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खसरा रोग के कारण, लक्षण और उपचार

खसरा रोग के कारण, लक्षण और उपचार

2023-03-06 19:14:18

मौसम में बदलाव के कारण संक्रमण का होना आम बात है। जिसकी वजह से लोगों को सर्दी, जुकाम और फ्लू (इन्फ्लूएंजा) जैसी संक्रामक बीमारियां आसानी से घेर लेती है। इन्हीं संक्रामक बीमारियों में खसरा रोग भी शामिल हैं। खसरा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में यह संक्रमण बुजुर्गों और युवकों की अपेक्षा बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। जिसे बदलते मौसम का संकेत मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

 

क्या होता है खसरा रोग?

खसरा रोग श्वसन प्रणाली का एक वायरल संक्रमण है। यह संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित व्यक्ति में आसानी से प्रसारित होता है। इससे ग्रसित व्यक्ति के पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। शुरूआती दौर में यह लाल दाने पहले सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे शरीर के संपूर्ण हिस्सों में फैल जाते हैं। इसे अंग्रेजी में मीजल्स कहा जाता है। इसके अलावा खसरा रोग को रूबेला (Rubeola) के नाम से भी जाना जाता है।

 

खसरा के चरण-

शुरूआती दौर से अंतिम तक खसरा रोग को चार चरणों में विभाजित किया गया है। आमतौर पर यह चरण 2-3 सप्ताह तक रहतें हैं, लेकिन कभी-कभी गंभीर स्थितियों में ठीक होने में 4 हफ्ते भी लग जाते हैं। इन्हीं चरणों को नीचे वर्णित किया गया हैं।

 

ऊष्मायन चरण या इन्क्यूबेशन (Incubation phase)-

खसरा रोग के शुरुआती दौर को ऊष्मायन चरण या इन्क्यूबेशन कहा जाता है। इस चरण में व्यक्ति खसरा वायरस के संपर्क में आता है। आमतौर पर यह चरण संक्रमण के लक्षण शुरू होने से 10 से 14 दिन पहले का होता है।

 

प्रोड्रोमल कैटरल (Prodromal catarrhal)-

इस बीमारी के दूसरे चरण को प्रोड्रोमल कहा जाता हैं। इस चरण में संक्रमण के कुछ शुरूआती लक्षण नजर आने लगते हैं। सामान्यतः इस चरण में सर्दी, जुकाम, बुखार, घबराहट, आंख आना (कंजंक्टिवाइटिस) जैसे लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

 

रैश या दाने का चरण (Rash phase)-

प्रोड्रोमल चरण के 3-4 दिन बाद मेक्युलोपेपुलर (चपटे और लाल) रैश या दाने नजर आने लगते हैं। साथ ही इस दौरान मरीज को दूसरे चरण के सभी लक्षण भी दिखाई देते हैं। लेकिन खसरा का यह चरण पहले अन्य दो चरणों की तुलना में कष्टदायक और गंभीर होता है। इस दौरान रोगी को तेज बुखार (104 से 105) का सामना भी करना पड़ता है।

 

रिकवरी (recovery phase)-

खसरा रोग का यह चरण अंतिम माना जाता है। इस चरण में रोगी रिकवर होने लगता है। इसमें सर्दी-जुकाम, बुखार आदि जैसे लक्षण ठीक हो जाते हैं। साथ ही रैश या दानों से भी छुटकारा मिलना शुरू हो जाता है।

 

खसरा के सामान्य लक्षण-

  • तेज बुखार आना।
  • सिर में दर्द होना।
  • गले में खराश होना।
  • गले में दर्द होना।
  • लगातार नाक बहना।
  • सूखी खांसी होना।
  • आंखों में सूजन या लालिमा होना।
  • मुंह के अंदर छोटे सफेद रंग के छालें पड़ना।
  • शुरूआती दौर में कान के पीछे लाल चकत्तें शुरू होना।
  • मांसपेशियों में दर्द।

 

खसरा के कारण-

आमतौर पर पैरामाइक्सो वायरस परिवार के मीजल्स नामक विषाणु का शरीर में प्रवेश करने पर खसरा रोग होता है। यह विषाणु छोटे परजीवी रोगाणु होते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो संक्रमित बूंदें हवा में फैल जाती हैं। जिससे असंक्रमित व्यक्ति को सांस के माध्यम से इसके वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। साथ ही उसे संक्रमित कर देता है। इसके बाद यह विषाणु शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर हमला करते हैं। साथ ही अपने जीवन चक्र को पूरा करने के लिए सेलुलर घटकों का उपयोग करते हैं। इसके वायरस सबसे पहले श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है। हालांकि, यह रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। इसके अलावा खसरा वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, जैसे कि खिलौने या पानी पीने के गिलास, जो किसी बीमार व्यक्ति द्वारा संक्रमित हो गए हैं।

 

खसरा रोग के जोखिम कारक-

  • 5 वर्ष से कम छोटे बच्चों को खसरा होने की आशंका अधिक होती है।
  • जो लोग खसरा का टीकाकरण नहीं करवाए हैं।
  • जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।
  • जो लोग प्रायः हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करते हैं, खासकर अंत राष्ट्रीय जगहों पर।
  • जिन लोगों में विटामिन ए की कमी है।

खसरा होने पर बरतें यह सावधानियां-

  • पूरी तरह आराम करें।
  • दूसरों के संपर्क में आने से बचें।
  • इस दौरान टी वी, गेम, मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग न करें।
  • बाहर का भोजन, मसालेदार और जंक फ़ूड से परहेज करें।

खसरा के घरेलू उपाय-

 

नीम की पत्तियां-

खसरा से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में खुजली होना आम बात है। ऐसे में खुजली को कम करने के लिए नीम की पत्तियां फायदेमंद होती हैं। क्योंकि नीम में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं , जो जीवाणुओं को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके लिए नीम के पत्तियों को पानी में उबालें। अब इसके पानी से स्नान करें। ऐसा करने से लाभ मिलता है।

 

नींबू पानी पीना-

खसरा होने पर नींबू पानी पीना भी फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन सी शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे व्यक्ति को खसरा के लक्षण जैसे सर्दी, जुकाम, बेचैनी आदि में आराम पहुंचता हैं।

 

नारियल पानी-

खसरा रोग से राहत पाने के लिए नारियल पानी बेहतर विकल्प होता है। एक मेडिकल शोध से पता चलता है कि नारियल पानी को शरीर पर लगाने से खसरा के कारण होने वाले लाल चकत्ते को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त नारियल पानी का सेवन खसरा के मरीज के लिए लाभदायक होता है।

 

हर्बल टी-

हर्बल टी खसरा रोग का प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचारक भी है। इस पर किए गए एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, कैमोमाइल चाय का सेवन खसरा के कारण होने वाली बेचैनी को कम करता है। साथ ही इसमें मौजूद गुण सर्दी-जुकाम, बुखार, नाक बहने की समस्या को ठीक करने में मदद करता है। इसप्रकार कैमोमाइल चाय या अन्य कोई हर्बल टी का सेवन खसरा के मरीजों के लिए लाभकारी होता है।

 

संतरे के जूस का करे सेवन-

खसरे के लक्षणों को कम करने के लिए रोजाना संतरे के जूस का सेवन करें। दरअसल संतरे विटामिन ए और सी से समृद्ध है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। साथ ही इस पर किए गए शोध के मुताबिक, संतरे में एंटी वायरल प्रभाव होता है, जो खसरे के लक्षणों को कम करता है। इस प्रकार संतरे के रस का सेवन फायदेमंद होता है।

 

कब जाएं डॉक्टर के पास?

  • लगातार बुखार के साथ शरीर पर दानें दिखाई पड़ने पर।
  • सांस लेने में कठिनाई होने पर।
  • गर्भावस्था के दौरान खसरा के लक्षण नजर आने पर।

Disclaimer

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