थैरेपी और मौखिक रूप से ली जाने वाली दवाओं द्वारा ही किया जाता है। इसमें अधिक समय तक वैजाइनल थैरेपी दी जाती है। (लगभग 7 से 14 दिनों की) जिसमें वैजाइनल क्रीम का इस्तेमाल और दवाओं का नियमित सेवन करना पड़ता है।

 
वैजाइनल यीस्ट इंफेक्शन का घरेलू उपचार
नारियल तेल-

नारियल तेल में एंटीफंगल प्रॉपर्टीज़ होती हैं। जिससे वैजाइनल इंफेक्शन में राहत मिलती है। अच्छे ऑर्गैनिक कोकोनट ऑयल को प्राइवेट पार्ट पर बाहरी और अंदर दोनों जगहों पर लगाना फायदेमंद होता है। यह खुजली और दर्द में आराम देकर इंफेक्शन को बढ़ने से रोकता है।

 
लहसुन-

इसे लगाकर नहीं बल्कि खाकर यीस्ट इंफेक्शन में आराम पाया जाता है। क्योंकि लहसुन में एंटीफंगल और एंटीबायोटिक प्रोपर्टीज़ होती हैं।जो स्किन पर होने वाले किसी भी तरह के इंफेक्शन में राहत देने का काम करती हैं। इतना ही नहीं कई वैजाइनल क्रीमों में लहसुन मौजूद होता है। जिससे रेडनेस और दर्द में राहत मिलती है।

 
दही-

दही में अच्छे बैक्टिरिया (प्रोबायोटिक) पाए जाते हैं।जो शरीर में यीस्ट या बुरे बैक्टिरिया को फैलने से रोकते हैं। इसीलिए यीस्ट इंफेक्शन में राहत पाने के लिए दही खाना फायदेमंद होता है और इसे वैजाइना की बाहरी लेयर पर भी लगा सकते हैं। बस ध्यान रखें कि दही सादा हो, उसमें किसी भी प्रकार का कोई फ्लेवर और चीनी न पड़ी हो।

 
एपल साइडर विनेगर-

यीस्ट इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए सबसे पॉपुलर उपाय है एपल साइडर विनेगर। इसे सीधा वेजिना के आस-पास लगाने के बजाय इसे पीना बेहतर होता है। यीस्ट इंफेक्शन (Vaginal Yeast Infection) में राहत पाने के लिए एपल साइडर विनेगर को दिन में 2 या 3 बार दो-दो चम्मच पिएं।

 
टी ट्री ऑयल-

इस तेल में मौजूद एंटी फंगल प्रोपर्टीज़ यीस्ट को जड़ से खत्म कर देती हैं। यह बात कई रिसर्च में भी साबित हुई हैं। लेकिन इसे डायरेक्ट लगाने के बजाय वेजिटेबल ऑयल या नारियल तेल में में मिक्स करके लगाएं।अगर इसे लगाने से खुजली या जलन हो तो इसे अवॉइड करें।

 
कब जाएं डॉक्टर के पास?

सभी महिलाओं को यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण महसूस नहीं होते। क्योंकि संक्रमण काम होने पर लक्षण भी बहुत सूक्ष्म होते हैं। लेकिन निम्न में से कोई भी लक्षण का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं-

  • योनि में या इसके आसपास खुजली और दर्द का अनुभव होने पर।
  • योनि के आसपास का स्थान लाल होने पर।
  • सेक्स करने के दौरान तकलीफ होने पर।
  • मूत्र त्याग करते समय चुभन जैसा महसूस होने पर।
  • बदबूदार डिस्चार्ज होने पर।

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