एसिडिटी के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
2022-05-24 18:24:26
एसिडिटी पाचन तंत्र से संबंधित एक नॉर्मल प्रॉब्लम है। जो लगभग हर एक व्यक्ति को होती है। यह समस्या अधिक तेल, मसालेदार और कभी-कभी अनुचित भोजन करने के कारण होती है। जिससे व्यक्ति को पेट की जलन और खट्टी डकारों का सामना करना पड़ता है।
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ रिपोर्ट की माने तो भारत में करीब एक करोड़ लोग एसिडिटी (पेट में जलन) की समस्या से ग्रस्त हैं। वैसे तो एसिडिटी एक आम समस्या है, पर कुछ लोगों में यह समस्या समय के साथ बढ़ने लगती है। इसलिए इसको नजरअंदाज करना ठीक नहीं है।
एसिडिटी क्या है?
भोजन करने के बाद और अन्य समय में हमारा पेट हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव करता है। जो खाने को तोड़कर पचाने में मदद करता है। लेकिन कभी-कभी पेट में गैस्ट्रिक ग्लेंड या हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन सामान्य से बढ़ जाता है। और एक समय के बाद यह एसिड पेट की भोजन नली में आ जाता है। जिसके कारण पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और खट्टी डकार शुरू हो जाती हैं। इस स्थिति को एसिडिटी (Acidity) कहते हैं।
एसिडिटी के कारण;
एसिडिटी कई कारणों से होती हैं। जिनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं-
- सामान्य से अधिक भोजन कर लेना।
- अधिक नमक वाले खाने का सेवन करना।
- ज्यादा मिर्च-मसाले और तेल वाला भोजन करना।
- ज्यादा एसिड पदार्थों का सेवन करना।
- भोजन का ठीक से न पचना।
- भोजन करके तुरंत लेटना या सो जाना।
- अधिक समय तक भूखा रहना।
- दर्दरोधी दवाओं का अधिक सेवन करना।
- पूरी नींद न लेना।
- अधिक तनाव लेना। जिससे भोजन को हजम होने में कठनाई होती है।
- अधिक धूम्रपान करना।
- अधिक मात्रा में शराब और कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन करना।
- गर्भवती महिलाओं में भी एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की समस्या हो जाती है।
एसिडिटी के लक्षण;
- सीने में जलन होना।
- मितली और उल्टी होना।
- अधिक डकार आना।
- मुंह का स्वाद कड़वा होना।
- पेट का फूल जाना।
- खट्टी डकारे आना और डकार के साथ कई बार खाने का भी गले तक आ जाना।
- सिर और पेट में दर्द होना।
- बेचैनी होना।
- सूखी खांसी आना।
- लगातार हिचकी आना।
- सांस लेते समय बदबू आना।
- मल में खून या काले मल का आना।
एसिडिटी को ठीक करने के घरेलू उपाय;
- भोजन करने के बाद सौंफ चबाने की आदत डालें। क्योंकि इससे भोजन जल्दी पचता है और एसिडिटी की समस्या नहीं होती।
- गुड़ पाचन क्रिया को सुधारकर पेट की अम्लता (एसिडिटी) को कम करता है। इसलिए भोजन के साथ या बाद में कभी भी गुड़ का सेवन जरूर करें।
- मुन्नका एसिडिटी और पेट के अन्य रोगों के लिए रामबाण औषधि है। रोजोना 6-8 मुन्नका को एक गिलास दूध में उबालकर खाने से कब्ज और एसिडिटी की समस्या दूर रहती है। दूध के साथ गुलकंद का सेवन करने से भी एसिडिटी खत्म होती है।
- पांच से सात तुलसी के पत्तों को पानी में उबालें। पानी के ठंडा होने पर चीनी को मिलाकार सेवन करें। इससे पेट की अम्लता में कमी होती है
- दालचीनी नैचुरल एंटी-एसिड के रूप में काम करती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाकर अतिरिक्त एसिड बनने से रोकती है। जिससे एसिडिटी की समस्या नहीं होती।
- एलोवेरा का जूस एसिडिटी और पेट में होने वाली जलन में फायदा करता है। इसलिए एसिडिटी की समस्या से बचने के लिए रोजाना एलोवेरा के जूस का सेवन करना चाहिए।
- एसिडिटी या पेट में जलन होने पर नारियल पानी पीने से आराम मिलता है।
- रात भर नीम की छाल को पानी में भिगने दें। सुबह इस पानी को छानकर सेवन करें। इससे एसिडिटी की समस्या दूर होती है। इसके अलावा नीम की छाल को पिसकर चूर्ण के रूप में इस्तेमाल करने से भी एसिडिटी ठीक होती है।
- मुलेठी को पीसकर चूर्ण या काढ़े के रूप में सेवन करने से एसिडिटी और गले की जलन में आराम लगता है।
- एक गिलास दूध में चुटकी भर अश्वगंधा पाउडर मिलाकर पीने से एसिडिटी ठीक होती है।
- गिलोय की जड़ के टुकड़ों को पानी में उबालें। इसको चाय की तरह पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है।
- एक चम्मच सौंफ, एक चम्मच अजवाइन, एक चम्मच जीरा और एक चम्मच सावा के बीज को पानी में उबालें। अब पानी को छानकर दिन में दो से तीन बार पिएं। ऐसा करने से एसिडिटी और पेट की अन्य समस्याओं में राहत मिलती है।
- गुलाब के फूल, आंवला और सौंफ को पिसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोज सुबह-शाम आधा-आधा चम्मच लेने से एसिडिटी में आराम मिलता है।
- शहद में दालचीनी के चूर्ण और यष्टिमधु (Yashtimadhu) को मिलाकर गोलियां बनाकर रख लें। अब इन्हें एसिडिटी होने पर आवश्यकतानुसार चूसें।
एसिडिटी में रखें इन चीजों से परहेज-
- अधिक भोजन न करें।
- ज्यादा तेल और मिर्च-मसाले वाला भोजन करने से बचें।
- फास्ट फूड से दूरी बनाएं।
- टमाटर और अन्य खट्टे फलों से दूर रहें।
- नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- धूम्रपान से दूरी बनाएं।
- कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें।
- वजन को नियंत्रित रखें।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- पेट में असहनीय दर्द होने पर।
- दर्द के साथ सांस लेने में दिक्कत होने पर।
- छाती में तेज दर्द और बेचैनी होने पर।
- खट्टी डकार के साथ उल्टी आने पर।
- उल्टी में खून आने पर।
- तेजी से वजन घटने और बढ़ने पर।
- निगलते वक्त दर्द या जलन महसूस होने पर।
- मल में खून आने पर।