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मछली का तेल

मछली का तेल

2022-05-24 16:57:33

मछली के तेल को कई खाद्य पदार्थों से अधिक फायदेमंद माना जाता हैं। इसलिए मांसाहार के रूप में मछली का सेवन करना काफी लाभकारी होता है। लेकिन इस बात को बेहद कम लोग जानते हैं कि मछली का सेवन मुख्यतः मछली तेल के लिए किया जाता है। क्योंकि मछली का तेल स्‍वास्‍थ्‍य के लिए काफी अच्छा होता है। मछली का तेल कई औषधीय गुणों से प्रचुर होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व गंभीर से गंभीर बीमारियों से बचाने और स्किन की सेहत को बरकरार रखने का काम करते हैं। यह तेल चिंता, अवसाद, कमजोर इम्यूनिटी, उच्‍च कोलेस्‍ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर मधुमेह, गठिया, अल्सर और सूजन जैसी बीमारियों के इलाज में फायदा करता है। मछली तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए इसको वजन घटाने, स्वस्थ गर्भावस्था (Pregnancy) और प्रजनन क्षमता (Fertility) को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अंग्रेजी में मछली तेल को फिश ऑयल (Fish oil) बोला जाता है।

 
क्या होता है मछली का तेल?

फिश ऑयल मछली के ऊतकों (Fish tissues) से तैयार किया जाता है। ठंडें पानी में रहने वाली मछलियों से सबसे अधिक फिश ऑयल प्राप्त होता है। मछली के तेल को ओमेगा-3 ऑयल भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा होती है। फिश ऑयल में दो तरह के ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। पहला- डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (DHA) और दूसरा इकोसैपेंटेनोइक एसिड (EPA)। आज बाजार में फिश ऑयल के कैप्सूल जैसे उत्पाद भी मौजूद हैं। जिनका प्रयोग सर्दी लगने या सर्दी के कारण बॉडी में होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए किया जाता है।

 
फिश ऑयल के फायदे;
स्वस्थ मस्तिष्क के लिए-

मछली तेल के सेवन से मस्तिष्क को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। क्योंकि मछली तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड तनाव और अवसाद को कम करता है। इसके अलावा फिश ऑयल घटती स्मरण शक्ति को कम करके याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद करता है।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

मछली का तेल हृदय रोगों को ठीक करने और हृदय प्रणाली (कार्डियोवास्कुलर सिस्टम) के कार्य को सुचारू रूप से करने में मदद करता है। मछली का तेल शरीर में ट्राइग्लिसराइड (लिपिड फैट) के स्तर को कम करके हृदय संबंधी रोग के खतरे को कम करता है। फिश ऑयल के सेवन से धमनियों के ब्लॉकेज, प्लाक और एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) को बढ़ने से रोका जा सकता है। जिससे दिल का दौरे पड़ने की संभावना कम होती है।

 
वजन घटाने और किडनी के लिए-

मछली के तेल में मौजूद डीएचए (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड) और ईपीए (इकोसैपेंटेनोइक एसिड) नामक तत्व शरीर के अतिरिक्त फैट को कम करके बढ़ते वजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा फिश ऑयल में पाए जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड गुर्दे से संबंधित खतरों को भी कम करता है।

 
हड्डी के लिए-

मछली के तेल को हड्डियों की सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसके सेवन से हड्डी संबंधी रोग जैसे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) यानी कमजोर हड्डियां आदि को ठीक करने में सहायता मिलती है। दरअसल फिश ऑयल हड्डियों के कम होते घनत्व को रोककर उसकी डेंसिटी (घनत्व) को बढ़ाता है। इस तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है। जो हड्डियों और उनके आसपास के टिश्यू में मौजूद खनिजों की मात्रा को नियंत्रित कर हड्डियों को मजबूत बनाता है।

 
गठिया दर्द के लिए-

फिश ऑयल में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी और ओमेगा-3 ईपीए गुण जोड़ों के दर्द को कम करता है। इसके अलावा यह शरीर से इंटरल्यूकिन-1 (साइटोकिन्स यानी प्रोटीन का समूह) को भी कम करता है। जिससे गठिया और जोड़ों से संबंधित परेशानी ठीक होती है। इसके अलावा मछली तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड बढ़ती उम्र के कारण होने वाली आंखों से संबंधित समस्याओं को भी ठीक करने में मदद करता है।

 
प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए-

मछली का तेल प्रतिरक्षा प्रणाली को बैक्टीरिया-वायरस से बचाने का काम करता है। यह शरीर में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर को रोकता है। ऑटोइम्यून एक ऐसी स्थिति होती है, जब प्रतिरक्षा प्रणाली खुद तंदुस्र्स्त कोशिकाओं मारने लगती है।

 
प्रजनन क्षमता के लिए-

मछली तेल में मौजूद ओमेगा-3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड पुरुषों में स्पर्म सेल्स (शुक्राणु कोशिकाओं) को बढ़ाने का काम करता है। जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है।

 
प्रदूषण और सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाव के लिए-

प्रदूषण की वजह से श्वास और फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होती हैं। ऐसे में फिश ऑयल का सेवन करना अच्छा रहता है। क्योंकि मछली तेल में मौजूद विटामिन-डी शरीर को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने और कई गंभीर बीमारियों को दूर करता है। इसके अलावा फिश ऑयल में मौजूद डीएचए और ईपीए यूवी किरणों की वजह से होने वाले सनबर्न, टैनिंग, एजिंग आदि समस्याओं को भी दूर करते हैं।

 
ब्लड प्रेशर और कैंसर के लिए-

मछली का तेल शरीर में रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है। इसमें मौजूद इकोसैपेंटेनोइक एसिड (EPA) और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (DHA) हाई ब्लड प्रेशर को कम करके व्यक्ति को हृदय संबंधी बीमारियों से बचाते हैं। इसके अलावा मछली तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में सामान्य और स्वस्थ कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देकर ब्रेस्ट, कोलन और प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी व्यक्ति से दूर रखता है।

 
सेहतमंद त्वचा और स्वस्थ बालों के लिए-

फिश ऑयल के कैप्सूल स्किन की सुंदरता में निखार लाने का काम करते है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) का प्रयोग त्वचा संबंधित कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इससे मुंहासे, रैशेज, लालिमा और त्वचा संबंधित अन्य समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त फिश ऑयल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड त्वचा के साथ बालों की स्थिति को भी बेहतर बनाता है।

 
मछली तेल के उपयोग हेतु नुकसान एवं सावधानियां-

वैसे तो फिश ऑयल स्वास्थ्य के लिए चमत्कारी साबित होता है। लेकिन कभी-कभी इसके कुछ नुकसान भी सामने आते हैं। इसलिए मछली तेल को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने से पहले इसके इन नुकसानों को जान लेना चाहिए।

 
  • शरीर से बदबूदार पसीना आना।
  • मुंह के स्वाद का खराब होना।
  • इसके अधिक सेवन से सिरदर्द और हृदय में जलन होना।
  • अधिक उपयोग से जी मिचलाना, उल्टी और दस्त होना।
  • फिश ऑयल का अधिक मात्रा में सेवन करने से रक्तचाप में कमी हो सकती है।
  • जिन लोगों की हाल ही में सर्जरी हुई हो, उन्हें मछली तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • बच्‍चों द्वारा फिश ऑयल का अधिक सेवन करने पर, उन्हें खुजली, छींक या खांसी जैसी एलर्जी हो सकती है।
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर के समय भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को फिश ऑयल का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्शानुसार करना चाहिए।

Disclaimer

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