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अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूआरटीआई) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

Posted 06 February, 2023

अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूआरटीआई) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

मौसम में बदलाव के कारण संक्रमण का होना आम बात है। जिससे लोगों को सर्दी, जुकाम और फ्लू जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। यह अक्सर अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने के कारण बनते हैं। अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। यह एक संक्रमण है, जो श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्सों को प्रभावित करता है। जिसे बदलते मौसम का संकेत मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को खाने, पीने और सांस लेने में असुविधा होती है।

 

क्या होता है यूआरटीआई?

यूआरटीआई को हिंदी में ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण कहा जाता है। दरअसल श्वसन तंत्र या श्वसन मार्ग नाक से शुरू होकर एल्वियोली (फेफड़ों की सबसे छोटी क्रियात्मक इकाई) तक फैला होता है। भ्रूणीय (embryologic) विकास के आधार पर श्वसन तंत्र को दो भागों में विभाजित किया गया है।

ऊपरी श्वसन तंत्र-

चिकित्सक के मुताबिक, ऊपरी श्वसन तंत्र का विस्तार नाक से लेकर गले में मौजूद वॉइस बॉक्स क्राइकोइड कार्टिलेज तक रहता है। इसमें होने वाला संक्रमण नाक, साइनस, ग्रसिका (गला), कंठ, ब्रांकाई (bronchi) और ट्रेकिआ (श्वास नली) को प्रभावित करता है। आमतौर पर इसके लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह होते हैं। साथ ही कुछ घरेलू उपचार करने से ठीक हो जाते हैं।

निचले श्वसन तंत्र-

निचले श्वसन तंत्र क्राइकोइड कार्टिलेज के नीचे से शुरू होकर एल्वियोली तक फैला होता है। आमतौर पर यह संक्रमण श्वसन तंत्र के निचले हिस्सों को प्रभावित करता है। यह संक्रमण 3-4 दिनों के बीच कहीं भी रहता है। कुछ मामलों में यह साइनस संक्रमण या निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी का कारण बनता है।

 

यह संक्रमण कैसे प्रसारित होता है?

यूआरटीआई की समस्या ज्यादातर बरसात और सर्दियों के दिनों में होती है। क्योंकि यूआरटीआई के एजेंट नमी में पनपतें हैं, जो प्रायः सर्दियों की मौसम की एक विशेषता है। जब कोई व्यक्ति छींकता या खांसता है तो कोल्ड वायरस से युक्त तरल पदार्थ की छोटी बूंदें हवा में पारित होती हैं। यदि कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो यह विषाणु सांसों के माध्यम से उस व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है और उसे संक्रमित कर देता हैं। साथ ही यह लार या श्वसन स्राव (जैसे बलगम) के संपर्क में आने से एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे असंक्रमित व्यक्ति में फैलता है। इसके अलावा यूआरटीआई वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, जैसे कि खिलौने या पानी पीने के गिलास, जो किसी बीमार व्यक्ति द्वारा संक्रमित हो।

 

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के लक्षण-

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के लक्षण आम सर्दी-जुकाम की तरह होते हैं जिसमें शामिल निम्नलिखित है:

  • नाक बहना।
  • गले में किसी प्रकार की चुभन या दर्द होना।
  • हल्का बुखार आना।
  • बंद नाक।
  • नाक की ऊपरी त्वचा का लाल होना।
  • गले में खराश या दर्द होना।
  • आखों के नीचे या गालों के आस-पास सूजन दिखाई देना।
  • सांस लेने में तकलीफ महसूस करना।
  • सांस लेते समय घरघराहट की आवाज होना।
  • सीने में जकड़न या दर्द होना।
  • नाक से निकलने वाले बलगम का रंग पीला या बदबूदार होना।
  • टॉन्सिल का बढ़ना या उनमे सूजन होना।

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के कारण-

ज्यादातर मामलों में ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण का शुरूआती कारण वायरस होता है। यह मुख्य रूप से रायनोवायरस नामक विषाणु के शरीर में प्रवेश करने से होता है। साथ ही इसमें पैरा इन्फ्लुएंजा वायरस, एडीनोवायरस, रेस्पेरेटरी सिंसिशीयल वायरस, कॉक्ससैकिए वायरस और कोरोना वायरस भी शामिल हैं।

इसके अलावा दुर्लभ मामलों में ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण का शुरूआती कारण बैक्टीरिया भी होता है। स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा और मोरेक्सेला कैटरहिलिस आम जीव हैं, जो यूआरटीआई के बैक्टीरियल संक्रमण का कारण बनते हैं।

 

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के जोखिम कारक-

  • रासायनिक धुएं या वायु प्रदूषण में सांस लेने से।
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से।
  • यात्रा के दौरान अधिक लोगों के संपर्क में आने से।
  • धूम्रपान करना और पैसिव स्मोकिंग के द्वारा।
  • कोकीन का सेवन करने से।
  • अधिक तनाव लेने से।

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण होने पर ध्यान रखें-

  • अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोएं।
  • खांसते, छींकते या शौचालय से आने के बाद स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  • पर्याप्त नींद लें और अच्छे से आराम करें।
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • नमक और हल्दी डालकर गर्म पानी से गरारे करें।
  • गुनगुने पानी का सेवन करें।
  • नियमित रूप से भाप लेते रहें।
  • धूम्रपान न करें।
  • संक्रमित एवं प्रदूषित वातावरण में जाने से बचें।
  • तैलीय एवं वसा युक्त भोजन का सेवन से बचें।
  • आइस क्रीम, दही, बर्फ के पानी का बिल्कुल सेवन न करें।
  • स्वस्थ्य और संतुलित आहार का सेवन करें।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से योग और व्यायाम करें।

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के लिए घरेलू उपचार-

अदरक की चाय-

श्वसन तंत्र के संक्रमण के लिए अदरक की चाय प्रभावी होती है। क्योंकि अदरक में एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है। जो गले की संक्रमण को दूर करता है। इसके लिए अदरक के कुछ ताजे टुकड़ों को कुचलकर पानी में उबालकर चाय बना लें। अब इस चाय को सिप करके पिएं। ऐसा करने से आराम पहुंचता है।

काली मिर्च की चाय-

ऊपरी श्वसन पथ में इंफेक्शन हेतु काली मिर्च से बनी चाय का सेवन करना अच्छा होता है। क्योंकि काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। जो एक प्राकृतिक दर्द निवारक होता है। जो गले की खराश और दर्द से राहत दिलाता है।

मुलेठी-

मुलेठी का सेवन गले के संक्रमण के लिए प्राकृतिक उपचारक है। इसके लिए मुलेठी की जड़ से बने काढ़े का सेवन करें। ऐसा करने से श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

नीलगिरी की पत्तियां-

श्वसन संक्रमण के लिए नीलगिरी की पत्तियां प्राकृतिक उपचारों में से एक माना जाता है। इसके लिए नीलगिरी के कुछ पत्तियों को पानी में डालकर कुछ देर तक उबालें। फिर किसी तौलिए से अपने सिर को ढ़ककर भाप लें। यह गले में दर्द और श्वसन संक्रमण के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।

हल्दी दूध-

हल्दी दूध श्वसन पथ के संक्रमण से छुटकारा दिलाने में सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। इसके लिए गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी डाल के सेवन करने से संक्रमण से बचाव होता है। क्योंकि हल्दी में संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है।

लहसुन का तेल-

लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो श्वसन के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए लहसुन के तेल की कुछ बूंदों को पानी में मिलाकर सेवन करने से फायदा होता है।

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