पलाश के पोषक तत्व एवं फायदे
2022-03-17 10:41:51
पलाश मूल रूप से भारतीय पेड़ है और पूरे देश में आसानी से किसी भी स्थान पर मिल जाता है। लेकिन ज्यादातर यह जंगलों में नजर आता है। इसके फूल लाल रंग के होते हैं। गर्मियों के दिनों में इसके पत्ते गिर जाते हैं और इनके खिलने के मौसम में लगभग पूरा पेड़ लाल दिखाई देता है। इसी वजह से इसे जंगल की आग (Forest flame) के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। अपने औषधीय गुणों के यह तमाम शारीरिक परेशानियों को दूर करने में भी मददगार है। इसलिए इसका इस्तेमाल सालों से आयुर्वेद में दवा के रूप में किया जाता रहा है।
पलाश के पेड़ का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma) है। आमतौर पर पलाश का इस्तेमाल कृमिनाशक, सूजन, दर्दनाशक, मूत्रवर्धक, मधुमेह के रोगों के इलाज के लिए होता है। यह आंख से संबंधित बीमारी जैसे मोतियाबिंद और रतौंधी को दूर करने में प्रभावी रूप से मदद करता है। इसके अलावा गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए भी पलाश एक अच्छा विकल्प है।
पलाश वृक्ष -
पलाश का वृक्ष मध्यम आकार का और शुष्क यानी सूखे क्षेत्रों में उगता है। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 15 मीटर और इसकी पत्तियों की लंबाई 10-20 सेंटीमीटर में होती है। इसकी पत्तियां तीन पत्तों के समूह में होती हैं। इसके फूल 2.5 सेमी लंबे लाल या नारंगी रंग के होते हैं। जिसमें से लगभग15 सेमी लंबे सेम की तरह फल उत्पादित होते हैं। इस फल का बाहरी हिस्सा भूरे रंग का और रेशों से ढका रहता है। आयुर्वेदिक लाभ हेतु पलाश की जड़, छाल, पत्ते, फूल और फलों का प्रयोग किया जाता है।
पलाश पेड़ के पोषक तत्व-
पलाश के पेड़ में तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें ग्लाइकोसाइड्स, लिनोलेइक एसिड, ओलिक एसिड, ल्यूकोसाइनिडिन, एस्टर, स्टेरोल, फ्राइडेलिन (Friedelin) और क्वार्सेटिन अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं। इनके अलावा इसमें फ्लेवोनॉयड, गैलिक एसिड, पायरोटेक चिन, ट्राइटर पेन, आइसोबुट्रिन, कोरोप्सिन, आइसोकोरोप्सिन, टैनिन, केटोन, पॉलिसाक्राइड सिटोस्टेरॉल और टॉग्लिक एसिड भी पाए जाते हैं।
पलाश के फायदे-
मधुमेह में लाभदायक-
पलाश का सेवन मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है। दरअसल, पलाश में एंटीहाइपरग्लिसेमिक गुण पाए जाते हैं, जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलोजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, रोजाना नियमित रूप से 200 मिलीग्राम पलाश के चूर्ण का सेवन करने से मधुमेह और सीरम कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसा करने से अच्छे कोलेस्ट्रोल को बेहतर करने में मदद मिलती है।
आंख संबंधी समस्याओं में लाभप्रद-
पलाश का उपयोग आंख की विभिन्न समस्याओं के इलाज के लिए पारंपरिक तौर पर किया जाता है। यह रतौंधी एवं मोतियाबिंद जैसे आंख संबंधी समस्याओं में लाभप्रद होता है। इसके लिए पलाश जड़ के अर्क की कुछ बूंदो को नियमित रूप से आंखो में डालने से आंख संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं।
सूजन कम करने में सहायक-
किसी कारणवश शरीर के किसी अंग पर आई सूजन को दूर करने में पलाश अत्यंत कारगर औषधी है। इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक, पलाश के फूल में मेथनॉलिक अर्क पाया जाता है। जो एंटीइंफ्लेमेटरी गुण को प्रदर्शित करता है। यह घाव की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। वहीं, पलाश में मौजूद ब्यूटिन,आइसो ब्यूट्रिन एवं आइसोकोरोप्सिन नामक तत्व भी सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
बवासीर में लाभदायक-
पलाश का फूल बवासीर के इलाज के लिए कारगर है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, पलाश के सूखे हुए फूल में कई जरूरी खनिज तत्व पाए जाते है। जिसमें मैगनीज भी शामिल है। यह बवासीर के इलाज में मदद करता है। इसके लिए पलाश के पौधे की राख को घी में मिलाकर खाएं। इससे बवासीर में लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त पलाश के ताजे एवं मुलायम पत्तियों में घी लगाकर दही के साथ सेवन करने से फायदा होता है।
पेट संबंधी विकारों में लाभप्रद-
पेट संबंधी परेशानियों में पलाश कारगर उपाय है। इन परेशानियों में पेट के कीड़े, पेट में दर्द,,आंतरिक घावों, अल्सर आदि शामिल हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व पेट संबंधी विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके लिए पलाश फूल के चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से पेट एवं आंत संबंधी सभी समस्याओं में आराम मिलता है।
त्वचा संक्रमण में फायदेमंद-
विभिन्न त्वचा संबंधी संक्रमणों को दूर करने के लिए पलाश के बीजों का उपयोग पारंपरिक तौर पर किया जाता है। दरअसल, इसके बीजों में एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण से निजात दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए पलाश के बीजों को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस लेप को अल्सर,दाद एवं फोड़े-फुंसी जैसी जगहों पर लगाने से आराम मिलता है। इससे सभी प्रकार के त्वचा संबंधी विकार ठीक होते हैं।
सर्दी, खांसी, बुखार में लाभप्रद-
मौसम बदलते ही सर्दी, खांसी, बुखार एवं अस्थमा जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में पलाश एक औषधि की तरह काम करता है। इसके लिए पलाश की छाल के काढ़े का सेवन फायदेमंद होता है। ऐसा करने से सर्दी-जुकाम एवं बुखार से छुटकारा मिलता है।
गले के दर्द से छुटकारा-
गले के दर्द या संक्रमण के उपचार के लिए पलाश के पत्ते औषधि की तरह काम करते हैं। इसके लिए पलाश की कुछ पत्तियों को पीस कर इसका रस निकालें। अब इस रस को गुनगुने पानी में मिलाकर गरारे(gargle) करें। ऐसा करने से गले के दर्द एवं संक्रमण से निजात मिलती है।
यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार-
पलाश का उपयोग यौन शक्ति बढ़ाने में लाभकारी होता है। क्योंकि पलाश के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके इस समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसके अतिरिक्त यह नाइट्रिक ऑक्साइड एवं एंड्रोजन के स्तर को भी बढ़ाता है। इसके लिए पलाश के फूलों को सुखाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण और मिश्री को दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। ऐसा करने से पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।
स्त्री रोग एवं मासिक संबंधित समस्याओं में फायदेमंद-
पलाश का उपयोग स्त्री रोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या मे पलाश के पत्तों के रस का सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके उपयोग से मासिक धर्म नियमित हो जाता है।
पलाश के नुकसान-
- जिन लोगों को इससे या इससे बने उत्पाद से एलर्जी है। उन लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
- गर्भावस्था और स्तन पान कराने वाली माताओं को इसका और इससे बने उत्पाद के सेवन से बचना चाहिए।
- लंबे समय तक या अधिक मात्रा में सेवन करने से एनीमिया एवं किडनी से संबंधित समस्याएं हो सकती है। इसलिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस चूर्ण का सेवन करें।