कटेरी के फायदे और नुकसान
2022-07-12 00:00:00
प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है। जिसमें कई ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो अक्सर हमारे घरों , बगीचों और सड़कों के आस-पास देखने को मिलती हैं। लेकिन जानकारी के अभाव के कारण हम और आप उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसी ही एक जड़ी बूटी कटेरी या कंटकारी है। जिसका उपयोग शरीर को कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। कटेरी को कटीला, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली, भटकटैया आदि नाम से भी जाना जाता है।
कटेरी क्या है?
कटेरी एक कांटेदार पौधा है। यह सोलानासेया (Solanaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका वैज्ञानिक नाम सोलनम जैंथोकार्पम (Solanum xanthocarpum) है। कटेरी को अंग्रेजी में येल्लो बेरीड नाइटशेड (Yellow berried nightshade) के नाम से पुकारा जाता है। इसके फल आकार में गोल होते हैं और खाने योग्य होते हैं। वहीं, कटेरी के फूल नीले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां अंडाकार और यह कांटों से भरी होती हैं।
आयर्वेद में कटेरी का महत्व
वैसे तो कटेरी की कई प्रजातियां होती हैं। लेकिन आयुर्वेद में मुख्य रूप से तीन प्रजातियों (छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी और श्वेत कटेरी) का प्रयोग दवा बनाने में किया जाता है। इसकी जड़, पत्ते, फूल, फल और बीज में औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह प्रकृति से कटु या तीख़ा और तासीर से गर्म होता है। जिसके कारण कटेरी का उपयोग अस्थमा,श्वास रोग, खाँसी , नज़ला, पाचन विकार, कान की सूजन, बवासीर, पेशाब के दौरान दर्द और संक्रमण और यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
कटेरी के फायदे
- खांसी के लिए कटेरी खांसी के उपचार के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, कटेरी की जड़ में एक्सपेक्टोरेंट अर्थात बलगम को बाहर निकालने वाले गुण मौजूद होते हैं। जिसके कारण खांसी के इलाज के लिए कटेरी को आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, कटेरी के बीज में भी कफ निकालने वाले गुण पाए जाते हैं। इसलिए कटेरी, गिलोय और पित्तपापड़ा मिश्रित काढ़े का सेवन शरीर की रोग प्रतिऱोधक क्षमता बढाने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। नोट: किसी भी प्रकार के काढ़े का सेवन करने से पूर्व उसे बनाने की विधि एवं उसे पिने की मात्रा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेना अनिवार्य है।
- बुखार के लिएबुखार को कम करने में कटेरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्योंकि इसमें एंटीपाइरेटिक औषधीय गुण पाया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, कटेरी की जड़ बुखार के इलाज में लाभकारी साबित होती है। यही नहीं, इस पर किए गए शोध में बताया गया है कि कटेरी की जड़ से बने रस को मट्ठे और अदरक के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से बुखार में आराम पहुंचता है।
- अस्थमा के लिएकटेरी अस्थमा के मरीजों में बेहद कारगर साबित होती है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि कटेरी में एंटी अस्थमैटिक गुण मौजूद होतें हैं , जो अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।
- सिरदर्द के लिएसिरदर्द से राहत पाने के लिए कटेरी का प्रयोग सालों से किया जाता रहा है। इसके लिए कटेरी का काढ़ा बनाकर पी लें। ऐसा करने से सिर दर्द की समस्या से तुरंत राहत मिलती है। इसके अलावा कटेरी के फल के रस को माथे पर लेप की तरह लगाने से भी दर्द से राहत मिलती है।
- शमिर्गी के लिएमिर्गी एक मस्तिष्क संबंधी समस्या है। जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए कटेरी बेहद लाभकारी साबित होतीहै। दरअसल, कटेरी में सोलासोडीन नामक यौगिक पाया जाता है,जो मिर्गी के उपचार में काफी लाभप्रद साबित होता है। इसके अलावा कटेरी की पत्तियों में आक्षेपरोधी (anticonvulsant) गुण पाए जाते हैं ,जिससे मिर्गी के दौरे को रोकने में कुछ हद तक मदद मिलती है।
- दांत दर्द के लिएएनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, दांत दर्द की समस्या को दूर करने के लिए कटेरी लाभकारी होती है। दांत दर्द होने पर कटेरी की जड़, छाल, पत्ते और फल को पानी में उबालें। अब इस मिश्रण को छानकर इस पानी से कुल्ला करें। ऐसा करने से दांत दर्द की समस्या से राहत मिलती। इसके अलावा कटेरी पर किए गए एक अन्य शोध से पता चलता है कि यह एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुणों से भरपूर हैं। इसलिए कटेरी के बीज के धुएं का उपयोग दांत एवं मसूड़ों के दर्द से निजात दिलाने में लाभकारी होता है।
- पेट दर्द के लिएपेट दर्द को दूर करने में भी कटेरी बेहद असरदार साबित होती है। इसके लिए कटेरी के फूल के बीजों का सेवन करें। इसके अलावा कटेरी के फूल के बीजों को पीसकर, उसे छाछ में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है। साथ ही दस्त की समस्या होने पर इसके बीजों का सेवन करने से दस्त से भी छुटकारा मिलता है।
- लिवर के लिएलिवर संबंधी समस्याओं के लिए कटेरी का सेवन लाभकारी होता हैं। ऐसा माना जाता है कि कटेरी लिवर के लिए बहुत अच्छा टॉनिक होता है। इससे बने काढ़े का सेवन करने से लिवर की सूजन और इंफेक्शन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- बालों के लिएबालों की देखभाल और उसे हेल्दी बनाए रखने में कटेरी बेहद लाभदायक होती है। यह बालों केझड़ने की समस्या को कम करती है। झड़ते बालों एवं रुक्ष बालों की समस्या से निजात पाने के लिए कटेरी के लेप को बालों पर लगाएं। ऐसा करने से बालों की जड़ों को मजबूती मिलती हैं। साथ ही बालों के टूटने और गिरने की समस्या दूर होती हैं।
- गंजापन के लिएआयुर्वेद शास्त्रों में गंजेपन के लिए कटेरी का प्रयोग अच्छा उपाय माना जाता है। इसके लिए श्वेत कंटकारी के फल का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर लेप बना लें। अब इस लेप बालों पर लगाएं। ऐसा करने से नए बाल निकल आते हैं। जिससे गंजेपन की समस्या दूर होती है।
- दत्वचा संबंधी समस्याओं के लिएकटेरी त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होती है। यह त्वचा की कई समस्याएं जैसे दानें, चकत्ते, खुजली और लालिमा से छुटकारा दिलाता है। इसके लिए कटेरी की जड़ का पेस्ट बनाकर प्रभवित अंगों पर लगाएं।
कटेरी का उपयोग
- कटेरी के फल को अच्छी तरह से साफ करके सीधे तौर पर खाया जाता है।
- इसके फल को सुखाकर भी खाया जाता है।
- कटेरी का इस्तेमाल काढ़े के रूप में भी किया जाता है।
- इसका सेवन चूर्ण के रूप में भी किया जाता है।
कटेरी के नुकसान
- कटेरी का काढ़ा अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी की शिकायत हो सकती हैं।
- कटेरी के काढ़े को छोटे बच्चों को ना पिलाएं। ऐसा करने से बच्चों को पेट में दर्द हो सकताहै।
- गर्भवती महिलाएं कटेरी का सेवन ना करें।