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सेरेब्रल पाल्सी के प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज

सेरेब्रल पाल्सी के प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज

2023-04-03 13:03:44

वैसे तो अनेक बीमारियां लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। उन्हीं में से कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो जन्मजात होती हैं। वहीं कुछ की चपेट में व्यक्ति समय के साथ आ जाता है। ऐसी ही एक बीमारी सेरेब्रल पाल्सी है। यह समस्या किसी को जन्म के समय ही होती है, तो किसी को जीवन में हुई दुर्घटना के कारण हो जाता है। आइए, इस ब्लॉग के माध्यम से सेरेब्रल पाल्सी के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हैं।

 

सेरेब्रल पाल्सी क्या हैं?

सेरेब्रल पाल्सी विकारों का एक समूह हैं। जो शरीर के विभिन्न अंगों एवं मांसपेशियों की टोन, मुद्रा यानी पॉश्चर, बनावट और उनकी गतिविधियां को प्रभावित करता है। दरअसल सेरेब्रल का संबंध मस्तिष्क से और पाल्सी का अर्थ मांसपेशियों में समस्या या कमजोरी से है। आमतौर पर इसके लक्षण छोटे बच्चों में दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ मामलों में इसके लक्षण मस्तिष्क में लगी चोट या दुर्घटना के कारण युवाओं और बुजुर्गों में भी देखने को मिलते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से सेरेब्रल मोटर कॉर्टेक्स (दिमाग का एक हिस्सा) को प्रभावित करती है। चूंकि सेरेब्रल मस्तिष्क का वह अंग होता है, जो मांसपेशियों की गति को निर्देशित करता है।

 

सेरेब्रल पाल्सी के प्रकार-

सेरेब्रल पाल्सी के कई प्रकार होते हैं। उनमें से कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-

 

स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी-

यह सेरेब्रल पाल्सी का आम प्रकार होता है। यह मांसपेशियों को टोन, मुद्रा और अजीब गतिविधियों का कारण बनता है। कभी-कभी स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी शरीर के केवल एक हिस्से को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में यह हाथ और पैर, धड़ और चेहरे या दोनों को प्रभावित कर सकता है।

 

डिस्किनेटिक सेरेब्रल पाल्सी-

सेरेब्रल पाल्सी के इस प्रकार में हाथ और पैरों की गति को नियंत्रित करने में समस्या होती है। जिसके कारण व्यक्ति को बैठना और चलना मुश्किल हो जाता है।

 

अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी-

सेरेब्रल पाल्सी के इस प्रकार में व्यक्ति को संतुलन और समन्वय बनाने में परेशानी उत्पन्न होती हैं।

 

मिक्सड सेरेब्रल पाल्सी-

इससे प्रभावित मरीज में एक से अधिक प्रकार के सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण देखने को मिलते हैं।

 

सेरेब्रल पाल्सी के कारण-

सेरेब्रल पाल्सी का मुख्य कारण असामान्य विकास या विकासशील मस्तिष्क को नुकसान पंहुचाना होता है। जिसमें से कुछ परिस्थितियां निम्नलिखित हैं:

  • भ्रूण के विकास के दौरान सेरेब्रल मोटर कॉर्टेक्स का सामान्य रूप से विकसित न हो पाना।
  • जन्म से पहले या बाद में शिशु के मस्तिष्क में चोट लगना।
  • मस्तिष्क में किसी प्रकार का संक्रमण होना।
  • मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण सुचारु रूप से न होना।
  • नवजात शिशुओं में पीलिया होना।

सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण-

  • मानसिक स्वास्थ्य का सही न होना।
  • हाथ और पैर में कमजोरी होना।
  • बैठना, लुढ़कना, और चलना देरी से सीखना।
  • मुंह से बार-बार लार टपकना।
  • पेशाब पर सयंम (बार-बार-मूत्र का रिसाव) न होना।
  • हाथ, पैर या तलवों में कपकपी आना।
  • निगलने या बोलने में असुविधा होना।
  • सोचने या समझने की क्षमता में कमी होना।
  • अनैच्छिक झटके दार हरकतें करना।
  • बार-बार दौरे (मिर्गी) पड़ना।
  • चलने-फिरने या उठने-बैठने में कठिनाई महसूस करना।

सेरेब्रल पाल्सी के जोखिम कारक-

 

मां की चिकित्सीय स्थितियां-

यदि गर्भावस्था के दौरान किसी महिलाओं को थायरॉइड की समस्या, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी या अन्य कोई समस्या गंभीर हैं। इस स्थिति में बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी का खतरा अधिक होता है।

 

गर्भावस्था के समय किसी तरह का संक्रमण-

संक्रमण के कारण व्यक्ति के शरीर में साइटोकाइन्स नामक प्रोटीन में वृद्धि होती है। यह गर्भावस्था के समय बच्चों के मस्तिष्क और रक्त में फैलते हैं। आम तौर यह प्रोटीन मस्तिष्क में सूजन का कारण बनते हैं। जिससे बच्चे में मस्तिष्क की क्षति हो सकती है। परिणामस्वरूप प्रसव के बाद बच्चों को सेरेब्रल पाल्सी का खतरा अधिक रहता है।

 

टीकाकरण न करवाने पर-

शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसे जरुरी टीकाकरण न करवाने पर मस्तिष्क के संक्रमण का जोखिम ज्यादा रहता है। ऐसे में सेरेब्रल पाल्सी की समस्या हो सकती है।

 

प्रीटर्म एवं लो बर्थ वेट-

यदि किसी बच्चे का जन्म समय से पहले हुआ है। साथ में उस बच्चे का वजन भी कम है। ऐसे बच्चों को सेरेब्रल पाल्सी होने का खतरा अधिक रहता है।

 

एक से अधिक शिशु का जन्म-

जब एक साथ जुड़वां या तीन बच्चे पैदा होते हैं। इस स्थिति में उन बच्चों को यह समस्या होने कीसंभावना अधिक होती है।

 

इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट-

यदि कोई इनफर्टिलिटी का इलाज करवाता है। उसके बाद किसी बच्चे को जन्म देता है। ऐसे बच्चों को यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है।

 

सेरेब्रल पाल्सी का निदान-

यदि चिकित्सक को एक या इससे अधिक सेरेब्रल पाल्सी होने का लक्षण नजर आते हैं, तो वह तुरंत बच्चे के लक्षणों की जांच करने का सुझाव देते हैं। सबसे पहले डॉक्टर आपके बच्चे के पहले हुए सभी डॉक्टरी इलाज की जानकारी लेते हैं। उसके बाद शारीरिक जांच करते हैं। अब मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की स्थिति का पता लगाने के लिए इससे संबंधित डॉक्टर से संपर्क करने का परामर्श देते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य संभावित कारणों को जानने के लिए कुछ जांच करवाते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

 

मस्तिष्क का स्कैन-

इमेजिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से डॉक्टर मस्तिष्क में हुई क्षति या असामान्य विकास वाली जगह का पता करते हैं। इसमें शामिल निम्नलिखित जांच हैं:

 

एमआरआई (MRI) -

बच्चों के मस्तिष्क में किसी भी तरह का घाव या असामान्यता का पता लगा लगाने के लिए एमआरआई किया जाता है। सामान्यतः सेरेब्रल पाल्सी के लिए इस तकनीक का उपयोग अधिक किया जाता है।

 

क्रैनियल अल्ट्रासाउंड (Cranial Ultrasound) -

क्रैनियल अल्ट्रासाउंड मस्तिष्क की महत्वपूर्ण शुरूआती जांच करता है।

 

सीटी स्कैन (CT Scan ) -

बच्चों के मस्तिष्क में असामान्यताओं का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।

 

ईईजी (EEG)-

यदि बच्चे को मिर्गी या बार-बार दौरा पड़ता है। इस स्थिति में चिकित्सक ईईजी के माध्यम से मिर्गी की जांच करता है। क्योंकि सेरेब्रल पाल्सी में दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।

 

ब्लड टेस्ट-

बच्चों के शरीर में अन्य बीमारी की पुष्टि के लिए चिकित्सक रक्त जांच कराने का परामर्श देता हैं। इससे रक्त संबंधी बीमारियों जैसे रक्त का थक्का जमना आदि का पता लगाया जाता है। जिससे स्ट्रोक्स होने का खतरा बना रहता है।

 

सेरेब्रल पाल्सी का उपचार-

इस समस्या की पुष्टि होने पर तुरंत इसका इलाज शुरु कर देना चाहिए। इससे पीड़ित बच्चे या मरीज के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ निम्न उपयुक्त उपचार शामिल हैं:

  • दवाइयां।
  • शल्य चिकित्सा अर्थात सर्जरी।
  • कुछ खास प्रकार की डिवाइस।
  • शारीरिक, व्यावसायिक, मनोरंजक और स्पीच से जुड़ी चिकित्सा।

सेरेब्रल पाल्सी से बचाव-

  • गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण सही समय पर करें। ताकि अजन्में बच्चों में होने वाले संक्रमण को रोका जा सके।
  • छोटे शिशुओं या बच्चों का खास ख्याल रखें ताकि उनके सिर पर किसी भी तरह का चोट न लगें।
  • गर्भावस्था के दौरान अपने स्वास्थ्य का नियमित रूप से जांच करवाते रहें।
  • अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं। ताकि गर्भस्थ शिशु को किसी भी तरह का संक्रमण न हो।
  • गाड़ी ड्राइव करते समय हमेशा स्वयं और अपने बच्चों को हेलमेट जरुर पहनाएं।
  • बच्चों को अधिक हिलाना, गिराने एवं मारने से बचें।
  • बच्चों को घर के किसी भी हिस्से या बाथटब में अकेला न छोड़े। उसे हमेशा किसी की निगरानी में ही रखें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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