निमोनिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
2022-05-24 15:10:33
निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। इसके अंतर्गत एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों (कूपिका) में द्रव या मवाद भर जाती है। जिससे बलग़म या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठण्ड लगना और सांस लेने में तकलीफ होती है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया, वायरस अथवा पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा निमोनिया सूक्ष्म जीव, कुछ दवाओं, और अन्य रोगों के संक्रमण से भी होता है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है। सही समय पर लक्षणों की पहचान कर उनका उपचार शुरू नहीं करने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। यह शिशुओं, युवा, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए ज़्यादा हानिकारक होता है। अधिकांश प्रकार के निमोनिया संक्रामक होते हैं। दोनों वायरल और बैक्टीरियल निमोनिया छींकने या खांसने से अन्य लोगों में फैल सकते हैं। लेकिन कवक निमोनिया ऐसे नहीं फैलता।
12 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड निमोनिया डे (World Pneumonia Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को निमोनिया के बीमारी के प्रति जागरुक करना है। 2016 में विश्व निमोनिया दिवस (नवम्बर 12) से पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में निमोनिया से सबसे ज़्यादा भारत में शिशुओं और बच्चों की मौतें हुई हैं। भारत में हर साल करीब 1 लाख 90 हज़ार 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है। विश्वीय टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Program) के तहत इस वर्ष भारत में निमोनिया से बच्चों की रक्षा के लिए एक नया टीका पेश किया गया है। जिसे न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी: PCV) कहा जाता है।
निमोनिया के प्रकार:
निमोनिया के पांच प्रकार हैं-
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न बैक्टीरिया के कारण होता है। इसमें सबसे सामान्य स्ट्रेप्टोकोकस निमोने (Streptococcus pneumoniae) है। यह आमतौर पर तब होता है। जब शरीर किसी तरह से कमजोर हो जाता है जैसे कि कोई छोटी बीमारी, पोषण की कमी, बुढ़ापा या शरीर की प्रतिरक्षा की समस्याएं आदि। इसमें बैक्टीरिया फेफड़ों में चला जाता है। बैक्टीरियल निमोनिया सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।
वायरल निमोनिया (Viral pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया इन्फ्लूएंजा (फ्लू) सहित विभिन्न वायरस के कारण होता है। यदि व्यक्ति को वायरल निमोनिया है तो उसको बैक्टीरियल निमोनिया होने की अधिक संभावनाएं रहेंगी।
माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumonia)
इस प्रकार के निमोनिया के कुछ अलग लक्षण होते हैं और इसे एटिपिकल निमोनिया कहा जाता है। यह माइकोप्लाज्मा निमोने (Mycoplasma pneumoniae) नामक जीवाणु के कारण होता है। यह आमतौर पर हल्के परन्तु बड़े पैमाने पर निमोनिया का कारण बनता है। जो सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है।
एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया किसी भोजन, तरल, गैस या धूल से होता है। यह नेक्रोटाइज़िंग निमोनिया (Necrotizing Pneumonia), एनएरोबिक निमोनिया (Anaerobic Pneumonia), एस्पिरेशन निमोनाइटिज़ (Aspiration Pneumonitis) और एस्पिरेशन ऑफ़ वोमिटिस (Aspiration of Vomitus) के नाम से भी जाना जाता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि जिन लोगों को एस्पिरेशन निमोनिया होता है वह पहले से ही बीमार होते हैं।
फंगल निमोनिया (Fungal pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न स्थानिक या अवसरवादी कवक (Fungus) से होता है। इससे फंगल संक्रमण, जैसे कि हिस्टोप्लाज्मोसिस (Histoplasmosis), कोक्सीडियोडोमाइकोसिस (Coccidioidomycosis) और ब्लास्टोमायकोसिस (Blastomycosis) होते हैं। फंगल निमोनिया के मामलों का निदान करना काफी कठिन होता है।
निमोनिया के लक्षण-
- निमोनिया होने पर फ्लू जैसे लक्षण महसूस होते हैं। यह लक्षण धीरे-धीरे या फिर तेजी से विकसित हो सकते हैं।
- निमोनिया का मुख्य लक्षण खांसी है।
- इसमें रोगी कमजोर और थका हुआ महसूस करता है।
- बलगम वाली खांसी से ग्रस्त होना।
- रोगी को बुखार के साथ पसीना और कंपकंपी होती है।
- इसमें रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है या फिर वो तेजी से सांस लेने लगता है।
- सीने में दर्द होना।
- बेचैनी महसूस होना।
- भूख कम लगना आदि।
छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण
- छोटे बच्चों को बुखार के साथ पसीना व कंपकंपी होने लगती है।
- जब बच्चों को बहुत ज्यादा खांसी हो रही हो।
- वह अस्वस्थ दिख रहा हो।
- उसे भूख न लग रही हो।
निमोनिया के कारण-
- वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या परजीवी जीवों या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है।
- कई प्रकार के जीवाणुओं से निमोनिया हो सकता है। ज्यादातर मामलों में निमोनिया करने वाले जीव (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) का पता परीक्षण से भी नहीं लग पाता लेकिन आमतौर पर इसकी वजह स्ट्रेप्टोकोकस निमोने (Streptococcus Pneumoniae) होता है।
- माइकोप्लाज्मा निमोने की वजह से होने वाले माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumoniae) कभी-कभी हल्का होता है और इसे "वाकिंग निमोनिया" भी कहा जाता है।
- इन्फ्लूएंजा ए (फ्लू वायरस) और रेस्पिरेटरी सिन्सिटीयल वायरस (आरएसवी) जैसे वाइरसों से भी निमोनिया हो सकता है।
- जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं हैं। उन्हें निमोनिया अन्य जीवों के कारण भी हो सकता है जैसे कि निमोकॉस्टिस जिरोवची (Pneumocystis Jiroveci)। यह फंगस अक्सर उन लोगों में निमोनिया का कारण बनता है, जिन्हें एड्स है। इसलिए कुछ डॉक्टर एचआईवी परीक्षण की सलाह सकते हैं। यदि उन्हें लगता है कि निमोनिया होने का कारण निमोकॉस्टिस जिरोवची है।
निमोनिया से बचाव-
वैक्सीन लगवाएं-
कुछ प्रकार के निमोनिया और फ्लू को रोकने के लिए टीके उपलब्ध हैं। समय के साथ टीकाकरण बदल जाते हैं। इसीलिए निमोनिया का टीका लगवाने पर भी डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चों का टीकाकरण-
डॉक्टर 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अलग-अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं। डॉक्टर 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फ्लू शॉट्स की सलाह भी देते हैं।
स्वछता का ध्यान रखें-
अपने आप को श्वसन संक्रमणों से बचाने के लिए (जिनसे कभी-कभी निमोनिया होता है) अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं।
धूम्रपान न करें-
धूम्रपान व्यक्ति के फेफड़ों को बहुत अधिक नुक्सान पहुंचता है। इसलिए धूम्रपान करने से भी निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ अन्य बचाव-
- अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखें।
- पर्याप्त नींद लें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- स्वस्थ आहार खाएं।
निमोनिया का इलाज-
निमोनिया का उपचार निमोनिया के प्रकार, गंभीरता, उम्र और व्यक्ति के स्वास्थ पर निर्भर करता है। इसके उपचार के विकल्प निम्नलिखित हैं-
एंटीबायोटिक्स-
यह दवाइयां बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
खांसी की दवाएं-
इस दवा का प्रयोग खांसी को कम करने के लिए किया जा सकता है। ताकि व्यक्ति आराम कर सकें। खांसी फेफड़ों के तरल पदार्थ को ढीला करके बाहर निकलने में मदद करती है।
निमोनिया का घरेलू उपचार-
भाप-
भाप लेने से संक्रमण में कमी आती है। इससे रोगी की सांस लेने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाप से खांसी कम होती है और छाती की जकड़न भी दूर हो जाती है।
हल्दी-
हल्दी भी सांसों की तकलीफ को दूर करने में मददगार होती है। यह कफ को कम करती है। इसलिए दिन में 2 बार गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर सेवन करना चाहिए।
सरसों का तेल-
सरसों के गुनगुने तेल में हल्दी का पाउडर मिलाएं। इससे अपनी छाती पर मसाज करें। इससे निमोनिया से बचाव होता है।
पुदीना-
पुदीना जलन और बलगम को कम करता है। इसलिए पुदीने की ताजी पत्तियों का इस्तेमाल करके चाय बनाकर पिएं। इस प्रकार पुदीने की चाय निमोनिया की दवा के रूप में काम करती है।
कुछ अन्य घरेलू उपाय-
- निमोनिया के दौरान सब्जियों के जूस जैसे- गाजर का जूस, पालक का जूस, चुकंदर का जूस, खीरे का जूस और अन्य सब्जियों का जूस पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- खांसी ठीक करने के लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच नमक डालकर गरारे करें। इसकी मदद से गले में मौजूद बलगम और जलन कम होती है।
- सामान्य आहार को बनाए रखने की कोशिश करें। क्योंकि ठीक होने के लिए संतुलित भोजन करना जरूरी होता है।
- रोज 6 से 8 गिलास पानी पिएं।
- रोज हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन करें।
- मीट, मछली, अण्डा और हल्के भोजन का सेवन करें।
- अच्छे से पकी हुई सब्जियों का सेवन करें।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- जब रोगी 60 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के हों।
- जब रोगी का BP Systolic 140 से अधिक और Diastolic 90 mmhg से कम हो।
- जब रोगी की सांस तेज चल रही हो।
- जब रोगी को सांस लेने में सहायता की आवश्यकता पड़े।
- जब रोगी का तापमान सामान्य से कम हो।
- जब रोगी के हृदय की गति 50 से नीचे या फिर 100 से ऊपर हो।
बच्चों को निमोनिया होने पर कब ले जाएं डॉक्टर के पास?
कुछ बच्चों में निमोनिया गंभीर रूप ले लेता है। ऐसे में बच्चों को अस्पताल में उपचार की जरूरत होती है। इसलिए निम्न परिस्थितियों में बच्चों को तुरंत अस्पताल लेकर जाएं-
- जब बच्चा तेज या गहरी सांस ले रहा हो।
- जब बच्चे ने पिछले 24 घण्टों में सामान्य मात्रा से कम तरल पदार्थों का सेवन किया हो।
- बच्चे सांस फूलने (सांस लेने पर मोटी, सीटी जैसी आवाज आना) पर।
- जब बच्चे के होंठ और अंगुलियों के नाखून नीले होने लगे।