जानें, चीड़ के अद्भुत फायदों के बारे में
2022-03-17 11:20:35
उत्तराखंड या हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में कई लोगों ने चीड़ के ऊंचे ऊंचे पेड़ जरूर देखे होंगे। आयुर्वेद में इस पेड़ को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना गया है। इस पेड़ की लकड़ियां, उससे निकालने वाला तेल और चिपचिपे गोंद का इस्तेमाल औषधि के तौर पर किया जाता है। इस पेड़ से प्राप्त गोंद को गंधविरोजा भी कहा जाता है। इस पेड़ की लम्बाई 30-35 मीटर होती है। इसका तना गहरे भूरे रंग और खुरदुरा गोल आकर का होता है। इसके पत्ते 3 के गुच्छे में होते हैं जिनकी लम्बाई 20-30 सेमी होती है। ज्यादातर लोग चीड़ को उसकी लम्बाई और पत्तियों के आकार से ही पहचान लेते हैं। चीड़ के फल देवदारु के फल की भांति ही होते हैं लेकिन यह आकार में थोड़े बड़े, शंक्वाकार और पिरामिड आकार के नुकीले होते हैं। चीड़ का वानस्पतिक नाम Pinus roxburghii Sargent (पाइनस् रॉक्सबर्घियाई) है। वहीं, इसे अंग्रेजी में चीर पाईन (Chir pine) और इमोडी पाईन (Emodi pine) कहते हैं।
चीड़ के फायदे-
मुंह के छालों के लिए-
मुंह में छाले होने पर चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद का काढ़ा बनाकर कुल्ला करना छालों के लिए अच्छा होता है। ऐसा करने से मुंह के छाले जल्द ठीक होते हैं।
पेट के कीड़ों के लिए-
पेट में कीड़े होने के बाद होने वाले दर्द से बचने और भूख न लगने जैसे लक्षणों को कम करने के लिए चीड़ के तेल में विडंग के चावलों का चूर्ण मिलाकर कुछ देर धूप में रख दें। बाद में इस मिश्रण को पीने से आंत के कीड़े कम होते हैं।
पेट फूलने के लिए-
जो लोग पेट फूलने की दिक्कत से परेशान रहते हैं। उन्हें चीड़ के तेल को पेट पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से पेट फूलने और बवासीर जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं।
कान के लिए-
कान के दर्द, सूजन और कान से निकलने वाले स्राव को कम करने के लिए चीड़ एक फायदेमंद औषधि है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार देवदारु, कूठ और सरल (चीड़) के काष्ठों पर क्षौम वत्र लपेट कर तिल तैल में भिगोकर जलाने से मिलने वाले तेल की एक से दो बूंदों को कान में डालने से कान का दर्द, सूजन और स्राव में जल्दी आराम मिलता है।
सांस की नली के लिए-
सांस की नली में सूजन होना एक बड़ी परेशानी है। इसके लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि चीड़ के तेल से छाती की मालिश करने से सांस नली की सूजन कम होती है साथ ही सर्दी-खांसी में भी आराम मिलता है।
लकवा के लिए-
पिप्पली और इसकी जड़, सरल (चीड़) और देवदारु का पेस्ट बनाकर 1-3 ग्राम मात्रा में 2 गुना शहद मिलाकर पीने से लकवा रोग में आराम मिलता है। लेकिन इसका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए।
घाव के लिए-
चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद को घाव के लिए अच्छा माना जाता है। इसके लिए गोंद को पीसकर सीधे घावों पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से घाव जल्दी भर जाते हैं। इसके अलावा चीड़ के गोंद को घाव पर लगाने से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) बंद हो जाता है और घावों में पस भी नहीं पड़ता।
दाद-खाज एवं खुजली के लिए-
चीड़ के गोंद (गंधविरोजा) को दाद एवं खुजली पर लगाने से दाद व खुजली की समस्या ठीक हो जाती है। इसलिए इस तरह की समस्या होने पर चीड़ का इस्तेमाल करना अच्छा घरेलू उपाय माना जाता है।
बच्चों की पसली चलने पर-
छोटे बच्चों को सर्दी लगने और निमोनिया होने पर उनकी पसलियां चलने लगती हैं। ऐसे समय पर चीड़ के तेल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर बच्चों की मालिश करना अच्छा होता है। इस तेल की मालिश करने से शरीर को गर्माहट मिलती है। जिससे बच्चों को शीघ्र आराम मिलता है।
चीड़ के उपयोगी हिस्से-
- तेल
- लकड़ी
- गंधविरोजा (गोंद)
- तैलीय निर्यास
चीड़ का पेड़ कहां पाया जाता है?
चीड़ का पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में कश्मीर से भूटान तक 450-1800 मी तक की ऊंचाई पर, कुमाऊं में 2300 मी तक की ऊंचाई पर, शिवालिक पहाड़ी क्षेत्रों में, ऊटी और अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।