सीओपीडी क्या है? जानें, इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
2022-05-24 12:30:00
क्रानिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ा संबंधित बीमारी है। यह सांसो को अवरूद्ध या उनमें रुकावट पैदा करती है। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसकी शुरुआती स्थिति को आसानी से ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसको नजरअंदाज कर देना जानलेवा भी हो सकता है। सांस न ले पाने (सीओपीडी) की समस्या कई कारणों से होती है जैसे धूम्रपान करना, प्रदूषित वातावरण में रहना आदि।
सीओपीडी क्या है?
आमतौर पर फेफड़े बहुत स्पॉन्जी होते हैं। जब हम सांस के जरिए हवा अंदर खींचते हैं, तो ऑक्सीजन का प्रवाह खून में होता है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकल जाती है। लेकिन सीओपीडी बीमारी इस प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है। सीओपीडी से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है और ऑक्सीजन उसके शरीर में पूरी मात्रा में नहीं पहुंच पाती है। वातस्फीति (Emphysema) और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (chronic bronchitis) क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में बनने वाले दो प्रमुख कारक हैं। क्रोनिक ब्रोन्काइटिस ऐसी परिस्थितियां होती है, जिसमें व्यक्ति के श्वासनलियां (bronchial tubes) में सूजन होती है। यह श्वासनलियां फेफड़ों तक वायु ले जाने का काम करती हैं। इसके अलावा वातस्फीति (Emphysema) ऐसी परिस्थितियां है, जिसमें फेफड़ों की थैली (ब्रोन्कोइल) धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है।
क्या होते हैं सीओपीडी के लक्षण?
सीओपीडी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
- तेजी से सांस लेना।
- लगातार कई महीनों तक बलगम से परेशान रहना।
- बलगम के साथ लगातार खांसी का होना।
- छाती में संक्रमण होना।
- लगातार गले में खराश होना।
- सीने में जकड़न होना।
- कई दिनों तक सर्दी-जुकाम, फ्लू या अन्य श्वास संबंधी संक्रमण का होना।
- शारीरिक कमजोरी होना।
सीओपीडी के अन्य लक्षण-
- तेजी से वजन घटना।
- अधिक थकान महसूस करना।
- छाती में असहनीय दर्द होना।
- घुटनों में सूजन एवं दर्द होना।
- खांसते वक्त बलगम में खून आना।
सीओपीडी के कारण-
- तंबाकू और धूम्रपान का अधिक सेवन करना।
- अस्थमा, टीबी रोग होने पर भी बीड़ी सिगरेट आदि का सेवन करना।
- प्रदूषित वातावरण अर्थात फैक्टरियों और चूल्हों से निकलने वाला धुआं।
- किसी भी तरह के ईंधन के जलने से निकलने वाले धुएं के संपर्क में आना।
- धूल एवं रसायन के संपर्क में आना।
- कीटनाशक दवाइयां एवं पेंट में प्रयोग की जाने वाली रसायन से निकलने वाली हानिकारक गंध।
- आनुवंशिकी यानी परिवार के किसी सदस्य को पहले से कभी फेफड़ों से संबंधित समस्याएं होना।
सीओपीडी की रोकथाम-
- वायु प्रदूषण से बचें।
- स्वस्थ्य जीवन शैली अपनाएं।
- वजन को नियंत्रित रखें।
- धूम्रपान न करें और सेकंड-हैंड ( दुसरे द्वारा पी जाने वाली सिगरेट इत्यादि के धुएं) से बचें।
- कार्यस्थल में होने वाले रासायनिक धुएं और धूल के संपर्क में आने से बचें।
- नियमित रूप से प्राणायाम और योग करें।
- सीओपीडी से ग्रसित व्यक्तियों को नियमित रूप से दवाएं लें।
सीओपीडी का परिक्षण-
सीओपीडी के लक्षणों को जानने के बाद डॉक्टर कुछ शारीरिक परिक्षण कराने का अनुरोध करते हैं, जो निम्नलिखित हैं ;
स्पिरोमेट्री (Spirometry)
स्पिरोमेट्री नामक परीक्षण से मरीज के फेफड़ों की जांच कराई जाती है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति के फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहें हैं। इस टेस्ट के द्वारा स्प्रिरोमीटर नामक मशीन से सांस लेने के लिए कहा जाता है। जिससे प्राप्त रीडिंग की तुलना मरीज की उम्र के आधार पर की जाती है। जो शरीर के वायुमार्गों में बाधा को प्रदर्शित करता है।
छाती का एक्स-रे कराना
सीओपीडी के परीक्षण के लिए डॉक्टर छाती का एक्स-रे करवाने का देते हैं ह। इसके माध्यम से फेफड़ों में होने वाली समस्याओं को देखा जाता है, जो सीओपीडी नामक बीमारी में छाती के संक्रमण जैसे लक्षण को प्रदर्शित करता है।
ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट के जरिए स्वास्थ्य की कई स्थितियों का पता चलता हैं। इसमें सीओपीडी के सामान्य लक्षण जैसे ब्लड में आयरन की कमी (एनीमिया) की जांच की जाती है।
सीओपीडी के घरेलू उपचार-
- सीओपीडी के मरीजों को गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए। इससे कफ ढीला और कम होता है। जिससे फेफड़ों को आराम मिलता है।
- गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से सूजन कम होती है। दरअसल शहद एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। जिससे शरीर में संक्रमण फैलने की आशंका कम हो जाती है।
- दालचीनी को शहद या गुड़ के साथ दिन में तीन बार लेने से इससे आराम मिलती है।
- हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सर्दी-जुकाम से राहत दिलाने का काम करते हैं। ऐसे में सीओपीडी संबंधी समस्या होने पर एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
- तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो सीओपीडी के मरीजों को राहत पहुंचाने का काम करती हैं। साथ ही तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी बढ़ाती है। इसके लिए अदरक, शहद और तुलसी का रस मिलाकर पीने से कफ का बनना रुक जाता है।
- लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो सीओपीडी के इलाज में मदद करते हैं। इसके अलावा लहसुन में प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय और संक्रमण से बचाने वाले एंटीमाइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं। इसके लिए प्रतिदिन सोने से पहले लहसुन की 3 से 4 कलियों को दूध में अच्छी तरह से उबालें। अब इस मिश्रण को ठंडा करके पीएं। ऐसा करने से संक्रमण में फायदा होता है।
- पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में प्याज का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के लिए भी किया जाता रहा है। क्योंकि प्याज में एंटी-इन्फ्लामेट्री, एंटी-एलर्जिक, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह सभी गुण संक्रमण को नष्ट करते हैं। इसके लिए प्याज को भूनकर शहद के साथ या प्याज के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
- धनिया के बीज संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। इसके लिए धनिया चाय बनाकर रोगी को दिन में दो बार पिलाएं।
कुछ योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें
योग और प्राणायाम सीओपीडी के मरीजों के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं। यदि व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इसे नियमित रूप से शामिल करता है, तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है। इसके अलावा सीओपीडी के शुरुआती चरण में प्राणायाम करने से इसकी गंभीरता बढ़ने का खतरा कम होती है। इसके लिए कुछ प्रकार के प्राणायाम निम्नलिखित हैं, जो सीओपीडी से बचाने या इसके लक्षणों को कम करने में मदद करते है। आइए जानते हैं इन्हीं प्राणायाम के बारे में ;
- अनुलोम-विलोम।
- कपालभाति।
- ओह्म उच्चारण के साथ सूर्य नमस्कार।
- सर्वांगासन।
- भुजंगासन।
- सिंहासन।
लेकिन ध्यान रहे उपरोक्त प्राणायाम करने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।