क्या होती है फूड पाइजनिंग? जानें कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
2022-05-24 12:32:25
क्या होती है फूड पाइजनिंग
फूड पाइजनिंग एक तरह का संक्रमण है, जो स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणु के कारण होता है। जब स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया किसी खाद्य पदार्थ को खराब कर देता है, तो उसे खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाती है। इससे तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जो खराब भोजन करने की वजह से होती है। इसलिए फूड पाइजनिंग को विषाक्त भोजन के नाम से भी जाना जाता है। फूड पाइजनिंग के कारण उल्टी और डायरिया जैसी समस्या पैदा होती है। इसके अलावा, फूड पाइजनिंग की समस्या ई.कॉली बैक्टीरिया के कारण भी होती है। यह गंदा पानी पीने से शरीर में प्रवेश करता है। खाना या पेय दोनों पदार्थ गंदा या संक्रमित हो तो फूड पॉइजनिंग होने की संभावना होती है। वैसे तो फूडप्वाइजनिंग के अधिकांश मामले कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण यह कमजोरी व अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
फूड पाइजनिंग के लक्षण
- पेट में दर्द/मरोड़।
- डायरिया।
- ठंड लगना और बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- मतली और उल्टी आना।
- अधिक कमजोरी महसूस होना।
फूड पाइजनिंग के कारण
- प्रोसेसिंग के समय मीट या पोल्ट्री में बैक्टीरिया का पनपना।
- किराना स्टोर, रेस्टोरेंट या घर में खाने-पीने की चीजों को गंदे हाथ लगाए गए हों या साफ-सफाई का ध्यान न रखा गया हो।
- बासी खाना खाने से।
- भोजन बनाते समय अगर दूषित पानी का उपयोग किया जाए तो फूडपाइजनिंग हो सकता है।
- खाने को ठीक से ढक के नहीं रखने पर उस पर मक्खी बैठ जाती है और खाने को संक्रमित कर देती है।
- यदि लंबे समय तक घर में इस्तेमाल की जाने वाली पानी के टैंक की सफाई नहीं हुई हो तो यह पानी दूषित हो जाता है। इस पानी का उपयोग पीने या खाना बनाने में करने से फूड पाइजनिंग की समस्या हो सकती है।
फूड पाइजनिंग का इलाज
दवाई लेना
फूड पाइजनिंग का इलाज कराने का सबसे आसान तरीका दवाई लेना है। अगर मरीज को कुछ प्रकार के बैक्टिरिया के कारण फूड पाइजनिंग हुआ है और उसके लक्षण भी गंभीर नहीं हैं तो ऐसे में डॉक्टर उसके लिए कुछ एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं। लिस्टेरिया वायरस से होने वाले फूड पाइज़निंग का इलाज अस्पताल में भर्ती करके इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जाता है। फूड पाइजनिंग का इलाज जितना जल्दी हो बेहतर रहता है। गर्भावस्था के दौरान शीघ्र एंटीबायोटिक्स से इलाज बंच्चे को संक्रमित होने से बचाता है। वयस्क जिनके दस्त में खून नहीं है, और न ही बुखार है उन्हें भी दवाएं लेने से आराम हो जाता है। हालांकि किसी प्रकार की दवाओं का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
ओ.आर.एस पीना
दवाई लेने के अलावा फूड पाइजनिंग के इलाज में ओ.आर.एस पीना भी लाभदायक साबित होता है। क्योंकी फूड पाइजनिंग के दौरान मानव-शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसी कमी को दूर करने में ओ.आर.एस सहायता करता है।
सादा भोजन खाना
फूड पाइजनिंग होने का प्रमुख कारण खराब भोजन या मसालेदार भोजन करना है। इसी कारण, फूड पॉइजनिंग से पीड़ित व्यक्ति को इस तरह के भोजन से परहेज करना चाहिए और सादा भोजन ही करना चाहिए।
वीन कराना
जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि फूड पॉइजनिंग के होने पर हमारे शरीर से तरल पदार्थ काफी अधिक मात्रा में निकल जाता है, जिसकी वजह से हमें काफी कमज़ोरी महसूस होती है। इस स्थिति को सुधारने में वीन (vein) सहायक साबित होता है, जिससे हमें थोड़ी राहत मिलती है और हम फूड पॉइजनिंग से जल्दी ठीक हो जाते हैं।
फूड पाइजनिंग का घरेलू उपचार
तुलसी का सेवन
कुछ तुलसी के पत्तों के रस में एक चम्मच शहद मिला लें। इसके इस्तेमाल के मरीज के अवस्था के अनुसार कुछ घंटों के भीतर ही कष्ट से राहत मिलता है।
सिरका
फूड पाइजनिंग के इलाज में सिरके का इस्तेमाल करना काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। कुछ अध्ययनों से यह बात स्पष्ट है कि सिरके से फूड पॉइजनिंग में आराम मिलता है।
जीरे का इस्तेमाल
फूड प्वाइजनिंग में जीरे का इस्तेमाल भी बहुत फायदेमंद होता है। जीरे का इस्तेमाल पेट की सूजन और पीड़ा को कम करने का बहुत ही गुणकारी घरेलू उपाय है। इसके लिए एक चम्मच जीरे को भूनकर पीस लें और अपने सूप में मिलाकर इस्तेमाल करें।
अदरक का रस पीना
अक्सर, फूड पॉइजनिंग का इलाज अदरक का रस पीकर भी किया जाता है।
दही का इस्तेमाल करना
यदि कोई व्यक्ति फूड पॉइजनिंग से परेशान है, तो उसे दही का इस्तेमाल करना चाहिए। दही उसके पेट में ठंडक पंहुचाकर इस बीमारी को जल्दी से ठीक करने में सहायता करती है।
नींबू पानी पीना
फूड पॉइजनिंग में नींबू पानी पीना भी बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। यह पेट को ठंडक देकर राहत प्रदान करता है।
केला खाना
केले को पेट के लिए अच्छा माना जाता है। अत: फूड पॉइजनिंग के इलाज में केला खाना भी अच्छा उपाय माना जाता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास ?
- फूड प्वाइजनिंग के साथ बुखार भी होने पर।
- दस्त में खून आने पर।
- अगर बार-बार उल्टी हो रही हो और पानी निकल रहा हो।
- अगर समस्या 3दिन से ज्यादा हो चुकी हो।
- अगर शरीर पर रैशेज आ रहे हों।
- चक्कर एवं थकान की अनुभूति होने पर।
- सांस लेने में परेशानी होने पर।