वायरल बुखार के लक्षण, कारण और घरेलू उपाय
2022-05-24 17:20:33
सामान्यतः मनुष्य के शरीर का तापमान लगभग 98.6 ° F (37 ° C) होता है। जब तापमान इससे एक डिग्री भी ऊपर चढ़ता है तो मनुष्य बुखार से पीड़ित हो जाता है। चिकित्सक के मुताबिक फीवर अक्सर एक संकेत देता है कि शरीर किसी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण से लड़ रहा है। वायरल बुखार एक अंतर्निहित वायरल बीमारी (शरीर के अंदर वायरस के संक्रमण) के कारण होता है। वायरस बहुत छोटे संक्रामक एजेंट होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं के भीतर संक्रमण फैलाते हैं। कई वायरस तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे शरीर के तापमान में अचानक वृद्धि होती है। वायरल बुखार, अंतर्निहित संक्रमण के आधार पर 99 ° F से लेकर 103 ° F (39 ° C) तक के तापमान में होते हैं। सामान्य रूप से वायरल संक्रमण की एक किस्म मनुष्यों को सर्दी से लेकर फ्लू तक प्रभावित करती है। लो-ग्रेड बुखार कई वायरल संक्रमणों का एक लक्षण है। लेकिन कुछ वायरल संक्रमण, जैसे डेंगू बुखार उच्च बुखार का कारण बन सकते हैं।
क्या होते हैं वायरल बुखार के लक्षण?
वायरल बुखार के लक्षण सामान्य बुखार की तरह ही होते हैं। लेकिन इनको नजरअंदाज करने से यह गंभीर रूप ले सकते हैं। इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना अधिक रहती है। ज्यादातर वायरल फीवर बरसात के मौसम में होता है। क्योंकि यह दूषित हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है। आइए चर्चा करते हैं कुछ वायरल बुखार के सामान्य लक्षण के बारे में जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
- थकान महसूस होना।
- शरीर का तापमान बढ़ना।
- ठंड लगना।
- पसीना आना।
- निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी)।
- सिरदर्द।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।
- कमजोरी की भावना।
- भूख में कमी।
- आंखों में लाली एवं जलन होना।
- त्वचा के ऊपर रैशेज होना।
क्या होते हैं वायरल बुखार के कारण?
ऐसे कई कारण हैं जिनसे लोग वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके कुछ कारणों के बारे में-
यदि कोई वायरल संक्रमण वाला व्यक्ति आपके आस-पास छींकता या खांसता है तो उसके मुंह से तरल पदार्थ के छोटे फुहारे निकलते हैं। जो सांस द्वारा सामने वाले के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वायरस के विषय में यह कहा जाता है कि यदि एक वायरस भी शरीर में प्रवेश करता है तो वह 16 से 48 घंटे में पूरे शरीर को संक्रमित कर देता है।
- वायरस वाला दूषित भोजन और जल का प्रयोग करना।
- प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना।
- वायरल बुखार का एक कारण मौसम परिवर्तन भी है।
- इलाज के दौरान दूषित रक्त चढ़ाने से।
- खून चूसने वाले कीट जैसे मच्छर, पिस्सू और किलनी आदि।
वायरल बुखार के समय बरतें यह सावधानियां
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- वॉशरूम यूज करने के बाद हैंडवॉश का खास ख्याल रखें।
- खांसते या छींकते समय हमेशा रुमाल या टिशू से मुंह और नाक को ढकें।
- बारिश के मौसम में उबले हुए पानी का इस्तेमाल करें।
- खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
वायरल बुखार के कुछ घरेलू उपाय:
गिलोय वायरल बुखार से छुटकारा दिलाने में मददगार-
गिलोय ज्वरनाशी है अर्थात पुराने से पुराने बुखार के इलाज में गिलोय का सेवन करना एक बेहतर विकल्प है। गिलोय में आक्सीकरण रोधी गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। गिलोय शरीर के रक्त प्लेट्स को बढ़ाता है। साथ ही वायरल इन्फेक्शन और डेंगू बुखार के लक्षणों को कम करता है। इसके लिए 4-6 सेमी लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी में तबतक उबालें जबतक पानी का लगभग एक तिहाई हिस्सा जल न जाए। उसके बाद उस पानी को पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम व बुखार से छुटकारा दिलाता है।
वायरल बुखार के लिए तुलसी है फायदेमंद-
खांसी, जुकाम, दस्त या अन्य वायरल इंफेक्शन होने पर तुलसी का उपयोग घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। यह शरीर के वायरस को खत्म करती है। तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाती है। इसके लिए एक चम्मच लौंग का चूर्ण और दस से पंद्रह तुलसी के ताजे पत्तों को करीब एक लीटर पानी में डालकर तबतक उबाले जब तक वह आधा न हो जाए। अब उसके काढ़े को छान ले और चाय की तरह पिएं। ऐसा करने से वायरल फीवर से जुड़ी तमाम परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा जुकाम होने पर तुलसी को पानी में उबाल कर भाप लेने से भी फायदा होता है।
हल्दी और सोंठ-
सोंठ यानि सूखी अदरक जिसमें जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में संक्रमण फ़ैलाने वाले जीवाणुओं का खात्मा करते हैं। इसके लिए एक चम्मच काली मिर्च के चूर्ण में एक छोटी चम्मच हल्दी, एक चम्मच सौंठ का चूर्ण और थोड़ी सी चीनी मिलाएं। अब इसे एक कप पानी में डालकर गर्म करें और ठंडा करके पिएं। इससे वायरल फीवर को खत्म किया जा सकता है।
नींबू और शहद से-
आयुर्वेद के अनुसार नींबू और शहद दोनों में ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। इसीलिए आयुर्वेदिक चिकित्सक वायरल बुखार होने पर नींबू और शहद के उपयोग की सलाह देते हैं। क्योंकि यह मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे वायरल संक्रमण से जल्द निजात मिलती है।
अजवाइन, नमक और नींबू-
अजवाइन और एक छोटा चम्मच सफेद नमक को एक साथ भून लें। इसके बाद इसमें एक गिलास पानी मिला कर एक नींबू निचोड़ें। इसे मरीज को दिन में दो से तीन बार पिलाएं। ऐसा करने से वायरल संक्रमण जैसे खांसी, जुकाम, सर्दी, सिरदर्द से शीघ्र निजात मिलती है।
धनिया की चाय-
धनिया के बीज वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। धनिया वायरल बुखार जैसे कई रोगों को खत्म करता है। इसके लिए एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया पाउडर, थोड़ा-सा दूध और चीनी डालकर चाय बनाकर रोगी को दिन में दो बार पिलाएं। इस रूप में बुखार को खत्म करने के लिए धनिया चाय बहुत ही असरदार औषधि का काम करती है।
लहसुन का तेल है फायदेमंद-
वायरल बुखार होने पर अंगों में दर्द और ऐंठन की समस्या होने लगती है। ऐसे में लहसुन के साथ पकाए हुए सरसों के तेल से गले, सीने या पूरे शरीर पर हल्के हाथ से मालिश करें। ऐसा करने से वायरल संक्रमण जैसे खांसी, जुकाम, सर्दी, सिरदर्द में राहत मिलती है।