क्या होता है अल्जाइमर रोग? जानें, इसके लक्षण, कारण और बचाव
2022-05-24 14:58:32
अल्जाइमर रोग न्यूरोलॉजिकल (Neurological) अर्थात मस्तिष्क संबंधी विकार है। जो मस्तिष्क की तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। जिससे व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। साथ ही व्यक्ति का दिमाग ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाता। अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी एक तरह का डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का प्रकार है। जो मुख्य रूप से मस्तिष्क का दर्द कम करने वाली औषधि आदि का अधिक इस्तेमाल करने से, नींद की दवाओं का ज्यादा उपयोग या मनोवैज्ञानिक विकार आदि से होते हैं। शुरुआती दौर में अल्जाइमर के लक्षण कम नजर आते हैं। लेकिन समय रहते इसका इलाज न कराना या नजरअंदाज कर देने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
आमतौर पर अल्जाइमर रोग का खतरा वृद्ध आयु वाले लोगों में अधिक रहता है। यह रोग धीरे-धीरे याददाश्त जाना, संज्ञानात्मक क्षमता में कमी और भूलने की समस्या पैदा करता है। अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 40 लाख लोग डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से पीड़ित हैं। इन 40 लाख लोगों में से लगभग 16 लाख लोग अल्जाइमर के शिकार हैं। अल्जाइमर जैसे तंत्रिका संबंधी विकार भी भूलने की बीमारी को जन्म देते हैं। भूलने की बीमारी मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचने से होती है, जो याददाश्त के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। भूलने की बीमारी स्थायी हो सकती है। इसका कोई विशेष उपचार नहीं है। लेकिन याददाश्त बढ़ाने और मनोवैज्ञानिक तकनीकों से भूलने की बीमारी से पीड़ित लोगों की सहायता की जा सकती है।
अल्जाइमर रोग के चरण
आमतौर पर, अल्जाइमर रोग को 7 चरणों में बांटा गया हैं। आइए चर्चा करते हैं इन्हीं चरणों के बारे में:
चरण 1. नो कॉग्निटिव इंपेयरमेंट (No Cognitive Impairment)-
यह अल्जाइमर रोग का प्राथमिक चरण हैं। इस दौरान व्यक्ति के स्मृति से संबंधित किसी तरह की समस्या नहीं होती। यहां तक डॉक्टर भी इस स्टेज का पता लगाने में असमर्थ है। क्योंकि इस दौरान व्यक्ति में कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं।
चरण 2. मामूली गिरावट (Very Mild Decline)-
अल्जाइमर रोग के इस चरण में लोगों की याददाश्त में थोड़ी गिरावट आने लगती है। इस चरण में व्यक्ति अपने दोस्तों के नाम एवं जरूरत की चीजों जैसे चाबियां, चश्मा एवं अन्य रोजमर्रा की चीजों को रखने की जगह आदि भूलनें लगते हैं।
चरण 3. माइल्ड कॉग्निटिव डिकलाइन (Mild Cognitive Decline)-
अल्जाइमर के तीसरे स्टेज पर रोगी के मानसिक (संज्ञानात्मक) व्यवहार में बदलाव देखने को मिलते हैं। साथ ही व्यक्ति की याददाश्त और एकाग्रता में कमी होने लगती है। इस स्टेज को चिकित्सयी परीक्षण से पता लगाया जा सकता हैं।
चरण 4. माडरेट कॉग्निटिव डिकलाइन (Moderate Cognitive Decline)-
इस चरण तक पहुंचने पर व्यक्ति हाल ही में हुई घटनाओं को काफी हद तक भूल जाता है। इसके अलावा व्यक्ति खुद से जुड़ी हुई बीती बातों को भी भूलने लगता है।
चरण 5. मॉडेरटली सीवियर कॉग्निटिव डिक्लाइन (Moderately Severe Cognitive Decline)-
अल्जाइमर रोग के लक्षण इस चरण में काफी नजर आने लगते हैं। इस दौरान व्यक्ति को मोबाइल नंबर, घर का पता, तारीख, महीना और गिनती भूलना आदि की समस्याएं होने लगती हैं। पर इस स्टेज में व्यक्ति को अपना एवं अपने परिवार वालों का नाम याद रहता है। साथ ही व्यक्ति को भोजन करने और शौचालय इस्तेमाल करने में कोई समस्या नहीं होती।
चरण 6. गंभीर गिरावट (Severe cognitive decline)-
इस चरण में स्मृति से संबंधित समस्याएं गंभीर एवं जटिल हो जाती हैं। इस दौरान व्यक्ति के दैनिक गतिविधियां भी प्रभावित होने लगती हैं। कपड़े पहनने से लेकर बाथरूम इस्तेमाल करने में समस्या, यहां तक कि व्यक्ति अपने घरवालों का नाम तक भूल जाता है। साथ ही उसे अनिद्रा की परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
चरण 7. लेट स्टेज (Very severe cognitive decline)-
यह अल्जाइमर रोग का अंतिम चरण होता है। जो सबसे खतरनाक एवं जटिल समस्या है। इस अवस्था में व्यक्ति प्रतिक्रिया करने, बोलने और शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। यहां तक व्यक्ति को भोजन करने और शौचालय जाने में भी सहायता की जरूरत पड़ती है।
अल्जाइमर रोग के लक्षण-
- याददाश्त कमजोर होना।
- परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों को पहचान न पाना।
- किसी भी प्रकार के कार्य करने में परेशानी होना।
- बोलने व समझने में समस्या उत्पन्न होना।
- समय और स्थान को लेकर भ्रम होना।
- निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाना।
- सोचने की क्षमता में कमी या परेशानी होना।
- अपने चीजों को खो देना।
- बर्ताव में बदलाव होना।
- व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाना।
- आत्मबल में कमी होना।
- चिड़चिड़ापन होना।
- समय के साथ चिंतित होना।
अल्जाइमर रोग के कारण-
संक्रमण का होना-
अल्जाइमर रोग का मुख्य कारण दिमाग में संक्रमण का होना होता है। जिसकी वजह से मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम की तंत्रिका कोशिकाएं पूरी तरह से काम नहीं कर पाती या नष्ट हो जाती हैं।
नींद में कमी-
नींद की मात्रा और गुणवत्ता दोनों ही स्मरण शक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत कम नींद लेने या रात में अक्सर जागने से अल्जाइमर की समस्या पैदा हो सकती है।
अवसाद और तनाव-
अल्जाइमर का एक लक्षण अवसाद एवं तनाव भी हैं। अवसाद होने से ध्यान बनाए रखने में परेशानी होती है। जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है। तनाव और चिंता एकाग्रता में बाधक बनकर सोचने की क्षमता पर बुरा असर डालते हैं। इसलिए इसका इलाज लंबे समय तक न किया जाए तो तनाव की समस्या काफी हद तक बढ़ सकती है।
अवसादरोधी दवाइयों के अधिक सेवन से-
कई अवसादरोधी दवाइयां जैसे एंटीडिप्रेससेंट, एंटीहिसटामाइंस, स्ट्रेस निवारक दवाइयां, मांसपेशियों को ढीला करने वाली दवाइयां, ट्रांक्विलाइज़ेर्स, नींद की गोलियां और सर्जरी के बाद दी जाने वाली दर्द की दवाएं याददाश्त को कमजोर कर सकती हैं।
धूम्रपान और शराब पीने से-
अधिक शराब पीने से भूलने की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा धूम्रपान भी मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर तंत्रिका तंत्र को हानि पहुंचाता है।
पोषक तत्वों की कमी-
अच्छे और उच्च क्वालिटी वाले प्रोटीन और वसा मस्तिष्क के कार्यों को ठीक रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। विटामिन बी 1, बी 12 एवं विटामिन डी की कमी विशेष रूप से मस्तिष्क के नर्व सेल्स को प्रभावित करती हैं।
सिर में चोट-
कई बार सिर की गंभीर चोट मस्तिष्क को घायल कर देती है। जिससे अल्जाइमर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
सिनैप्स लॉस-
सिनैप्स लॉस की वजह से भी अल्जाइमर रोग की समस्या हो सकती है। क्योंकि यह एक न्यूरॉनल जंक्शन होता है, जिनके माध्यम से न्यूरॉन्स एक-दूसरे से संवाद करते हैं।
अल्जाइमर से बचाव एवं घरेलू उपाय-
- अल्जाइमर से बचने के लिए शारीरिक क्रियाएं जैसे जॉगिंग, डांसिंग, एरोबिक्स, बास्केटबॉल, स्विमिंग और साइकिलिंग करना बेहद फायदेमंद होता है। क्योंकि इससे शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। जिससे दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और अल्जाइमर का खतरा कम होता है।
- रोजाना डाइट में विटामिन-ई और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन जैसी हरी सब्जियां, फल, फिश, नट्स, ऑलिव ऑयल और विनेगर आदि शामिल करें। इसके अतिरिक्त ग्रीन टी, कॉफी, डार्क चॉकलेट आदि भी दिमाग की खुराक है। इनके सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
- जिन्कगो बाइलोबा की पत्तियां को महीन पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट से आधा कप जूस निकालकर पी लें। ऐसा करने से दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन, रक्त एवं पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही एकाग्रता बढ़ती है।
- अल्जाइमर रोग से कुछ हद तक राहत पाने के लिए नारियल तेल का उपयोगी साबित होता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, नारियल का तेल मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करता है। इस तेल को भोजन बनाने हेतु उपयोग किया जाता है। इसके अलावा नारियल के तेल को हल्का गर्म करके सिर की मालिश करना भी अच्छा रहता है।
- प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। कम सोने से हिप्पोकैंपस (मस्तिष्क का एक हिस्सा) में नए न्यूरॉन्स का विकास प्रभावित होता है। इससे स्मृति, एकाग्रता एवं निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है। साथ ही शरीर में मौजूद प्रोटीन एमिलॉयड बीटा को असंतुलित करता है। जिससे अल्जाइमर हो सकता है। इसलिए भूलने की बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।
- प्राणायाम और ध्यान करें। इससे तनाव दूर होता है। एकाग्रता आती है, दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन, रक्त एवं पोषक तत्व मिलते हैं।
- अल्जाइमर से बचने के लिए दिमाग से संबंधित गतिविधियों में हिस्सा लें। क्योंकि ब्रेन गेम- सुडोकू या पहेली, क्विज, शतरंज, लॉजिकल या इलेक्ट्रॉनिक खेल भी दिमाग को तेज करने के हथियार हैं। इसलिए प्रतिदिन आधे से एक घंटे गेम्स खेलने से दिमाग की एक्सरसाइज होती है।
- सामाजिक गतिविधियो में हिस्सा लें।
- अवसाद, चिंता एवं तनाव से बचें।
- धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन न करें।
- वजन को नियंत्रित रखें।
- ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को मेंटेन रखें।