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बनियन (पैर की हड्डी बढ़ना) क्या है? जानें, इसके कारण, लक्षण और उपचार

बनियन (पैर की हड्डी बढ़ना) क्या है? जानें, इसके कारण, लक्षण और उपचार

2023-01-16 13:18:24

बनियन एक तरह का गांठनुमा उभार या सूजन होता है, जो पैर के अंगूठे के बाहर की तरफ बनती है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में पैर की हड्डी बढ़ना और मेडिकल भाषा में बनियन फुट के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदी में गोखरू या गांठ भी कहा जाता है। यह हड्डी तब बढ़ती है जब पैर का अंगूठा बगल वाली उंगली पर दबाव बनाता है। इस दबाव के कारण पैर के अंगूठे की हड्डी बड़ी होकर बाहर की ओर निकलने लगती है। बढ़ी हुई हड्डी के ऊपर की त्वचा लाल पड़ जाती है और एक बोनी सूजन बन जाती है। इसके अलावा बनियन पैर की विकृति पैर की बड़ी उंगली के जोड़ (मेटाटार्सोफैंगल या एमटीपी) पर वर्षों के दबाव का परिणाम होता है। यह उभार व्यक्ति के एक या दोनों पैरों में हो सकता है। बनियन के लिए वैज्ञानिक शब्द हॉलक्स एबडक्टो वाल्गस है। पैरों में होने वाला यह बीमारी वृद्ध लोगों, विशेषकर महिलाओं में अधिक होती है।

 

बनियन के प्रकार-

बनियन के सबसे आम प्रकार पैर की बड़ी उंगली है। अन्य प्रकार के बनियन में शामिल हैं:

जन्मजात बनियन-

बनियन का यह प्रकार आमतौर पर नवजात बच्चों देखने को मिलते हैं। दुर्लभ मामलों में बच्चे जन्म से ही बनियन से ग्रसित होते हैं।

किशोर या जूवेनिअल बनियन-

10 से 15 वर्ष की आयु के किशोरों में बनियन विकसित हो सकता है।

टेलर बनियन-

यह बनियन का वह प्रकार होता है जिसमें छोटी उंगली के बाहरी आधार पर गांठनुमा उभार बनता है।

 

बनियन के कारण और जोखिम कारक-

पैरों के जोड़ों और टेंडन (हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाले उत्तक) पर असंतुलित वजन या असमान दबाव पड़ने से पैर की हड्डी बढ़ जाती है। जिसके कारण अंगूठे के जोड़ के पास गांठ बनने लगती है। जो कुछ समय बाद उभर आती है। अधिकांशतः यह समस्या आनुवंशिक होते हैं। इसके अलावा बनियन के विकास में योगदान देने वाली कुछ स्थितियां जैसे फ्लैट पैर, अधिक लचीले स्नायुबंधन और असामान्य हड्डी संरचना आदि होते हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार खराब फिट जूते भी बनियन का कारण बनते हैं।

बनियन की समस्या किसी को भी हो सकता है। लेकिन आमतौर पर निम्नलिखित जोखिम कारक बनियन के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

  • ऊंचे एड़ी वाले जूते का प्रयोग।
  • टाइट या नुकीले जूते पहनना।
  • पैर की चोट।
  • जन्मजात विकृति।
  • रूमेटाइड गठिया।
  • पैर का वंशानुगत ढांचा।
  • मार्फन सिंड्रोम और एहलर्स-डानलोस सिंड्रोम जैसे संयोजी ऊतक विकार।
  • महिलाओं में बनियन फुट होना आम बात हैं। इसका मुख्य कारण ऊंची एड़ी के जूते और सैंडिल पहनना। जिसके द्वारा पैरों पर दबाव असामान्य दबाव पड़ता है।

बनियन के लक्षण-

बनियन के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अंगूठे के निचले हिस्सों में गांठनुमा उभार होना।
  • अंगूठे के निचले हिस्सों की त्वचा का मोटा हो जाना।
  • पैर के अंगूठे में दर्द, जो टाइट जूते पहनने पर बढ़ जाता है।
  • सामान्य रूप से चलने या बड़े पैर के अंगूठे को हिलाने में कठिनाई महसूस करना।
  • अंगूठे के बाहरी किनारे पर सूजन, लालिमा या घाव बन जाना।
  • बड़े पैर की अंगुली में सुन्नता होना।
  • अंगूठों में जलन होना। कॉलस जहां पैर की उंगलियां आपस में रगड़ती हैं।

कैसे करें बनियन की रोकथाम?

सामान्यतः बनियन को पूर्ण रूप से रोका नहीं जा सकता है। खासकर वह जो आनुवंशिक कारकों के कारण बनते हैं। हालांकि, निम्नलिखित तरीके अपनाकर बनियन के विकास की संभावना को कम किया जा सकता है।

  • आरामदायक जूते पहनें।
  • नोकदार, खराब फिट वाले जूते या ऊंची एड़ी के जूते पहनने से बचें।
  • ऐसे जूते का चयन करे जिसमें पैर के उंगलियों वाला हिस्सा चौड़ा और बड़ा हो।

बनियन के लिए घरेलू उपचार-

जैतून का तेल-

बढे हुए हड्डी के उभार के कारण होने वाले असहनीय दर्द में जैतून का तेल विशेष रूप से प्रभावी होता है। इसके लिए हल्के गर्म जैतून के तेल से प्रभावित अंग पर रोजाना 10-15 मिनट तक मालिश करें। ऐसा करने से रक्त का प्रवाह तेज होता है। जिससे टिश्यू हीलिंग बेहतर होती है। इस प्रकार जैतून का तेल बनियन के उपचार में सहायक होता है।

लहसुन-

लहसुन बनियन के लक्षणों को कम करने में प्राकृतिक उपचारक है। क्योंकि यह एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। यह सभी गुण सूजन और दर्द को कम करते हैं। इसके लिए लहसुन की एक कली को प्रभावित जगह पर रगड़ें। फिर एक गर्म पट्टी से लपेटें और रात भर छोड़ दें। ऐसा तब तक करें जब तक बनियन से आराम न मिल जाएं।

अरंडी का तेल-

अरंडी के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो बनियन की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह दर्द से राहत दिलाने में भी बहुत कारगर है। इसके लिए एक पात्र में थोड़ा अरंडी का तेल लेकर उसे गर्म करें। अब उसमें एक कॉटन डुबोएं और इसे प्रभावित अंगों के चारों ओर लपेटें। तत्पश्चात गर्म सेक को तौलिए से ढक दें। ऐसा तब तक करे जब तक दर्द पूरी तरह से कम न हो जाएं।

सफेद सिरका-

सिरके में मौजूद एसिड सख्त त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। इसके लिए सिरके को पानी के साथ मिलाकर घोल बना लें। अब इस घोल को प्रभावित जगह पर लगाएं और एक पट्टी से ढकें। इसे रातभर के लिए छोड़ दें और सुबह हल्के हाथों से एक्सफोलिएट करे और उस अंग पर मॉइस्चराइजर लगाएं। ऐसा कुछ दिन करने से आराम पहुंचता है।

बनियन के लिए कुछ व्यायाम-

रोजाना पैर की उंगली संबंधी व्यायाम करने से बनियन के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलता है। साथ ही यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं-

तोए कर्ल (Toe curls)-

यह व्यायाम पैरों के नीचे की मांसपेशियों को फ्लेक्स करके पैर के अंगूठे के जोड़ों पर काम करता है। सबसे पहले फर्श पर बैठ जाएं और अपने पैरों को फर्श से लगभग 6 इंच की सतह सटाकर रखें । अब धीरे-धीरे अपने पैर की उंगलियों को करीब 20 बार घुमाएं। इसे 2 से 3 सेट करें।

एड़ी उठाना (Heel raise)-

बैठते समय अपने पैरों को फर्श पर रखें। अब अपनी एड़ी को उठाएं और अपने वजन को पैरों के जोड़ों में स्थानांतरित करें। करीब 5 सेकंड रुकें और पुनः प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। इस क्रिया को प्रत्येक पैर से 10 बार दोहराएं।

फिगर एट कर्ल (Figure eight curl)-

यह व्यायाम पैर की अंगुली घुमाने के समान ही होता है। लेकिन इसमें पैर के अंगूठे को एक वृत्त में घुमाकर आठ की आकृति घुमाएं। यह अंगूठे की लचीलापन और गतिशीलता को बढ़ावा देता है। इस व्यायाम को प्रत्येक पैर की अंगुली से 3 से 4 सेट के लिए 8 बार दोहराएं।

तौलिया पकड़ना और खींचना (Towel grip and pull)-

इसके लिए फर्श पर एक छोटा तौलिया रखें। अब फर्श पर बैठ जाएं। उसके बाद अपने पैर की उंगलियों से तौलिए को पकड़ें और अपनी तरफ खींचे। अब अपने पैर की उंगलियों की मदद से तौलिए को निचोड़े। इस प्रक्रिया को 5 मिनट तक दोहराएं।

बॉल रोल (Ball roll)-

एक टेनिस बॉल को फर्श पर रखकर उस पर अपने पैर को रखें। गेंद पर अपना पैर आगे-पीछे करें। इस प्रक्रिया को प्रत्येक पैर से 3 से 5 मिनट तक दोहराएं।

तोय सर्किल (Toe circles)-

यह पैर के अंगूठे के जोड़ों को गतिशील बनाता है। साथ ही यह कुर्सी पर बैठते समय कठोरता को कम करने में मदद करता है। इस व्यायाम को करते समय सबसे पहले झुके और अपने बड़े पैर के अंगूठे को पकड़ें। फिर अपने पैर की उंगलियों को 20 बार दक्षिणावर्त घुमाना शुरू करें। प्रत्येक पैर की अंगुली पर 2 से 3 सेट करें।

पैर का अंगूठा फैलाना (Toe spreading)-

इसके लिए अपने पैरों को फर्श पर रखकर बैठें। अब अपनी एड़ी को फर्श पर रखें। इसके बाद अपने पैर की उंगलियों को उठाकर फैलाएं। इस अभ्यास को प्रत्येक पैर से 10 से 20 बार करें।

 

कब जाएं डॉक्टर के पास?

ज्यादातर मामलों में बनियन का चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें जो निम्नलिखित हैं :

  • पैर में लगातार असहनीय दर्द होने पर।
  • अधिक सूजन या गांठनुमा उभार बढ़ने पर।
  • घरेलू उपाय और कुछ व्यायाम करने पर भी दर्द बना रहें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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