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गुग्गुल के फायदे और नुकसान

गुग्गुल के फायदे और नुकसान

2022-05-24 16:21:53

गुग्गुल एक राल जैसा पदार्थ होता है। जो पेड़ से प्राप्त होता है। यह बहुत अधिक गर्मी के दौरान पौधे द्वारा उत्सर्जित एक गोंद राल होती है। यह पौधा एक छोटे पेड़ के रूप में बढ़ता है और इसकी ऊंचाई 4-5 फीट तक होती है। इसकी शाखाएं कांटेदार होती हैं। ताजा गुग्गुल नरम और चिपचिपा होता है जो सूखने पर एक ठोस पदार्थ बन जाता है। गुग्गुल गर्म तासिर का और कड़वा होता है। गोंद प्राप्त करने के लिए इसके पौधे के मुख्य तने में गोलाई में कट लगाया जाता है। इन कट के माध्यम से सुगंधित तरल पदार्थ एक सुनहरे भूरे रंग या लाल भूरे रंग में तेजी से ठोस हो जाता है। यह प्राप्त राल ही गुग्गुल होती है। जो औषधीय उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। गुग्गुल में विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे अनेक घटक होते हैं। जो कई रोगों को दूर करने में मदद करते हैं। खासतौर पर इसको पेट की गैस, सूजन, दर्द, पथरी, बवासीर, पुरानी खांसी, यौन शक्‍ति में बढ़ोत्तरी, दमा, जोडों का दर्द, फेफड़ों की सूजन आदि रोगों को दूर करने में उपयोग किया जाता है।

 

गुग्गुल के फायदे:

डायबिटीज में असरदार-

डायबिटीज के मरीजों के लिए गुग्गुल काफी फायदेमंद होता है। गुग्गुल इंसुलिन के प्रोडक्शन को सही करने का काम करता है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है और पेनक्रियाज को प्रोटेक्ट करता है। जिससे इंसुलिन का प्रोडक्शन सही होता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को एक चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ इसे जरूर लेना चाहिए।

 

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है-

गुग्गुल में रक्त को शुद्ध करने और फिर से जीवंत करने वाले गुण होते हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और विषाक्त पदार्थों के संचय के कारण होने वाले त्वचा रोगों को ठीक करने में मदद करता है। गुग्गुल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार और लिपिड स्तर को नियंत्रित करता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में भी लाभदायक होता है।

 

गुग्गुल बेनिफिट्स फॉर वेट लॉस-

मोटापा हृदय रोग, मधुमेह, जोड़ों के दर्द, पीसीओएस और अन्य चयापचय विकारों का मुख्य कारण है। गुग्गुल को विशेष रूप से वजन घटाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसीलिए वजन घटाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए इसका सेवन अच्छा माना जाता है।

 

त्वचा के लिए उपयोगी-

अल्सर और घावों का इलाज करने के लिए गुग्गुल का प्रयोग किया जाता है। इसे नारियल के तेल में मिलाकर प्रभावित त्वचा के हिस्से पर उपयोग किया जाता है।

 

एसिडिटी को करे दूर-

1 चम्मच गुग्गुल का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर रख दें। लगभग एक घंटे के इसे बाद छान लें। खाने के बाद इस मिश्रण का सेवन करने से एसिडिटी खत्म हो जाती है।

 

जोड़ों के दर्द में आराम-

शरीर में हड्डियों से जुड़ी किसी भी परेशानी के होने पर गुग्गुल का सेवन करना लाभदायक होता है। इसके चूर्ण को एक चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से सूजन, चोट के बाद होने वाले दर्द और टूटी हड्डियों को जोड़ने में मदद मिलती है।

 

सूजन को करे दूर-

गुग्गुल में इन्फ्लेमेशन गुण मौजूद होता है। जो दर्द और सूजन में राहत देने में मदद करता है। इसके चूर्ण का सेवन करने से शरीर के तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने में भी बहुत मदद मिलती है।

 

छाले-घाव में असरदार-

मुंह के छाले होने पर गुग्गुल को मुंह में रखें या गर्म पानी में घोलकर दिन में 3 से 4 बार इससे कुल्ला व गरारे करें। ऐसा करने से मुंह के अंदर के घाव, छाले व जलन ठीक हो जाते हैं।

 

गंजापन से मिल जाएगा छुटकारा-

जो लोग गंजेपन से परेशान हैं। वह लोग गुग्गुल के सिरके को सुबह-शाम नियमित रूप से सिर पर वहां लगाए जहां बाल नहीं हैं। इसे रोज लगाए जब तक बाल आने न शुरू हो।

 

पेट की बीमारी में फायदेमंद-

अगर किसी को कब्ज की शिकायत हो तो उसके लिए गुग्गुल का चूर्ण फायदेमंद होता है। इसके लिए लगभग 5 ग्राम गुग्गुल में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को मिलाकर रात में हल्के गर्म पानी के साथ लें। इससे पुराने से पुराना कब्ज भी दूर हो जाएगा।

 

गुग्गुल के नुकसान-

  • मासिक धर्म के दौरान गुग्गुल रक्त के प्रवाह को उत्तेजित और गर्भाशय के आकार को कम करता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसके उपयोग से बचना चाहिए।
  • गुग्गुल थायरॉयड के कार्य को प्रभावित करता है। इसलिए निष्क्रिय या अतिरक्त थायरॉयड में सावधानी से इसका उपयोग करें।
  • इसका अधिक मात्रा में सेवन करना लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए लिवर रोग या आंतो की सूजन वाले रोग में गुग्गल का उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

गुग्गुल कहां पाया और उगाया जाता है?

समस्त भारत के शुष्क एवं पथरीले भागों में यह मुख्यत राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, आसाम तथा उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।

 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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