Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

जौ के प्रकार, फायदे और उपयोग

जौ के प्रकार, फायदे और उपयोग

2022-05-24 16:52:28

आज अनाज की तुलना में जौ का उतना चलन नहीं रहा लेकिन कभी इसे अनाज का राजा कहा जाता था। आखिरकार इसमें तमाम मिनरल, विटामिन और कई अन्य जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए जौ को बहुत सी शारीरिक परेशानियों के लिए अच्छा माना जाता है।

 
क्या होता है जौ?

जौ घास परिवार से संबंध रखने वाला एक प्रकार का खाद्य अनाज है। जिसका उत्पादन प्राचीन समय से होता आया है। जौ का अधिकांश उपयोग जानवरों के चारे के लिए किया जाता है। लेकिन अपने औषधीय गुणों और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के चलते कुछ लोग इसका इस्तेमाल खाद्य आहार के रूप में भी करते हैं। क्योंकि इसमें आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, कैल्शियम, प्रोटीन, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन सी और फास्फोरस जैसे मिनरल्स होते हैं। आज धान और गेहूं की तुलना में जौ की लोकप्रियता थोड़ी कम हुई है, लेकिन स्वास्थ्य लाभों के लिए इसका उपयोग कई जगहों पर अब भी होता है। यही वजह है कि भारत, अमेरिका, जर्मनी और रूस जैसे देशों में इसकी खेती आज भी होती है। जौ का वैज्ञानिक नाम होर्डियम बल्‍गारे (Hordeum vulgare) है। अंग्रेजी में इसे बार्ली (Barley) और संस्कृत में यव कहते हैं। समशीतोष्ण जलवायु में जौ की पैदावार सबसे अधिक होती है।

 
जौ की तासीर-

जौ की तासीर ठंडी होती है। जो पेट संबंधी परेशानियों पर प्रभावी असर डालती है। तासीर से ठंडा होने के अलावा यह कई खनिज पदार्थों और पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत भी है। जो बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी परेशानियों को दूर करने का काम करता है। इसलिए गर्मियों के समय में जौ का सत्तू पीना लू से बचने और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के बढ़िया माना जाता है।

 
जौ के प्रकार-
  • जौ का आटा: यह जौ का पिसा हुआ रूप है। जिसका उपयोग आटे के रूप में होता है। इस प्रकार इसका इस्तेमाल जौ की रोटी या ब्रेड के रूप में किया जाता है।
  • ग्रिट्स: यह भी जौ का आटा ही होता है, लेकिन यह आटा सामान्य से थोड़ा मोटा होता है। इस आटे को तैयार करने के लिए बार्ली के बीजों की ऊपरी परत को हटा दिया जाता है।
  • पर्ल बार्ले: जौ के इस रूप का उपयोग मुख्य रूप से सलाद और सूप में किया जाता है। जौ का यह रूप दिखने में चमकते मोती जैसा होता है। इसके बीज सफेद रंग और एक समान होते हैं। इसलिए जौ के इस रूप को बार्ली का सबसे खूबसूरत रूप भी कहते हैं।
  • फ्लेक्स: यह जौ का एक आम प्रकार है। इसे बार्ली के बीजों को चपटा करके तैयार किया जाता है। जौ के इस रूप का सेवन ठंडा और गर्म दोनों रूपों में किया जा सकता है। इसे ओट्स फ्लेक्स की तरह भी खाया जा सकता है।
  • हुल्ड: इसे जौ का साबुत रूप भी कहा जाता है। क्योंकि प्रयोग में लाने के लिए इसे बस ऊपर से हल्का-हल्का साफ किया जाता है। अत: यह जौ के पौष्टिक प्रकारों में से एक है।
 
जौ के फायदे-
प्यास की तीव्रता को कम करने के लिए-

गर्मी के दिनों में जौ का सेवन करना शरीर के लिए अच्छा होता है। क्योंकि जौ की घास विटामिन-सी और ई से भरपूर होती है। इसके अलावा आयुर्वेद में भी पित्त दोष (पित्त का अंसुलित होना, जिससे शरीर में गर्मी भी बढ़ सकती है) को दूर करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी माना गया है और इन खाद्य पदार्थों में जौ भी शामिल है। जौ अपने एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करता है और बार-बार पानी पीने की तीव्र इच्छा (डिप्सिया) की परेशानी को भी नियंत्रित करता है। इस आधार पर गर्मियों में प्यास की तीव्र इच्छा को कम करने के लिए जौ का सेवन करना एक अच्छा उपाय है।

 
प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

जौ और जौ की पत्तियों का इस्तेमाल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। जौ से संबंधित एनसीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है, कि जौ में बीटा-ग्लूकेन नामक तत्व मौजूद होता है और इसकी पत्तियों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने वाला गुण पाया जाता है। इस आधार पर जौ को शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अच्छा माना जाता है।

 
सर्दी-खांसी के लिए-

जौ के अर्क को सर्दी-खांसी के लिए पारंपरिक औषधि माना जाता है। क्योंकि जौ के औषधीय गुण सामान्य सर्दी और खांसी की समस्या को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

 
पाचन शक्ति और कब्ज के लिए-

जौ का आटा पाचन शक्ति को बढ़ाने में लाभकारी सिद्ध होता है। जौ से संबंधित एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जौ में मौजूद डायट्री फाइबर आतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। वहीं, फर्मेंटेड जौ के अर्क में लैक्सेटिव (कब्ज से राहत देने वाला) प्रभाव होता है। जो कब्ज की समस्या को दूर करने का काम करता है। इसलिए पाचन शक्ति को बढ़ाने और कब्ज की परेशानी को दूर करने में जौ का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

 
वजन घटाने के लिए-

जौ के दलिया का सेवन करना बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्योंकि जौ में रेजिस्टेंट स्टार्च, बीटा-ग्लूकेन, टोकोल्स, पॉलीफिनोल्स, डायट्री फाइबर, फाइटोस्टेरोल्स और पॉलीसैकराइड जैसे तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों की मौजूदगी की वजह से जौ के गुण में एंटीओबेसिटी (वजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। वहीं, जौ में मौजूद बीटा ग्लूकेन नामक तत्व (सोल्यूबल फाइबर का एक प्रकार) भूख को नियंत्रित करने का काम करता है। जिससे वजन को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए वजन घटाने के लिए जौ को एक अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जाता है।

 
एनीमिया के लिए-

शरीर में आयरन की कमी का होना एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) का मुख्य कारण माना जाता है। चूंकि जौ को आयरन से समृद्ध अनाज माना जाता है। इसलिए इसका सेवन एनीमिया के खतरे को दूर कर, शरीर में आयरन की कमी को पूरा करता है। इसके लिए जौ के आटे, दलिया, सत्तू आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

 
लिवर के लिए-

लिवर को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए जौ एक लाभकारी औषधि है। क्योंकि जौ में हेप्टोप्रोटेक्शन (लिवर को सुरक्षा देने वाला), फिनोलिक्स, पेंटोसन, और बीटा-ग्लूकेन जैसे तत्व पाए जाते हैं। जो लिवर के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

जौ से संबंधित एनसीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है, कि जौ में बीटा-ग्लूकेन नाम का एक खास तत्व मौजूद होता है। जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके हाई बीपी को कम करने  का काम करता है। साथ ही धमनियों से संबंधित समस्या के कारण हृदय रोग के जोखिमों को भी कम करता है। इसलिए जौ को हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

 
गर्भावस्था में लाभकारी-

गर्भावस्था के समय शरीर में कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड का होना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि आयरन भ्रूण के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अच्छा होता है। फोलिक एसिड बच्चे में जन्म दोष के जोखिमों को कम करता है है। कैल्शियम गर्भिणी स्त्री में प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप विकार) और डायबिटीज को नियंत्रित करने करने का काम करता है। इसलिए गर्भावस्था के समय जौ का सेवन करना महिला के लिए अच्छा होता है। क्योंकि जौ में कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।

 
टाइप-2 डायबिटीज के लिए-

जौ का आटा टाइप-2 डायबिटीज की समस्या को दूर करने के लिए लाभकारी साबित होता है। दरअसल जौ में फेनोलिक्स, बीटा-ग्लूकेन और एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होते हैं। जो टाइप-2 डायबिटीज में राहत पहुंचाने का काम करते हैं।

 
यूटीआई में फायदेमंद-

जौ से संबंधित एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार जौ के औषधीय गुण में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव मौजूद होता है। जो मूत्र मार्ग से संबंधित बैक्टीरियल संक्रमण को ठीक करने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में इस बात को भी बताया गया है कि जौ में मौजूद एंटी- इन्फ्लामेट्री प्रभाव मूत्राशय की सूजन को भी कम करने में मदद करता है। इसलिए यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) से परेशान लोगों को जौ का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

 
जौ के उपयोग-
  • गर्मी से बचने और अच्छे पाचन के लिए जौ का सत्तू पिया जाता है।
  • जौ के आटे से बनी रोटियों का सेवन किया जाता है।
  • जौ के आटे से बनी ब्रेड का सेवन किया जाता है।
  • जौ के दलिया (मीठी या नमकीन) को नाश्ते के रूप में खाया जाता है।
  • जौ के बीजों का सूप के रूप में सेवन किया जा सकता है।
  • जौ की पत्तियों के जूस को पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
 
जौ के नुकसान-
  • चूंकि जौ में एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) गुण मौजूद होता है। इसलिए मधुमेह की दवा का सेवन करने वाले लोगों को इसका उपयोग सावधानी के साथ करना चाहिए।
  • चूंकि जौ में लैक्सेटिव (मल को मुलायम करने वाला) गुण पाया जाता है। इसलिए इसका अधिक सेवन दस्त की समस्या पैदा कर सकता है।
  • चूंकि जौ में स्टार्च मौजूद होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन कुछ परिस्थितियों में कब्ज की दिक्कत पैदा कर सकता है।
  • चूंकि जौ में कुछ एलर्जिक प्रभाव भी पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से कुछ लोगों को एलर्जी की परेशानी हो सकती है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: