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जानें, पादाभ्यंग के फायदे, विधि और सावधानियां

जानें, पादाभ्यंग के फायदे, विधि और सावधानियां

2022-05-24 16:39:08

पादाभ्यंग थेरेपी एक ऐसी चमत्कारी विधि है। जिसमें पैरों की मालिश द्वारा शरीर के कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में पैरों का बहुत अधिक महत्व होता है और पैर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं। क्योंकि हमारे शरीर की सभी नसों का एंड पॉइंट हमारे पैरों में होता है। पैरों की मालिश करने का अर्थ है नसों की मालिश करना। जो तंत्रिकाओं को मजबूत करने के साथ ही शरीर के अन्य अंगों को भी स्वस्थ बनाता है। ऐसा प्रतिदिन करना कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। आयुर्वेद में 'पादाभ्यंग' को सभी वैकल्पिक उपचारों की जननी कहा जाता है। क्योंकि यह दोष-असंतुलन के इलाज की शक्ति रखती है। इसके अनुसार पैरों की मसाज मात्र से सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है। पादाभ्यंग थेरेपी से पैरों का खुरदरापन, रूखापन, शिथिलता, थकावट, सुन्न होना, पैरों का फटना, पैरों की रक्त वाहिकाओं और स्नायुओं की सिकुड़न, गृधसी (साइटिका) तथा अनेक वात रोग ठीक होते हैं। साथ ही इसकी मदद से आंखों की दृष्टि भी तेज होती है।

 
कब करें पादाभ्यंग?

हर रोज पादाभ्यंग करना लाभदायक होता है। यूं तो इसे सुबह नहाने से पहले या किसी भी फुर्सत के समय किया जा सकता है। लेकिन रात को बिस्तर पर जाने के पहले का समय पादाभ्यंग करने का सबसे अच्छा समय माना गया है। क्योंकि इस समय शरीर पूरे दिन के कामों से थका हुआ होता है। इसलिए अगर रात को सोने से पहले पादाभ्यंग किया जाए तो अच्छी नींद आने के साथ दिन भर की थकान भी दूर होती है।

 
पादाभ्यंग करने की विधि-

पादाभ्यंग के लिए सबसे पहले रोगी के पैरों के नीचे प्लास्टिक शीट बिछा कर उसको सीधा लिटाएं। इसके बाद उसके शरीर की प्रकृति के अनुसार तेल का चुनाव करें। वात प्रकृति के रोगी के लिए तिल का तैल, कफ प्रकृति के रोगी के लिए नारियल, सूरजमुखी या चंदन का तेल और कफ प्रकृति के लिए सरसों का तेल उपयुक्त रहता है। अब तेल को हल्का गुनगुना करके पैरों पर लगाए और पैरों, टखने, जोड़ों और तलवे पर अच्छी तरह से हलके हाथों से दबाते हुए मालिश करें। कम से कम 20 मिनट तक मालिश की जा सकती है। जिसमे शुरूआती 10 मिनट हाथों से फिर 10 मिनट कटोरी के निचले हिस्से से तलवों को रगड़ें। पादाभ्यंग के लिए तेल के अलावा घी का भी प्रयोग किया जा सकता है।

 
पादाभ्यंग के फायदे-
  • पादाभ्यंग फटी एड़ियों की दरारें भरकर उन्हें चिकना बनाता है।
  • यह थकान उतारने में सहायक है।
  • इससे आंखों की रौशनी बढ़ती है।
  • यह हाथ पैरों में सुन्न होने की समस्या को दूर करता है।
  • इससे त्वचा कांतिमय (ग्लोइंग) बनती है।
  • यह मानसिक बीमारियों से बचाने में मददगार है।
  • पादाभ्यंग नींद न आने की समस्या में सुधार लाता है।
  • स्ट्रेस, एंजाइटी, सिरदर्द, हाइपर टेंशन जैसी बीमारियों से पादाभ्यंग द्वारा बचा जा सकता है।
  • पादाभ्यंग ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ाता है।
  • जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों की अकड़न में सुधार लाता है।
  • डिप्रेशन या मानसिक/शारीरिक असंतुलन को दूर करने में पादाभ्यंग सहायक है।
  • यह श्रवण क्षमता तथा नेत्र ज्योति में सहायक है।
  • इससे साइटिका के दर्द में आराम दिलाता है।
कब नहीं करना चाहिए पादाभ्यंग?

स्वास्थ से जुड़ी कुछ विशेष परिस्थितियों में पादाभ्यंग नहीं करना चाहिए जैसे- सर्दी, बुखार, ब्लड इन्फेक्शन, अपच, पेट की बिमारी या फिर त्वचा विकार में पादाभ्यंग नहीं करना चाहिए।

  • पादाभ्यंग करते समय रखें यह सावधानियां-
  • पादाभ्यंग हमेशा खाने के 1-2 घंटे बाद ही करना चाहिए।
  • इसे स्नान से पूर्व ही करें।
  • अधिक भूख या प्यास लगने पर पादाभ्यंग न करें।
  • पादाभ्यंग करने के 20 मिनट बाद ही स्नान करें।
  • पादाभ्यंग के बाद गुनगुने पानी से ही स्नान करें।

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