लौंग के फायदे, उपयोग और नुकसान
2022-05-24 16:41:59
लौंग एक सदाबहार पेड़ होता है। जिसपर लगभग 9 वर्ष की आयु में फूल लगने शुरू हो जाते हैं। यही फूल की कलियां सूखने के बाद बाजार में लौंग के नाम से बिकती हैं। प्राचीन काल से इन सूखी कलियों का इस्तेमाल औषधि के रूप में होता आ रहा है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में लौंग के इस्तेमाल से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। लौंग में एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। इसके अलावा इसमें एंटी-वायरल और एनाल्जेसिक गुण भी है। जो कई तरह से शरीर को कई प्रकार से फायदा पहुंचा सकते हैं। लौंग के सेवन से भूख बढ़ती है, उल्टी रूकती है, पेट की गैस, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या और कफ-पित्त दोष ठीक होते हैं। इसके साथ ही रक्त विकार, सांस की बीमारी, हिचकी और टीबी जैसे रोग में भी लौंग का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके अलावा भारत में लौंग का इस्तेमाल मसाले के रूप में भी काफी प्रचलित है। लौंग का वैज्ञानिक नाम सीजिजियम अरोमैटिकम (Syzygium Aromaticum) है।
लौंग के फायदे-
ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंद-
लौंग की कलियां ओरल माइक्रो ऑर्गेनिज्म (मुंह में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म जीवों) को 70 प्रतिशत कम कर सकती हैं। इसी वजह से कई टूथपेस्ट में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी, टी-ट्री ऑयल के साथ लौंग को इस्तेमाल करके बनाया गया माउथ वॉश ओरल हेल्थ को बेहतर रखता है। लौंग का तेल भी विभिन्न पीरियडोंटल पैथोजन (Periodontal Pathogens) से बचाव कर सकता है। यह वो बैक्टीरिया होते हैं, जो मसूड़ों में इंफेक्शन का कारण बनते हैं। दांतों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए लौंग काफी फायदेमंद मानी जाती है। लौंग में यूजेनॉल (Eugenol) नामक तत्व दांतों के दर्द को कम करने का काम करता है। यह प्लाक और कैरिज से भी दांतों को बचाता है।
सर्दी-खांसी में असरदार-
लौंग के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। लौंग में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है। जो सर्दी और खांसी को कम कर सकता है। यह एक्सपेक्टोरेंट की तरह काम करता है। जो पूरे बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ करता है।
डायबिटीज के नियंत्रण में कारगर-
लौंग का इस्तेमाल मधुमेह को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकता है। लौंग ब्लड ग्लूकोज को कम करके डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता है। एक शोध के अनुसार लौंग में एंटी हाइपरग्लाइसेमिक, हाइपोलिपिडेमिक और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। यह डायबिटीज की समस्या को कम करने के साथ ही लिपिड में सुधार करने और लिवर को बचाने का काम करते हैं। लौंग के साथ ही लौंग का तेल भी ग्लूकोज को कम करने, लिपिड प्रोफाइल को सुधारने और किडनी संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है।
पाचन तंत्र के सुधार में असरदार-
लौंग शरीर के एंजाइम्स को उत्तेजित और पाचन तंत्र को बूस्ट करने का काम करता है। इसका सेवन आंत में होने वाली जलन के स्तर को कम कर, अपच की समस्या को ठीक करता है। लौंग पाचन संबंधी समस्या जैसे पेट का फूलना, गैस, अपच, मतली, डायरिया और उल्टी के लक्षणों से राहत दिला सकती है। इसके अलावा लौंग और इसका तेल पेप्टिक अल्सर के लक्षण को भी कम कर सकता है।
अस्थमा के लिए लौंग के उपाय-
लौंग में यूजेनॉल (Eugenol) कंपाउंड होता है। जिसे अस्थमा के लिए अच्छा माना जाता है। एक शोध के अनुसार यह कंपाउंड एंटी अस्थमैटिक प्रभाव को प्रदर्शित करता है, जिस वजह से अस्थमा से होने वाली परेशानी को कम करने में लौंग सहायता सकती है। लौंग में मौजूद ब्रोन्कोडायलेटर और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों की वजह से यह एंटी-अस्थमैटिक ड्रग जैसी क्षमता रखता है। लौंग के तेल की सुगंध नाक की नली को साफ करने में मदद करते हैं। साथ ही अस्थमा, खांसी, जुकाम, साइनस, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को शांत कर सकते हैं।
हड्डियों के लिए लाभदायक-
हड्डियों को मजबूत बनाने में भी लौंग सहायक होता है। लौंग में मैंगनीज होता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। लौंग के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में मौजूद यूजेनॉल हाइपोगोनादल ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी संबंधी रोग) के खिलाफ लड़कर हड्डी-संरक्षण का कार्य कर सकता है।
कान के दर्द से दिलाता है राहत-
लौंग के फायदे में कान के दर्द से राहत दिलाना भी शामिल है। कान के दर्द के लिए लौंग के तेल को उसमें मौजूद दर्द निवारक और एनेस्थेटिक नेचर की वजह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे थोड़े समय के लिए दर्द का एहसास कम व खत्म हो सकता है। लौंग के तेल को अन्य तेल के साथ मिलाकर कॉटन की मदद से एयर कैनाल के पास रखा जाता है। इससे दर्द कम होने के साथ ही कान के संक्रमण से भी राहत मिलती है।
एक्ने का इलाज है लौंग-
त्वचा पर होने वाले एक्ने और पिम्पल को कम करने में भी लौंग का उपयोग किया जा सकता है। लौंग में मौजूद यूजेनॉल कंपाउंड एक्ने के कारण होने वाले इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस को कम कर सकता है। अर्थात एक्ने बैक्टीरिया की वजह से होने वाले स्किन इन्फ्लेमेशन को भी कम करने में लौंग सहायक हो सकता है।
लौंग के उपयोग-
- भारतीय व्यंजनों, अचार और सॉस में लौंग का उपयोग फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
- लौंग के गुण और खुशबू की वजह से इसे एरोमाथेरेपी के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।
- लौंग को उबालकर इसके पानी को माउथ वॉश की तरह उपयोग कर सकते हैं।
- पकवानों में मसाले के रूप में भी लौंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- लौंग के तेल की कुछ बूंदों से माथे की मसाज करके तनाव से राहत पा सकते हैं।
- मसूड़ों के दर्द और सूजन के लिए लौंग के तेल की कुछ बूंदों को संक्रमित जगह पर लगाकर धीरे-धीरे 1-2 मिनट तक हल्की मसाज करना फायदेमंद होता है।
- गले के संक्रमण और सूजन को कम करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में एक छोटे चम्मच लौंग चूर्ण को मिलाकर गरारे कर सकते हैं।
- ब्लैक-टी में एक लौंग डालकर, इसका सेवन कर सकते हैं। ऐसा सर्दी-जुकाम ठीक करने के लिए किया जाता है।
- लौंग को सीधे मुंह में डालकर चबा सकते हैं।
- 4-5 लौंग को पीसकर साफ रूमाल में रखकर सूंघना सांस संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद होता है।
लौंग के नुकसान-
नियमित रूप से एक या दो लौंग खाने के कई फायदे होते हैं, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से इसके निम्नलिखित नुकसान भी हो सकते हैं।
- रक्त का पतलापन
- आंखों में जलन
- त्वचा संक्रमण
- अधिक सेवन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन को कम कर सकता है।
- गर्भावस्था में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- लौंग का अधिक सेवन विषाक्तता का कारण बन सकता है।
कहा पाया जाता है लौंग?
लौंग के पैदा होने का मुख्य स्थान मलक्का द्वीप है। लेकिन भारत के दक्षिण में केरल और तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है। भारत में लौंग का अधिकांश आयात सिंगापुर से किया जाता है।