जानें, भुई आंवला और इसके फायदों के बारे में
2022-05-24 16:27:27
भुई आंवला अपने औषधीय गुणों के चलते तमाम रोगों के इलाज हेतु जाना जाता है। यह बुखार, खांसी, खुजली, कफ, अधिक प्यास लगना जैसी परेशानियों को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा भूख की कमी, कामोत्तेजना, गैस्ट्रिक एसिड एवं पेट की अन्य समस्याएं, किडनी की पथरी और लिवर के हर तरह के रोग के लिए भुई आंवला को दिव्य औषधि समझा जाता है। भुई आंवला में एंटीवायरल प्रॉपर्टीज व एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। जो सेहत के अलावा कुष्ठ रोग में भी फायदा करते हैं।
क्या है भुई आंवला?
भुई आंवला स्वाद में कसैला और मीठा होता है। यह वर्षा-ऋतु के समय उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे पौधों से प्राप्त होता है। इसके पौधे शरद्-ऋतु में फूलने-फलने के बाद गर्मी के मौसम में सूख जाते हैं। इस पौधे से प्राप्त होने वाला फल, जिसे आम भाषा में भुई आंवला कहते हैं, देखने में धात्रीफल की तरह गोल और आकार में छोटा होता है। इसलिए इसे कुछ जगह पर भूधात्री और भूम्यामल भी कहा जाता है। भुई आंवला का वानस्पतिक नाम फाइलैन्थस यूरीनेरिया (Phyllanthus urinaria) है। जिसे भूमि आंवला भी कहा जाता है।
भुई आंवला के फायदे:
आंखों की बीमारी के लिए
भुई आंवला को सेंधा नमक और पानी के साथ तांबे के बर्तन में घिसकर, इसे आंखों के बाहर लगाने से आंखों से संबंधित रोग में फायदा मिलता है।
सिर दर्द के लिए
घी में भुई आंवला, पिप्पली, सारिवा, लाल चन्दन और अतीस आदि द्रव्यों को मिलाकर, नियमित सेवन करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
मुंह के छालों के लिए
भुई आंवला के पत्तों से बने काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं।
आंतों के रोग के लिए
भूमि आंवला को छाया में सुखाकर मोटा-मोटा कूटकर रख लें। अब 10 ग्राम भुई आंवला को 400 मिली पानी में तबतक पकाएं जबतक वह एक चौथाई से भी कम हो जाए। अब इस पानी का रोज सुबह खाली पेट और रात को खाने से एक घंटा पहले पिएं। ऐसा करने से आंतों के घाव और अल्सर को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
मासिक के लिए
भुई आंवला के बीज को पीसकर, चावलों के धुले हुए पानी के साथ दिन में दो या तीन बार पीने से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है। ऐसा करने से मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तप्रवाह में भी कमी होती है।
स्तनों की सूजन के लिए
भुई आंवला पंचांग को पीसकर, स्तनों का लेप करने से स्तनों की सूजन कम होती है।
टीबी के लिए
घी में भुई आंवला, लाल चन्दन, पिप्पली, सारिवा और अतीस को पकाकर, सेवन करने से टीबी रोग में फायदा होता है।
खांसी के लिए
- 50 ग्राम भुई आंवला पंचांग को आधा लीटर पानी में गरम करें। और इसे एक चौथाई होने तक पकाएं। अब इस काढ़े का एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से सांस के रोग में लाभ होता है।
- घी में भुई आंवला, पिप्पली, सारिवा, लाल चन्दन और अतीस आदि द्रव्यों को मिलाकर, नियमित सेवन करने से भी खांसी में आराम मिलता है।
पेट रोग के लिए
- भुई आंवला के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी को छानकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
- भुई आंवला के पत्ते और जड़ का काढ़ा बनाकर, दिन में दो बार पीने से जलोदर रोग में लाभ होता है।
- 50 ग्राम भुई आंवला पंचांग को आधा लीटर पानी में गरम करें। और इसे एक चौथाई होने तक पकाएं। अब इस काढ़े का एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से जलोदर रोग में फायदा मिलता है।
दस्त के लिए
- 50 ग्राम भुई आंवला पंचांग को 400 मिली पानी में गरम करें। और इसे एक चौथाई होने तक पकाएं। अब इसमें 5 ग्राम मेथी चूर्ण मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीते रहें। ऐसा करने से दस्त में आराम लगता है।
- 20 ग्राम भुई आंवला के पत्तों को 200 मिली पानी में उबालकर, छानकर थोड़ा-थोड़ा पीने से दस्त की समस्या ठीक होती है।
बुखार के लिए
- भुई आंवला के कोमल पत्ते और इन पत्तों की एक चौथाई काली मिर्च लेकर पीस लें। फिर इसकी थोड़ी बड़ी गोलियां बनाकर दिन में दो बार 2-2 गोलियों का सेवन करें। ऐसा करने से बार-बार चढ़ने वाले बुखार में लाभ मिलता है।
- घी में भुई आंवला, पिप्पली, सारिवा, लाल चन्दन और अतीस आदि द्रव्यों को मिलाकर, नियमित सेवन करने से भी बुखार में आराम मिलता है।
- घी में बला मूल, भुई आंवला, गोखरू, निम्ब, पर्पट, और नागरमोथा को पकाकर, सेवन करने से भी तेज बुखार में फायदा होता है।
खुजली के लिए
- भुई आंवला के पत्तों को पीसकर, इसमें नमक मिलाकर खुजली वाले हिस्से पर लगाने से खुजली कम होती है।
- चोट पर भी भुई आंवला के कोमल पत्तों को पीसकर लगाने से चोट और उसके दर्द में लाभ मिलता है।
सांस की बीमारी के लिए
- सांस से जुड़ी बीमारियों में भुई आंवला बहुत फायदेमंद होता है। भुई आंवला की जड़ को पानी की मदद से पीस लें। अब इसमें मिश्री या शहद मिलाकर सेवन करें। इससे नाक के रास्ते से सांस के रोग में फायदा होता है।
- 50 ग्राम भुई आंवला पंचांग को आधा लीटर पानी में गरम करें। और इसे एक चौथाई होने तक पकाएं। अब इस काढ़े का एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से सांस के रोग में लाभ होता है।
घाव सुखाने के लिए
- भुई आंवला के पत्तों से बने काढ़े से घाव धोना अच्छा होता है।
- भूमि आंवला के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है।
- भुई आंवला के पत्तों के पेस्ट को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
- घाव की सूजन को ठीक करने के लिए भुई आंवला पंचांग को चावल के पानी के साथ पीसकर, घाव पर लगाया जा सकता है।
भुई आंवला के उपयोगी हिस्से
- भुई आंवला के पत्ते
- भुई आंवला की जड़
- भुई आंवला पंचांग
- भुई आंवला
कहां पाया जाता है भुई आंवला?
भारत के लगभग सभी स्थानों पर भुई आंवला देखने को मिलता है। दरअसल यह आर्द्र स्थानों में खरपतवार के रूप में पैदा होता है। लगभग 900 मीटर की ऊंचाई तक इसके पौधे मिलते हैं।