तुलसी के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण
2022-05-24 15:06:32
तुलसी एक औषधीय पौधा है। जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। तुलसी में सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुण भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसलिए इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है। तुलसी के धार्मिक महत्व के कारण हर घर आगंन में इसके पौधे लगाए जाते हैं। तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं। जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है। चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन है। तुलसी का पौधा आमतौर पर 30 से 60 सेमी तक ऊंचा होता है और इसके फूल छोटे-छोटे सफेद और बैगनी रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जुलाई से अक्टूबर तक होता है। औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं। इन्हें सीधे तौर पर खाया जाता है। तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। तुलसी के बीज और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग में लाया जाता है। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है।
तुलसी के फायदे:
सिर दर्द से आराम दिलाती है तुलसी-
अक्सर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहने वाले लोगों के लिए तुलसी तेल की एक-दो बूंदें नाक में डालना फायदेमंद होता है। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है।
कान के दर्द और सूजन में लाभदायक-
तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में असरदार है। अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूंद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन (कर्णमूलशोथ) है। तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं। कान दर्द से राहत दिलाने में भी तुलसी के पत्ते खाने से फायेदा मिलता है।
साइनसाइटिस या पीनस रोग में लाभदायक-
साइनसाइटिस के मरीज तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर सूघें। इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है।
दांत दर्द से आराम-
तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
गले से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद-
सर्दी-जुकाम होने पर या मौसम में बदलाव होने पर अक्सर गले में खराश या गला बैठ जाने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत और गले के सब विकार दूर होते हैं।
सूखी खांसी और दमा से आराम-
तुलसी की पत्तियां अस्थमा के मरीजों और सूखी खांसी से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं। इसके लिए तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिला लें और इस मिश्रण को चाटकर खाएं। इसके सेवन से सूखी खांसी और दमे में लाभ होता है।
पीलिया में लाभदायक है तुलसी-
पीलिया ऐसी बीमारी है। जिसका सही समय पर इलाज न करवाने से यह आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाती है। 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ (तक्र) के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है। इसके अलावा तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।
डायरिया और पेट की मरोड़ से आराम-
गलत खानपान या प्रदूषित पानी की वजह से अक्सर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं। इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।
पथरी दूर करने में फायदेमंद है तुलसी-
पथरी की समस्या होने पर भी तुलसी का सेवन करना फायदेमंद रहता है। इसके लिए तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं। यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है। हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें बल्कि डॉक्टर से भी परामर्श लेते रहे।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार-
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 20 ग्राम तुलसी बीज चूर्ण में 40 ग्राम मिश्री को पीसकर रख लें। सर्दियों में इस मिश्रण की 1 ग्राम मात्रा का कुछ दिन सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा 5-10 मिली कृष्ण तुलसी-पत्र स्वरस में दोगुनी मात्रा में गाय का गुनगुना घी मिलाकर सेवन करने से भी वात और कफ से जुड़े रोगों से आराम मिलता है।
सांसों की दुर्गंध दूर करे तुलसी का उपयोग-
सांसों की दुर्गन्ध ज्यादातर पाचन शक्ति के कमजोर होने के कारण होती है। तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण सांसों की दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होती है। इसमें अपनी स्वाभाविक सुगंध होने के करण भी यह सांसों की दुर्गन्ध का नाश करती है।
चोट लगने पर तुलसी का उपयोग-
चोट लगने पर भी तुलसी का उपयोग किया जाता है। क्योंकि इसमें रोपण और सूजन को कम करने वाला गुण होता है। तुलसी का यही गुण चोट के घाव एवं उसकी सूजन को भी ठीक करने में सहायक होता है।
तुलसी के नुकसान:
- तुलसी खून को पतला करती है।
- सर्जरी के तुरंत बाद तुलसी को नहीं खाना चाहिए।
- हाइपोथायरायडिज्म न करें तुलसी का सेवन।
- फर्टिलिटी को कर सकती है प्रभावित।
- गर्भवती महिलाएं तुलसी का सेवन न करें।
तुलसी कहां पायी जाती है?
तुलसी के पौधे के लिए किसी ख़ास तरह के जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। इसे कहीं भी उगाया जा सकता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे का रख-रखाव ठीक ढंग से न करने पर या पौधे के आसपास गंदगी होने पर यह पौधा सूख जाता है।