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क्या है सीलिएक रोग? जानें इसके लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

क्या है सीलिएक रोग? जानें इसके लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

2022-03-17 12:23:51

सीलिएक रोग को कई बार स्प्रू (Sprue) या कोएलियाक (Coeliac) भी कहा जाता है। यह रोग ग्लूटेन (Gluten) खाए जाने पर प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा दिया गया रिएक्शन होता है।ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है।जो गेहूं, जौ और राई में पाया जाता है। माना जाता है कि सीलिएक रोग एक स्व-प्रतिरक्षित विकार होता है। यह पारिवारिक या आनुवंशिक भी हो सकता है। सीलिएक रोग से ग्रसित व्यक्तियों में आमतौर पर पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं। जिसमें पेट में तकलीफ, पेट में सूजन या फुलाव, मतली और दस्त आदि परेशानियां शामिल हैं। इस रोग में व्यक्ति को दस्त व पेट में दर्द, उदासी औरचिड़चिड़ापन महसूस होता है। बच्चों में चिड़चिड़ापन इस रोग का सबसे सामान्य लक्षण है। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको कोई लक्षण महसूस ही नहीं होता। इस रोग का पता लगाने में डॉक्टर ब्लड टेस्ट की मदद लेते हैं। इसके अलावा डॉक्टरों को रोगी की छोटी आंत के ऊतक का सेंपल लेकर उसका परीक्षण करने की ज़रूरत भी पड़ती है। सीलिएक रोग के उपचार में सख्ती से ग्लूटेन मुक्त भोजन का पालन करना चाहिएहै।

 

सीलिएक रोग के लक्षण-

सीलिएक रोग के लक्षण काफी अलग-अलग होते हैं। जोबार-बार आ और जा सकते हैं। इसके लक्षण काफी कम और पूरी तरह से अप्रत्यक्ष (ध्यान में न आने वाले) होते हैं।

 
गैस, पेट में सूजन और पेट फुलाव-

यह लक्षण तब होते हैं, जब छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में असफल रहती है। इसमें रोगी को पेट में दर्द महसूस हो सकता है पर आमतौर पर यह गंभीर नहीं होता।

 
असाधारण मल-

इसमें अक्सर पतला, पीले रंग, झागदार और बदबू वाला मल आने लगता है। वहीं, इस मल में बड़ी मात्रा में वसा होती है, जो टॉयलेट सीट पर चिपक सकती है और कई बार फ्लश करने पर भी नहीं उतरती। इस बीमारी में अमूमन बच्चों और बड़ों में एक जैसे ही लक्षण देखने को मिलते है। हालांकि आंतों से जुड़ी दिक्कत जैसे कि कब्ज ज्यादातर बच्चों में ही होती है।

 
वजन घटना-

सीलिएक रोग से ग्रस्त वयस्कों और बच्चों का सामान्य भूख लगने के बावजूद भी अस्पष्ट रूप से वजन घटने लगता है। इस स्थिति को फेलियर टू थ्राइव (Failure to thrive) कहा जाता है।

 
थकान और कमजोरी-

सीलिएक रोग के कारण सामान्य रूप से उर्जा और शक्ति में कमी आ जाती है। कुछ लोग ग्लूटेन खाने के बाद बीमार पड़ जाते हैं। वयस्कों के मुकाबले बच्चों में यह प्रतिक्रिया होने की संभावना थोड़ी ज्यादा होती है।

 
अन्य समस्याएं-

यदि सीलिएक रोग का समय पर इलाज न किया जाए तो यह कई अन्य समस्याओं को भी पैदा कर देता है।जैसे- याददाश्त और ध्यान देने में कठिनाई होना, बच्चों में अधिक चिड़चिड़ापन आना, वयस्कों में डिप्रेशन के संकेत दिखाई देना आदि।

 

सीलिएक रोग के कारण-

सीलिएक रोग तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली, ग्लूटेन नाम के एक प्रोटीन पर एक असाधारण रिएक्शन देती है। यह प्रोटीन ब्रेड, पास्ता, अनाज (Cereals) और बिस्कुट आदि में पाया जाता है। यह एक स्व-प्रतिरक्षित स्थिति होती है।इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं को खतरनाक कोशिकाएं समझ लेती है और उनके खिलाफ एंटीबॉडीज का उत्पादन करने लगती है। एंटीबॉडीज आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने का काम करते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए एंटीबॉडीज आंतों की सतह में सूजन औरजलन पैदा कर देते हैं।

 

आंतों की सतह आमतौर पर लाखों छोटी-छोटी ट्यूब के समान ग्रोथ (Growth) से ढकी होती है। जिन्हें विल्ली (Villi) कहा जाता है। विल्ली आंतों की सतह के क्षेत्र को बढ़ा देती है और भोजन को और प्रभावी रूप से पचाने में मदद करती है। सीलिएक रोग में आंतों की परत में सूजन व जलन होती है और विल्ली कमजोर हो जाती है।जिससे पाचन में मदद करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। परिणामस्वरूप, आंत भोजन से मिले पोषक तत्वों को पचाने में असफल रहती है। जिस कारण से सीलिएक रोग के लक्षण पैदा होने लगते हैं।

 
परिवार संबंधी समस्या-

सीलिएक रोग अमूमन परिवार में एक से दूसरे को होता है। अगर किसी के घर माता-पिता या भाई बहन को यह दिक्कत है तो उसे भी यह दिक्कत होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। जिनके परिवार के सदस्यों में पहले यह रोग हो चुका है।उनके लिए सीलिएक रोग विकसित होने के जोखिम सामान्य से 10 प्रतिशत बढ़ जाते हैं। यदि किसीका कोई जुड़वा भाई या बहन है। जिसको सीलिएक रोग है, तो यह रोग विकसित होने के जोखिम उसमें लगभग 75 प्रतिशत बढ़ जाते हैं।

 

सीलिएक रोग होने का खतरा कब बढ़ जाता है?

बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां हैं। जो सीलिएक रोग को विकसित करने वाले जोखिम को बढ़ाती हैं।जिनमें निम्न शामिल हैं-

 
  • टाइप 1 डायबिटीज।
  • थायराइड संबंधी समस्याएं।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस (यह एक पाचन संबंधी स्थिती होती है जिसमें कोलन यानि बड़ी आंत में सूजन व लालिमा पैदा हो जाती है)।
  • न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं, जैसे कि मिर्गी)
  • डाउन सिंड्रोम और टर्नर सिंड्रोम।

सीलिएक रोग से बचाव के उपाय-

यह एक आनुवंशिक प्रकृति होती है।इसलिए इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती। जीवनभर ग्लूटेन वाले खाद्य पदार्थों से बचना ही इसका एकमात्र उपचार है। भोजन को लेकर पर्याप्त सावधानी बरतने से आंत अपने आप ठीक होने लगती है और लक्षण गायब होने लगते हैं। लेकिन अगर रोगी ग्लूटेन खाना शुरू करते हैं तो फिर से सीलिएक रोग के लक्षण उभरने लगते हैं। मरीज को पता होना चाहिए कि किस भोजन में ग्लूटेन है और किस में नहीं है। लेकिन हर प्रकार के भोजन में ग्लूटेन का पता लगाना काफी कठिन होता है। क्योंकि कई खाद्य पदार्थों में गुप्त तरीके से ग्लूटेन पाया जाता है। इसलिए सीलिएक रोग से ग्रस्त व्यक्ति को स्वस्थ आहार का पालन करने के लिए एक आहार विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए।

 

सीलिएक रोग का इलाज एवं जांच -

आनुवंशिक जानकारी-

डॉक्टर परिवार में पहले कभी किसी को सिलिएक रोग हुआ है या नहीं, इस बारे में पूछता है।

 
शरीर की जांच-

डॉक्टर शरीर पर रैशेज और पोषण की मात्रा की जांच करता है। साथ ही स्टेथोस्कोप से पेट की भी जांच की जाती है।

 
दांतों की जांच-

कुछ लोगों में सिलिएक रोग का पता लगाने के लिए दांतों की जांच भी मददगार होती है। क्योंकि सिलिएक रोग से प्रभावित व्यक्ति के दांतों के रंग में परिवर्तन आ जाता है।

 
रक्त की जांच-

सिलिएक रोग के परीक्षण में रक्त की जांच भी महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए रक्त को प्रयोगशाला में भेजा जाता है।जहां रक्त में मौजूद एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। अगर रक्त की जांच करने पर एंटीबॉडी का सही से पता न चलें, तो डॉक्टर अन्य ब्लड टेस्ट के लिए कहते हैं।

 
आंत की बायोप्सी-

अगर रक्त की जांच करने के बाद सिलिएक का पता न लग पाए, तो डॉक्टर्स बायोप्सी जांच करते हैं। इस जांच के दौरान छोटी आंत से ऊतक का एक छोटा टुकड़ा लिया जाता है।जिससे इस रोग का पता लगाने में मदद मिलती है।

 
त्वचा की बायोप्सी-

डॉक्टर त्वचा की बायोप्सी करते हैं। इसके लिए त्वचा के छोटे से टिश्यू को निकाला जाता है और माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

 

सिलिएक रोग का परहेज और आहार

लेने योग्य आहार-
  • ग्लूटेन रहित और पोषण युक्त आहार लेने चाहिए।
  • कैल्शियम युक्त आहारों के लिएदूध, दही, पनीर, मछली, ब्रोकोली, कोलार्ड ग्रीन, बादाम, कैल्शियम की शक्तियुक्त रस, और चौलाई आदि को शामिल करें।
  • आयरन समृद्ध आहारों के लिएफलियां, मेवे और चौलाई आदि का सेवन करें।
  • विटामिन बी युक्त आहारों के लिएदूध, संतरे का रस, फलियां, मेवे, और ग्लूटेन रहित साबुत अनाज आदि का सेवन करें।
  • विटामिन डी से समृद्ध आहारों के लिएविटामिन डी की शक्ति युक्त दूध और दही का सेवन करें।
  • रेशे से समृद्ध आहार के लिएसब्जियां, फल, फलियां, चौलाई, बाजरा, कुट्टू और ज्वार आदि का सेवन करें।
  • सिलिएक रोग से ग्रस्त रोगियों में विटामिन-के की कमी उत्पन्न होने की अधिक संभावना होती है। ऐसे में पालक, ब्रोकोली, अस्पार्गस, जलकुम्भी, पत्तागोभी, फूलगोभी, मटर, फलियां, जैतून, केनोला, सोयाबीन, दलिया, और डेरी उत्पाद आदि सभी विटामिन-के से समृद्ध होते हैं। जिनका सेवन किया जा सकता है।
  • ग्लूटेन रहित वस्तुओं में चावल, सोया, मक्का, आलू और फलियां आदि शामिल हैं।

इनसे परहेज रखें

  • ऐसे अनाज जिनमें ग्लूटेन हो जैसे जौ, बाजरा, ट्रिटीकेल, गेहूं के विभिन्न प्रकार आदि।
  • उपरोक्त कहे हुए अनाजों से बने हुए आहार जैसे पास्ता, दलिया, ब्रेड, पिज़्ज़ा, क्रैकर्स, कूकीज और केक भी नहीं लिए जाने चाहिए।
  • ओट्स का सेवन नकरें।
  • सिलिएक के कुछ रोगी आहार में ओट्स को सह सकते हैं। लेकिन सिलिअक रोग के अधिकतम रोगियों के लिएलम्बे समय तक ओट्स का सेवन करना सुरक्षित नहीं पाया गया है।

कब जाएं डॉक्टर के पास?

  • यदि दस्त या पाचन संबंधी तकलीफ दो हफ्तों या उससे अधिक समय से हो रही है तो डॉक्टर से तुरंत बात करें।
  • यदि बच्चे में चिड़चिड़ापन, रंग में पीलापन, सामान्य रूप से विकसित होने में असफलता, मोटापा या बदबूदार व बड़े आकार का मल आ रहा है तो उसे जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखा लें।
  • ग्लूटेन मुक्त भोजन लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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