Posted 20 September, 2023
काला अज़ार क्या है? जानें, इसके लक्षण, कारण और बचाव
काला अज़ार मलेरिया के बाद बुखार का सबसे दूसरा खतरनाक और जानलेवा रूप है। यह लीशमैनिया (Leishmania parasite) परजीवियों से होने वाली एक बीमारी है। आमतौर पर यह परजीवी संक्रमित रेत मक्खियों में पाया जाता है। इस मक्खी को आम बोलचाल की भाषा में बड़ मक्खी और अंग्रेजी में सैंड फ्लाई के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर सैंड फ्लाई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वातावरण में रहते हैं। लीशमैनिया, संक्रमित मक्खी के काटने से मानव शरीर में संचरित हो जाता है। इससे पीड़ित मरीजों को बुखार, गले के रोग, त्वचा संबंधी कठिनाइयां होती हैं। काला अज़ार के इलाज के लिए उचित संसाधनों की कमी होने से पीड़ित मरीज का सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता है। जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
काला अज़ार के लक्षण-
काला अज़ार को काला ज्वर भी कहा जाता है। सामान्यतः इसके परजीवी लीशमैनिया लंबे समय तक मनुष्य के शरीर में रहने के बाद भी न तो उसके शरीर में होने के कोई विशेष संकेत मिलते हैं और न ही उन्हें जल्दी बीमार करता है। काला अज़ार के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। जो निम्नलिखित हैं:
त्वचीय लीशमैनियासिस (Cutaneous leishmaniasis)-
यह लीशमैनियासिस अर्थात काला ज्वर का सबसे आम प्रकार होता है। यह व्यक्ति की त्वचा पर अल्सर (छालें) उत्पन्न होने का कारण बनता है। जिसमें दर्द भी नहीं होता है।
श्लेष्मिक लीशमैनियासिस (Mucocutaneous leishmaniasis)-
यह काला अज़ार का एक दुर्लभ रूप है, जो त्वचा के अल्सर के ठीक होने के कई महीनों बाद होता है। इस प्रकार में परजीवी इंसान के गले, मुंह और नाक में फैल जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप श्लेष्मा झिल्ली के आस-पास सूजन हो जाता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हैं:
- मुंह में अल्सर होना। इसके बाद नाक और होठों तक फैलना।
- लगातार नाक बहते रहना।
- हर समय नाक में जमाव महसूस करना।
- नाक से रक्त आना।
- सांस लेने में कठिनाई महसूस करना।
आंत लीशमैनियासिस (Visceral leishmaniasis)-
काला अज़ार की यह समस्या शरीर के आतंरिक अंगों जैसे प्लीहा, यकृत और अस्थि मज्जा को प्रभावित करता है। आमतौर पर इसके लक्षण रेत की मक्खी के काटने के 2-8 महीनों के बाद नजर आते हैं। इसके सामान्य संकेत या लक्षण निम्न हैं:
- आवर्ती बुखार यानी रुक-रुक कर बुखार आना।
- हफ़्तों या महीनों तक बुखार का बने रहना
- अधिक कमजोरी या थकान महसूस करना।
- तेजी से वजन कम होना।
- प्लीहा बड़ी हो जाना।
- लिवर में वृद्धि या सूजन होना।
- रक्त कोशिकाओं में कमी होना।
- रक्तस्राव होना।
- लसीका ग्रंथियों में सूजन आना।
काला अज़ार के कारण-
काला अज़ार एक प्रकार के परजीवी (Parasite) के कारण होता है। जिसे लीशमैनिया (Leishmania) कहा जाता है। यह फ्लेबोटोमिन सैंडफ्लाइज नामक संक्रमित मादा मक्खी के काटने से मनुष्यों के रक्त प्रवाह में वायरस संचारित होता है। यह रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि इन्हें देखा भी नहीं जा सकता है। यह मुख्य रूप से शाम और रात में काटते हैं। जब एक संक्रमित मक्खी मनुष्य को काटती है, तो वह परजीवी को रक्तप्रवाह में फैला देती है और इसके शरीर के आतंरिक हिस्सों जैसे यकृत आदि तक पहुंचते ही व्यक्ति काला अज़ार का शिकार हो जाता है।
काला अज़ार की रोकथाम कैसे करें?
- पूरी शरीर को ढ़कने वाले कपड़ें पहनें।
- सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें।
- शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम या सरसों का तेल लगाएं।
- घरों के आस-पास कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करें।
- शाम के समय घर के खिडकियों या दरवाजों को बंद करके रखें।
- ऐसे जगहों की यात्रा से बचें जहां इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है।
- जानवरों के आवास के समीप सोने से बचें। क्योंकि इस जगह काला अज़ार होने का खतरा अधिक रहता है।
काला अज़ार का इलाज-
काला अज़ार के इलाज के लिए सबसे पहले चिकित्सक मरीज के रक्त की जांच करवाने के लिए सलाह देता है। फिर उसी के अनुसार दवा लेने की परामर्श देता है। वैसे तो बाजारों में कई तरह के एलोपैथिक मेडिसिन उपलब्ध है लेकिन उनमें से अम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) जैसी एंटीपैरासिटिक दवा दी जाती है। ध्यान रखें कि बिना डॉक्टर के परामर्श से कोई भी दवा न लें।
नमूना परिक्षण-
त्वचीय लीशमैनियासिस के उपचार के लिए चिकित्सक सर्वप्रथम मरीज के किसी एक अल्सर को खुरच कर बायोप्सी के लिए नमूना लेता है। अब उस नमूने की परिक्षण के लिए लेबोरटरी में जांच के लिए भेजता है। फिर रिपोर्ट के अनुसार उसका इलाज करता है।
इमेजिंग-
आंत लीशमैनियासिस के इलाज के लिए चिकित्सक शरीर के आतंरिक हिस्सों जैसे बढ़े हुए प्लीहा या लिवर की जांच करने हेतु इमेजिंग परीक्षण करवाता है। इसके अतिरिक्त अस्थि मज्जा बायोप्सी या रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है।
काला अज़ार की जटिलताएं-
आमतौर पर काला अज़ार ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाला रोग है। लेकिन अब सामान्य रूप से यह शहरी क्षेत्रों में एचआईवी संक्रमित आबादी के बीच देखने को मिल रहा है। काला अज़ार के साथ सह-संक्रमण की रिपोर्ट अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और एशिया सहित 34 देशों में पायी गयी हैं। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, दक्षिणी यूरोप में 70% से अधिक एचआईवी मामले काला-अज़ार से सह संक्रमित होते हैं।