गिलोय (गुडुची) के महत्व और फायदे
2022-03-17 11:29:09
औषधीय पौधों का अस्तित्व मनुष्य जन्म से काफी पहले का रहा है। पुरातनकाल से ही मनुष्य रोग से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के पौधों का उपयोग करता आया है। जिन पौधों से औषधि मिलती है, उनमें से अधिकतम पौधे जंगली होते हैं। इन्हीं पौधों में से एक गिलोय भी हैं। जो आमतौर पर जंगली-झाड़ियों में पाई जाती हैं। इन पौधों की जड़, तना, पत्तियां, फूल, फल, बीज और छाल का उपयोग उपचार के लिए होता है।
आयुर्वेद में गिलोय का महत्व-
आयुर्वेद में गिलोय को उत्तम दर्जे की जड़ी-बूटी माना जाता है। इसलिए इसे जड़ी-बूटियों की रानी भी कहा जाता है। गिलोय को गुडूची, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता आदि नामों से भी जाना जाता है। गिलोय एक बहुवर्षीय लता होती है। इसके पत्ते पान की तरह और फल मटर के दाने जैसे होते हैं। गिलोय के पत्ते स्वाद में कड़वे, कसैले और तीखे होते हैं। गिलोय में क्षाराभ प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें पाए जाने वाले अन्य जैव-रासायनिक पदार्थ स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड, लिग्नेंट, कार्बोहाइड्रेट हैं। इनकी उच्च पोषक तत्व सामग्री के कारण, गिलोय का उपयोग कई हर्बल, आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसी कारण इसे नीम गिलोय के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता हैं। इन दोनों औषधियों का मुख्य गुण रोग-प्रतिरोधक (बीमारी से लड़ने की क्षमता) होती है। यह शरीर के तीनों दोष अर्थात वात (वायु रोग), पित्त और कफ (बलग़म) के संतुलन को बनाए रखने तथा इसके प्रकोप से होने वाली सभी तरह की बीमारियों को रोकने की क्षमता रखता है। यह कास (खांसी), तृष्णा (अधिक प्यास लगना), शूल (पेट दर्द) आदि प्रकार की बीमारीयों को भी शांत करता है। इसके अतिरिक्त गिलोय का निरंतर सेवन करने हृदय संबंधी रोग, जोड़ों के दर्द और आर्थराइट (गठिया) आदि जैसी बीमारियों में भी आराम पड़ता है।
गिलोय (गुडुची) के फायदे-
प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक-
गिलोय डेंगू के इलाज के लिए अमृत मानी जाती है। डेंगू बुखार होने पर शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगती हैं। ऐसे में गिलोय की गोली या काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ती हैं। इसके अलावा गिलोय, सोंठ, छोटी पिप्पली और गुड़ के साथ तुलसी का काढ़ा बनाकर पीना भी डेंगू में लाभप्रद होता है।
वायरल बुखार से छुटकारा दिलाने में मददगार-
गिलोय ज्वरनाशी है अर्थात पुराने से पुराने बुखार के इलाज में गिलोय का सेवन करना एक बेहतर विकल्प है। गिलोय में आक्सीकरण रोधी गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। गिलोय शरीर के रक्त प्लेट्स को बढ़ाता है। साथ ही वायरल इन्फेक्शन और बुखार के लक्षणों को कम करता है। इसके लिए 4-6 सेमी लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी को में तबतक उबालें जबतक पानी का लगभग एक तिहाई भाग जल न जाए। उसके बाद उस पानी को पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है।
रक्त को साफ करने में सहायक-
शरीर में विषाक्त पदार्थों का समावेश होने पर उस क्रिया को खराब खून कहा जाता है। गिलोय में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो विषैले कण को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके लिए गिलोय के जूस का सेवन करें। ऐसा करने से विषैले कण मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिससे रक्त की शुद्धि होती है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर-
यदि कोई व्यक्ति लगातार बीमार रहता है। जिसकी मुख्य वजह उसकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) भी हो सकती है। ऐसे में गिलोय का काढ़ा या जूस का सेवन करना बेहद लाभप्रद होता है। इसमें मौजूद औषधीय गुण रक्त को साफ करके, हेल्दी कोशिकाओं को मेंटेन करके, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टेरिया एवं फ्री रेडिकल्स से लड़ता है। जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
पेट विकारों में पहुचाएं राहत-
पेट में दर्द, सूजन, आफरा, गैस और एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जो पूरे शरीर को प्रभावित करती हैं। इन रोगों से निजात पाने के लिए घरेलू उपाय के रूप में गिलोय एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए गिलोय का सत्व या जूस का सेवन करने से पेट संबंधित विकार दूर होते हैं। इसका नियमित सेवन पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करता है।
मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रण करने में मददगार-
विशेषज्ञों के मुताबिक गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है। जो टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा इसमें कुछ ऐसे एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर में रक्तशर्करा के बढ़े स्तर को कम करती है। साथ ही यह इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।
जोड़ों में दर्द,गठिया के इलाज में-
गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक गुण पाए जाते हैं। जो गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती है। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं। उन्हें गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। इसके लिए 2 से 3 चम्मच गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इसके अलावा गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में दो बार भोजन करने के बाद सेवन भी कर सकते हैं।
सूजन के लिए-
गिलोय एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होता है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा गिलोय में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी का प्रभाव भी सूजन को कम करने और रोकने में सहायता करता है।
त्वचा विकारों को दूर करने में मददगार-
गिलोय त्वचा संबंधी विकार जैसे दाग, खाज, खुजली, धब्बे, झुर्रियां आदि में बेहद लाभदायक होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी माइक्रोबियल, एंटी इंफ्लेमेंटरी आदि गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए गुडुची के तने का लेप या पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाने से त्वचा विकार ठीक हो जाते हैं।
आंखो के लिए फायदेमंद-
आंखों के लिए गिलोय कारगर औषधि है। इसके लिए गिलोय के जूस में शहद और सेंधा नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को आंखों पर काजल की तरह लगाएं। ऐसा करने से आंखो की कमजोरी दूर होती हैं। इसके साथ गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 ml काढ़े में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण एवं शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है। साथ ही आंखों के दर्द, चुभन, सूजन और आंखों का लाल होना, मोतियाबिंद आदि रोग शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
कान के बीमारी के लिए-
गिलोय के तने का पतला पेस्ट बनाकर गुनगुना कर लें। अब इसकी 2-2 बूंदों को दिन में दो बार कान में डालें। ऐसा करने से कान का मैल (गंदगी) निकल जाता है।
पीलिया में फायदेमंद-
यदि कोई व्यक्ति पीलिया से पीड़ित है तो वह भी गिलोय का सेवन कर सकता है। इसके लिए गिलोय के 20-30 पत्ते लेकर पीस लें। अब उस पेस्ट को एक गिलास ताजी छांछ में मिलाकर मरीज को पिएं।
गिलोय के नुकसान-
- जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के मरीज हैं उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए। क्योंकि गिलोय ब्लड प्रेशर को कम करती है। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है।
- किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रूप में नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती है जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
- गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को काफी कम कर देता है। ऐसे में लो ब्लड शुगर वाले लोगों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गिलोय कई बार इम्यून सिस्टम को अधिक उत्तेजित कर सकता है। परिणामस्वरूप ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के लक्षण जैसे ल्यूपस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस आदि हो सकते हैं। इसलिए ऑटोइम्यून विकारों से पीड़ित लोगों को इसके सेवन से बचें या डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही गिलोय का सेवन करें।