जानें, मंजिष्ठा के औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान
2022-05-24 12:45:02
मंजिष्ठा एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका उपयोग आयुर्वेद में सेहत, सौन्दर्य और कई तरह की बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा को मजीठ, योजनवल्ली, विकसा,अरुणा, रक्ताङ्गली आदि नामों से भी जाना जाता है। मंजिष्ठा के बेल स्वाद में कड़वे, कसैले और तीखे होते हैं। अपने इसी कड़वेपन के कारण इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें क्षाराभ प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें अन्य जैव-रासायनिक पदार्थ जैसे- स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड, लिग्नेंट, थर्मोजेनिक,कायाकल्प गुण मौजूद होते हैं। इन उच्च पोषक तत्व गुणों के कारण, मंजिष्ठा का उपयोग कई हर्बल, आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है।
मंजिष्ठा क्या है?
मजीठ पौधे की जड़ को मंजिष्ठा कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम रूबिया कॉर्डिफोलिया एल (Rubia cordifolia L) है। इसको अंग्रेजी में कॉमन मैडर या इंडियन मैडर भी कहा जाता है। मंजिष्ठा कॉफी यानी रूबिएसी (Rubiaceae) परिवार से संबंध रखता हैं, जो फूलों वाले पौधे की एक प्रजाति है। मंजिष्ठा एक बहुवर्षीय लता होती है। इसका तना पतला और चौकोर आकृति का होता है। इसके फूल छोटे, हरे और सफेद रंग के होते हैं। इसके फल गोलाकार और मांसल्य होते हैं। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 1 से 2 मीटर तक होती है और इसमें पूरे साल पत्तियां लगी होती हैं। मंजिष्ठा पहाड़ी इलाकों में पाई जाती हैं। लेकिन कई स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है ताकि इसकी जड़ों से प्राप्त होने वाले लाल पिगमेंट यानी मंजिष्ठा को प्राप्त किया जा सके। इस जड़ी-बूटी का इलाज कई रोगों के उपचार और शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता हैं।
आयुर्वेद में मंजिष्ठा के औषधीय गुण-
मंजिष्ठा एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी जड़ से लेकर पत्तियां, कलियां और फूल सहित सभी भाग उपयोगी होते हैं। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। आयुर्वेद मे मंजिष्ठा यानी मजीठ को रक्त को साफ करने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी माना जाता है। यह रक्त को साफ करके त्वचा को सेहतमंद बनाने में सहायक होती है। साथ ही मंजिष्ठा रक्तचाप और रक्तवाहिकाओं के कसाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। मंजिष्ठा त्रिदोष (कफ, पित्त वात) को शांत रखने में मदद करती है। इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सक में मंजिष्ठा कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। यह शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने, डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायक होती है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट भी होते है। जो कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। इसके सेवन से मूत्र संक्रमण, दस्त, पेचिस, पुराना बुखार, लिवर की समस्या, गठिया, त्वचा संबंधित समस्याएं आदि कम होती है। अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही इसे बेहतर उपाय माना जाता है। इसलिए यह आयुर्वेद में उत्तम दर्जें की औषधि है।
मंजिष्ठा के फायदे-
मधुमेह (डायबिटीज) के लिए-
मंजिष्ठा मधुमेह के उपचार के लिए प्राकृतिक उपाय है। क्योंकि इसमें एंटी डायबिटिक गतिविधि पाई जाती है, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा मंजिष्ठा सीरम कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी कम करती है।
जोड़ों के दर्द एवं अर्थराइटिस में फायदेमंद-
मंजिष्ठा के चूर्ण में एंटी अर्थ रितिक प्रभाव होता है। जो जोड़ों के दर्द एवं गठिया रोग से राहत दिलाने में मदद करता है। मंजिष्ठा रक्तचाप में सुधार करके गठिया के लक्षणों को कम करती है। वहीं इसमें रुबिमालीन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण को प्रदर्शित करता हैं। यह पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद है ।
बुखार के लिए-
आयुर्वेद में मंजिष्ठा का उपयोग पुराने से पुराने बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके लिए मंजिष्ठा के चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करना फायदेमंद होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी- जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा मंजिष्ठा में एंटीवायरल गुण भी पाया जाता है। जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी वायरल इन्फेक्शन को रोकता है।
त्वचा के लिए-
मंजिष्ठा का अर्क त्वचा को चमकदार बनाने का काम करता है। दरअसल, मंजिष्ठा के अर्क का इस्तेमाल कर क्रीम तैयार की जाती है। जिसमें एंटी-वायरल, एंटी- बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा एक रक्त शोधक है। इसलिए यह विभिन्न त्वचा संबंधी विकारों से निजात दिलाता है। यह खुजली, दाद, एक्जिमा, सोरायसिस, त्वचा की जलन आदि से राहत दिलाता है। अतः मंजिष्ठा के चूर्ण का लेप करने से त्वचा संबंधित विकार ठीक होते हैं। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।
बालों के लिए-
मंजिष्ठा बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए प्रभावी रूप से काम करती है। चूंकि मंजिष्ठा में मौजूद पुरपुरिन एवं मुंजिस्टिन कलरिंग एजेंट की तरह काम करते हैं, जो बालों को रंगने में मददगार होते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा तेजी से बाल विकास को बढ़ावा देती है। साथ ही बालों की जड़ों को मजबूत करती है। जिससे बालों का झड़ना कम होता हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए-
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए मंजिष्ठा का सेवन अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह जड़ी-बूटी संक्रमण से लड़ने में सहायक और रोगों से बचाव करती है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, मंजिष्ठा में मौजूद एल्केलाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स,फिनोल कंपाउंड इम्यूनो-मॉड्यूलेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इम्यूनो-मॉड्यूलेशन से तात्पर्य है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को शरीर की आवश्यकतानुसार बदलता रहता है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि मंजिष्ठा प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने का काम करती है। इसके लिए मंजिष्ठा का काढ़ा या चूर्ण के रूप में सेवन करना फायदेमंद होता है।
कैंसर के लिए-
मजीठी की जड़ में एंटी कैंसर गतिविधियां पाई जाती हैं। जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं। इस पर किए गए एक एक शोध के मुताबिक, मंजिष्ठा का सेवन पेट संबंधी कैंसर से राहत दिलाने का काम करता है। दरअसल, इसमें मोलुगिन (Mollugin) नामक सक्रिय यौगिक पाया जाता है, जो कोलन कैंसर अणुओं को सक्रिय होने से रोकता हैं।
ट्यूमर के लिए-
मंजिष्ठा का सेवन ट्यूमर से भी बचाने का काम करता है। दरअसल, मंजिष्ठा में मौजूद बाइसाइकलिक हेक्सापेप्टाइड्स (Bicyclic hexapeptides) यौगिक एक तरह से एंटीट्यूमर गतिविधि का काम करता है। इसके लिए मंजिष्ठा के काढ़े या इसके चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभप्रद-
मंजिष्ठा का प्रयोग स्त्रीरोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्मसंबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। यह पीरियड के दौरान होने वाले दर्द में राहत पहुंचाती है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या में मजीठी की जड़ के चूर्ण या अर्क का सेवन करना फायदेमंद होता है। ऐसा करने से मासिक धर्म नियमित होता है।
पौरुष शक्ति के लिए-
मंजिष्ठा का सेवन करने से शीघ्रपतन, वीर्य की कमी, धातु दुर्बलता और पुरुषों में होने वाली कमजोरी में लाभ मिलता है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह की शारीरिक या अंदरूनी कमजोरी महसूस करता है। ऐसे में मंजिष्ठा चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा महिला बांझपन को दूर करने के लिए मंजिष्ठा का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। चूंकि मंजिष्ठा में एक आयुर्वेदिक तत्व मौजूद होता है जिसे फलासरपी कहा जाता है। इसलिए इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए अच्छा होता है। जिन्होंने हाल ही में गर्भपात (miscarriage) का अनुभव किया हो।
मूत्र त्याग की कठिनाई को दूर करता है-
यूरिन पास करने में कठिनाई कई वजहों से हो सकती है। ऐसे में मजीठी की जड़ का चूर्ण अपने ड्यूरेटिक्स गुणों के कारण इस कठिनाई में मदद करता है। यह यूरिन को उचित बहाव के साथ पास होने देता है। इसके अलावा मंजिष्ठा की जड़ के काढ़ा का सेवन करने से पेशाब में होने वाली सभी प्रकार की परेशानियों में लाभ मिलता है।
मंजिष्ठा का उपयोग-
- मंजिष्ठा का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।
- इसको चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता है।
- मंजिष्ठा चूर्ण को गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
- मंजिष्ठा को सीधे मुंह में रखकर चूसा भी जा सकता है।
- कुछ लोग मंजिष्ठा चूर्ण का खाने के साथ सेवन करते हैं।
मंजिष्ठा के नुकसान-
- मंजिष्ठा के अधिक सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें वारफारिन और कौमामिन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो रक्त को पतला करते हैं।
- मंजिष्ठा में कलरिंग एजेंट पाया जाता है। इसलिए इसके सेवन से मूत्र का रंग नारंगी हो सकता है।
- इसके अधिक सेवन से यह आंसू, लार और दूध को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह प्रभाव अस्थायी होते हैं।
- मंजिष्ठा का अधिक सेवन कैंसर का कारण बन सकता है।
- इसका अधिक सेवन शरीर में तनाव और कब्ज (constipation) उत्पन्न कर सकता है।
- गर्भवास्था (pregnancy) और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मंजिष्ठा का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह शिशुओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
- किसी भी अन्य समस्या से पीड़ित व्यक्ति को मंजिष्ठा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरुर लेनी चाहिए।