जानें, क्या होता है माइग्रेन? इसके लक्षण और उपचार के बारे में
2022-05-24 18:49:20
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र (Nervous system) के विकार के कारण होता है। यह दर्द बहुत तकलीफ दायक होता है। माइग्रेन होने पर व्यक्ति के अंदर उल्टी, मतली, प्रकाश तथा ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity) बढ़ जाती है। इसके दर्द की अवधि कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक हो सकती है। माइग्रेन को आनुवांशिक (Genetic) भी माना जाता है।
माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन को हिंदी में अधकपारी कहा जाता है। यह मूल रूप से तंत्रिका-विज्ञान (Neurological) से जुड़ी एक जटिल समस्या है। माइग्रेन अक्सर कष्टदायक सिरदर्द होता है। इसमें सिर की एक ओर या कभी कभी दोनों तरफ झनझनाहट वाला असहनीय दर्द होता है। माइग्रेन के समय सिर के नीचे की धमनियां बढ़ जाती हैं और कभी-कभी दर्द वाले हिस्से में सूजन भी आ जाती है। सामान्यतः यह समस्या युवावस्था में आरम्भ होती है।
आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुसार माइग्रेन दिमाग या चेहरे की रक्त वाहिनियों ( Blood vessels ) में हुई गड़बड़ी से होने वाला दर्द है। इसके अलावा माइग्रेन खान-पान में बदलाव, तनाव में बढ़ोतरी या ज्यादा सोने से भी हो सकता है।
माइग्रेन के कारण;
हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है माइग्रेन-
महिलाओं के शरीर में होने वाले प्रमुख हार्मोनल परिवर्तन माइग्रेन सिरदर्द की शुरुआत का कारण बन सकते हैं। मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (Menopause) जैसे विभिन्न कारणों से के शरीर में बहुत सारे हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। अस्थिर हार्मोनल स्तर भी कभी-कभी सिरदर्द का कारण हो सकता है। एक मेडिकल अध्ययन के अनुसार हार्मोनल परिवर्तन के कारण माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।
वातावरण में बदलाव के कारण होता है माइग्रेन-
वातावरण में बदलाव होना भी माइग्रेन का एक मुख्य कारण माना जाता है। कभी-कभी बहुत तेज ध्वनि, अस्थिर रोशनी, अधिक बदबू और शोर के कारण संवेदनात्मक उत्तेजना बढ़ जाती है। जिससे माइग्रेन सिरदर्द हो सकता है। तापमान में परिवर्तन जैसे तेज धूप, अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक ठंड आदि भी माइग्रेन का कारण होते हैं।
शराब-धूम्रपान का दुष्परिणाम है माइग्रेन-
शराब पीने के बाद होने वाला हैंगओवर या अत्याधिक धूम्रपान भी माइग्रेन को पैदा करने का काम करता है। इसके अलावा मीठे पदार्थ और बेहद मसालेदार आहार भी माइग्रेन को उत्पन्न (Trigger) कर सकते हैं।
कैफीन के अत्यधिक सेवन से होता है माइग्रेन
कैफीन का अत्याधिक प्रयोग करने वाले लोग अगर अचानक कैफीन लेना बंद कर दें तो उन्हें सिर दर्द की शिकायत रहती है। अर्थात कॉफी का अत्यधिक सेवन अचानक से बंद करना भी माइग्रेन का एक कारण हो सकता है।
माइग्रेन के लक्षण;
- सिर के एक हिस्से में या कभी-कभी दोनों तरफ तेज झनझनाहट के साथ असहनीय दर्द होना माइग्रेन का प्रमुख लक्षण है।
- माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित लोगों को अक्सर नियमित गतिविधियों को करने में असमर्थता, आंखों में दर्द, मतली और उल्टी का अनुभव होता है।
- माइग्रेन से पीड़ित लोग प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति अति संवेदनशील हो सकते हैं।
- माइग्रेन के दौरान आंखों में भयानक दर्द होता है और पलकें झपकाने में भी जलन होती है।
- माइग्रेन सिरदर्द के कारण मूड में परिवर्तन बहुत तेजी से होता है। ऐसे में कुछ मरीज अचानक बिना किसी कारण के बहुत ही उदास महसूस करते हैं या ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं।
- नियमित गतिविधियों जैसे घूमना या सीढ़ियों पर चढ़ने से माइग्रेन का दर्द और अधिक बढ़ जाता है।
- बार-बार पेशाब आना भी माइग्रेन का लक्षण हो सकता है। पर यह लक्षण हर किसी में देखने को नहीं मिलता।
माइग्रेन के लिए घरेलू उपाय;
शुरूआती माइग्रेन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आमतौर पर निम्न घरेलू उपायों का प्रयोग किया जाता है।
आइस पैक से मिलती है माइग्रेन में राहत-
आइस पैक की मदद से माइग्रेन के कारण सूजी हुई मांसपेशियों को रिलैक्स करने में फायदा पहुंचता है। इस घरेलू उपचार के लिए एक साफ तौलिए में आइस के कुछ टुकड़े रखें और उससे सिर, गर्दन और माथे के पीछे 10-15 मिनट सिकाई करें।
सिर की मालिश करने से दूर होता है माइग्रेन-
तनाव को दूर करने के लिए सिर की मालिश करना बहुत कारगर उपाय है। ऐसा करने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। जिससे माइग्रेन का दर्द कम होता है। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति के सिर के पीछे वाले हिस्से की मालिश करने से उसे दर्द में राहत मिलती है।
पिपरमिंट है माइग्रेन से राहत दिलाने में फायदेमंद-
पिपरमिंट (पुदिना) में सूजन को कम करने के गुण पाए जाते हैं। यह मन को स्थिर और शांत करने में भी मदद करता है। पिपरमिंट से बनी चाय और पिपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदों को शहद के साथ पानी में मिलाकर पीने से माइग्रेन में लाभ मिलता है। इसके अलावा पिपरमिंट ऑयल से सिर और माथे पर मालिश करने से भी रोगी को फायदा होता है।
अदरक के सेवन से मिलता है माइग्रेन में लाभ-
माइग्रेन के जी मचलाने या उल्टी होने जैसे लक्षणों से राहत दिलाने में अदरक सहायता करता है। इसके अलावा अदरक के प्रयोग से माइग्रेन के कारण हुई सूजन और दर्द में भी राहत मिलती है। अदरक के टुकड़ों को पानी में उबालकर ठण्डा कर लें और इस पानी में शहद और नींबू की कुछ बूंद डालकर पीने से माइग्रेन में राहत मिलती है।
तुलसी का तेल है माइग्रेन में असरदार-
तुलसी का तेल मांसपेशियों को आराम देता है। जिससे तनाव कम होता है और दर्द से राहत मिलती है। इसी कारण तुलसी के तेल का इस्तेमाल करने से माइग्रेन के दर्द में काफी आराम मिलता है
माइग्रेन से बचाव के उपाय;
- बदलते तापमान से बचने की कोशिश करें। गर्मियों के दिनों में एयरकंडिशनर का इस्तेमाल हुए, एक दम ठण्डे से गर्म में न निकलें।
- गर्मी के मौसम में बाहर निकलते समय सूरज की सीधी रोशनी से बचें तथा चश्में (Sun glasses) या छाते का इस्तेमाल करें।
- ज्यादा मिर्ची या बेहद तेल-मसाले वाले खाने से दूरी बनाएं।
- नियमित रूप से 30 मिनट तक योगासन या व्यायाम जरूर करें।
- शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें।
- प्रतिदिन सुबह नंगे पांव घास पर चलने की आदत डाले। यह तनाव को काम करने के साथ हॉर्मोन को भी बैलेंस करता है। जिससे माइग्रेन का खतरा कम होता है।
माइग्रेन के प्रकार;
माइग्रेन दो प्रकार के होते हैं- क्लासिक माइग्रेन और नॉन क्लासिक माइग्रेन।
क्लासिक माइग्रेन-
क्लासिक माइग्रेन में बहुत सारे ऐसे लक्षण होते हैं, जो रोगी को माइग्रेन का दौरा पड़ने का संकेत देते हैं। जैसे सिर दर्द की शुरुआत से पहले धुंधला दिखाई देना, कुछ मामलों में कंधे में जकड़न व जलन के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। क्लासिक माइग्रेन की अवस्था में मरीज के शरीर की रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करना अच्छा होता है।
नॉन क्लासिक माइग्रेन-
नॉन क्लासिक माइग्रेन में समय-समय पर सिर में तेज दर्द होता है, किंतु अन्य लक्षण नजर नहीं आते। नॉन क्लासिक माइग्रेन के दौरान सिर दर्द की शुरुआत के साथ ही दर्द निवारक दवा लेना मरीज को आराम पहुंचाता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
आमतौर पर माइग्रेन कुछ दिनों के अंदर खुद ठीक हो जाता है। लेकिन निम्नलिखित गंभीर लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
- सिर के एक हिस्से में असहनीय सिरदर्द होने पर।
- मानसिक भ्रम और कठोर गर्दन के साथ सिरदर्द होने पर।
- सीढ़ियां चढ़ने और आने-जाने जैसी सामान्य गतिविधियों में कठिनाई होने पर।
- तेज धूप के कारण आंखे चुंधियाना या तेज आवाज, बदबू आदि के कारण तेज सिर दर्द होने पर।