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सुहागा (टंकण भस्म) के अद्भुत फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव

सुहागा (टंकण भस्म) के अद्भुत फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव

2023-04-01 15:20:02

सुहागा एक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला खनिज यौगिक है। यह मुख्य रूप से सोडियम बोरेट, एक बोरॉन अयस्क का एक रूप है। इसे हिंदी में शुद्ध सुहागा और आयुर्वेद में टंकण भस्म के नाम से जाना जाता है। वहीं अंग्रेजी में इसे बोरेक्स पाउडर के नाम से पुकारा जाता है। टंकण भस्म बनाने के लिए शुद्ध सुहागा कई बार शोधन प्रक्रिया से गुज़रता है । इसका वैज्ञानिक नाम सोडियम टेट्राबोरेट डेकाहाइड्रेट है जो बोरिक एसिड और सोडियम से बना होता है।

सुहागा रंगहीन, सफेद,भूरे, हरे या नीले रंग का होता है। यह स्पष्ट रूप से अपारदर्शी है, तैलीय है और गैर-फ्लोरोसेंट गुण प्रदर्शित करता है। यह कई खनिजों जैसे हैलाइट, गेलुसाइट, हैंकसाइट, नाइट्रेटिन, कैल्साइट आदि से निकटम संबंधित है । यह खनिज समान रूप से अप्रभेद्य क्रिस्टल (अलग करने) के रूप में बड़े पैमाने पर, प्रिज्मीय या महीन संरचनाओं का निर्माण करते हैं।

 

आयुर्वेद में शुद्ध सुहागा (टंकण) का महत्व-

 

शुद्ध सुहागा में 11.3% बोरॉन होता है जो रासायनिक रूप से ऑक्सीजन से जुड़ा होता है। बोरॉन प्रकृति में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक तत्व है।

बोरेक्स क्रिस्टलीय रूप में बाजारों में उपलब्ध है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह ऑक्सीकरण रोधी, पाचन, रोगाणुरोधी, घाव भरने, सूजनरोधी, कैंसर विरोधी, कसैले और एंटीसेप्टिक गुणों से समृद्ध है। इसलिए टंकण का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में बाहरी और आतंरिक दोनों रूप से किया जाता है। यह मुख्य रूप से खांसी, सूजन, यूटीआई, त्वचा संक्रमण, बालों की समस्याओं और घावों के इलाज में सहायक होता हैं।

 

शुद्ध सुहागा (टंकण) के फायदे-

 

सर्दी-खांसी में असरदार-

शुद्ध सुहागा खांसी के इलाज में असरदायक होता है। क्योंकि इसमें कफ संतुलन और उष्ण (गर्म) शक्ति होती है। यह कफ को ढीला करके आसानी से बाहर निकालता है। जिससे श्वास नली साफ़ होती है और साँस लेने ने आसानी होती है ।

 

गठिया के इलाज में मददगार-

गठिया से पीड़ित लोगों की हड्डियों में श्लेष द्रव और फीमर हेड्स के साथ बोरॉन का स्तर कम हो जाता है। ऐसे में सुहागा का इस्तेमाल करके इसे रोका जा सकता है। इसमें पाए जाने वाला बोरॉन और कैल्शियम गठिया को रोकने के लिए इसके स्तर को बढ़ाने का काम करता है। इस प्रकार यह गठिया का प्रभावी ढंग से इलाज करता है।

 

सूजन को रोकने में कारगर-

बोरेक्स (शुद्ध सुहागा) अपने सूजन रोधी गुणों के कारण सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

 

मुंह के छालों में लाभप्रद-

सुहागा मुंह के छालों के उपचार में प्रभावी है। इसमें सूजन-रोधी प्रभाव होता है। इसलिए इसका उपयोग कुछ स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे कि जीभ या मुंह पर घाव और गले की सूजन के इलाज के लिए किया जाता है।

 

घाव भरने में सहायक-

सुहागा घावों के लिए बढ़िया उपाय माना जाता है। दरअसल टंकण में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो घावों के संक्रमण और खुजली को रोकतें है।

 

एमेनोरिया और ओलिगोमेनोरिया को रोकने में सहायक-

टंकण एमेनोरिया और ओलिगोमेनोरिया से पीड़ित महिलाओं के लिए लाभप्रद होता है। सामान्यतः जिसे अनियमित मासिक धर्म या मासिक धर्म की अनुपस्थिति के नाम से जाना जाता है। इसमें उष्ण (गर्म) शक्ति की मौजूदगी के कारण, यह रुकावटों को साफ करने, कफ़ और वात को संतुलित करके ओवा स्राव और मासिक धर्म सहित गर्भाशय में सुधार करता है।

 

त्वचा संक्रमण को दूर करने में सहायक-

टंकण अपने रोगाणुरोधी, रूक्ष (सूखा) और क्षार (क्षारीय) गुणों के कारण त्वचा संक्रमण का इलाज करने में मदद करता है।

 

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के इलाज में सहायक-

टंकण भस्म (शुद्ध सुहागा) मूत्र पथ के संक्रमण को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसमें रोगाणुरोधी, तीक्ष्ण (तेज), रूक्ष (सूखा) और क्षार (क्षारीय) प्रभाव होते हैं। यह सभी गुण यूटीआई के लक्षणों का इलाज करने में मदद करते हैं।

 

डैंड्रफ (रुसी) से छुटकारा दिलाने में कारगर-

बोरेक्स डैंड्रफ से लड़ने में मदद करता है। इसके कसैले, तीक्ष्ण (तेज) और रूक्ष (सूखे) गुणों के कारण सिर में रक्त के प्रवाह में भी सुधार करता है।

 

शुद्ध सुहागा का उपयोग-

  • रूसी को नियंत्रित करने के लिए शुद्ध सुहागा के चूर्ण को नारियल के तेल के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर स्कैल्प पर लगाया जाता है।
  • बोरेक्स का लेप हल्दी और दूध में मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से त्वचा के संक्रमण में लाभ होता है।
  • घाव को जल्दी भरने और लालिमा या रैशेज को कम करने के लिए शहद के साथ इसके चूर्ण को मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ होता है।
  • नींबू के रस में टंकण भस्म को मिलाकर मस्सों पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
  • शुद्ध सुहागा या टंकण भस्म का शहद के साथ प्रयोग करने से खांसी, गले की खराश और सर्दी ठीक हो जाती है।

 

शुद्ध सुहागा (टंकण भस्म) के दुष्प्रभाव-

    • आमतौर पर आंतरिक रूप से टंकण भस्म के उपयोग की अनुशंसा नहीं की जाती है। इसका सेवन किसी चिकित्सक की देखरेख में ही करनी चाहिए।
    • अधिक क्षारीय प्रकृति के कारण यह त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।
    • लंबे समय तक इसका उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाती है। इससे गुर्दे की शिथिलता होने की संभावना होती है क्योंकि शरीर में बोरेक्स जमा हो जाता है।
    • इसकी विषाक्तता के कारण सुहागा का अधिक सेवन थकान या उल्टी का कारण बन सकता है।
    • यह आनुवंशिक क्षति भी पैदा कर सकता है और लिम्फोसाइटों (प्रतिरक्षा प्रणाली) के लिए विषाक्त है।
    • सुहागा का उपयोग गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए।

सुहागा कहां पाया जाता है?

शुद्ध सुहागा प्राकृतिक रूप से भारत, नेपाल और तिब्बत में सूखी झीलों के तट पर पानी के वाष्पीकरण से बने ठोस क्रिस्टलीय द्रव्यमान के रूप में जमा होता है। यह अटाकामा रेगिस्तान, बोलीविया और रोमानिया में भी पाया जाता है।

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