Posted 06 August, 2022
गलसुआ क्या है? जानें, इसके लक्षण, कारण और उपचार
गलसुआ या कंठमाला एक प्रकार का विषाणु जनित रोग है, जो मुख्य रूप से लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है। यह बीमारी लार, नासिक के स्राव और निकट संपर्क के माध्यम से संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित व्यक्ति में फैलता है। अधिकतर मामलों में गलसुआ 5 से 15 आयु वर्ग के बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। गलसुआ का मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में होने वाली एक प्रकार की सूजन है, जिससे रोगी का चेहरा हम्सटर (Hamster) जैसा दिखने लगता है।
गलसुआ या कंठमाला कैसे प्रसारित होता है?
गलसुआ या कंठमाला का वायरस लार ग्रंथियों को प्रभावित करता हैं। इन ग्रंथियों को पैरोटिड ग्रंथियां के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रंथियां लार बनाने का काम करती हैं । इन ग्रंथियों या ऊपरी श्वसन मार्ग में विषाणु के प्रवेश करने पर यह संक्रमित हो जाती हैं। जिससे यह लार या श्वसन स्राव (जैसे बलगम) के संपर्क में आने से एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे असंक्रमित व्यक्ति में फैलता है। इसके अलावा गलसुआ वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकती है, जैसे कि खिलौने या पानी पीने के गिलास, जो किसी बीमार व्यक्ति द्वारा संक्रमित हो गए हैं।
क्या होते हैं गलसुआ के लक्षण?
एक बार जब कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो इस स्थिति में गलसुआ के लक्षण आमतौर पर 14 से 25 दिनों के अंदर विकसित हो जाते हैं। गलसुआ का सबसे आम लक्षण पैरोटिड ग्रंथियों की सूजन है, जो लार उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पैरोटिड ग्रंथियां कान के ठीक नीचे, चेहरे के दोनों ओर स्थित होती हैं। किसी कारणवश जब वायरस इन ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं , तो आमतौर पर एक या दोनों तरफ की ग्रंथियों (गाल एवं जबड़े वाले हिस्सों) में दर्द, सूजन, टेंडरनेस (छूने पर दर्द) और निगलने में कठिनाई आदि समस्या होती है। इसके अतिरिक्त गलसुआ के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, जो निम्नलिखित हैं
- बीमार महसूस करना।
- तेज बुखार आना।
- चबाने में कठिनाई महसूस करना।
- तेज सिरदर्द होना।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
- मुंह सूखना।
- पेट में हल्का दर्द होना।
- शारीरिक थकान और कमजोरी महसूस करना।
- भूख में कमी का एहसास होना।
गलसुआ होने का क्या कारण है?
यह बीमारी ऐसे लोगों के श्वसन स्राव (जैसे लार) के माध्यम से संचरित होता है, जो पहले से ही इससे ग्रसित है। यह वायरस वायुमार्ग से लार ग्रंथियों तक जाता है और उसे संक्रमित करता है। जिससे ग्रंथियां में सूजन आ जाती हैं। इसके कारण निम्नलिखित हैं
- छींक या खांसी।
- एक ही व्यक्ति के टेबलवेयर का इस्तेमाल करना उसपर भोजन करना।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना-पीना साझा करना।
- चुंबन आदि।
गलसुआ वायरस से संक्रमित व्यक्ति लगभग 15 दिनों तक (लक्षण शुरू होने से 6 दिन पहले और शुरुआत के 9 दिन बाद तक) संक्रामक होते हैं। दरअसल गलसुआ वायरस पैरामाइक्सोवायरस परिवार से संबंध रखता है, जो संक्रमण का एक सामान्य कारण है, खासकर बच्चों में।
गलसुआ का निदान किस प्रकार किया जाता है?
डॉक्टर आमतौर पर लार ग्रंथियों की सूजन से गलसुआ का इलाज करते हैं। लेकिन यदि ग्रंथियां में सूजन नहीं होती है, तो इस स्थिति में डॉक्टर अन्य लक्षणों के आधार पर इलाज करते हैं। यदि उन्हें किसी भी तरह का गलसुआ होने का संदेह होता है, तो वह वायरस को कल्चर करते हैं। कल्चर, गाल या गले के अंदर की तरफ स्वाब करके किया जाता है। स्वाब बलगम और कोशिकाओं को इकट्ठा करता है और इसे गलसुआ वायरस के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। गलसुआ के अलावा, कोई अन्य संक्रमण भी लार ग्रंथियों की सूजन का कारण बन सकता है।
गलसुआ के प्रसार को कैसे रोकें?
- अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
- लक्षण दिखने के 5 दिन तक काम/स्कूल न जाएं।
- छींकते या खांसते समय नाक और मुंह को रुमाल या टिशू से ढकें।
- समय पर टीका जरूर लगवाएं।
एमएमआर (measles-mumps-rubella) का टीका किसे लगवाना चाहिए?
- यदि आप मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं तो आपको टीका लगाया जाना चाहिए।
- प्रसव उम्र की गर्भवती महिलाएं।
- दूसरे जगहों पर कॉलेज या अन्य स्टडी के लिए जाना।
- अस्पतालों, चिकित्सा सुविधाओं, बच्चों के केंद्रों या स्कूल में काम करने पर।
- विदेश यात्रा की योजना बनाने पर।
एमएमआर वैक्सीन के दुष्प्रभाव-
- एमएमआर वैक्सीन बहुत सुरक्षित और प्रभावी है।
- ज्यादातर लोगों को इस टीके से किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालांकि, कुछ लोगों को हल्का बुखार, रैशेज या जोड़ों में दर्द हो सकता है।
- दुर्लभ मामलों में, एमएमआर वैक्सीन प्राप्त करने वाले बच्चों में बुखार के कारण दौरे पड़ सकते हैं। हालांकि, यह दौरे दीर्घकालिक समस्याओं से जुड़े नहीं हैं।
गलसुआ के लिए घरेलू उपचार-
- अदरक-अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण मौजूद होते हैं, जो सूजन और दर्द से छुटकारा दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए सोंठ के पाउडर और पानी का पेस्ट बनाकर सूजन वाली जगह पर लगाएं। ऐसा करने से लाभ मिलता है।
- एलोवेरा-एलोवेरा गलसुआ के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है क्योंकि इसमें ऑक्सीकरण रोधी और जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इसके लिए एलोवेरा के ताजे पत्तों को छील लें। अब इसके जेल को निकालकर प्रभावित हिस्सों पर रगड़ें। ऐसा करने से सूजन और दर्द कम होता है।
- ठंडा या गर्म सिकाई-गलसुआ के कारण होने वाली सूजन और ग्रंथि के दर्द से राहत पाने के लिए ठंडा या गर्म सिकाई करना एक प्रभावी तरीका है।
- मेथी के बीज-मेथी के बीज को शतावरी के साथ पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट दर्द एवं सूजन से राहत दिलाता है।
- नीम के पत्ते-नीम गलसुआ के इलाज में बहुत अच्छा काम करता है। इसके लिए नीम की पत्तियों को मसलकर उसमें थोड़ा हल्दी पाउडर मिला लें। अब इस मिश्रण को थोड़े से पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को सूजन वाली जगह पर लगाएं। इससे गलसुआ में काफी आराम पहुंचता है।
खट्टे खाद्य पदार्थों से बचें-
- खट्टे फल और पनीर से दूर रहें। इसके बजाय, पानी और सब्जी का सूप पिएं।
- उचित आराम-
- बुखार दूर होने तक पर्याप्त आराम करें।