जानें, लोध्र के अद्भुत फायदे
2022-05-24 11:59:47
लोध्र एक औषधीय पेड़ है, जो सिम्प्लोकेसी (Symplocaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका वानस्पतिक नाम सिम्प्लोकोस रेसमोसा (Symplocos Racemosa) है। भारत में यह अनेक जगहों में पाया जाता है। आयुर्वेद में अपने औषधीय गुणों के कारण लोध्र कई प्रकार की दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है। पारंपरिक तौर पर लोध्र की जड़, छाल एवं पत्तियों का इस्तेमाल कई बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। आमतौर पर यह डायरिया, पेचिश, लिवर,आंख एवं गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है।
क्या है लोध्र?
लोध्र के पेड़ मध्यम आकार के और सदाबहार होते हैं। आमतौर पर इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं। पहला लोध्र और दूसरा पठानीलोध्र। इसकी छाल पतली और छिलकेदार होती है। इसके पत्ते 3 से 4 इंच लंबे गोलाकार या अंडाकार होते हैं। इसकी पत्तियों के डंठल छोटे और छूने में मखमली होते हैं। इसके फूल सफेद एवं हल्के पीले रंग के और सुगन्धित होते हैं। इसके फूल आकार में छोटे और गुच्छों के रूप में पाए जाते हैं। सामान्य रूप से इसके फूल नवम्बर से फरवरी महीनों तक खिलते हैं। इसके फल बैंगनी रंग के और आकार में लगभग 1 से 1.5 इंच होते हैं। इनके फलों में 2 से 3 बीज पाए जाते हैं। इसके लाख (लाक्षा) को साफ किया जाता है, इसलिए इसे लाक्षाप्रसादन भी कहा जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक में इसकी जड़, छाल, फूल एवं पत्तियों का प्रयोग कई रोगों के उपचार में किया जाता हैं।
लोध्र के फायदे-
आंखों के लिए फायदेमंद-
आंखों की समस्या को दूर करने के लिए लोध्र का उपयोग पारंपरिक तौर पर किया जाता है। दरअसल इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो आंखों से पानी आना, आंखों का दुखना, सूजन, लाली एवं अन्य आंख संबंधी रोगों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए लोध्र और महुआ को घी में भूनकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को दूध के साथ पेस्ट बनाकर आंखों की पलकों पर लगाएं। ऐसा करने से आंख संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इसके अलावा घी में भुने हुए लोध्र चूर्ण को कपडे में रखकर गर्म पानी में भिगोएं। उसके बाद इस पोटली से आंखों की सेकाई करें। इससे आंखो में होने वाले दर्द एवं संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
अल्सर में कारगर-
अल्सर के इलाज में लोध्र एक कारगर औषधी मानी जाती है। क्योंकि इसमें एंटी अल्सर गुण पाए जाते हैं, जो अल्सर के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए लोध्र और धातकी की समान मात्रा में लेकर उपयोग करें। इससे घाव जल्दी भरते हैं। इसके अतिरिक्त अल्सर से राहत पाने के लिए लोध्र, निग्रोधा, खदिरा एवं त्रिफला और घी का पेस्ट बनाकर सेवन करना लाभप्रद होता है।
मौखिक स्वास्थ्य के लिए-
लोध्र का उपयोग मुंह को स्वस्थ्य रखने के लिए सालों से किया जाता रहा है। एनसीबीआई द्वारा किये गए एक शोध के मुताबिक,आयुर्वेद में लोधा यानी लोध्र का उपयोग मसूड़ों से खून बहने के इलाज में किया जाता है। वहीं, एक अन्य शोध के मुताबिक, इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण मौखिक स्वास्थ्य एवं दंत संबंधी समस्या को दूर करता है। इसके लिए लोध्र की छाल बनाएं और उससे गरारे करें। ऐसा कुछ दिन करने से मसूड़ों से होने वाले रक्स्राव और अन्य परेशानियों में लाभ मिलता है। इसके अलावा लोध्र, मस्ता,रसांजना और शहद से बने पेस्ट को प्रभवित जगहों पर लगाने से फायदा होता है।
पीसीओएस के इलाज में उपयोगी-
महिलाओं के अंडाशय (Ovary) यानी एड्रिनल ग्रंथी में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का स्तर बढ़ने से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी वजह से महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट (द्रव से भरी थैली) बनने लगती हैं। जिससे महिलाओं में बांझपन या अन्य इससे जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता हैं। ऐसे में इसके इलाज के लिए लोध्रा की छाल का सेवन कारगर उपाय है। दरअसल इसमें एंटी-एंड्रोजेनिक प्रभाव होता है। यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करके पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) में डिंबग्रंथि सेल की शिथिलता को रोकते हैं। साथ ही प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं।
योनि संक्रमण को दूर करने में सहायक-
लोध्र की पत्तियां का उपयोग यौन संक्रमण और योनि में होने वाली बहुत सी परेशानियों को दूर करने में पारंपरिक तौर पर किया जाता रहा है। इस प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए लोध्र के पत्तों को सुखा कर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण में पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। अब इस पेस्ट को योनि में लगाएं। यह योनि में होने वाले संक्रमण को दूर करने प्राकृतिक उपाय है।
त्वचा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी-
लोध्र का सेवन त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह त्वचा देखभाल एवं इससे जुड़ी कई परेशानियों को दूर करता है।क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है। जो संक्रमण को दूर करता है। यह त्वचा की कोशिकाओं की रक्षा करता है। साथ ही यह फ्री रेडिकल्स से होने वाले त्वचा की क्षति से बचाता है। इस प्रकार यह त्वचा को स्वस्थ्य एवं सुंदर बनाए रखता है। इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए लोध्र और स्फटिका के पेस्ट का उपयोग करना चाहिए।
लोध्र के उपयोग-
●लोध्र की जड़,छाल एवं पत्तियों का उपयोग काढ़े या जूस के रूप में किया जाता है।
●इसके छाल से बने चूर्ण को भोजन के उपरांत पानी के साथ सेवन किया जाता है।
●इसके बीज से बने पाउडर का उपयोग किया जाता है।
●लोध्र की छाल एवं पत्तियों से बने पेस्ट का उपयोग त्वचा संबंधी विकारों के लिए किया जाता है।
लोध्र के नुकसान-
●लोध्र रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को कम करता है। इसलिए मधुमेह की दवाओं का सेवन करने वाले लोगों को इसके सेवन से पहले चिकित्सक की परामर्श जरुरी है।
●यह हार्मोन को कम करने वाली दवा है। इसलिए इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें।
●लोध्र में एंटी एंड्रोजन गुण पाया जाता है, जो टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) घटा सकता है। इसलिए पुरुषों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
●इसका सेवन खाली पेट न करें। ऐसा करने से पेट संबंधी समस्या जैसे पेट में भारीपन, मतली,उल्टी आदि हो सकती है।
●गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन निषेध है।