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एनीमिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

एनीमिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

2022-05-24 16:56:56

एनीमिया को हिंदी में रक्ताल्पता कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के अंदर खून की कमी हो जाती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में एनीमिया की शिकायत ज्यादा पाई जाती है। इसका मुख्य कारण मासिक धर्म होता है। इसलिए समय रहते एनीमिया का उपचार न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इसके अलावा लंबे समय से चलने वाले एनीमिया से रक्त में ऑक्सीजन की कमी, ह्रदय, मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए एनीमिया के कारण, लक्षण और निदानों के बारे में जानना एवं समझना बेहद आवश्यक है।

 

एनीमिया (खून की कमी) क्या है?

एनीमिया एक ऐसी अवस्था है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से कम हो जाती है। ऐसी स्थिति तब होती है जब शरीर के रक्त में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता। हीमोग्लोबिन आयरन एक युक्त प्रोटीन है, जिसकी वजह से रक्त का रंग लाल होता है। यह प्रोटीन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद ऑक्सीजन को शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाने में सहायता करता है। यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिलता तो शरीर में थकान, कमजोरी और अन्य तरह के नकारात्मक लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।

 

एनीमिया होने के कारण क्या है?

  • शरीर में विटामिन और आयरन की कमी होना।
  • आयरन युक्त भोजन का सही मात्रा में सेवन न करना।
  • शौच, उल्टी, खांसी के वक्त खून आना।
  • महिलाओं को मासिक के दौरान अधिक मात्रा में रक्त का स्राव होना।
  • बार-बार गर्भ धारण करना।
  • पेट के कीड़ों और परजीवियों के कारण खूनी दस्त होना।
  • दुर्घटना, चोट, घाव आदि में अधिक खून बहना।
  • पेट में अल्सर या सूजन होना।
  • बुढ़ापे के कारण शरीर में खून की कमी होना।
  • लंबे समय से मधुमेह, बवासीर, लुपस जैसी बीमारियां से पीड़ित रहने पर।
  • एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं को गाय या बकरी के दूध का सेवन कराने पर।

एनीमिया के लक्षण-

 

एनीमिया के सबसे आम लक्षण आंखों का पीलापन, थकान और कमजोरी महसूस होना हैं। लेकिन इसके कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं। जो किसी एक ही व्यक्ति में नहीं होते हैं। बल्कि विभिन्न प्रकार से व्यक्तियों में नजर आते हैं। आइए जानते हैं इन अन्य लक्षणों के बारे में;

 
  • त्वचा, होंठ, मसूड़ों, नाखून आदि का पीला पड़ना।
  • चक्कर आना या बेहोश होना।
  • तेज सिरदर्द होना।
  • पैरों के तलवों और हथेलियों का अधिक ठंडा होना।
  • सांस लेने में लगातार परेशानी होना।
  • चलते या हल्का दौड़ने में हांफना जाना या सीने में दर्द होना।
  • दिल की धड़कनों का तेज होना।
  • स्पष्ट सोचने में दिक्कत या भ्रम का अनुभव होना।
  • शिशुओं और बच्चों का धीमा विकास होना।

एनीमिया के प्रकार-

 
आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया (Iron Deficiency Anemia)-

आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया, एनीमिया के प्रकारों में से एक है। जिसका आशय है खून में आयरन की कमी होना। हीमोग्लोबिन में उपस्थित आयरन ऑक्सीजन के साथ बंध बनाकर रक्त के सहारे ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं। लेकिन जब शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो इस अवस्था में कोशिकाओं तक पूरी मात्रा में आयरन नहीं पहुंच पाता। इसी रोग को आयरन डेफिसिएंसी एनीमिया कहते हैं। यह आमतौर पर जोखिम अवस्था, किडनी फेलियर, गर्भवती महिलाओं और प्रसव के दौरान ज्यादा खून बहने की स्थिति में होता है।

 
 
थैलेसीमिया (Thalassaemia)-

थैलेसीमिया एक प्रकार का आनुवांशिक रक्तविकार है। जिस कारण शरीर लाल रक्त कोशिकाएं और हीमोग्लोबिन (आयरन युक्त प्रोटीन) को कम बना पाता है। ऐसे में हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के साथ पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक नहीं ले जा पाता है। परिणामस्वरूप थकान और चक्कर आने लगते हैं। थैलेसीमिया का कोई सटीक इलाज नहीं है, क्योंकि यह एक आनुवांशिक बीमारी है। लेकिन थैलेसीमिया बहुत निम्न हो तो दवा से ठीक हो सकता है।

 
 
पर्निसियस एनीमिया (Pernicious Anemia)-

पर्निसियस एनीमिया शरीर में विटामिन बी12 की कमी की वजह से होने वाली एक बीमारी है। जबकि विटामिन बी12 स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells) बनाने के लिए जिम्मेदार होता है। पर्निसियस एनीमिया निम्न कारणों से होती है:

 
 
  • परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को पर्निसियस एनीमिया होना पर।
  • टाइप 1 डायबिटीज और आंत संबंधी कोई बीमारी होना पर।
  • यह रोग ज्यादातर 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को होता है।
 
सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia)-

सिकल सेल एनीमिया एक वंशानुगत (Hereditary) एनीमिया है। सिकल सेल एनीमिया होने पर लाल रक्त कोशिकाएं, जिनका आकार गोल होता है, वह सिकल (हंसिए) के आकार में बदल जाती हैं। साथ ही कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं। जिसके कारण सिकल सेल को पतली रक्त धमनियों (ब्लड वेसल्स) से गुजरने में परेशानी होती है। जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में खून का संचार और ऑक्सीजन का जाना धीमा या रुक सकता है। परिणामस्वरूप पर्याप्त मात्रा में ब्लड न मिलने पर ऊतक (टिश्यू) के डैमेज होने के साथ ही अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

 
 
अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia)-

अप्लास्टिक एनीमिया आनुवांशिक रोग है। जो पेरेंट्स से बच्चों में जाता है। इस रोग में अस्थि मज्जा क्षति (Bone marrow damage) हो जाती है। जिससे शरीर में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का बनाना कम या बंद हो जाता है। अप्लास्टिक एनीमिया होने का खतरा ज्यादातर रेडिएशन या कीमोथेरेपी कराने वाले लोगों में होता है।

 
 
मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic Anemia)-

मेगालोब्लास्टिक एनीमिया होने का प्रमुख कारण विटामिन बी12 या विटामिन बी9 की कमी का होना है। एक स्वस्थ शरीर को इन दोनों विटामिन की बहुत जरूरत होती है। कई बार ज्यादातर लोगों में मेगालोब्लास्टिक एनीमिया के लक्षण कई सालों तक नजर नहीं आते। इसके इलाज के लिए चिकित्सक विटामिन बी12 और विटामिन बी9 के सप्लीमेंट्स देते हैं। साथ ही डाइट में भी विटामिन्स वाली चीजों को जोड़ने के लिए कहते हैं।

 
 
विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया (Vitamin Deficiency Anemia)-

विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells) के निर्माण के लिए आयरन के साथ विटामिन बी12, विटामिन सी और फोलेट की आवश्यकता होती है। शरीर में इन तत्वों की कमी होने पर लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता। जिसे विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया कहते हैं।

 

एनीमिया से बचाव -

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
  • संक्रमण से बचने के लिए पानी को उबालकर पीएं।
  • भरपूर मात्रा में दूध का सेवन करें।
  • लौह (आयरन) युक्त चीजों का सेवन करें।
  • फोलिक एसिड और विटामिन ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
  • यदि एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण हुआ है। तो उस संक्रामक बीमारी का शीघ्र इलाज कराएं।
  • खाना खाने के बाद चाय के सेवन से बचें। क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है।
  • काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें।
  • जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए।
  • स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें।
  • खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं।
  • गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से लौह तत्व और फोलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को भोजन के उपरांत अवश्य लेनी चाहिए।

एनीमिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय-

  • एनीमिया की शिकायत होने पर अंजीर का सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके लिए 10 मुनक्के और 5 अंजीर को एक गिलास दूध में उबालकर सेवन करें।
  • पालक एक ऐसी शाक है, जिसमें भरपूर मात्रा में लौह (आयरन) तत्व पाया जाता है। यह खून की कमी को दूर करने के लिए बहुत जरूरी होती है।
  • मेथी का सेवन करने से खून बढ़ता है। इसके अलावा कच्ची मेथी का साग खाने से भी शरीर को आयरन मिलता है।
  • प्रतिदिन खाली पेट 20 मि.ली. एलोवेरा का जूस पीने से एनीमिया में लाभ होता है।
  • शहद मिश्रित सेब के रस को रोज पीने से खून की कमी दूर होती है।
  • तुलसी के नियमित सेवन करने से खून की समस्या दूर होती है।
  • अंगूर में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए एनीमिया के समय अंगूर का सेवन जरूर करना चाहिए।
  • पके हुए आम का सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है।
  • विटामिन-सी युक्त पौष्टिक तत्व आंवला, संतरा, मौसमी जैसी चीजों का सेवन करें।
  • मूली, गाजर, टमाटर, शलजम, खीरा जैसी कच्ची सब्जियां प्रतिदिन खानी चाहिए।
  • अंकुरित दालों व अनाजों का नियमित प्रयोग करें।
 

फोलिक एसिड एवं विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ -

शरीर को स्वस्थ लाल रक्त कण बनाने के लिए फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है और वि‍टामिन ए संक्रमण से शरीर की रक्षा करता है। ऐसे में इन दोनों की कमी होने से एनीमिया की बीमारी हो सकती है। ऐसे ही कुछ स्रोत निम्न हैं जो फोलिक एसिड और विटामिन से भरपूर होते हैं। जिनका हमें नियमित सेवन करना चाहिए।

  • गहरे पीले फल एवं हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां और खट्टे फल वि‍टामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं।
  • मूंगफली, मशरूम, चोकर वाला आटा, बाजरा, दालें, सूखे मेवे, गुड़ इत्यादि फोलिक एसिड के अच्छे स्रोत होते हैं।
  • अंडे, मांस, मछली आदि फोलिक एसिड के अच्छे स्रोत होते हैं।

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