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गोक्षुर (गोखरू) के फायदे और नुकसान

गोक्षुर (गोखरू) के फायदे और नुकसान

2022-05-24 16:22:37

कई ऐसे जंगली पौधे, जो घरों और बगीचों के आसपास देखने को मिलते हैं। उनमें से एक गोखरू का पौधा भी है। यह पौधा देखने में जंगली पौधे की तरह ही लगता है। इसमें पीले रंग के छोटे फूल खिलते हैं। जिनके फल कांटे की तरह और हरे रंग के होते हैं। गोक्षुर एक संस्कृत नाम है। जिसका शाब्दिक अर्थ “गाय का खुर” होता है। इसका नाम गोक्षुर इसलिए पड़ा क्योंकि इसके फल में ऊपर की सतह पर छोटे-छोटे कांटें होते हैं। यह पौधा शुष्क जलवायु में उगता है। गोक्षुर का वैज्ञानिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस (Tribulus terrestris) है। जो जीगोफिलसी परिवार से संबंध रखता है। इसे गोखरू,गुड़खुल, त्रिकंत आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गोक्षुर की उत्पत्ति स्थान भारत है। लेकिन व्यापक रूप से भारत के अलावा अफ्रीका, एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी इसे उगाया जाता है। इसलिए इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेद के अलावा पारंपरिक चीनी चिकित्सा में भी किया जाता है।

 
गोक्षुर (गोखरू) के औषधीय गुण-

आयुर्वेद में गोक्षुर (गोखरू) के विभिन्न भाग जैसे बीज, जड़,  फूल, पत्ता, टहनियां आदि को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। वहीं, इसके पौष्टिक और उपचारात्मक गुणों के कारण बहुत-सी बीमारियों के लिए इसे आयुर्वेद में भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गोक्षुर (गोखरू) की तासीर गर्म और स्वाद में कड़वा होता है। जिसके कारण यह बुखार निवारक, कृमि नाशक, शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा  यह प्यास, त्रिदोष और वात पीड़ा को भी दूर में भी सहायता करता है। इसके फल में मूत्रवर्धक, यौन संबंधित समस्याओं को दूर करने के गुण पाए जाते हैं। इस औषधि के जड़ों का उपयोग खांसी, अस्थमा, एनीमिया और आंतरिक सूजन के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा इस पौधे की राख का इस्तेमाल गठिया के उपचार में भी लाभप्रद साबित होता है। आयुर्वेद में गोक्षुर को बल बढ़ाने वाली पौष्टिक औषधियों में प्रधान स्थान प्राप्त है।

 
गोखरू के फायदे:
मूत्र त्याग की कठिनाई को दूर करता है-

यूरिन पास करने में कठिनाई कई वजहों से हो सकती है। यदि इसका कारण प्रोस्टेट न हो तो गोखरू की जड़ का चूर्ण अपने ड्यूरेटिक्स गुणों के कारण इस कठिनाई में मदद करता है। यह यूरिन को उचित बहाव के साथ पास होने देता है। इसके अलावा गोखरू की जड़ के काढ़ा का सेवन करने से पेशाब में होने वाली सभी प्रकार की परेशानियों में लाभ होता है।

 
मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभप्रद-

गोखरू का प्रयोग स्त्रीरोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों और एंडोमेट्रियम के लिए एक टॉनिक के रूप में कार्य करता है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या मे गोखरू की जड़ के चूर्ण में मिश्री या मधु मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है। ऐसा करने से मासिक धर्म नियमित होता है।

 
पौरुष शक्ति के लिए-

गोखरू का सेवन करने से शीघ्रपतन, वीर्य की कमी, धातु दुर्बलता और पुरुषों में होने वाली कमजोरी में लाभ मिलता है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह का शारीरिक या अंदरूनी कमजोरी महसूस करता है। विशेष रूप से सेक्सुअल स्टैमिना की, तो ऐसे में उनके लिए गोक्षुर का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। क्योंकि गोक्षुर में पाए जाने वाले तत्व शरीर की अंदुरुनी कमजोरी को दूर कर सेक्सुअल स्टैमिना को बढ़ाने में मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गोखरू में बल्य और वृष्य का गुण भी पाया जाता है। जो धातुओं या ऊतकों को पुष्ट करने में मदद करता है। इसके लिए गोक्षुर के पाउडर को दूध या गर्म पानी के साथ पीएं । ऐसा करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है।

 
खिलाड़ियों एवं एथलीटों के लिए फायदेमंद-

गोक्षुर का अहम फायदा खिलाड़ियों एवं एथलीट परफॉरमेंस में सुधार के लिए माना जाता है। दरअसल, गोखरू में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। जो शारीरिक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। साथ ही गोखरू का सेवन खिलाड़ियों को हृदय संबंधी समस्याओं से बचाता है। विशेषज्ञों के अनुसार गोखरू का सेवन शारीरिक क्षमता बढ़ाने, खासकर वजन उठाने वाले खिलाड़ियों में सक्रिय भूमिका निभाता है।

 
पाचन शक्ति के लिए-

पाचन और एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए गोखरू का सेवन करना एक बढ़िया उपाय है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। गोखरू   फल के चूर्ण और पीपल पाउडर से बने काढ़े को सिप करके पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है।

 
सांस संबंधी बीमारी या दमा के लिए-

शरीर में कफ दोष बढ़ने के कारण भी श्वास सम्बंधित समस्याएं पैदा होने लगती है। चूंकि गोखरू में कफ शामक गुण पाए जाते हैं। इसलिए गोखरू का उपयोग श्वास संबंधी रोग और उसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसके लिए 2 ग्राम गोखरू के फल चूर्ण को 2-3 नग सूखे अंजीर के साथ दिन में तीन बार कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वास संबंधी रोग या दमा में लाभ मिलता है। 

 
पेचिश (दस्त) के लिए-

गोक्षुर के औषधीय गुण पेचिश (दस्त) जैसी समस्या में लाभप्रद साबित होते हैं। यदि अतिसार (पेट चलने का रोग) पतला, सफेद और बदबूदार है। तो ऐसे में गोक्षुर फल चूर्ण (गोखरू चूर्ण) को मट्ठे (छाछ) के साथ दिन में दो बार खिलाएं। ऐसा करने से आमातिसार या पेचिश में लाभ मिलता है। 

 
दिल के स्वास्थ्य के लिए-

गोक्षुर एंटीऑक्सिडेंट से प्रचुर होता है। जो कार्डियोप्रोटेक्टिव कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर को कम करने एवं कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही एथेरोस्क्लेरोसिस और अन्य हृदय संबंधी बीमारी की रोकथाम में भी मदद करता है।

 
जोड़ों के दर्द एवं अर्थराइटिस में फायदेमंद-

गोखरू फल के चूर्ण में एंटी अर्थ रितिक प्रभाव होता है। जो जोड़ों के दर्द एवं गठिया रोग से राहत दिलाने में मदद करता है। गोखरू रक्तचाप में सुधार करके गठिया के लक्षणों को कम करता है। वहीं इसके एंटीनॉसिसेप्टिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गठिया से होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 
एक्जिमा के लिए-

एक्जिमा को एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis) के नाम से भी जाना जाता है। एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा संबंधित विकार है। जिसमें व्यक्ति के  त्वचा पर खुजली होने लगती है और घाव भी हो सकते हैं। गोखरू के फल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। जो एक्जिमा के खतरे को कम करने में सहायक होता है।

 
त्वचा के लिए-

गोखरू फल के चूर्ण त्वचा को चमकदार बनाने के भी काम करते हैं। दरअसल, गोखरू यानी गोक्षुर के अर्क का इस्तेमाल कर क्रीम तैयार की जाती है।  जिसमें एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा गोखरू के चूर्ण का लेप करने से त्वचा संबंधित विकार ठीक होते हैं। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार होती है।

 
गोक्षुर (गोखरू) के उपयोग-
  • गोक्षुर के पाउडर को दूध या गर्म पानी के साथ पिया जाता है।
  • गोखरू के सूखे पाउडर और अदरक के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर काढ़े के रूप में सेवन किया जाता है।
  • गोक्षुर के अर्क का भी सेवन किया जाता है।
  • गोक्षुर का अर्क त्वचा पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसके तने से काढ़ा बनाकर पिया जाता है।
  • इसके पाउडर को मट्ठे के साथ मिलाकर पिया जाता है।
  • इसे कैप्सूल या टेबलेट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • शहद युक्त मिश्रीत गोक्षुर के चूर्ण में पानी के साथ लेप बनाकर स्किन पर लगाया जाता है।
गोक्षुर के नुकसान-
  • इसका अधिक सेवन हेपटोटोक्सिसिटी यानी खराब लिवर (hepatotoxicity) का कारण बन सकता है।
  • गोखरू का अधिक सेवन टेस्टोस्टेरोन को आवश्यकता से अधिक बढ़ा सकता है। जो हृदय स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।
  • यदि महिलाएं इसका अधिक सेवन करती हैं तो उनकी यौन संबंधों में रुचि कम हो सकती है।
  • गोक्षुर के चूर्ण का अधिक सेवन करने से न्यूरो टॉक्सिसिटी (नर्वस सिस्टम को हानि) का कारण बन सकता है।

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